उत्तराखंड में एक गांव है, जहां एक समूह भगवान हनुमान की पूजा नहीं करता,
साथ ही यहां के मंदिरों में हनुमान जी की कोई मूर्ती भी नहीं रखी गई है।
ऐसा माना जाता है कि सीताहरण के बाद रावण की सेना से जब युद्ध हो रहा था
तब लक्ष्मण जी मेघनाथ के बाण से मूर्छित हो गए थे।
तब उन्हें जल्द से जल्द ठीक करने के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी खोजने के लिए यहां आए थे।
तब इसी गांव की एक महिला ने उन्हें पर्वत की वो जगह दिखाई थी, जहां संजीवनी बूटी उगी थी। लेकिन फिर भी वो संजीवनी को पहचानने में नाकाम रहे और वो पूरा पर्वत ही उठाकर ले गए।
तब से यहां के लोग हनुमान जी से नराज है और उनकी पूजा भी नहीं की जाती।