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श्रेयस अय्यर: जिन्हें कभी मुंबई का सहवाग कहा जाता था।

मुम्बई ने भारतीय क्रिकेट इतिहास को समय समय पर कई शानदार खिलाड़ी दिए हैं, अस्सी और नब्बे का दशक में भारतीय क्रिकेट टीम में मुम्बई से आए खिलाड़ियों का बहुत बोलबाला रहा था, सचिन जैसे खिलाड़ियों ने विश्व क्रिकेट को अचंभित कर रखा था तो वहीं सुनील गावस्कर अपनी धनी विरासत छोड़कर क्रिकेट को अलविदा कह चुके थे।

इसी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए 90 का दशक वह समय रहा जब मुम्बई की धरती भारतीय क्रिकेट के भविष्य के कई सुपरस्टार्स को अपनी गोद में खिला रही थी।

एक ऐसे ही सुपरस्टार खिलाड़ी का नाम श्रेयस अय्यर है जिसे लोग कभी दुसरा सहवाग कहा करते थे लेकिन समय के साथ साथ यह साबित हो गया कि यह खिलाड़ी नायाब है।

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श्रेयस अय्यर

श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer) का शुरुआती जीवन-

6 दिसंबर साल 1994 के दिन भारत के मुम्बई शहर में पिता संतोष अय्यर और मां रोहिनी अय्यर के घर उनके बेटे का जन्म हुआ जिसका नाम श्रेयस अय्यर रखा गया था।

श्रेयस के पिता बताते हैं कि वो भी एक क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन अपने इस सपने को वो कोलेज लेवल तक ही ले जाए पाए थे,आगे घर की जिम्मेदारियों ने संतोष अय्यर को नई राह लेने पर मजबूर कर दिया था।

श्रेयस अय्यर की उम्र जब चार साल की हुई तब इन्होंने पहली बार बल्ला हाथ में लिया और इस खेल के प्रति अपने बेटे के प्यार ने मां बाप को भी यह महसूस करा दिया था कि श्रेयस क्रिकेट के खेल में कुछ बहुत बड़ा कर सकते हैं।

एक फुटबॉलर बनने का ख्वाब देख रहे श्रेयस अय्यर को जब अपने पिता के मन की बात मालूम हुई तो उन्होंने अपने पिता के सपने को साकार करने का मन बना लिया और इस तरह श्रेयस अय्यर का क्रिकेट के खेल की तरफ झुका शुरू हुआ।

श्रेयस अय्यर पढ़ाई लिखाई में बहुत अच्छे थे और पढ़ाई लिखाई के बाद वाला समय श्रेयस ने क्रिकेट को समर्पित कर दिया।

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श्रेयस अय्यर

श्रेयस अय्यर का क्रिकेट में शुरूआत-

गली क्रिकेट में श्रेयस अपने से बड़े लड़को के खिलाफ भी आक्रमक रवैये में बैटिंग करते थे और उनकी आक्रामक बल्लेबाजी श्रेयस को देखने वाले लोगों को सहवाग की याद दिलाती थी और इसलिए गली क्रिकेट में लोग श्रेयस को मुम्बई का सहवाग बुलाने लगे थे।

साल 2000 में संतोष अय्यर ने अपने बेटे को प्रोफेशनल क्रिकेटर बनाने की तरफ एक और कदम बढ़ाया और वो अपने बेटे को शिवाजी पार्क जिमखाना ले गए लेकिन वहां श्रेयस अय्यर का सलेक्शन नहीं हुआ जिसका कारण उनकी छोटी उम्र को बताया गया था।

पद्माकर शिवालकर ने संतोष अय्यर से ‌अपने बेटे को अगले साल फिर से लाने के लिए कह दिया लेकिन संतोष अय्यर अब एक भी दिन का इंतजार नहीं करना चाहते थे और इसलिए उन्होंने अपने बेटे को वर्दी स्पोर्ट्स क्लब में दाखिल करवा दिया था।

आगे अपने बेटे को क्रिकेट में अच्छा मौका मिल सके इस वजह से संतोष अय्यर ने श्रेयस अय्यर की स्कूल बदलने का फैसला किया और अपने बेटे को डोन बोस्को स्कूल में भेजना शुरू कर दिया था।

एक साल बाद श्रेयस के पिता अपने बेटे को फिर से जिमखाना लेकर आए और इस बार वहां प्रवीण आमरे भी मौजूद थे, प्रवीण ने श्रेयस का हुनर पहचान लिया और इसके बार श्रेयस का सलेक्शन जिमखाना में हो गया ।

श्रेयस को जल्द ही जिमखाना को रिप्रेजेंट करने का मौका भी मिलने लगा था और श्रेयस की जबरदस्त बैटिंग स्टाइल ने सबको उनका मुरीद बना दिया था, श्रेयस के जबरदस्त प्रदर्शन का परीणाम यह रहा कि उन्हें जिमखाना की अंडर 13 टीम में शामिल कर लिया गया था, ये एक क्रिकेटर के तौर पर श्रेयस की पहली बड़ी उपलब्धि थी जिससे उनके परिवार को भी यह भरोसा हो गया था कि उनका बेटा सही राह पर चल रहा है।

आगे श्रेयस अय्यर ने अंडर 14 लेवल पर भी अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन उसके बाद अंडर 16 तक पहुंचते पहुंचते श्रेयस के बल्ले की धार कम होने लगी, श्रेयस के रन अचानक कम होने लगे ।

अंडर 16 के अगले दो साल श्रेयस अय्यर की अब तक की जिंदगी का सबसे खराब समय था जहां पहली बार श्रेयस को लगातार रिजेक्शन का सामना करना पड़ रहा था, गलत ख्याल उनके दिमाग में चल रहे थे और ये वो समय भी रहा जब अय्यर को डिप्रेशन से भी गुजरना पड़ा था।

यहां श्रेयस के लिए जो एक बात मददगार साबित हुई वो ये थी कि उन्हें क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए बगावत करने की जरूरत नहीं पड़ी थी, उनके पिता का साथ श्रेयस को मिल रहा था और अपने बेटे के सबसे खराब दौर में भी श्रेयस के पिता ने उनकी मदद करने का फैसला किया और उन्हें स्पोर्ट्स साईक्लोजिस्ट के पास लेकर गए।

स्पोर्ट्स साईक्लोजिस्ट से श्रेयस को मदद मिली और आगे मुम्बई अंडर नाईनटीन के कोच और सेलेक्टर्स ने भी श्रेयस के फोर्म से ज्यादा उनकी क्लाश को तरजीह दी और अब श्रेयस अय्यर मुम्बई की अंडर नाईनटीन टीम के कप्तान बन गए थे।

आगे श्रेयस अय्यर को भारत की तरफ से भी अंडर नाईनटीन टीम में शामिल किया गया और यहां भी श्रेयस का प्रदर्शन शानदार रहा था, श्रेयस ने भारत की तरफ से खेलते हुए तीन मैचों में दो अर्धशतकीय पारी खेली थी और कुल 161 रन बनाए थे।

अंडर नाईनटीन के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए अय्यर को ए डिवीजन मैच खेलने के खातिर यूके दौरे के लिए भी चुना गया और अपने बेटे की बैटिंग को अधिक मजबूत करने के लिए संतोष अय्यर ने अपने बेटे को विदेश जाने की इजाजत दे दी थी, यहां ट्रेंट ब्रिज की टीम के लिए खेलते हुए श्रेयस अय्यर ने 99 की औसत से 297 रन बनाए जिसमें 171 रनों की एक पारी भी शामिल थी।

यहां से यह बात तय हो गई थी कि अब श्रेयस की जिंदगी में सबकुछ बदलने वाला है और कुछ ऐसा ही हुआ जब श्रेयस को मुम्बई की तरफ से डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने के लिए 2014-15 सीजन के लिए चुन लिया गया था।

अपने पहले सीजन में अय्यर की बल्लेबाजी ने सबको चौका दिया, लगातार दो मैचों में मिली हार के बाद मुम्बई की हालत रणजी ट्रॉफी के तीसरे मैच में भी खराब थी जहां श्रेयस अय्यर ने 75 रनों की शानदार पारी खेली थी।

साल 2014 अय्यर के लिए बेहतरीन साबित हुआ था, इस साल लिस्ट ए डेब्यू करने वाले श्रेयस विजय हजारे ट्रॉफी में खेलते हुए 273 रन बनाए तो वहीं रणजी ट्रॉफी में मुम्बई की तरफ से खेलते हुए 809 रन बनाए थे जिनमें दो शतक और छः अर्धशतकीय पारी शामिल थी।

श्रेयस का यह प्रदर्शन अगले साल भी जारी रहा और यहां श्रेयस ने रणजी ट्रॉफी सीजन खेलते हुए शानदार 1321 रन बनाए जो 73 की बड़ियां एवरेज से आए थे।

फ़रवरी साल 2015 में डोमेस्टिक क्रिकेट में अपने शानदार प्रदर्शन का फल श्रेयस को मिला जहां श्रेयस अय्यर 2.6 करोड़ रुपए के साथ उस साल के सबसे बड़े अनकैप्ड खिलाड़ी बनकर निकले और दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम ने इन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया था।

अपना पहला आईपीएल सीजन खेलते हुए अय्यर ने 14 मैचों में 439 रन बनाए थे, अय्यर का प्रदर्शन शानदार रहा था और इस प्रदर्शन की बदौलत उन्हें उस सीजन का इमर्जिंग प्लेयर भी चुन लिया गया था।

श्रेयस अच्छी रफ्तार के साथ आगे बढ़ रहे थे, डोमेस्टिक क्रिकेट से लेकर आईपीएल में लगातार श्रेयस का बल्ला आग उगल रहा था, जल्द ही श्रेयस के टैलेंट की चमक अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट तक ही पहुंच गई थी, पुरे देश के लोग इस सितारे को जानने लगे थे।

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श्रेयस अय्यर

श्रेयस अय्यर का भारत की फस्ट क्लास क्रिकेट टीम में चयन-

मार्च 2017 में अय्यर को भारत की टेस्ट टीम में सब्स्टीट्यूट प्लेयर के तौर पर शामिल किया गया था, चौथे टेस्ट में अय्यर को मैदान पर उतरने का मौका मिला जहां इन्होंने स्टीव ओ कैफे को रन आउट किया था।

अक्टूबर साल 2017 में अय्यर को न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत की टी20‌ टीम में शामिल किया गया जहां 1 नवम्बर साल 2017 के दिन यह खिलाड़ी पहली बार भारत की नीली जर्सी में मैदान पर उतरा लेकिन इस मैच में श्रेयस को बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिल पाया था।

इसी साल श्रीलंका के खिलाफ अय्यर ने अपना वनडे डेब्यू भी किया और सीरीज के दुसरे मैच में 70 गेंदों में 88 रनों की बेहतरीन पारी खेली थी।

आगे श्रेयस अय्यर भारत की अन्तर्राष्ट्रीय टीम से अंदर बाहर होते रहे और उसके बाद आया साल 2019 जो अय्यर के अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर के सबसे अच्छे सालों में शामिल होने वाला था।

इस साल अय्यर ने पांच पारियों में कुल 266 रन बनाए थे, 18 दिसंबर साल 2019 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज का दुसरा मैच खेलते हुए अय्यर ने रोस्टन चेस के एक ओवर में 28 रन बटोरे थे, इस ओवर  में कुल 31 रन आए थे जो किसी भारतीय द्वारा वनडे क्रिकेट के एक ओवर में बनाए सबसे ज्यादा रन है।

अगला साल श्रेयस अय्यर के लिए और भी शानदार रहा था, 24 जनवरी साल 2020 के दिन न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 मैच खेलते हुए अय्यर ने 29 गेंदों में 58 रन बनाए थे जिसके चलते इन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया था।

इसी साल फरवरी के महीने में न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज के पहले वनडे मैच में अय्यर ने अपने वनडे करियर का पहला शतक भी लगा दिया था।

आगे अय्यर के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए इन्हें सितम्बर साल 2021 में खेले गए टी20 वर्ल्ड कप में भारत की तरफ से रिज़र्वड खिलाड़ी के तौर पर चुना गया था।

इसी साल‌ 25 नवम्बर के दिन अय्यर को सुनील गावस्कर के साथ से अपनी टेस्ट कैप भी मिल गई थी और अपना पहला टेस्ट खेल रहे अय्यर डेब्यू टेस्ट में शतक लगाने वाले 16 वें भारतीय बल्लेबाज बन गए थे।

आगे साल ही में श्रीलंका के खिलाफ हुई टी20 सीरीज में भी जब अय्यर को खेलने का मौका मिला तो उन्होंने इस मौके को दोनों हाथों से लिया और तीन मैचों में कुल 205 रन बना लिए, यह आंकड़ा किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा तीन मैचों की सीरीज में बनाए गए सबसे ज्यादा रनों का रिकॉर्ड है।

श्रेयस अय्यर अब भारत की अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी लाइनअप के स्तंभ बन गए हैं, इस बल्लेबाज की अच्छी फोर्म अब भारत के जितने की गारंटी बन गई है।

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श्रेयस अय्यर
श्रेयस अय्यर का क्रिकेट करियर का बेस्ट प्रर्दशन-

श्रेयस अय्यर ने अब तक अपने करियर में कुल 2 टेस्ट, 26 वनडे और 36 टी20 मैच खेले है जिनमें इनके रनों का आंकड़ा क्रमश 202,947 और 809 है।

श्रेयस अय्यर को साल 2018 के विजय हजारे ट्रॉफी टुर्नामेंट के लिए मुम्बई की टीम का उप कप्तान भी बनाया गया था जिसके बाद उसी साल सईद मुश्ताक अली ट्रोफी में खेलते हुए अय्यर ने भारतीय क्रिकेट इतिहास में टी20 फोर्मेट का सबसे बड़ा स्कोर 147 रन बनाए थे।

2018 का साल अय्यर के लिए आईपीएल में भी अच्छा रहा जहां इस खिलाड़ी को अपनी टीम दिल्ली का नया कप्तान बनाया गया था और इसके लिए इन्होंने गौतम गंभीर को रिप्लेस किया था, अपनी कप्तानी में श्रेयस अय्यर ने 2012 के बाद दिल्ली को प्लेओफस में पहुंचाया और फिर दिल्ली ने इनकी कप्तानी में फाईनल तक का सफर भी तय किया था।

एक कप्तान के तौर पर अय्यर के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए हाल ही में हुए मेगा आक्शन में कोलकाता की टीम ने इन्हें 12.5 करोड़ रुपए में अपनी तरफ शामिल किया और उसके बाद श्रेयस को अपना नया कप्तान भी नियुक्त कर दिया था।

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