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Bollywood Actor Manish Wadhwa Biography

एक एक्टर (actor) में कितनी क़ाबिलियत (capability) है यह उसके फर्स्ट (First) सीन से ही क्लीयर (clear) हो जाता है, इंतज़ार (wait) होता है तो बस एक सही किरदार (character) का, जिसमें उसे अपना टैलेंट दिखाने का भरपूर (abundant) मौक़ा मिल सके। जिसके बाद न सिर्फ (Only) वह किरदार (character) अमर हो जाता है बल्कि (Rather) वही उस एक्टर की पहचान भी बन जाता है। हालिया रिलीज़ ब्लॉकबस्टर (blockbuster) फ़िल्म गदर2 में विलेन का रोल निभाकर (by fulfilling) हर किसी का दिल जीत लेने वाले मनीष (Manish) वाधवा एक ऐसे ही एक्टर (actor) हैं जिन्होंने हर किरदार में अपनी एक्टिंग (acting) की छाप छोड़ी है, चाहे वह टीवी शो हो, बॉलीवुड (Bollywood) हो या फिर साउथ की फ़िल्में। कभी चाणक्य (Chanakya) के रूप में मशहूर(famous)  मनीष वाधवा आजकल पाकिस्तानी मेजर जनरल हामिद इकबाल बनकर हर तरफ छाए हुए हैं। हिंदी फ़िल्मों के एक दमदार विलेन बनकर उभरे मनीष वाधवा की यह कामयाबी बेशक़ बहुत ही बड़ी है लेकिन उससे कहीं बड़ा है उनका स्ट्रगल, जिसने उन्हें तोड़ने के बजाए और तराशने का काम किया। आज के वीडियो में हम मनीष वाधवा के स्ट्रगल की उन्हीं कहानियों को लेकर आये हैं, साथ ही जानेंगे उनके करियर और लाइफ से जुड़ी कई ख़ास बातों के बारे में, इसलिए बने रहे वीडियो में हमारे साथ शुरू से अंत तक।

नमस्कार….

Manish Wadhwa With Sunny Deol

शुरुआती जीवन-
23 अप्रैल 1972 को हरियाणा के अंबाला कैन्ट में जन्मे मनीष वाधवा के पिता एयरफोर्स (Airforce) में थे जिन्हें ख़ुद फ़िल्मों (Films) में काम करने का शौक़ (Hobby) था तो वहीं मनीष की माँ भी एक सिंगर (Singer) बनना चाहती थीं। मनीष का बचपन (Childhood) अंबाला के अलावा चंडीगढ़ में भी बीता है। दरअसल मनीष की माँ के कोई भाई (Brother) नहीं थे इसलिए उनकी नानी ने, जो कि चंडीगढ़ (Chandigarh) में रहती हैं, उन्हें अपना बेटा (Son)  मान लिया था। ऐसे में मनीष अपनी मौसियों को दीदी ही बोला करते हैं। मनीष जब नानी के पास थे तभी उनको पता चला कि उनके पैरेंट्स (Parents) मुंबई शिफ्ट (Shift) हो रहे हैं तो वे भी मुंबई (Mumbai) जाने की ज़िद करने लगे और इतने परेशान (Worried) हुए कि बीमार पड़ गये। हालांकि मनीष की नानी और उनकी मौसी, जिन्हें वे दीदी कहा करते थे, उन्होंने मनीष को काफी रोकना (Prevent) चाहा लेकिन मनीष नहीं माने और साल 1983 में अपने पैरेंट्स (Parents) के साथ मुंबई चले गये। दरअसल मनीष के पैरेंट्स ने अपने ख़्वाब (Dream) पूरे करने के लिए ही मुंबई शिफ्ट (Shift) होने का प्लान (Plan) किया था क्योंकि अंबाला में रहकर फ़िल्मों में काम करना इंपॉस्बल (Impossible) ही था।

मनीष की शुरुआती पढ़ाई अंबाला के शिशु निकेतन स्कूल और चंडीगढ़ में हुई थी फिर मुंबई शिफ्ट होने के बाद उन्होंने मालाड के डालमिया कॉलेज (College) से बैचलर (Bachelor) ऑफ कॉमर्स (Commerce) की डिग्री (Degree) ली। मनीष पढ़ाई में काफी तेज़ थे साथ ही वे एक अच्छे क्रिकेटर (Cricketer) भी थे। एक बेहतरीन फास्ट (Fast) बॉलर (Bowler) होने के बावज़ूद मनीष जल्द ही समझ गये थे कि क्रिकेट में करियर (Career) बनाना उनके लिए उतना आसान नहीं है। मनीष तब 12वीं में थे और अपने माता-पिता के साथ सत्संग से जुड़े हुए थे जहाँ होने वाले नाटकों (Drama) में भी वे हिस्सा (part) लिया करते थे। बाद में कॉलेज के दौरान एक दिन मनीष के एक टीचर (Teacher) को जब यह पता चला कि मनीष नाटकों (Drama) में काम करते हैं तो उन्होंने कॉलेज में होने वाले कल्चरलल (Cultural) प्रोग्राम (Program) में मनीष से एक नाटक (Drama) तैयार करने को कहा। ख़ास बात कि यह नाटक तीन दिन के बाद ही होना था। मनीष ने उसी दिन ‘अंगूर खट्टे हैं’ नामक एक नाटक लिखकर उसकी तैयारी शुरू कर दी और अपने ही डायरेक्शन (Direction) में उसे स्टेज (Stage) पर पर्फॉर्म (Perform) भी कर दिया। नाटक सबको पसंद आया तो टीचर्स ने डिसीजन (Decision)  लिया कि उनकी टीम अच्छी है, अगर थियेटर (Theater) के किसी प्रोफेशनल (Professional) डायरेक्टर से नाटक (Drama) तैयार कराया जाये तो यह टीम तमाम इंटर-कॉलेजियट कम्पटीशन्स (Competition) में अवाॅर्ड (Award) हासिल कर सकती है।

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मिला जीवन भर के लिए सबक-
नाटकों की तैयारी के लिए जल्द ही कॉलेज (College) में एक डायरेक्टर (Director) को बुला लिया गया। रिहर्सल (Rehearsal) में मनीष को एक्टिंग (Acting) की बारिकियां समझ में आनी शुरू हुई और उन्हें पता चला कि एक्चुअल (Actual) में नाटक कहते किसे हैं। इसी दौरान मनीष को अपने डायरेक्टर (Director) से एक ऐसा सबक भी मिला जिसे वह आज तक नहीं भुला पाए हैं। एक इंटरव्यू (Interviews)  में मनीष ने बताया कि पहले उनके बाल काफी लम्बे हुआ करते थे, दरअसल उस दौर में संजय दत्त के लंबे बालों (Hairs) का फैशन (Faison) भी चला करता था। एक दिन रिहर्सल के दौरान मनीष थोड़े स्टाइल (Style) के साथ टेढ़े होकर खड़े हुए थे, अचानक उनके डायरेक्टर (Director) ने अपनी चप्पल निकाली और खींचकर मनीष के पैरों पर दे मारी। मनीष इससे पसले कुछ समझ पाते, उनके डायरेक्टर ज़ोर से चीखे, “अपने आप को संजय दत्त समझता (Understands) है? दो पैरों पर खड़ा रह।” मनीष ने देखा कि वो तो दोनों पैरों पर ही खड़े हैं तब डायरेक्टर ने समझाया कि सीधा चलने के लिए पहले सीधे खड़े होना आना चाहिए। मनीष को अपने डायरेक्टर की बात समझ में आ गयी थी कि वे क्या समझाना चाहते थे, जिसके बाद मनीष आज तक न तो डायरेक्टर की उस कोल्हापुरी चप्पल (Slipper) को कभी भूले और न ही उस सबक (Lesson) को। मनीष ने इसके बाद मन लगाकर एक्टिंग (Acting) करना शुरू कर दिया और उनकी मेहनत रंग लाने लगी। देखते ही देखते मनीष ने कुल 5 बार बेस्ट (Best) एक्टर का अवाॅर्ड (Award) अपने नाम कर लिया। मनीष की एक्टिंग का जादु (Magic) न सिर्फ अपने कॉलेज (College) के लोगों पर बल्कि दूसरे कॉलेज के लोगों पर भी छाया हुआ था। मनीष बताते हैं कि जब उन्हें अवाॅर्ड (Award) मिलता था उनके कम्पटीटर (Competitor) मीठीबाई कॉलेज (College) के लड़के (Boy) भी उन्हें कंधों पर उठा लेते थे। मनीष ने न सिर्फ कॉलेज कम्पटीशन्स (Competition) में अवाॅर्ड जीते बल्कि इप्टा के कम्पटीशन में भी अपनी आउटस्टैंडिंग (Outstanding) परफॉर्मेंस (Performance) के लिए बलराज साहनी ट्रॉफी (Trophy) हासिल की थी।

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थिएटर और डबिंग करियर-
मुंबई में, कॉलेज (College) की पढ़ाई पूरी करने के बाद मनीष ने कॉमेडी (Comedy) शो खट्टा मीठा के लिए एक थिएटर (Theater) कलाकार के रूप में अपना करियर (Career) शुरू किया। बाद में उना कमर्शियल (Commercial) थिएटर का रुख़ कर लिया ताकि थोड़ा खर्च निकल सके और लोगों से पहचान भी बढ़ सके। हालांकि मनीष का टारगेट (Target) तो फ़िल्मों (Films) में एक्टिंग (Acting) करना ही था इसलिए वे काम की तलाश में फ़िल्मी ऑफिसों  (Offices) के चक्कर भी लगाते रहते थे। इसी दौरान मनीष की मुलाक़ात अपने कॉलेज के दौरान के एक दोस्त से हुई जो एक डबिंग (Dubbing) आर्टिस्ट (Artist) था और कभी दूसरे कॉलेज का होने की वज़ह से उनका कम्पटीटर (Competition) हुआ करता था, हालांकि वह मनीष की एक्टिंग (Acting) का कायल था। उसने मनीष को वॉइस (Voice) ओवर (Over) आर्टिस्ट (Artist) बनने की सलाह दी और डबिंग (Dubbin) स्टूडियो (Studio) पर यह कहकर इंट्रोड्यूस (Introduce) किया कि इस एक्टर की वज़ह से उसे आजतक कोई अवाॅर्ड (Award) नहीं मिला क्योंकि सारे अवाॅर्ड यही बटोर ले जाता था। मनीष को वहाँ फौरन डबिंग का काम मिल गया जिसके बाद उन्होंने बहुत सी हिंदी, साउथ, हॉलीवुड और एनिमेटेड फिल्मों व विज्ञापनों (Advertise) के लिए आवाज़ दी। मनीष ने बतौर डबिंग आर्टिस्ट (Artist) द क्रॉनिकल्स (Chronicles) ऑफ (Of) नार्निया: द वॉयज ऑफ द डॉन ट्रेडर, प्रीडेटर्स, मेगामाइंड, कैप्टन अमेरिका: सिविल वॉर और कई सारी फिल्मों और सीरीज़ (Series) के लिए भी डबिंग (Dubbing) की है। डबिंग के दौरान मनीष को कैमरे (Camera) के पीछे कई ऐसे किरदारों (Characters) को डॉयलॉग (Dialogs) के ज़रिये निभाने का मौक़ा मिला जिनसे आगे चलकर उन्हें कैमरे के सामने काम करने में सहूलियत (Vantage) मिली।

मनीष डबिंग (Dubbing) के साथ-साथ थिएटर (Theater) में भी काम करते रहते थे। इस दौरान मनीष ने एक्ट्रेस (Actress) जया बच्चन के साथ ‘मां रिटायर होती है’ और डॉक्टर मुक्ता जैसे कई मशहूर प्ले (Play) में काम किया। जहाँ उनपर फ़िल्म (Films) इंडस्ट्री (Industry) के कई दिग्गजों की नज़र पड़ी। मनीष ने जावेद जाफरी के साथ भी कॉमेडी (Comedy) प्ले ‘हम ले गये तुम रह गये’ में भी काम।

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Manish Wadhwa as Chanakya

एक्टिंग करियर-
फ़िल्म गदर2 में पाकिस्तानी मेजर (Major) जनरल (General) हामिद इकबाल के निगेटिव (Negative) किरदार (Character) से पहले मनीष इसी साल आयी शाहरुख़ ख़ान की ब्लाकबस्टर (Blockbuster) फ़िल्म पठान में जनरल कादिर के रोल में नज़र आये थे। दोनों ही फ़िल्में ब्लॉकबस्टर (Blockbuster) हुईं और मनीष की जमकर तारीफ़ हुई है। हालांकि फ़िल्मों में मिली इन कामयाबियों (Success) से पहले मनीष का एक्टिंग (Acting) करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है।

दोस्तों मनीष टीवी की दुनिया (World) में पहले ही अपनी दमदार एक्टिंग (Acting) का लोहा मनवा चुके थे और साउथ की फ़िल्मों में भी काम कर चुके थे, लेकिन हिंदी फ़िल्मों में अपनी पहचान बनाने का जो उनका ख़्वाब (Dream) था वह पूरा नहीं हो पा रहा था। हालांकि फ़िल्मों की बात करें तो मनीष ने  इसकी शुरुआत (Starting) अपने बचपन (Childhood) में ही कर ली थी। दरअसल मनीष के पिता ने एयरफोर्स (Airforce) की सर्विस (Service) से रिटायर (Retire) होने के बाद फिल्म इंडस्ट्री (Industry) में काम करने के अपने ख़्वाब को पूरा करने के लिए एक फ़िल्म डायरेक्ट (Direct) करने का प्लान (Plan) किया था, जिसमें उन्हें एक चाइल्ड (Child) एक्टर (Actor) की ज़रूरत थी। उन्होंने इसके लिए मनीष को चांस (Chance)  दिया, लेकिन इसे उनका बैडलक (Bad Luck) ही कहेंगे कि यह फ़िल्म शुरू तो हो गयी लेकिन कभी पूरी नहीं हो सकी।

सही मायने में देखा जाये तो बॉलीवुड (Bollywood) में मनीष ने साल 2001 में आयी फ़िल्म ‘​राहुल’ से डेब्यू (Debut) किया था जो उन्हें अपने थिएटर (Theatre) के दौरान मिली थी। दरअसल प्ले ‘मां रिटायर होती है’ में जया बच्चन लीड (lead) रोल (Role) में थीं और मनीष ने उनके बेटे का रोल निभाया था। इस प्ले में मनीष पर फिल्म मेकर (Maker) प्रकाश झा की नज़र पड़ी जो उन दिनों फिल्म ‘राहुल’ का प्लान कर रहे थे, जिसमें नेगेटिव (Negative) रोल (Role) के लिए उन्होंने मनीष को साइन (Sign) कर लिया। हालांकि साल 2001 में रिलीज़ (Release) हुई यह फ़िल्म बॉक्स (Box) ऑफिस (Office) पर कोई कमाल न दिखा सकी। ऐसा ही कुछ श्याम बेनेगल की फिल्म ‘नेताजी: द फरगॉटन (Forgotten) हीरो’ के साथ भी हुआ। साल 2004 में आयी इस फ़िल्म (Film) में मनीष ने इनायत नाम का किरदार (Character) निभाया था। उसी साल मनीष फिल्म ‘द होप’ में भी दिखाई दिये थे लेकिन दोनों फ़िल्मों के न चलने से मनीष के स्ट्रगल (Struggle) पर कोई फर्क (Effect) नहीं पड़ा।

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जब फिल्मों में बात नहीं बन पायी तो मनीष ने न चाहते हुए भी टीवी (TV) में काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान मनीष ने ‘आशा द बोट’ जैसी कुछ टेलीफिल्मों (Television) में भी काम किया और कई छोटे-छोटे रोल्स (Roles) करते हुए आगे चलकर टीवी (TV) शो (Show)  क्राइम (Crime) पेट्रोल (Petrol) में भी काम किया। इसके बाद आया शो ‘आम्रपाली’ जिसमें उन्होंने अजातशत्रु का किरदार (Character) निभाया था। टीवी पर मनीष को पहला बड़ा किरदार शो ‘कोहिनूर’ के ज़रिये मिला। इस शो का प्रमोशन (Promotion) कुछ इस तरीक़े से किया गया था कि मनीष को शो शुरू होने से पहले ही जमकर पॉपुलरटी (Popularity) मिल गयो थी। दरअसल इस शो के मुंबई शहर में बड़े-बड़े होर्डिंग्स (Hodings) लगवाए गए थे जिसमें मनीष की फोटो के साथ लिखा होता था ‘कोहिनूर – सेंट ऑर सिनर’। इन होर्डिंग्स पर एक दिन फ़िल्म मेकर रामगोपाल वर्मा की भी नज़र पड़ गयी। जल्द ही मनीष के पास एक कॉल (Call) आया जिसमें बताया गया कि रामू आपसे मिलना चाहते है। मनीष फटाफट उनके ऑफिस (Office) पहुंचे जहाँ रामू ने उन्हें अपनी फ़िल्म ‘शबरी’ में एक बड़ा रोल ऑफर (Offer) कर दिया। मनीष को अब यह यक़ीन (Believe) हो गया था कि ‘शबरी’ के बाद सब कुछ बदल (Change) जाएगा। इस फ़िल्म के बाद उनके पास काम की कोई कमी नहीं रहेगी। लेकिन अफ़सोस कि साल 2005 में बनकर तैयार हुई यह फ़िल्म किसी वज़ह से रिलीज़ (Release) से अटक गई। मजबूरन मनीष को एक बार फिर से टीवी की ओर लौटना पड़ा। एक इंटरव्यू (interview)  में मनीष ने बताया था कि उनके साथ ऐसा एक बार और हो चुका है। मनीष ने बताया कि उन्हें करण जौहर ने अपनी चर्चित फिल्म ‘तख्त’ में एक ख़ास किरदार निभाने के लिए साइन किया था। इस फिल्म में रणवीर सिंह, विकी कौशल, अनिल कपूर, आलिया भट्‌ट, करीना कपूर और भूमि पेडनेकर जैसे बड़े कलाकार नज़र आने वाले थे, लेकिन बाद में यह फिल्म भी बंद हो गई।

Manish Wadhwa with John Abraham

टर्निंग प्वाइंट-

मनीष वापस टीवी (Tv) पर लौट आये और शोज़ (Shows) में बिजी (Busy) हो गये। दरअसल तब तक मनीष की शादी हो चुकी थी और स्ट्रगल (Struggle) के साथ-साथ फैमिली (Family) की ज़िम्मेदारी (Responsibility)भी उन्हें निभानी थी। इसलिए टोवी शोज़ (Shows) लगातार करते रहे, उसी दौरान एक दिन मनीष को एक फोन (Phone) कॉल आया। उन्हें बताया गया कि ‘चाणक्य’ पर एक शो (Show) बन रहा है। क्या आप धनानंद और चाणक्य के लिए ऑडिशन (Audition) देना चाहेंगे? मनीष चाणक्य का किरदार (Character) करना चाहते थे लेकिन उनसे पहले धनानंद के लिए ऑडिशन लिया गया औ 45 मिनट बाद ही उन्हें फाइनल (Final) कर लिया गया। मनीष को पता चला कि कोई नामी एक्टर (Actor) चाणक्य का किरदार निभाने वाला है तो उन्होंने उम्मीद (Hope) छोड़ दी। हालांकि 4-5 दिनों के अंदर (Under) ही उन्हें फिर से चाणक्य के लिए ऑडिशन देने के लिए बुलाया गया। मनीष ने वहाँ पहुँच कर ऑडिशन दिया और फाइनली (Finally) चाणक्य के लिए चुन लिए गये। हालांकि इस किरदार के लिये मनीष को अपने लंबे स्ट्रेट बाल, जो कि उनकी यूएसपी (USP थी उन्हें हटाना मनीष को गंवारा नहीं था लेकिन मजबूरन उन्हें गंजा होना ही पड़ा।

गंजापन बना पहचान-दोबारा न बढ़ा सके बाल-
मेकर्स (Makers) की ये शर्त (Condition) कि मनीष को गंजा (Bald) होना पड़ेगा क्योंकि वो प्रोस्थेटिक का इस्तेमाल (Use) नहीं करना चाहते थे। जबकि मनीष को इस बात का डर था कि कहीं एक रोल (Role) के चक्कर में आगे काम मिलना बंद ना हो जाए। मनीष ऐसा करने से टाल मटोल करते रहे, यहाँ तक कि उन्होंने यह किरदार (Character) छोड़ने तक का मन बना लिया। हालांकि चाणक्य के किरदार (Character) से उन्हें मोह भी था। देखते ही देखते शूटिंग (Shooting) का दिन भी आ गया और मनीष के पास अब दो घंटे (Hours) ही बचे थ कैमरे (Room) के सामने आने में। मनीष के मुताबिक “जब मैं 12 बजे सेट (Set) पर गया तो मुझे देखकर यूनिट (Unit) के लोग नाराज हो गए। उन्हें इस बात से हैरानी थी कि 2 बजे का कॉल (Call) टाइम (Time) है और अब तक मैंने बाल क्यों नहीं काटे हैं? शॉट (Short) से पहले बाल शेव (Save) करवाएंगे तो स्क्रीन (Screen) पर वो समझ में आ जाएगा।” मजबूरन मनीष को अपना सिर मुड़ाना ही पड़ा। उन्होंने सोचा कि क्या करना है अपनी ही खेती है, बाल फिर आ जाएंगे लेकिन चाणक्य का किरदार (Character) फिर नहीं मिलेगा। हालांकि मनीष कहते हैं कि ‘इस बात को 12 साल हो गए लेकिन लोगों ने मेरे बाल अब (Now) तक बढ़ने नहीं दिए, हालांकि चाणक्य के किरदार के लिए ‘हां’ कहने के बाद मेरी जिंदगी (Life) बिलकुल बदल (Change) गई।’ दोस्तों यह सच भी है कि मनीष ने टीवी (TV) शो (Show) ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ में चाणक्य के किरदार (Character) को कुछ ऐसा निभाया कि लोग आजतक उन्हें इसी नाम से जानते हैं। हालांकि मनीष यह अच्छी तरह जानते थे कि दूरदर्शन पर प्रसारित (Telecast) पुराने चाणक्य शो (Show) से उनके किरदार की तुलना ज़रूर की जाएगी, जिसे डॉक्टर (Doctor) चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कुछ ऐसा जीवंत कर दिया था कि उनके बाद के किसी भी चाणक्य के किरदार कभी पसंद (Like) ही नहीं किये गये। इस शो की कामयाबी के बाद मनीष के पास काम की कोई कमी न रही, मनीष इसके बाद ‘देवों के देव महादेव’, ‘सिया के राम’, हीरो गायब मोड और ‘इस प्यार को क्या नाम (Name) दूँ-फिर से’ जैसे दर्जन (dozen) भर से ज़्यादा पॉपुलर (Popular) शोज़ (Shows) के अलावा ‘परमावतार श्री कृष्णा’ में ‘कंस’ के रोल में भी दिखाई दिये थे जो काफी पॉपुलर (Popular) हुआ था।

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इस दौरान मनीष ‘पद्मावत’ और ‘मणिकर्णिका’ जैसी फ़िल्मों (Films) में भी नज़र आए थे। मनीष ‘गदर 2’ और पठान से पहले कुछ साउथ (South) फ़िल्मों में भी नज़र आये थे। इसके अलावा मनीष वेब शो छत्रसाल के साथ अपना वेब (Web) डेब्यू (Debut) भी कर चुके हैं।

साउथ की फ़िल्म कर बुरी तरह डरे-
एक इंटरव्यू (Interview) में मनीष ने बताया था कि साउथ (South) की ‘श्याम सिंघा रॉय’ फिल्म (Flms) जब उन्हें ऑफर (Offer) की गयी थी तो उन्हें लगा था कि ये कोई प्रैंक (Prank) कॉल (Call) है। मनीष ने बताया कि, “उन्होंने मुझे कहा कि हम आपको चार महीने (Months) से ढूंढ (Search) रहे हैं, तब तो मुझे लगा कि पक्का ये प्रैंक (Prank) कॉल (Call) हैं। क्योंकि मैं तो मुंबई (Mumbai) में ही हूँ। उन्होंने मुझे कहा कि आपके कॉ-ऑर्डिनेटर (Ordinator) से पता चला कि आप बिजी (Busy) है, आपके पास डेट्स (Dates) नहीं हैं। क्या आप टाइम (Time) दे देंगे सर, हमें आपका टाइम (Time) चाहिए। मैंने कहा, क्यों नहीं। लेकिन मैं एक साथ टाइम (Time) नहीं दे पाउंगा, दो पार्ट में डिवाइड करना होगा। इसके बाद उन्होंने मुझे हैदराबाद आने के लिए कहा। बस मैं डायरेक्टर से मिलने पहुंचा और फिल्म मिल गई, ‘श्याम सिंघा रॉय’ नानी और सई पल्लवी के साथ।”
हालांकि इस फ़िल्म का किरदार बेहद ख़तरनाक था, जिससे मनीष थोड़े डर भी गये थे। मनीष को यहाँ तक लगने लगा था कि कहीं उन्हें पब्लिक से मार ना पड़ जाए। मनीष वाधवा ने बॉलीवुड ठिकाना से बात करते हुए बताया कि जब वह ‘श्याम सिंघा रॉय’ की फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, एक सीन को लेकर वह बहुत डरे हुए थे, क्योंकि यह बेहद इंटेंस और खौफनाक सीन था, जो उन्हें फिल्म की लीड एक्ट्रेस सई पल्लवी के साथ करना था। मनीष ने बताया कि, “फिल्म में मैं महंत के रोल में था, जो फिल्म का लीड विलेन था। लेकिन, बहुत ही खूंखार विलेन, जब उन्होंने मुझे रोल नरेट किया, एक पल के लिए मैं सोच में पड़ गया था। इतना ज्यादा क्रूर विलेन है, इस तरह की घटिया हरकत कर रहा है ये आदमी। कहीं लोग मुझे मार न दें।” मनीष ने इंटरव्यू में आगे बताया कि, “फिल्म में एक सीन था, जिसमें मुझे एक्ट्रेस के ऊपर पी यानि पेशाब करना था। मैं इस सीन को लेकर काफी डर गया था। दरअसल सई पल्लवी को साउथ के लोग बहुत मानते हैं, मैं भी बहुत मानता हूँ। और उनके साथ ऐसा सीन करना बहुत मुश्किल था।” बहरहाल फ़िल्म को लेकर कोई प्रॉब्लम नहीं हुई और वह फ़िल्म आसानी से रिलीज़ हो गयी।

गदर2 ने बदल दी लाइफ-
साल 2023 मनीष के लिए काफी लकी (Lucky) साबित हुआ है क्योंकि इस साल गदर2 के अलावा फिल्म ‘पठान’ भी आई थी जिसमें मनीष वाधवा अहम भूमिका में थे। शाहरुख खान की ये फिल्म (Film) भी ब्लॉकबस्टर (Blockbuster) साबित हुई थी। वहीं ‘गदर 2’ की कामयाबी (Success) अभी लगातार ज़ारी है। इस फ़िल्म की कामयाबी पर मनीष कहते हैं कि, ‘ये ऊपरवाले का आशीर्वाद है और लोगों का प्यार। ऐसा लगता है जैसे जिंदगी बदल गई हो। खासकर करियर (Creer) के लिहाज से। मैं खुद को बेहद सौभाग्यशाली समझता हूं कि मैं इस साल दो सबसे बड़ी हिट (Hit) फिल्मों का हिस्सा रहा। मुझे हर जगह से चारों तरफ से कॉल (Call) आ रहे हैं।’

ख़ास बात कि दोनों ही फ़िल्मों में मनीष पाकिस्तानी आर्मी ऑफिसर के किरदार (Character) में हैं, इसलिए उनके लिए ये किरदार निभाना काफी चैलेंजिंग (Challenging) रहे थे। क्योंकि एक जैसे ही किरदार को उन्हें दो अलग-अलग तरीके से पेश करना था।

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कैसे मिली गदर2-
मनीष के मुताबिक ‘गदर 2’ के लिए उन्हें पहली ही मुलाकात में चुन (Select) लिया गया था। दरअसल मनीष ने फाइट (Fight ) मास्टर रवि वर्मा के साथ अपनी पहली साउथ (South) फिल्म (Film) ‘श्याम सिंघा रॉय फाइट’ की थी। और वही ‘गदर 2’ में भी फाइट मास्टर हैं। उन्होंने गदर2 में विलेन (Villain) के लिए अनिल शर्मा को मनीष की एक क्लिप (Clip) दिखाई थी। अनिल शर्मा को जैसे मनीष की ही तलाश थी, उन्होंने मनीष को बुलवाया और पहली मुलाकात (Meet) में ही सेलेक्ट (Select) लिया। दरअसल वे 6 महीने से उस भूमिका को निभाने के लिए किसी की तलाश (Search) कर रहे थे। मज़े की बात कि मनीष का वीडियो (Video) देखते ही अनिल शर्मा के मुँह से निकला था कि इसने तो चाणक्य का रोल किया था और वे इस एक्टर (Actor) को पसले से ही पसंद करते हैं। इसके बाद मनीष सनी देओल से मिले और बात बन गयी।
हालांकि मनीष ने अपने एक इंटरव्यू (Interview) में यह भी बताया था कि कुछ लोगों द्वारा उन्हें गदर 2 को ना करने की भी सलाह (Advise) दी गई थी, क्योंकि तब अनिल शर्मा, सनी देओल और अमीषा पटेल मार्केट (Market) में एक्टिव (Active) नहीं थे, इसलिए उन्हें यह फिल्म नहीं करनी चाहिए। लेकिन मनीष ने तब यस कहकर ख़ुद को समझाया कि ‘गदर’ फ़िल्म का नाम ही काफी है। जैसे मदर इंडिया, मुग़ले आजम या शोले का नाम अमर है वेसे ही गदर भी अमर है।

सनातन धर्म में अटूट आस्था-
मनीष अपनी जड़ों से और सनातन धर्म से आज भी जुड़े हुए हैं इसका पता हाल ही में तब चला था, जब मनीष अपने ससुर शशिकांत सूरी की अस्थियां (Bones) लेकर हरिद्वार हरकी पैड़ी पहुंचे। इस दौरान मनीष के साथ बेटा (Son), बहन (Sister) व उनकी भांजी भी पहुंचीं थीं। अस्थि विसर्जन के बाद मनीष वाधवा ने  कुशावर्त घाट पर पिंडदान कर्म संपन्न कराए साथ ही पुरखों की वंशावली में नाम भी दर्ज कराया। दरअसल मनीष के ससुर जी, जो कि उनके साथ ही रहते थे और 15 दिनों से बीमार थे, उनकी मौत (Death) को लेकर मनीष ने एक बडा ही दिलचस्प वाकया बताया था। मनीष के मुताबिक, ‘”गदर 2 की सक्सेस (Success) पार्टी के दिन मैं मेरठ गया हुआ था और शाम को मुंबई एयरपोर्ट (Airport) से सीधा पार्टी में पहुंचा। मेरे पार्टी (Party) में पहुंचने से पहले मेरे ससुर मेरी पत्नी प्रियंका को बार- बार फोन (Phone) करके पूछ रहे थे कि मैं पार्टी में पहुंचा कि नहीं। जब मैं पार्टी में पहुंच गया और प्रियंका ने ससुर जी को फोन पर बता दिया कि मैं पार्टी में पहुंच गया तो उनके मुंह (Mouth) से बस इतना निकला, अब ठीक है।”
ख़ास बात कि पार्टी खत्म होने के बाद मनीष वाधवा की बेटी (Daughter) का फोन आया कि नाना जी नहीं रहे। मनीष बताते है कि, ‘जाते- जाते मेरे ससुर बेटी को बोल गए कि अगर मैं पहले मर गया होता तो तुम लोग ‘गदर 2’ की सफलता की खुशी कैसे मनाते?  इतना कहने के 15 मिनट के बाद उनकी मृत्यु (Death) हो गई। उन्होंने न सिर्फ ‘गदर 2’ के रिलीज (Release) होने का इंतजार किया, बल्कि ‘गदर 2’ की सक्सेस पार्टी तक अपने प्राण रोक कर रखे।”

निजी जीवन-
मनीष अपने पिता (Father) के साथ मुंबई (Mumbai) में रहते हैं। मनीष की माँ का देहांत (Death) हो चुका है। मनीष की सास के गुज़र जाने के बाद उनके ससुर भी मनीष के साथ ही रहा करते थे। मनीष की पत्नी का नाम प्रियंका वाधवा है और उनके दो बच्चे हैं। बेटा आश्रित वाधवा और बेटी वंशिका वाधवा।

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