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Australian Cricketer Luke Pomersbach Biography

दोस्तों कल मैं सुपरहिट कॉमेडी फिल्म वेलकम देख रहा था। वो फिल्म जिसने हम दर्शकों का काफी बढ़िया मनोरंजन किया। और फिर पेट पकड़कर हंसाने वाला विजय राज़ का कैमियो (Cameo))। और उनका वो हास्यास्पद डायलॉग (Dialogue)  – सड़क से उठाकर स्टार (Star) बना दूंगा। जिसे देखकर मुझे खूब हसी आई। लेकिन ये तो रही मज़ाक की बात। भले ही ये केवल रील लाइफ का सीन था,लेकिन इस डायलॉग के साथ ही मुझे रियल (Real) का एक वाकया याद आ गया। ये वाक्या मेरा, चाचा ताया, या किसी दोस्त का नहीं,(अपनी ऐसी किस्मत कहां)। ये वाक्या है एक ऐसे व्यक्ति का, जिसे घाटी से चोटी तक पहुंचाने की पूरी साजिश (Conspiracy) की ख़ुद ऊपरवाले ने, और उसे साक्षी भाव से कर्ता भाव में लाने का काम मुकम्मल किया क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने। वो व्यक्ति, जो आया तो एक दर्शक (Audience)के तौर पर ऑस्ट्रेलिया का मैच देखने था, लेकिन घर लौटा मैच खेल कर। जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने। ये खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर लुक पोमरस्बैच हैं। जिन्होंने क्रिकेट इतिहास (History) का अभूतपूर्व (Phenomenal) और सबसे अविश्वसनीय (Incredible) डेब्यू (Debut) किया। ऐसा डेब्यू जो न ही पहले कभी हुआ था, और न ही आगे दोबारा होगा। आज की वीडियो में हम जानेंगे उनके इस अद्भुत डेब्यू के बारे में। साथ ही जानेंगे कि आखिर क्यों उसे दोबारा कभी ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलने का मौका न मिला और कैसे उसकी चीप हरकतों ने उसे अर्श से फर्श पर ला दिया।

ल्युक पोमरस्बैच

ल्युक एंथनी पोमरस्बैच का जन्म 28 सितंबर,1984 को ऑस्ट्रेलिया में हुआ। पोमरस्बैच ने अपनी पढ़ाई केंट स्ट्रीट (Strit) सीनियर (Senior)  हाई स्कूल, पर्थ से पूरी की।वे बचपन से ही एक बढ़िया बल्लेबाज (Batsman) रहे हैं, जो कि स्कूल लेवल से ही अपनी पावर हिटिंग (Hitting) एबिलिटी (Ability) के लिए काफी मशहूर (Famous) रहे। और जूनियर लेवल पर सालों अच्छा क्रिकेट खेलने के बाद पोमरस्बैच ने साल 2006 में फोर्ड (Ford) रोजर कप में वेस्टर्न (Western) ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते हुए अपने रेपुटेशन (Reputation) के अनुकूल 47 रन की तेज़ तर्रार पारी खेल एक इंस्टेंट (Istate) इंपैक्ट डाला जिसके कुछ ही समय बाद इंग्लैंड 11 की टीम के खिलाफ़ उनके टूर मैच में ये जनाब ने 101 रन ठोक अपनी काबिलियत, शॉट रेंज (Range) और टैलेंट को बखूबी प्रदर्शन किया।
इन लाजवाब पारियों ने ही उन्हें फर्स्ट क्लास डेब्यू (Debut) का टिकेट दिलाया जहां उन्होंने अपनी पहली पारी में 74, वहीं दूसरी पारी में प्रेशर में 63 रनों की पारी खेल पहले मैच से ही खूब जलवा बिखेरा।
लेकिन कहते हैं न कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। अच्छाई है तो बुराई भी होगी। पोमरस्बैच में टैलेंट तो भरपूर था, जिसके चलते उन्हें आने वाले वर्षों में ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट का अगला दिग्गज माना जाने लगा था। उनकी तारीफों के कसीदे पढ़े जाने लगे थे। लेकिन एक बड़ा क्रिकेटर और सफ़ल खिलाड़ी बनने के लिए अनुशासन (Discipline) तो अति आवश्यक है। जो कि उनमें न था। आज नहीं तो कल, उन्हें इसका खमियाजा भुगतना ही पड़ता। ऐसा ही कुछ हुआ था साल 2007 में, जब क्वींसलैंड के साथ मैच के बाद पोमरस्बैच और शॉन मार्श दारू के नशे में खूब चूर हो गए। जिसके बाद उनके स्टेट (State) टीम ने उन दोनों को सस्पेंड (Suspend) कर दिया था। जिससे ये साफ़ था कि सस्पेंड होने पर ये खिलाड़ी अपनी टीम के कुछ मैचों से हाथ धो बैठा। और अब उन्हें दोबारा कब और कैसे चांस (Chance) मिलता, ये तो ऊपरवाले ने मानो पहले ही फिक्स (Fix) कर रखा था।

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अब हम आपको ले कर चलेंगे क्रिकेट इतिहास (History) के सबसे करिश्माई (Charismatic), अदभुत व अविश्वसनीय डेब्यू की तरफ जिसे देखकर न ही उस वक्त किसी को इसका आभास (Feeling) हुआ, आज सुनने वालों की तो बात ही छोड़ दो। लेकिन उनके इस अद्भुत डेब्यू में एक ऐसी चीज़ ने खास रोल निभाया, वो थी न्यूजीलैंडर के खिलाफ़ पारी। जी हां दोस्तों, सस्पैंड होने के बावजूद उन्हें टूरिंग न्यूजीलैंड के खिलाफ़ ऑस्ट्रेलिया चेयरमैन (Chairman) 11 में चुना गया जहां उन्होंने महज़ 65 गेंदों में ताबड़तोड़ 88 रन ठोक अपनी आतिशी बल्लेबाजी (Batting) का एक बार फिर एक डेमोंस्ट्रेशन (Demonstration)  किया। फिर आई वो तारीख 11 दिसंबर,2007। और 24.5 हज़ार की सिटिंग कैपेसिटी (Capacity) वाले पर्थ स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया बनाम न्यूजीलैंड का टी 20 मैच देखने आए दर्शकों (Audience) में शामिल,पोमरस्बैच अपनी गर्लफ्रेंड के साथ उस वक्त स्टैंड्स में मैच का लुत्फ लेने पहुंचे ही थे। और तभी खबर आई कि वॉर्म अप के दौरान ऑस्ट्रेलियाई टीम के बल्लेबाज ब्रैड हॉज को बैक इंजरी (Injury) हो गई और वे मैच से बाहर हो गए। तभी हुआ एक करिश्मा, जो पहले कभी न हुआ था। ऑस्ट्रेलिया के ओरिजनल (Original) स्क्वाड (Squad) तो दूर, जो बंदा अपनी स्टेट टीम से भी बाहर किया जा चुका था, उसे तत्काल (Instant) ही ऑस्ट्रेलिया की सीनियर (Senior) टीम का बुलावा आ गया और ऑन द स्पॉट उस 23 साल के लड़के को डेब्यू करने का मौका मिला। ये सुनने में आज भी कोई फिल्मी कहानी सी लगती है। लेकिन ये सस्पेंशन (Suspension) पोमरस्बैच (Pomersbach) के लिए ब्लेसिंग (Blessing) इन डिसगाइस (Disguise) ही थी। उन्हें डेब्यू मैच में 17 ओवर में बल्लेबाजी करने का मौका मिला जहां क्रीज पर साइमंड्स (Symonds)  मौजूद थे। पोमरस्बैच ने आते ही आक्रामक तेवर दिखाए और अपनी मेहज़ तीसरी गेंद में छक्का जड़ कुल 7 गेंदों में 15 रन बनाकर आउट हो गए। लेकिन अपना काम बखूबी कर गए।
इसके बाद डोमेस्टिक सर्किट में उन्होंने खूब प्रभावित किया और 2007–08 के सीज़न में 62 के लाज़वाब औसत से 743 रन ठोक धुआंधुआं कर दिया।

2008 में जब आईपीएल (IPL) का आगाज़ (Start) हुआ तो पंजाब की टीम ने उन्हें अपने खेमे में शामिल किया। जहाँ उन्होंने 5 मैचों में अच्छे खासे 152 रन बनाए।

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अब यहाँ तक की स्टोरी  सुनकर तो ऐसा लग रहा होगा कि इतने करिश्माई (Charismatic) डेब्यू करने के बाद पोमरस्बैच का कैरियर (Career) काफ़ी सुनहरी और यादगार (Memorable) रहा होगा। लेकिन सच कुछ और ही है। हमने आपसे कुछ देर पहले अनुशासन की बात की थी। जो खिलाड़ी अनुशासन में नहीं रह सकता, अपनी दानव प्रवृति (Trend) पर काबू (Control) नहीं कर सकता, उसकी मदद तो ख़ुद भगवान भी नहीं कर सकते, उसका पतन आज नहीं तो कल निश्चित है।

पोमरस्बैच का डाउनफॉल (Downfall) यहीं से शुरू हुआ। क्योंकि वे अपनी हरकतों से कभी बाज़ नहीं आए और आए दिन कोई न कोई कंट्रोवरसी (Controversy) से घिरे रहे।

वे अपनी शराब की लत की वजह से काफ़ी समस्याओं (Problems) में रहे। साल 2009 में उन्होंने शराब पीकर ड्राइविंग (Driving) की, पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट (Beating) की, और तो और कस्टडी (Custody) से भी निकलकर भाग गए। ऐसे 2 हिट एंड रन केस के बाद जहां वाका ने उन्हें हमेशा के लिए सस्पेंड कर दिया, वहीं उनपर कानूनी (Legal) कार्रवाई (Action) हुई, मुकदमा हुआ और उनका लाइसेंस (License) कैंसल (Cancel) कर दिया गया।
अगले साल वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया ने उन पर से बैन हटा दिया। 2011 में बीबीएल (BBL) में उन्हें पर्थ स्कॉचर्स ने उन्हें अपने साथ जोड़ा,लेकिन पोमरस्बैच उस समय डिप्रेशन में चले गए। उन्होंने एक भी मैच नहीं खेला और अपना नाम वापिस ले लिया।

2012 में उन्होंने ब्रिसबेन हीट के लिए खेलते हुए अपने बीबीएल कैरियर का डेब्यू किया और 44 के लाजवाब औसत से 397 रन बनाए और एक बार फिर अपना जलवा दिखाया। इसी साल उन्हें आरसीबी (RCB) ने ऑक्शन में खरीदा।लेकिन बीच आईपीएल (IPL) कुछ ऐसा हुआ, जिसके चलते पूरा क्रिकेट जगत शर्मसार (Shamed) हो गया।जब मैच के बाद दिल्ली होटल में पोमरस्बैच ने एक युवती के साथ जबरदस्ती की, उसे एसाल्ट (Assault) किया और जब उनके मंगेतर ने पोमरस्बैच को जाने को कहा तो उसपर भी घुसे चला दिए। जिससे उसे काफ़ी चोट आई। और केयर (Care) वार्ड में भर्ती किया गया।इसके बाद में मुकदमा हुआ, आईपीएल (IPL) पर भी सवाल उठने लगे और सभी सबूत भी पोमरस्बैच के खिलाफ़ थे। उन्हें कम से कम दो साल की तिहाड़ जेल की सजा होती। लेकिन उस महिला ने केस वापिस ले लिया।

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मामला रफा दफा तो हो गया, लेकिन पोमरस्बैच का पासपोर्ट (Passport) जप्त (Confiscation) कर लिया गया। इस इंसीडेट (Incident) ने उनकी छवि और नाम पर काफ़ी बुरा प्रभाव डाला और यहां से उनका करियर लगभग खत्म हो गया।
वे फिर डिप्रेशन में चले गए और 2014 में उन्होंने ख़राब मैंटल (Mantle) हेल्थ के चलते क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
कंट्रोवरसी (Controversy) अभी भी थमी नहीं और रिटायरमेंट (Retirement)  के कई सालों बाद 2021 में पोम्स पर चोरी के कई आरोप लगे, साथ ही उनके पास से ड्रग्स (Drugs) भी बरामद हुए। ये जो कुछ भी उन्हें सफर करना पड़ा, इस सबका कारण कोई और नहीं, बल्कि वे खुद ही हैं।अगर पोमर्स अपनी अय्याश हरकतों और बदमाशी को छोड़ एक सीधा सादा लाइफस्टाइल अपनाते, बूरी आदतों को छोड़ अपनी गेम पर सारा फोकस (Focus) लगाते, तो आज क्रिकेट का एक जाना माना नाम होते। क्योंकि जो टैलेंट (Talent) और काबिलियत उनमें थी, वे न केवल क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के, अपितु विश्व (World) क्रिकेट के बड़े दिग्गज बन सकते थे। लेकिन ये ज़िंदगी उन्होंने अपने लिए ख़ुद चुनी। उन्होने अपने कैरियर में महज़ एक ही टी 20 अंतरराष्ट्रीय (International) मुकाबला खेला। उसके अलावा उन्हें किसी दूसरे फॉर्मेट (Format) में बैगी ग्रीन में खेलने का मौका नहीं मिला।
तो दोस्तों ये थी कहानी क्रिकेट दुनिया के सबसे अविश्वसनीय और करिश्माई डेब्यू करने वाले अय्याश और बदमाश ल्यूक पोमरस्बैच की। आज की पोस्ट में इतना ही। अब हमें दीजिए इजाज़त।

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