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New Zealand Cricketer Stephen Fleming Biography

दोस्तों जरा कल्पना (Imagination) कीजिए, कैसे गुजरता होगा उस बच्चे का बचपन (Childhood) जिसके सर पर पिता का साया नही होता। बचपन में बाप के कंधे पर बैठकर एक बच्चा किलकारियां (Howls) लेता हैं, मजे से मेले देखने जाता है। खेलने कूदने पढ़ाई लिखाई, बाहरी जीवन का मार्गदर्शन (Guidance) अपने बच्चे के लिए एक पिता ही करता है। बाप की उंगली पकड़कर बच्चा चलना सीखता है। हम उम्र के किसी भी पढ़ाव (Studies) पर ही क्यों न पहुंच जाए मां-बाप का साथ और आशीर्वाद (Blessings) हमें सारी कठिनाइयों को पार करने का हौसला (Courage) देता हैं। बचपन से जब एक बच्चा क्रिकेट जैसे बड़े खेल में प्रोफेशनल (Professional) करियर बनाने की सोचता है तो मानसिक (Mental) तौर पर उसे मां और खासतौर पर अपने पिता के सपोर्ट (Support) की जरूरत होती है। लेकिन न्यूजीलैंड (New Zealand) के इस क्रिकेटर को बचपन में अपने पिता के बारे में पता ही नही था। पिता का साथ, प्यार, दुलार और मार्गदर्शन के बिना ही इस खिलाड़ी ने क्रिकेट जैसे खेल में करियर बनाने की ठान (Determination) ली और अपनी मां के साथ क्रिकेट के गलियारों (Corridors) में निकल पड़ा। एक सिंगल मदर के लिए अपने बच्चे को पालना पोषना (Nurturning) और उसके सपनो में साथ देना काफी मुश्किलों से भरा हुआ होता है। मां बेटे की इस जोड़ी ने कड़े हालातों का सामना करते हुए अपना सपना पूरा कर दिखाया। जीवन की कठनाइयों से लड़ते हुए इस खिलाड़ी ने विश्वक्रिकेट (World cricket) में कई कीर्तिमान (Record) हासिल किए। आज इस खिलाड़ी की गिनती क्रिकेट जगत के बेहतरीन बल्लेबाजों (Batsman) और सर्वश्रेष्ठ (Best) कप्तानों (Captains) में होती हैं। क्रिकेट से संन्यास (Retirement) लेने के बाद इस क्रिकेटर ने कोच (Coach) के रूप में कई झंडे गाड़े। आईपीएल (IPL) के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के पीछे इसी इंसान का हाथ है। एक सफल बल्लेबाज, महान कप्तान और बेमिसाल कोच के रूप में आज दुनिया इन्हे जानती हैं। किसने सोचा था पिता के प्यार और साथ को तरसा ये खिलाड़ी एक दिन विश्वक्रिकेट (World cricket) में इतना नाम कमाएगा। Heroes of world cricket की इस खास श्रृंखला (Series) में आज हम बात करेंगे कीवी लीजेंड स्टीफन फ्लेमिंग की।

स्टीफन फ्लेमिंग

नमस्कार,

स्टीफन फ्लेमिंग आज विश्वक्रिकेट के नामचीन (Famous) चेहरों में से एक हैं। उनकी लाइफ स्टोरी काफी हद तक सुपरहिट(Superhit) मूवी KGF से मिलती जुलती हैं। KGF फिल्म में जैसे रॉकी की मां उन्हें अकेले संभालती हैं, उनका साथ देती है ठीक उसी तरह फ्लेमिंग की मां पॉलिन ने भी एक सिंगल (Single) मदर (Mother) के रूप में उनका पालन पोषण किया। केजीएफ मूवी में रॉकी भाई आगे चलकर दुनिया का सबसे बड़ा डॉन बना ठीक उसी तरह स्टीफन फ्लेमिंग ने भी क्रिकेट इतिहास (History) में अपनी सल्तनत बनाई, जिसके किस्से आज भी सुनाई देते हैं। मां चाहे भारतीय हो या विदेशी (Foreigner), पहनावा और रहन सहन चाहे अलग हो, लेकिन ममता और जज़्बात दोनो के एक जैसे होते हैं। फ्लेमिंग की मां पॉलिन उनका सपोर्ट (Support) सिस्टम बनी, डटकर उन्होंने अपने बेटे वा उसके सपनो का साथ दिया। फ्लेमिंग ने अपने प्रोफेशनल (Professional) करियर में बहुत सारी उपलब्धियां (Achievements) हासिल की, उसका श्रेय (Credit) उनकी मां को भी जाता है, जिन्होंने मुश्किल हालातों का सामना करते हुए अपने बच्चे को अपना सपना पूरा करने का हौसला दिलाया और साए की तरह हमेशा साथ रहीं।

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दोस्तों , स्टीफन फ्लेमिंग का जन्म 1 अप्रैल 1973 में न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च (Christchurch) में हुआ था। फ्लेमिंग का पूरा नाम स्टीफन पॉल फ्लेमिंग हैं। जैसा कि हमने आपको बताया उनकी मां पॉलिन एक सिंगल मदर रही। उनके पिता का नाम गैरी किर्क हैं। 16 की उम्र में पहली बार फ्लेमिंग अपने पिता से मिले। हालांकि उनके पिता किर्क (Kirk) उनकी मां के साथ कांटेक्ट (Contact) में थे और समय समय पर फ्लेमिंग के बारे जानकारी लेते रहते थे। बचपन से क्रिकेट के साथ साथ फ्लेमिंग रग्बी भी खेला करते थे। स्कूल के दौरान उनका रुझान (Trend) क्रिकेट की ओर बढ़ा और उन्होंने इसमें अपना करियर (Career) बनाने का फैसला किया। फ्लेमिंग और उनके पिता किर्क ने सीनियर (Senior) लेवल तक रग्बी खेला और कश्मीरी हाई फर्स्ट फाइव में टीम की कप्तानी भी की। जूनियर लेवल पर अच्छा प्रदर्शन कर उन्होंने राष्ट्रीय (National) चयनकर्ताओं (Selectors) का ध्यान अपनी ओर आकर्षित (Attract) किया। साल 1994 में अपने डेब्यू (Debut) टेस्ट मुकाबले में उन्होंने धमाकेदार स्टाइल  (Style) में क्रिकेट के इस लोकप्रिय (Popular) खेल में पदार्पण किया। अपने डेब्यू टेस्ट मुकाबले में टीम इंडिया के खिलाफ 92 रनों की शानदार अर्धशतकीय (fifties) पारी खेलकर उन्होंने अपनी टीम को जीत दिलाई। उनके पहले अंतरराष्ट्रीय (International) मैच में ही उन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब भी मिला। टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उन्हें न्यूजीलैंड के लिए वनडे क्रिकेट खेलने का भी मौका मिला। उनके जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा था, टेस्ट और वनडे टीम में उन्होंने अपनी जगह पक्की कर ली लेकिन फिर उनसे एक बड़ी गलती हो गई और उनका करियर दांव (Stake) पर लग गया। साल 1995 में उन्हें साथी खिलाड़ी मैथ्यू हार्ट और डायोन नैश के साथ होटल (Hotel) में मारीजुआना का नशा करने के मामले में दोषी करार पाया गया। ये ऐसा समय था जब फ्लेमिंग को लगा कि अब उनका करियर खत्म हो गया हैं। इतनी मेहनत से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जगह बनाने के बाद वापस से जीरो से शुरू करने का डर उन्हें सताने लगा था, हालाकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। फ्लेमिंग और हार्ट ने अपनी गलती स्वीकार (Accept) कर ली और तीनो खिलाड़ियों जुर्माना (Fine) लगा। फ्लेमिंग ने बताया इस कंट्रोवर्सी (Controversy) के चलते स्पॉन्शरशिप (Sponsorship) खोने की वजह से उनका लाखों का नुकसान हुआ। अपनी गलती से सीखकर फ्लेमिंग आगे बढ़े और फिर उन्होंने कभी पलटकर नही देखा।

1 अक्टूबर 1994, न्यूजीलैंड के सामने थी टीम इंडिया। पहले बल्लेबाजी कर रही कीवी टीम मुश्किलों में थी, जवागल श्रीनाथ ने न्यूजीलैंड के टॉप (Top) ऑर्डर की गिल्लियां बिखेर दी थी। 60 रन के स्कोर (Score) पर न्यूजीलैंड के 3 विकेट गिर चुके थे। फिर बल्लेबाजी करने आए स्टीफन (Stephen) फ्लेमिंग। अपना पहला वनडे मैच खेलकर फ्लेमिंग ने टीम को मुश्किलों से निकाला और शानदार अंदाज में 90 रनों की पारी खेली। शेन थॉमसन के साथ मिलकर उन्होंने पांचवे विकेट के लिए 144 रन जोड़े और मुश्किलों से अपनी टीम को उबारते हुए सम्मानजनक (Dignified) स्कोर तक पहुंचाया। भारत को जीत के लिए 241 रनों की जरूरत थी। कीवी गेंदबाजों ने शानदार गेंदबाजी का मुजायरा किया और लक्ष्य डिफेंड (Defend) करने में सफल रहे। टीम इंडिया के खिलाफ इस जीत के हीरो रहे स्टीफन फ्लेमिंग। उन्होंने किलर अंदाज में एकदिवसीय (ODI) क्रिकेट में एंट्री ली। 1996-97 इंग्लैंड के न्यूजीलैंड दौरे पर उन्होंने अपने टेस्ट करियर का पहला टेस्ट शतक (Century) जमाया। ऑकलैंड के अपने घरेलू मैदान पर, घरेलू क्राउड के सामने उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ शतकीय (Century) पारी खेली। इस सीरीज (Series) के तीसरे टेस्ट में ली जर्मन (German) के कप्तानी छोड़ने के बाद उन्हें टीम का कप्तान (Captain) बनाया गया। 23 साल की उम्र में न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम की कप्तानी करने वाले वे वे सबसे युवा (Youth) कप्तान थे। अपनी बल्लेबाजी (Batsman) में और ज्यादा सुधार करने के लिए साल 2001 में उन्होंने काउंटी मिडलसेक्स (Middlesex) की ओर से क्रिकेट खेला, जहां उन्होंने अपने पचासों को शतक (Century) में तब्दील करने का हुनर सीखा। साल 2003, जोहान्सबर्ग स्टीफन फ्लेमिंग के वनडे (ODI) करियर की सर्वश्रेष्ठ (Most) पारी। ICC वनडे वर्ल्ड कप 2003, साउथ अफ्रीका में हो रहे विश्वकप (World cup) में अफ्रीकी टीम को जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। हेर्सचेल गिब्स की शतकीय पारी की बदौलत साउथ अफ्रीका ने स्कोरबोर्ड (Scoreboard) पर 306 रन लगा दिए। उस समय 300 से अधिक रनों का टारगेट (Target) बहुत कठिन माना जाता था। और जब आपके सामने शॉन पोलाक, मखाया एनटिनी और एलन डोनाल्ड जैसा गेंदबाजी आक्रमण (Attack) हो तो चेस (Chase) करना और भी मुश्किल हो जाता है। इतने खतरनाक गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ स्टीफन फ्लेमिंग ने 134 नाबाद रन बनाकर साउथ अफ्रीका के खिताबी जीत का सपना चकनाचूर कर दिया। न्यूजीलैंड ने 9 विकेट से यह मुकाबला अपने नाम कर लिया।

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साल था 2003 और मैदान था कोलंबो क्रिकेट ग्राउंड। कोलंबो के टर्निंग (Turning) विकेट (Wicket) पर न्यूजीलैंड से कुछ खास उम्मीद नहीं थी। लेकिन कठिन पिच पर मुश्किल हालात में फ्लेमिंग ने धमाकेदार अंदाज में दोहरा शतक जड़ दिया। फ्लेमिंग की 274 रनों की पारी की मदद से कीवि टीम ने 515 रनों का विशाल स्कोर बना दिया। दूसरी पारी में भी उन्होंने अर्धशतकीय पारी खेली। और यह मुकाबला ड्रा (Dra) हो गया। इस पारी के बाद हैमिल्टन में पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने शानदार 192 रन बनाए। साल 2004 में उन्होंने Newzeland’s Cricketer Of The Year चुना गया। 26 अक्टूबर 2004, ये तारीख फ्लेमिंग के जहन में आज तक बसी हुई है। बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने तीन बड़े रिकॉर्ड (Record) अपने नाम किया। सबसे ज्यादा टेस्ट मैच (87 टेस्ट ) के खेलने वाले वे पहले कीवी खिलाड़ी बने। न्यूजीलैंड के लिए टेस्ट में 150 पारी खेलने वाले पहले क्रिकेटर बने। 81 रनों पर पहुंचते ही वह मार्टिन क्रोव को पीछे छोड़ टेस्ट (Test) में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने। अप्रैल 2006 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ फ्लेमिंग ने अपने टेस्ट करियर (Career) का तीसरा दोहरा शतक जड़ा। जेम्स फ्रैंकलिन के साथ मिलकर 8वें विकेट के लिए 256 जोड़ डाले। 8वें विकेट के लिए ये न्यूजीलैंड की अब तक सबसे बड़ी साझेदारी (Partnership) है। साल 2007 टी20 वर्ल्ड कप में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया 39.22 की औसत (Average) से उन्होंने 353 रन बनाए और न्यूजीलैंड के लिए दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। सेमी फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने 4 गेंद में 1 रन बनाया, उनके खराब प्रदर्शन के चलते उनकी टीम यह मैच हारकर वर्ल्ड (World) कप से बाहर हो गई। 24 अप्रैल 2007 को सेमीफाइनल (Semifinal) में हार के बाद उन्होंने कप्तानी छोड़ दी। कप्तान के तौर पर फ्लेमिंग के आखिरी मैच में उन्हें tribute देते हुए श्रीलंकाई कप्तान महेला जयवर्धने ने कहा था कि “स्टीफन न्यूजीलैंड के लिए अच्छे लीडर (Leader) साबित हुए हैं, आप उनसे काफी कुछ सीख सकते हैं।” सितंबर 2007 में उन्होंने टेस्ट की कप्तानी (Captaincy) भी छोड़ दी। इंडियन प्रीमियर (Premiere) लीग आईपीएल (IPL) की शुरुआत से पहले उन्होंने अंतरराष्ट्रीय (International) क्रिकेट से संन्यास (Retirement) ले लिया। मई 2007 में उन्होंने अपनी लॉन्ग (Long) टाइम पार्टनर (Partnership) केली पेन से शादी कर ली। इंडियन प्रीमियर लीग के पहले सीजन (Season) में वो चेन्नई सुपरकिंग्स (Super kings) की ओर खेलते हुए नजर आए। साल 2009 में उन्होंने रिटायरमेंट ले ली, और उन्हे सीएसके (CSK) का हेड कोच बनाया गया। उनके कोचिंग (Coaching) कार्यकाल (Tenure) में सीएसके ने चार बार आईपीएल ट्रॉफी अपने नाम की। फिलहाल वो चेन्नई सुपरकिंग्स के कोच (Coach) पद पर बने हुए हैं।
बाएं हाथ के बल्लेबाज रहे स्टीफन फ्लेमिंग विश्वक्रिकेट में अपनी स्ट्रेट (Strait) ड्राइव, कवर ड्राइव और कट शॉट्स (Shots) के लिए जाने जाते थे। फ्लेमिंग ने न्यूजीलैंड के लिए 111 टेस्ट में 9 शतक और 46 अर्धशतक की मदद से 712 रन, 280 वनडे मैचों में 8 शतक और 49 अर्धशतक की बदौलत 8037 और 5 टी20 मैचों में 85 रन बनाए है। स्टीफन फ्लेमिंग और चेन्नई सुपर किंग को एक साथ देख कर आपको क्या लगता है हमें कमेंट करके जरूर बताइए। वीडियो पसंद आये तो पोस्ट शेयर करे |

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