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होन्ग कोंग क्रिकेट टीम की दर्द भरी कहानी

होन्ग कोंग
दर्द भरी कहानी होन्ग कोंग की

होन्ग कोंग : दोस्तों! अगर आप नाइंटीज़ किड हैं तो आपको याद होगा कि पहले हॉन्ग कॉन्ग सुपर सिक्सेज करके सिक्स-ए साइड टूर्नामेंट खेला जाता था। साल 1992 से शुरू हुए इस टूर्नामेंट का आखिरी एडिशन 2017 में खेला गया था। इस टूर्नामेंट में खेलने वाली इंडिया, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान समेत बहुत सी नेशनल टीम्स में रिटायर्ड या काफ़ी समय से इंटरनेशनल क्रिकेट से दूर चल रहे खिलाड़ी खेलते थे। मगर, आज हम आपको उस टूर्नामेंट का इतिहास या उससे जुड़ी कहानियाँ नहीं बतायेंगे। बल्कि, हम आपको बताना चाह रहे हैं कि हॉन्ग कॉन्ग में क्रिकेट पिछले 3 दशकों से चल रही है। लोग पसंद कर रहे हैं।

मगर, आज तक हॉन्ग कॉन्ग की नैशनल क्रिकेट टीम और प्लेयर्स को वो रिकॉगनाइज़ेशन (पहचान) नहीं मिली है जिसके वो हक़दार हैं। ऊपर से फैसिलिटीज़ की कमी क्या होती है, वो हॉन्ग कॉन्ग के प्लेयर्स से अच्छा शायद ही आपको कोई समझा पाए। इसके बावजूद हॉन्ग कॉन्ग ने एशिया कप 2022 क्वालीफायर के लिए ओमान में क्वालिफाई किया और फिर उस राउंड में यूएई जैसी बड़ी टीम को हराकर मेन राउंड में एंट्री ली। जहाँ उन्होंने इंडिया और पाकिस्तान को अच्छी टक्कर दी। जोकि, हॉन्ग कॉन्ग जैसी कमज़ोर टीम के लिए किसी अचीवमेंट से कम नहीं है। क्योंकि भारत के अगले मैच में अभी वक़्त है। तो इस साल एशिया कप खेलने वाली हॉन्ग कॉन्ग टीम की इंस्पायरिंग स्टोरी ही सुना देते हैं।

तो चलिये! एक ऐसी टीम के स्ट्रगल की कहानी को क़रीब से जानते हैं जो कहने को हॉन्ग कॉन्ग की टीम है। मगर, देखने मे साउदर्न एशिया की यूनिट लगती है। क्योंकि, 3 महीनों से हॉन्ग कॉन्ग के लिए अच्छे दर्जे की क्रिकेट खेल रहे सभी 17 प्लेयर्स की स्क्वाड में हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी प्लेयर्स के अलावा एक यूरोपीय खिलाड़ी भी है। ये सभी खिलाड़ी वो हैं जो या तो बेहतर क्रिकेट और काम के मौकों की तलाश में हॉन्ग कॉन्ग गये। या फिर वो हिंदुस्तानी-पाकिस्तानी क्रिकेटर हैं जिनके पूर्वज हॉन्ग कॉन्ग गये और वहीं के होकर रह गए।

इसलिये, कैप्टेन निज़ाकत खान, बाबर हयात और यासिम मुर्तज़ा समेत बहुत से खिलाड़ियो का सीधा संबंध पाकिस्तान से है। जैसे बाबर हयात और निज़ाकत खान पाकिस्तान के पंजाब प्रोविंस के आटोक से आते हैं। जबकि, निज़ाकत के ओपनिंग पार्टनर यासिम का तो जन्म ही सियालकोट में हुआ था। वैसा ही कुछ संबंध पाकिस्तान ओक्यूपाइड कश्मीर से आने वाले मोहम्मद ग़ज़नफर का भी है। इस तरह के बहुत से मुस्लिम प्लेयर्स के संबंध आपको पाकिस्तान से मिल जायेंगे। जबकि, टीम के वाइस कैप्टेन किंचित शाह का तो भारत से इतना गहरा रिश्ता है कि वो फ़ैमिली बिज़नेस के चलते ज़्यादातर मुम्बई में ही रहते हैं। किंचित के अलावा रोहित शर्मा को आउट करने वाले आयुष शुक्ला भी भारत से हैं और हॉन्ग कॉन्ग की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं।

भारतीय और पाकिस्तानी मूल के प्लेयर्स के अलावा स्कॉट मैकन्हि का रिलेशन इंग्लैंड से है। वो वहां केंट के डार्टफ़ोर्ड क्रिकेट क्लब में जूनियर कोच थे। मगर, अब हॉन्ग कॉन्ग में बिज़नेस संभालने के साथ क्रिकेट भी खेलते हैं। स्कॉट और किंचित के अलावा भी बहुत से हॉन्ग कॉन्ग के खिलाड़ी ऐसे हैं, जो क्रिकेट खेलने के साथ डिलीवरी बॉय या ड्राइवर के तौर पर पार्ट टाइम जॉब भी करते हैं।

यहाँ एक सवाल आपके मन में आ रहा होगा कि टीम का अहम हिस्सा होने के बावजूद प्लेयर्स को पार्ट टाइम जॉब्स क्यों करना पड़ रही हैं ? तो इसका सीधा जवाब है हॉन्ग कॉन्ग क्रिकेट के कमज़ोर हालात। पूरा क्रिकेट बेस होने के बावजूद हॉन्ग कॉन्ग क्रिकेट फाइनैंशियली पर स्ट्रांग नही है। इसलिए, एक समय पर सिर्फ 8 से 10 प्लेयर्स को ही सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता है। जिसके चलते दूसरे खिलाड़ियो को पार्ट टाइम जॉब्स देखना पड़ती हैं। लेकिन, इन बुरे हालातों के बावजूद हॉन्ग कॉन्ग की प्रेजेंट स्क्वाड का एक-एक खिलाड़ी क्रिकेट के लिए पागल है।

जिसकी सबसे बड़ी मिसाल हॉन्ग कॉन्ग के कोच और एक्स आयरिश प्लेयर ट्रेंट जॉन्सटन ने दी। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि “हमारे बहुत से खिलाड़ियो ने कोरोना के दौरान भी ऑनलाइन प्रैक्टिस सेशन कंटीन्यू करे और पार्क्स या कार पार्किंग जहां जगह मिली प्रैक्टिस करने की कोशिश की। कुछ प्लेयर्स ने तो अपने बिल्डिंग के टेरेस (छत) को ही ट्रेनिंग हब बना लिया था। मैंने क्रिकेट के लिए ऐसा दीवानापन कभी नहीं देखा”। दोस्तों!इस तरह की मिसालें हॉन्ग कॉन्ग प्लेयर्स से बहुत जुड़ी हुई हैं। मगर, जिस एक मिसाल के बिना ये वीडीयो अधूरी है।

दिल को छूने वाली वो मिसाल टीम के तीन अहम खिलाड़ियो बाबर हयात, एहसान खान और यासिम मुर्तज़ा के सैकरिफाइज़ की है। इन तीन प्लेयर्स ने अपने पहले-पहले बच्चे की शक्ल अभी तक नहीं देखी है। क्योंकि, हॉन्ग कॉन्ग की टीम पिछले तीन महीने से क्रिकेट के लॉन्ग रन के चलते बिज़ी रही थी।

इस बात को ही सेंटर में रख कर जब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कप्तान निज़ाकत खान से प्लेयर्स की मेंटल हैल्थ पर सवाल किया गया। तो निज़ाकत ने दिल में घर करती हुई मुस्कुराहट से जवाब दिया “हमें पता है कि एक बार हमारा बेहतर खेल स्पॉन्सर्स को खींच लाया। तो, आने वाली पीढ़ियों को इतनी परेशानी भी नहीं होगी”।

इस उम्मीद के साथ कि हॉन्ग कॉन्ग टीम को वो स्पॉन्सर्स मिलें, जो बिना उनकी क्रिकेट को इफ़ेक्ट किये बिना बेहतर फैसिलिटी प्रोवाइड कर सकें। हम इस इंस्पिरेशनल कहानी को यहीं रोकते हैं।

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