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टाइटैनिक शिप का मलबा देखने गए लोगों के साथ क्या हुआ ?

समुद्र जितना गहरा है उतना ही रहस्यमयी, रोमांच से सराबोर और सम्भावनाओं से भरपूर भी | लोगों को भले इससे डर लगता हो लेकिन उसकी गहराई सभी को रोमांचित भी करती है | कुछ ऐसे ही थे अमेरिकन बिजनेस मैन और इंजीनियर स्टॉकटन रश | स्टॉकटन रश ही इस कहानी के डायरेक्टर, स्क्रिप्ट राइटर और मुख्य पात्र हैं |

                                                                                                                Deep sea

टाइटन यात्रा की शुरुआत – 

18 जून रविवार | समय शाम के ठीक साढ़े पांच बजे | समुद्र की गहराइयों में (Deep Sea ) रोमांच की पराकाष्ठा का अनुभव लेने के लिए दुनिया के पांच अरबपति टाइटन नाम के सबमर्सिबल (Submersible) में बैठ कर निकल पड़े | उनकी मंजिल थी समुद्र तल से 4000 मीटर यानी की 13000 फीट नीचे | अगर समझने में मुश्किल हो तो इसे ऐसे समझिये कि ये गहराई दुनिया की सबसे ऊँची बिल्डिंग बुर्ज खलीफा (Burj Khalifa) की ऊंचाई से भी पांच गुनी है | जहाँ मौजूद है आज से एक सौ ग्यारह साल पहले डूबे जहाज टाइटैनिक (Titanic) का मलबा | टाइटैनिक अप्रैल 1912 को एक बर्फ की पहाड़ी से टकराकर डूब गया था | ये वही टाइटैनिक था जिसके बारे में कहा गया था कि वो कभी डूब नहीं सकता | इस जहाज में पैसेंजर और क्रू मेम्बर्स को मिलाकर 2240 लोग सवार थे और हादसे में 1500 लोगों ने अपनी जान गँवा दी थी |

शाम के सवा सात बजे : टाइटन अत्याधुनिक कम्युनिकेशन सिस्टम (communication system) से लैस था | उसे हर 15 मिनट पर अपने कंट्रोलर शिप को सिग्नल भेजने थे | कुछ देर तक तो चीजें प्लान के मुताबिक चलीं लेकिन ठीक एक घंटे 45 मिनट के बाद टाइटन से सिग्नल (Signal) मिलने बंद हो गये |

Submarine
                                                                                                                           Titan

चार घंटे में टाइटन को बाहर आना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ | कुछ देर तक तो इंतजार किया गया लेकिन समय बढ़ने के साथ ही कम्पनी की चिताएं बढ़नी शुरू हो गईं | उन्होंने कास्ट गार्ड को खबर की | यूएस और कनाडा ने अपने जहाजों के जरिये सर्च ऑपरेशन शुरू किया | उन्होंने समुद्र में कुछ सोनोबॉय भी उतारे | सोनोबॉय 5 इंच से लेकर 3 फीट तक लम्बे होते हैं जिन्हें जहाजों के जरिये समुद्र में छोड़ा जाता है | ये सोनार सिस्टम पर बेस्ड होते हैं | जो एनर्जी छोड़ते हैं और वापस आने वाली आवाजों को सुनते हैं | इनके जरिये समुद्र की गहराइयों में किसी चीज की मौजूदगी का एहसास होता है | कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया कि इन सोनोबॉय ने ठकठकाने जैसी आवाज सुनी जैसे कोई अंदर से बंद दरवाजा पीट रहा हो | उस वक्त ऐसी सम्भावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता था क्योंकि टाइटन में 96 घंटे यानी पूरे चार दिन की ऑक्सीजन उपलब्ध थी |

टाइटन के बारे में जानकारी – 

आगे बढ़ने से पहले जरा टाइटन के बारे में जान लिया जाये | सबसे पहले हम ये समझ लें कि समर्सिबल सबमरीन (Submersible Submarine) से अलग कैसे हैं | हमारा सामान्य ज्ञान इतना ही है कि समुद्र के नीचे रहने वाली पनडुब्बी यानी सबमरीन | लेकिन टाइटन एक सबमरीन न होकर सबमर्सिबल थी | सीधे और सरल शब्दों में सबमरीन self-independent होती है | यानी वो समुद्र के अंदर जाने से लेकर वापस आपने तक अपना हर ऑपरेशन खुद करने में सक्षम होती है | जबकि सबमर्सिबल एक मदर शिप (Mother ship) से ऑपरेट होता है | जो उसे लांच करता है और रिकवर करता है | टाइटन का मदर शिप था पोलार प्रिंस (POLAR PRINCE) | पोलार प्रिंस से ही टाइटन को ऑपरेट किया जा रहा था |

टाइटन की लम्बाई 6.7 मीटर और ऊंचाई थी 2.8 मीटर जबकि उसका वजन था 10.4 टन | ये पूरी तरह कार्बन फाइबर और titanium से बना हुआ था | इसका व्यू पोर्ट 53 cm चौड़ा था | कम्पनी का दावा था कि इससे चौड़ा व्यू पोर्ट इतनी गहराई तक जाने वाले किसी भी सबमर्सिबल में नहीं था | इसमें मैक्सिमम पांच लोगों की जगह थी जिनमें से एक पायलट और एक क्रू मेम्बर के अलावा तीन टूरिस्ट हो सकते थे | इसमें बैठने के लिए किसी तरह की सीट नहीं थी बल्कि सबको फर्श पर ही बैठना होता था | इसमें इतनी भी जगह नहीं थी कि कोई खड़ा हो सके | आपको जानकर हैरानी होगी कि ये विडियो गेम कंट्रोलर से ऑपरेट किया जाता था | इसमें ऐसा कोई दरवाजा नहीं था जिसे अंदर से खोला या बंद किया जा सके | इसे बंद करने या खोलने का काम बाहर से ही किया जा सकता था | पोलार प्रिंस से टाइटन को लांच करने से पहले इसे बाहर से तमाम बोल्टों से कसकर बंद कर दिया जाता था जिसे वापस आने पर खोला जाता था | ये टूर कुछ लोगों के लिए रोमांच से भरा हुआ तो कुछ लोगों के लिए बेहद डरावना और खौफनाक अनुभव भी साबित हो सकता था | क्योंकि सबसे पहले तो पूरे टूर को एक दूसरे से सट कर बैठे रहते ही पूरा करना होता था | दूसरे समुद्र के अंदर का घुप अँधेरा | समुद्र में केवल 200 मीटर की गहराई तक ही रौशनी जा सकती है इसके बाद 1000 मीटर की गहराई तक बमुश्किल ही रौशनी पहुँच पाती है और इसके बाद चारों तरफ होता है सिर्फ और सिर्फ घुप घना डरावना काला अँधेरा | ऐसे में टाइटन के बाहर तो अँधेरा होता ही है अंदर भी खौफनाक अँधेरा किसी के भी दिल को कंपकंपा देने के लिए काफी है | क्योंकि ऊर्जा को बचाए रखने के लिए टाइटन के अंदर की लाइट्स भी बंद कर दी जाती थीं |

टाइटन में ब्रिटिश बिजनेस मैन और एक्स्प्लोरर हामिश हार्डिंग (Explorer Hamish Harding), ब्रिटिश पाकिस्तानी बिजनेस मैन शहजादा दाउद(Shahzada Dawood) और उनका बेटा सुलेमान दाउद( Suleman Dawood), फ्रेंच एक्स्प्लोरर पॉल हेनरी नार्जिओलेट(Paul Henry)और ओशन गेट कम्पनी के CEO स्टॉकटन रश(Stockton Rush) सवार थे | स्टॉकटन रश ही इस सबमर्सिबल के पायलट भी थे |

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उधर समय हाथ से निकलता जा रहा था और जाँच का दायरा बढ़ता जा रहा था | US Coast guard, US navy, Canadian Coast Guard सब जुटे हुए थे | लेकिन फ़िलहाल कोई कामयाबी मिलती नहीं दिख रही थी | लेकिन फिर एक ऐसी खबर आई जिससे टाइटन और उसमें सवार पांचों एक्स्प्लोरर के बचने की उम्मीद खत्म हो गई | कोस्ट गार्ड की तरफ से ये जानकारी सामने आई कि टाइटैनिक जहाज के मलबे से कुछ किमी दूर एक और मलबा मिला है | और ये मलबा किसी और का नहीं बल्कि टाइटन सबमर्सिबल का ही था | और हादसे की वजह बताई गई इम्प्लोजन (Implosion)| इम्प्लोजन यानी बंद चीज पर बाहर से इतना दबाव पड़ना कि उसमें अंदर की ओर विस्फोट (Explode) हो जाए | टाइटन के साथ कुछ ऐसा ही हुआ और टाइटन और टाइटन में सवार सभी लोग एक दर्दनाक हादसे का शिकार बन गये |

                                                                                                                     Titan Ship

कैसे आया इसका आईडिया – 

आइये अब ये जानने की कोशिश करें कि टाइटन नाम का ये सबमर्सिबल किसी समझदार आदमी की समझदार सोच का नतीजा थी या फिर किसी सनकी आदमी की सनक का | साल 2009 में स्टॉकटन रश (Stockton Rush) ने अपने पार्टनर Guillermo Sohnlein के साथ मिलकर ओशन गेट (OceanGate) कम्पनी की नींव रखी | रश स्कूबा डाइविंग के शौक़ीन थे | समय के साथ समुद्र की गहराइयाँ (Deep) उन्हें ललचाने लगीं | वो समुद्र की गहराइयों में छिपे अनंत रहस्य (Mystery) और रोमांच को एक्स्प्लोर (Explore) करना चाहते थे | ओशन गेट कम्पनी का उद्देश्य commercial tourism को बढ़ावा देना था | उस समय तक इस फील्ड को ज्यादा एक्स्प्लोर नहीं किया गया था | रश इस मौके को भुनाना चाहते थे | हालाँकि उनके पार्टनर साल 2013 में ही कम्पनी से अलग हो गये | रश का मानना था कि समुद्र के अंदर जितने खतरे बताये जाते हैं असल में उतने हैं नहीं | यही नहीं उन्होंने तो अमेरिका के Passenger Vessel Safety Act of 1993 को भी मानने से इंकार कर दिया | यही वो कानून है जो ओशन टूरिज्म को रेगुलेट करता है | रश का कहना था कि ये कानून commercial innovation के बजाय पैसेंजर सेफ्टी पर ज्यादा फोकस करता है | रश न इसे गैर जरूरी बताया था | उन्होंने ये भी कहा कि साल 1974 से किसी भी ABS certified passenger submersible में किसी भी तरह की मौत या दुर्घटना नहीं हुई है | साल 2017 में रश ने The Explorers Club में इन सबमर्सिबल्स को इस ग्रह का सबसे सुरक्षित वाहन बताया था | आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंडरवाटर टूरिज्म (Underwater Tourism) की शुरुआत 1986 से मानी जाती है जब Atlantis Adventures ने कोरल रीफ (Coral reef) में सबमर्सिबल टूर कराने शुरू किये थे |

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टाइटन के जरिये टाइटैनिक का मलबा दिखाने का काम साल 2021 में ही शुरू कर दिया गया था | मई 2021 में यूएस कोर्ट (Us Court) में कम्पनी ने कहा था कि टाइटन की 50 से ज्यादा टेस्ट डाइव (Test Dive) की गई हैं | और इसे उतनी ही गहराई तक ले जाया गया है जितनी गहराई पर टाइटैनिक का मलबा है | साथ ही प्रेशर चैम्बर (Pressure Chamber) में भी टेस्ट करने की बात कही गई थी | कम्पनी ने ये भी दावा किया कि साल 2021-22 के दौरान 46 लोगों ने इस सबमर्सिबल से टाइटैनिक का मलबा देखा | हालाँकि पोलार प्रिंस और टाइटन के सेफ्टी नोर्म्स शुरुआत से ही विवादों में रहे | साल 2018 में ओशन गेट के ही एक कर्मचारी डेविड लोचरिज ने इसके सुरक्षा मानकों पर चिंता जताते हुए एक व्हिसल ब्लोअर कंप्लेंट फाइल (Blower complaint file) की थी | बीबीसी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि डेविड (David) ने अपनी शिकायत में कहा कि टाइटन का व्यू पोर्ट (View Ports) समुद्र में सिर्फ 1300 मीटर की गहराई का ही दबाव (Pressure) सहने में सक्षम है | जबकि उसे टाइटन के मलबे तक ले जाने के लिए 4000 मीटर की गहराई तय करनी होगी | इस शिकयत के बाद कम्पनी ने उसे बाहर निकाल दिया था |

हैरानी की बात तो ये है कि टाइटन सबमर्सिबल के पास किसी भी तरह का सेफ्टी सर्टिफिकेशन (Safety certification) नहीं था | न ही वो Passenger Vessel Safety Act of 1993 को फॉलो करता था | इसके बावजूद वो बेरोकटोक अपने टूरिज्म पैकेज चलाता रहा | साल 2022 में इस पर यात्रा करने वाले एक रिपोर्टर ने बताया कि इस पर सवार होने वाले लोगों से पहले ही एक अंडरटेकिंग (अंडर Taking) ले ली जाती है | जिसमें लिखा होता है कि ये एक एक्सपेरिमेंटल सबमर्सिबल (Experimental submersible) है | ये किसी भी रेगुलेटरी बॉडी से अप्रूव्ड (Approved) नहीं है | इसमें ये भी लिखा होता है कि इस यात्रा के दौरान आपको चोट लग सकती है, आप इमोशनल ट्रामा के शिकार हो सकते हैं या फिर आपकी मौत भी हो सकती है | इस टूर के लिए प्रति व्यक्ति ढाई लाख डॉलर किराया वसूला जाता था | अगर इंडियन करेंसी में बात करें तो ये किराया लगभग 2 करोड़ से भी ज्यादा बैठता है |

इस हादसे के बाद सवाल उठना लाजमी है कि सुरक्षा की कीमत पर ऐसे टूर कितने सही हैं | आखिर फन और एडवेंचर किसी की जीवन से महत्वपूर्ण कैसे हो सकते हैं | मजे की बात तो ये है कि इतने बड़े हादसे और कम्पनी के सीईओ की मौत के बाद भी कम्पनी ने नये टूर पॅकेज का एलान भी कर दिया है | हम इसकी ऑफिसियल वेबसाइट पर गये तो हम ये देखकर हैरान रह गये कि अगले साल भी इसके दो मिशन प्लांड (Mission planned) हैं | पहला मिशन 12 से 20 जून तक तो दूसरा 21 जून से 29 जून तक बताया जा रहा है |

                                                                                      Titan Submarine

निश्चित रूप से लोग पैसे बनाने के लिए आज किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं | भले ही इसके लिए उन्हें नियमों और सुरक्षा मानकों की धज्जियाँ क्यों न उड़ानी पड़ें | टाइटन सबमर्सिबल पैसे कमाने की इसी अंधाधुंध दौड़ का नतीजा है | ये समझना मुश्किल है कि आखिर किसी निजी कम्पनी के लिए सुरक्षा मानकों का पालन करना अनिवार्य क्यों नहीं है | क्या ये प्राइवेट हैं इसलिए इन्हें लोगों की जिन्दगी से खिलवाड़ का लाइसेंस दे दिया जाना चाहिए | कोई भी नियम हमारी सुरक्षा के लिए ही बना है और इन नियमों को मानने से इंकार करना ही अक्सर हादसों का सबब बन जाया करता है | इस हादसे के बाद जो बचाव और खोज अभियान चलाया गया उसका खर्चा आखिरकार टैक्स पेयर्स की जेब से ही निकाला जाना है | ऐसे अभियान और हादसे किसी सनक का ही परिणाम हो सकते हैं | भला किसी की सनक का अंजाम आम आदमी क्यों भुगते? इस हादसे को लेकर ओशन गेट कम्पनी की जाँच की जाएगी या नहीं ये तो वक्त बताएगा लेकिन ये हादसा यही कह रहा है कि न केवल इसकी जाँच की जरूरत है बल्कि जरूरत है हर उस व्यक्ति और संस्था को जिम्मेदार ठहराने की जो इस हादसे के असली गुनहगार हैं |

 

वीडियो देखें – http://https://youtu.be/VYzw9E3rGRs

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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