BiographyCricketSports

VVS Laxman: Brett Lee के लिए Sachin से ज्यादा अहम था इस बल्लेबाज का विकेट लेना

VVS Laxman Biography In Hindi वी वी एस लक्ष्मण की जीवनी

याद कीजिये वो दौर जब भारतीय क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड और सौरव गांगुली को त्रिदेव कहा जाता था, लेकिन उसी दौर में एक ऐसा खिलाडी भी था जिसने इन महान खिलाडियों से इतर एक अलग ही इतिहास रच डाला था और लिख दी थी भारतीय क्रिकेट की नई इबारत, हम बात कर रहे हैं वीवीएस लक्ष्मण की,

जिसकी कोलकाता के इडेन गार्डन में खेली गयी पारी को पिछले 5 दशकों की सबसे महानतम पारियों में से एक माना जाता है, फिर भी इस महान खिलाडी को किसी भी विश्वकप में एक मैच तक खेलने का मौका नही मिल सका, तो आज हम लक्ष्मण की उस नायाब पारी के अलावा उनके जीवन से जुड़े कुछ अनसुने किस्सों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे और ये भी जानने की कोशिश करेंगे की उन्हें विश्वकप टीम में आखिर जगह क्यों नही मिल सकी, लेकिन उससे पहले उनके प्रारम्भिक जीवन के बारे में जान लेते हैं।

 

V.V.S. Laxman

वीवीएस लक्ष्मण का जन्म एक तेलगू ब्राह्मण परिवार में 1 नवम्बर 1974 में हैदराबाद में हुआ था, इनका पूरा नाम वेंगीपुरप्पू वेंकट साई लक्ष्मण है, हम आपको बता दें की लक्ष्मण भारत के दुसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पडपोते हैं, लक्ष्मण के पिता डॉक्टर शांताराम एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे, तो इनकी माता सत्याम्भा भी एक डॉक्टर थी, घर में डॉक्टरी माहौल था,

लक्ष्मण के 10वीं क्लास में साइंस सबजेक्ट में 98% मार्क्स आए थे, ऐसे में लक्ष्मण के माता पिता भी चाहते थे की लक्ष्मण भी एक प्रसिद्ध डॉक्टर बने, लेकिन लक्ष्मण के मन में क्रिकेटर बनने का सपना हिलोरे मार रहा था, इसीलिए वो स्कूली क्रिकेट में लगातार हिस्सा लेते रहे, इसके बावजूद लक्ष्मण 17 साल की उम्र तक अपनी पढाई में लगे रहे,

यही नही उन्होंने स्नातक की डिग्री के लिए मेडिकल कॉलेज में एडमिशन भी ले लिया था, लेकिन आखिरकार लक्ष्मण ने अपने मन की बात अपने माता पिता से बताई तो उन्होंने लक्ष्मण का पूरा साथ दिया, साथ ही मामा जी ने भी साथ दिया, लेकिन उन्हें दिया गया सिर्फ 5 साल का टाइम और कहा गया कि अगर इन 5 सालों में कुछ नही हुआ तो डॉक्टरी की पढाई करनी पड़ेगी, क्रिकेट की धुन पर सवार लक्ष्मण ने ये चुनौती स्वीकार कर ली.

VVS Laxman childhood

17 साल के लक्ष्मण को ये एहसास हो गया था कि उसे लगातार मेहनत करते रहनी होगी, बिना रुके, बिना पीछे मुड़े, आगे की ओर चलते रहने की कोशिश करनी होगी, और लक्ष्मण इसी दिशा में अपने लक्ष्य की और बढ़ चले, इसके बाद लक्ष्मण को साल 1992 में हैदराबाद की रणजी टीम में खेलने का मौका मिला, उन्होंने इस सीज़न के क्वार्टर फ़ाइनल मैच में पंजाब के खिलाफ पदार्पण किया,

उन्होंने इस मैच की पहली पारी में 17 और दूसरी पारी में 47 रन बनाए, इसके बाद अगले सीज़न में उन्हें केवल एक मैच खेलने का मौका मिला, लेकिन इसके बाद अगले सीजन में लक्ष्मण ने पाँच मैचों में 76 की औसत से 532 रन बनाकर जोरदार वापसी की, 1995 में दलीप ट्रॉफी के सेमीफाइनल में, लक्ष्मण ने पहली पारी में 47 और दूसरी पारी में शानदार 121 रन बनाए,

जबकि इसी के अगले साल रणजी सीज़न में उन्होंने 86 की औसत से सिर्फ 11 पारियों में 775 रन बनाए, जिससे उनके लिए भारतीय टीम के दरवाजे खुल गये.

VVS Laxman

आख़िरकार लक्ष्मण को साल 1996 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरिज में भारतीय टीम की कैप पहनने का गौरव हासिल हुआ, उस समय लक्ष्मण की उम्र 22 साल थी, हम आपको बता दें कि इसी साल वो समयावधि भी पूरी हो रही थी, जो लक्ष्मण के माता पिता ने उन्हें एक क्रिकेटर बनने के लिए दी थी, और लक्ष्मण उसी समय के अंदर खुद को साबित करते हुए भारतीय टीम का हिस्सा बन गये,

लक्ष्मण ने अपने पहले मैच में मध्य क्रम के बल्लेबाज के रूप में खेलते हुए अहमदाबाद में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध 50 रन बनाए, लेकिन मध्यक्रम में सचिन, गांगुली, द्रविड़ और अजहरुद्दीन जैसे दिग्गज बल्लेबाज मौजूद होने के कारण उनकी जगह बन नही पा रही थी, इसलिए 1997 में उन्हें भारत की टेस्ट क्रिकेट टीम में ओपनिंग बैट्समैन की भूमिका दी गई,

हालाँकि इस भूमिका के साथ लक्ष्मण कभी न्याय नही कर सके, हालाँकि उन्होंने बतौर सलामी बल्लेबाज भी कुछ अच्छी पारियां खेली, सिडनी में आस्ट्रेलिया के विरुद्ध 167 रन बनाने के बाद वे मीडिया की सुर्खियों में आ गए, यह भारत के लिए विदेशी धरती पर बहुत बड़ी उपलब्धि थी, 

इसके बावजूद वीवीएस लक्ष्मण ओपनिंग बैट्समैन की भूमिका में खुद को सहज नहीं पाते थे और उन्होंने निर्णय लिया कि वे खुद को घरेलू क्रिकेट तक सीमित कर लेंगे, नतीजतन वे लगभग एक साल टेस्ट टीम से बाहर रहे, इसी बीच साल 1998 में उन्हें वनडे टीम में भी स्थान मिला लेकिन पहले मैच में वो बिना कोई रन बनाये आउट हो गये,

 लेकिन उन्हें वर्ष 2001 में आस्ट्रेलिया के विरुद्ध टेस्ट सीरीज में मध्यक्रम में खेलने के लिए टीम में वापस बुलाया गया, और इसके बाद लक्ष्मण ने जो किया वो क्रिकेट इतिहास के सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया.

इसी सीरीज में कोलकाता के ईडन गार्डन में खेली गई 281 रन की पारी शायद ही कोई भुला सके, टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने 445 रन बनाए मगर भारत 171 पर ऑल आउट हो गया, ऑस्ट्रलियाई टीम ने भारत को फॉलोऑन दिया, इस मैच में लक्ष्मण को द्रविड के स्थान पर तीसरे नंबर पर भेजा गया

और लक्षमण ने 281 रनों की एतिहासिक पारी खेलकर भारत का स्कोर 657 रन तक पहुंचाया, जहां एक ओर ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में जीत नजर आ रही थी वहीं दूसरी ओर उन्हें मैच के अंत में हार का सामना करना पड़ा, लक्ष्मण की इस पारी को क्रिकेट इतिहास की सर्वोत्तम पारियों में से एक कहा गया, गौर करने वाली बात है कि यह लक्ष्मण का टेस्ट में मात्र दूसरा ही शतक था,

इस पारी के बारे लक्ष्मण ने अपनी किताब ‘281 एंड बियोन्ड’ में लिखा है कि मेरी उस पारी के बाद टीम इंडिया को इस बात पर विश्वास होना शुरू हुआ कि चाहे हम किसी भी परिस्थिति में हों हम मैच में वापसी कर सकते हैं, हमने वहां से एक बात सीखी कि जब तक आखिरी विकेट या आखिरी रन नहीं बन जाता तब तक हम अपनी उम्मीदें नहीं छोड़ेंगे, मुझे लगता है कि उस टेस्ट सीरीज ने हमें काफी कुछ सिखाया,

इसने हमें आक्रामक रवैया सिखाया कि हम दुनिया में किसी भी टीम के खिलाफ अच्छा कर सकते हैं, इस पारी के बाद इसके बाद लक्ष्मण भारतीय टीम का एक जरूरी हिस्सा बन गये, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज की जिन पिचों पर बाकी भारतीय बल्लेबाज हथियार डाल देते थे, उन्ही पिचों पर लक्ष्मण का बल्ला आग उगलता था, इसके बावजूद उन्हें वनडे टीम में नियमित जगह नही मिल पा रही थी,

उन्हें टेस्ट मैचों का खिलाडी माना जाने लगा था, एकदिवसीय मैचों में उनके कुल चार शतको में से तीन शतक 2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गयी वीबी सीरीज के चार मैचों में आए थे, एक रोचक बात ये है कि 220 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले इस बल्लेबाज ने कभी विश्व कप नहीं खेला, हालांकि साल 2003 में खेले गये विश्वकप के लिए लक्ष्मण भारतीय टीम में चुने जाने के हकदार थे,

Read this also-Ajit Agarkar :वो गेंदबाज़ जिसे लोग Sachin Tendulkar मानने लगे थे

लेकिन आखिरी समय में उनका नाम वर्ल्ड कप टीम से हटा लिया गया, इस बात से लक्ष्मण बहुत खफा हुए थे, जिसके बारे में उन्होंने अपनी किताब में विस्तार से चर्चा की है, उन्होंने बताया कि किस तरह भारतीय टीम में उनके न चुने जाने के कारण उनके टीम इंडिया के कोच जॉन राइट के साथ रिश्ते खराब हुए थे, लक्ष्मण ने कहा था कि वह मेरे करियर का सबसे निराशाजनक दौर था,

मैंने वर्ल्ड कप के पहले न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्हीं की सरजमीं पर वनडे क्रिकेट खेली थी और वेस्टइंडीज के खिलाफ मैंने सबसे ज्यादा रन भी बनाए थे, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ मैंने शुरुआती वनडे मैचों में कुछ कम रन क्या बनाए कि मुझे साइडलाइन कर दिया गया और दिनेश मोंगिया को बुला लिया गया, इसके बाद मुझे वर्ल्ड कप में भी मौका नहीं मिला,

और इस तरह से लक्ष्मण का विश्वकप खेलने का सपना टूट गया, वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा न बनने की वजह से लक्ष्मण को इतना ज्यादा दुख हुआ था कि उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन उन्होंने अपने मित्रों और शुभचिंतकों के कहने पर क्रिकेट खेलना जारी रखा.

साल 2004 से 2006 तक वीवीएस लक्ष्मण का कॅरियर ग्राफ बहुत अच्छा नहीं रहा, लेकिन यह वीवीएस लक्ष्मण ही थे, जिन्होंने दिसंबर 2005 में श्रीलंका के विरुद्ध शानदार शतक लगाकर भारत को जीत दिलाई थी, जून 2006 में उन्होंने वेस्टइंडीज के विरुद्ध शतक बना कर भारत को एक बार फिर संकट से उबार लिया था,

 2007 में वीवीएस लक्ष्मण ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इंग्लैंड तथा पाकिस्तान के विरुद्ध बेहतरीन परफारमेंस दी, जबकि जनवरी 2008 में उन्होंने आस्ट्रेलिया के विरुद्ध शतक जड़ा, कौन भूल सकता है साल 2010 का आस्ट्रेलिया दौरा में जब चोटिल होने के बाद भी लक्ष्मण ने भारत को जीत दिला दी थी, कहा जाता था 

कि अगर उन्हें बिस्तर से उठाकर भी ऑस्ट्रलिया के खिलाफ़ बल्लेबाज़ी करने को उतार दिया जाए तो तब भी वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ शतक ठोंक सकते हैं, इसीलिए उन्हें वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण कहा जाने लगा

ये भी पढ़ें –Ajay Jadeja:आखिर किसकी गलती से बर्बाद हुआ इस क्रिकेटर का करियर

लक्ष्मण ने 134 टेस्ट मैचों की 225 पारियों में 34 बार नाबाद रहते हुए 8781 रन बनाए, इस दौरान उन्होंने 49.37 की स्ट्राइक के साथ 17 शतक और 56 अर्धशतक भी जड़े, वहीं वनडे में 86 मैचों में लक्ष्मण ने 7 बार नाबाद रहते हुए 71.23 की स्ट्राइक के साथ 2338 रन बनाए, इस दौरान उन्होंने 10 अर्धशतक और 6 शतक जड़े, जनवरी 2012 को लक्ष्मण ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला था, इस मैच के साथ ही उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया

सन्यास लेने के बाद भी लक्ष्मण किकेट से जुड़े हुए हैं और क्रिकेट विश्लेषक और क्रिकेट कमेंटेटर की भूमिका निभा रहे हैं, क्रिकेट प्रेमियों को लक्ष्मण का कमेंट्री करने का हैदराबादी अंदाज खूब अच्छा लगता है, नारद टीवी की टीम लक्ष्मण के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है.

Watch on You Tube:-

Show More

Related Articles

Back to top button