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यशपाल शर्मा: गंगाजल मूवी के सुंदर यादव, कैसे दूसरे के खेत में काम करके बना बॉलीवुड के सुपरहिट विलेन

हिंदी फिल्मों में समय समय पर ढेरों ऐसे अभिनेताओं का आगमन होता रहा है जिन्होंने अपने दमदार अभिनय से बतौर विलेन अपनी एक अलग पहचान बनायी और अपने किरदारों को उन्होंने कुछ इस तरह जीवंत किया कि लोग उन्हें गालियाँ भी देते हैं और उनकी वाह-वाही भी करते हैं। ऐसे अभिनेताओं का असर दर्शकों पर कुछ इस कदर पड़ा कि

उनके जेहन में उन फ़िल्मों से पहले उन अभिनेताओं और उनके द्वारा निभाये किरदारों के नाम ही आते हैं। अपने दमदार और जीवन्त अभिनय से हर तरह के किरदार में अपनी छाप छोड़ने वाले ऐसे ही अभिनेताओं में से एक हैं Yashpal Sharma।

Yashpal Sharma

Gangajal जैसी बड़ी फिल्म में ढेरों दिग्गज़ अभिनेताओं के बीच अपनी दमदार मौजुदगी दर्ज करवाने वाले Actor Yashpal Sharma जी का जीवन कितने कठिन संघर्षों से भरा हुआ है इसका अंदाज़ा आप उनके शुरुआती जीवन के बारे में जानकर बड़ी ही आसानी से लगा सकते हैं।

सबसे पहले बात करते हैं Yashpal Sharma (Early Life) की पारिवारिक पृष्ठभूमि की। हिसार, हरियाणा के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में 1 जनवरी 1967 को जन्मे यशपाल शर्मा अपने 7 भाई-बहनों में से एक हैं, जिन्हें बचपन में प्यार से लोग बिट्टू पुकारा करते थे। यशपाल के पिता प्रेमचंद शर्मा जी हरियाणा के सरकारी विभाग PWD में बतौर चपरासी कार्यरत थे।

 एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का इतने सारे बच्चों की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं था, और इसी वज़ह से यशपाल के भाई-बहनों में से सिर्फ यशपाल और उनके एक छोटे भाई ही कॉलेज जा पाए और बाक़ी सभी को दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी। बचपन में यशपाल अपने भाई-बहनों के साथ गाय- बकरियां चराते, चारा काटकर लाते, गोबर इकट्ठा करते और खेती-बारी भी किया करते।

आठवीं क्लास के बाद ही यशपाल ने घर से पैसे लेने बंद कर दिये थे और अपने खर्चे ख़ुद निकालने शुरू कर दिये थे। इस दौरान उन्होंने 50 रुपये के लिये दूसरों के खेतों में भी काम किया। कभी साइकिल के पंचर लगाए तो कभी चक्की पे आटा पीसा। कभी सरसो तेल की मिल में, तो कभी टीन के डब्बे के कारखाने में काम किया, कभी साइकल रिक्शा चलाया, तो कभी तख़त बिछाकर रंग और पटाखे भी बेचे।

बाद में कॉलेज के दौरान यशपाल दिन में ट्यूशन पढ़ाने के साथ-साथ बतौर टाइपिस्ट पार्ट टाइम जॉब करते और शाम को 6 बजे के बाद नाइट कॉलेज में अपनो क्लास करते। 

दोस्तों Yashpal Sharma (Childhood) को बचपन से ही नाटकों में काम करने का शौक़ था इसलिए वे पढ़ाई के साथ-साथ रामलीला और अन्य धार्मिक नाटकों में हिस्सा लेते रहते थे। अपने कॉलेज के दौरान एक बार उन्होंने एक कविता प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जिसमें उन्हें फर्स्ट प्राइज़ मिला। बस यहीं से यशपाल ने ठान लिया कि अब उन्हें रंगमंच पर ही काम करना है।

Yashpal Sharma (College) ने उस दौरान अपने कॉलेज के लिये विभिन्न नाटक प्रतियोगिताओं में ख़ूब पुरस्कार हासिल किये। यशपाल ने इंग्लिश से एमए में एडमिशन लिया, लेकिन उन्होंने एमए पूरा नहीं किया। वे बताते हैं कि उनका एमए करने का कोई इरादा नहीं था लेकिन उनके प्रिंसिपल साहब चाहते थे कि वे कॉलेज से जुड़े रहें ताकि उनके कॉलेज को सांस्कृतिक कार्यक्रमों में फर्स्ट प्राइज़ मिलता रहे। 

हिसार में ही थियेटर के दौरान यशपाल की मुलाक़ात NSD (National School of Drama) के जाने- माने रंगकर्मी राजीव मनचंदा से हुआ जो उस दौरान हिसार में नाटक करने आये हुए थे। यशपाल ने उनके साथ जुड़कर भी काम किया।

Yashpal Sharma

इसी दौरान हिसार में ही यशपाल ने 300 रुपये महीने के वेतन पर चाँदी के आभूषणों का काम करना शुरू किया और जल्द ही उस काम को सीखकर 15 से 20 हज़ार रुपये महीने की आय करने लगे। हालांकि उनके घर में लोग चाहते थे कि वे किसी सरकारी नौकरी के लिये तैयारी करें, लेकिन यशपाल का सपना तो अब बस रंगमंच का एक कलाकार बनने का था।

उन्हीं दिनों यशपाल को दिल्ली में होने वाले एक नाट्य समारोह के बारे में पता चला जिसमें रंगमंच और फिल्मों के बड़े-बड़े दिग्गज़ अपने नाटकों के साथ आने वाले थे। दोस्तों Yashpal Shrama and Naseeruddin Shah जी के बहुत बड़े फैन थे और जैसे ही उन्हें ये पता चला कि उस समारोह में नसीरुद्दीन शाह भी अपने नाटक के साथ आ रहे हैं

तो यशपाल से रहा नहीं गया, चूँकि दिल्ली हिसार से बहुत दूर नहीं है तो यशपाल बिना घर में किसी से बताये ही 2 दिन के लिये दिल्ली चले गये। लेकिन उस नाट्य समारोह का जादू उनपर कुछ ऐसा चढ़ा कि वे लगभग साढ़े चार महीने तक वहीं रुक गये। उन्होंने घर पर चिट्ठी लिख दी कि वे अब यहीं रहकर नाटकों में काम करेंगे और दिल्ली के ही एक नाटक ग्रुप ‘खिलौना’ से जुड़ भी गये।

हालांकि साढ़े चार महीने बीतने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वे दिल्ली के एनएसडी यानि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिला लेंगे क्योंकि वहीं से उन्हें सफलता की राह मिल सकती है।

यशपाल वापस हिसार आकर अपने चाँदी के काम में लग गये और पैसे इकट्ठे करना शुरू कर दिये।

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उसके बाद उन्होंने एनएसडी में एडमिशन के लिए प्रयास करना शुरू किया लेकिन 3 साल की कोशिशों के बाद भी जब वहां ऐडमिशन न मिल सका तो उन्होंने चंडीगढ़ के इंडियन ड्रामा स्कूल में एडमिशन ले लिया। मज़े की बात ये कि चंडीगढ़ में अभी एक साल की पढ़ाई पूरी ही हुई थी कि यशपाल का एनएसडी में भी सिलेक्शन हो गया , हालांकि तब तक यशपाल के सारे पैसे ख़त्म हो चुके थे

लेकिन उन्होंने अपने ड्रामा ग्रुप के दोस्तों की मदद से पैसे जमा किये और एनएसडी ज्वाइन कर लिया।  यशपाल ने बताया कि उनका फिल्मों में आने का कोई भी इरादा नहीं था, उन्होंने सोचा था कि हरियाणा में ही चिल्ड्रेन थिएटर करेंगे और बच्चों को थिएटर की ट्रेनिंग देंगे, लेकिन इस काम में एक समस्या ये थी कि तब वे ख़ुद एक ऐक्टर नहीं बन पाते, इसलिए उन्होंने उस योजना को फिलहाल के लिये स्थगित कर दिया।

बहरहाल दिल्ली में एनएसडी करने के बाद थिएटर के दौरान जब यशपाल को अख़बारों और लोगों के ज़रिये यह सुनने को मिला कि वे एक अच्छे एक्टर हैं तो उन्होंने सोचा कि अगर एक्टिंग के फील्ड में ढंग से नाम और पैसे कमाना है तो उन्हें मुंबई ही जाना होगा। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में ही रहकर दूरदर्शन के एक सीरियल ‘आदर्श’ में काम किया

और उससे मिले 40-50 हज़ार रुपये इकट्ठे कर मुंबई के लिये निकल पड़े। हालांकि यह राह इतनी आसान भी नहीं थी, इतना काम करने के बाद भी यशपाल को मुंबई में कई सालों तक स्ट्रगल करना पड़ा। यहाँ तक कि जिन लोगों के भरोसे वे मुंबई आये थे उनमें से कोई भी उनके काम नहीं आया।

Yashpal Sharma

इस दौरान उन्होंने आहट और सीआइडी जैसे कुछ शोज़ में काम किया जिससे उन्हें दो-ढाई हज़ार रुपये मिल जाते और रूम रेंट का इंतज़ाम हो जाता। दोस्तों यह वही दौर थे जब ‘शांति’ जैसे ढेरों डेली सोप बनना शुरू हुये थे, लेकिन एक दिन जब यशपाल ने एक डेली सोप की शूटिंग देखी तो महसूस किया कि इसमें तो क्रियेटिविटी के नाम पर कुछ है ही नहीं,

सिर्फ मशीनों की तरह लोग काम किये जा रहे हैं। उन्होंने उसी दिन मन बना लिया कि भले ही वे बेरोज़गार रहेंगे लेकिन डेली शोप तो फिलहाल नहीं करेंगे।

दोस्तों इस फैसले से यशपाल की स्थिति दिन पर दिन बिगड़ती चली गयी, इस दौरान जब उनके पास कभी पैसे नहीं होते थे तो ऐक्टर राजपाल यादव जैसे दोस्तों से उधार लेकर काम चला लेते, कई बार तो उनके मन में यह भी आया कि वापस घर लौट जायें। इसी दौरान निर्माता निर्देशक सुधीर मिश्रा ने यशपाल को अपने धारावाहिक फर्ज़ में मुख्य भूमिका ऑफर किया,

जिसमें उन्हें 70-80 हज़ार रुपये भी महीने मिलने वाले थे लेकिन यशपाल ने उन्हें मना करते हुए कहा कि “सर मैं आपके साथ फ़िल्मों में काम करना चाहता हूँ।”

बहरहाल संघर्ष का यह सिलसिला चलता ही रहा। ऐसे में कभी हिम्मत टूट जाती तो यशपाल मुंबई के ही ‘आरए कॉलोनी’ की पहाड़ियों और जंगलों में चले जाते और ख़ूब चिल्ला- चिल्ला कर अपने मन को हल्का कर लिया करते। इसी दौरान एक दिन उन्हें पता चला कि मशहूर निर्देशक गोविन्द निहलानी अपनी फिल्म ‘हज़ार चौरासी की माँ’ के लिये ऑडिशन ले रहे हैं,

तो वे पैदल ही रेलवे स्टेशन के लिये निकल पड़े और बिना टिकट ही लोकल ट्रेन में बैठ गये और बचते-बचाते बारिश में भीगते हुये किसी तरह ‘राजकमल स्टूडियो’ पहुँच गये जहाँ ऑडिशन हो रहा था। वहाँ पहुँचकर पहले उन्होंने वॉशरुम में जाकर अपने कपड़े निचोड़े और उन्हें झाड़कर पहना और अपना ऑडिशन दिया। गोविंद निहलानी को यशपाल का काम और जुनून बहुत पसंद आया

उन्होंने यशपाल अपनी फिल्म में एक छोटा सा रोल देने के साथ-साथ ही जाने-माने निर्देशक श्याम बेनेगल से भी मिलवाया जहाँ उन्हें फ़िल्म ‘समर’ में भी काम मिल गया। इसी दौरान उनके काम को निर्देशक आशुतोष गोवरिकर ने भी नोटिस किया और अपनी फिल्म ‘लगान’ में काम करने का मौक़ा दिया। इसके बाद तो यशपाल उस दौर के हर निर्देशकों की पसंद बन गये और उन्हें एक के बाद एक काम मिलता चला गया।

Yashpal Sharma Wife

फिल्मों में यशपाल का रोल बड़ा हो या छोटा उन्होंने अपने हर रोल में अपनी एक छाप छोड़ी है। वर्ष 2003 में निर्देशक प्रकाश झा की फिल्म गंगाजल के लिये उन्होंने बेस्ट विलेन का अवाॅर्ड भी हासिल किया। अपहरण”, “वेलकम टू सज्जनपुर” और “राउडी राठौर” जैसी दर्जनों बड़ी फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ने वाले यशपाल शर्मा अपनी शॉर्ट फिल्मों के लिये भी ढेरों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में पुरस्कृत किये जा चुके हैं।

दोस्तों फ़िल्मों में सफल होने के बाद भी यशपाल कभी रंगमंच से अलग नहीं हुए वे हमेशा नाटकों जुड़े रहे। साथ ही उन्होंने कुछ धारावाहिकों में भी काम किया जिनमें ‘नीली छतरी वाले’ प्रमुख है। हालांकि उन्होंने बहुत लम्बे समय तक किसी भी धारावाहिक में काम नहीं किया। यशपाल फिलहाल चुनिंदा फिल्मों में काम करने के साथ-साथ हरियाणा के कलाकारों के लिये नाटकों और वर्कशाॅप वगैरह भी करते रहते हैं।

बात करें यशपाल शर्मा जी के निजी ज़िन्दगी की तो उनकी पत्नी प्रतिभा शर्मा जी एक अभिनेत्री और लेखिका हैं। प्रतिभा शर्मा ‘दास कैपिटल-ग़ुलामों की राजधानी’ और ‘नयी अम्मी’ जैसी लीक से हटकर कुछ फिल्मों में काम कर चुकी हैं। इनकी एक बेटी हैं जिनका नाम है पूजा शर्मा जो कि फिलहाल पढ़ाई कर रही हैं।

यशपाल के एक छोटे भाई जिन्होंने कॉलेज पूरा किया था वे अब प्रोफेसर बन गये हैं। दोस्तों यशपाल शर्मा आज भी अपने भाई-बहनों से वैसे ही जुड़े हुए हैं, जैसे कभी बचपन में रहा करते थे। 

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Prabhath Shanker

Bollywood Content Writer For Naarad TV

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