आस्ट्रेलियन क्रिकेट टीम जिसके बल्लेबाज बैनरमैन ने टेस्ट क्रिकेट में पहली बार शतक लगाया था,वो टीम जिसने दुनिया को डोन ब्रैडमैन जैसा बल्लेबाज दिया और आगे चलकर इसी टीम ने विश्व क्रिकेट को अलान बोर्डर, स्टीव वो और रिकी पोंटिंग जैसे धुरंधर कप्तानों से भी रुबरु करवाया था।
अपनी बादशाहत में बादशाहों जैसी शख्सियत रखने वाले कई खिलाड़ियों वाली इस टीम को 90’s के शुरुआती सालों में एक ऐसा खिलाड़ी भी मिला जिसे देखकर कोई ये नहीं कह सकता था कि ये उसी आस्ट्रेलियाई टीम का सबसे सफल गेंदबाज हैं जिसकी गूंज विश्व क्रिकेट के हर कोने में सुनाई दे रही है।
एक ऐसा खिलाड़ी जिसके पास अपने साथियों की तरह ना डरावनी आंखें थीं ना लम्बी मूंछें और ना स्लेज करने का तरीका, लेकिन उसकी गेंदें किसी भी बल्लेबाज को दहलाने के लिए काफी थी।
ग्लेन मैकग्राथ का शुरुआती जीवन-
टेस्ट क्रिकेट इतिहास के दुसरे सबसे सफल तेज गेंदबाज नाम ग्लैन मैक्ग्राथ, 9 फरवरी 1970 को आस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में जन्म हुआ और जब तीन साल के हुए तो माता पिता न्यू साउथ वेल्स के नैरोमाईन कस्बे में शिफ्ट हो गए।
एक पतला दुबला लम्बे कद का लड़का जिसे बास्केटबॉल से लेकर टेनिस और क्रिकेट तक हर तरह के खेल से प्यार था लेकिन जब अपनी प्रतिभा की समझ होने लगी तो यह प्यार क्रिकेट की तरफ पुरी तरह से शिफ्ट हो गया था।
स्कूल के दौरान इनके दोस्त मैक्ग्राथ से कहते थे कि तुम कभी क्रिकेटर नहीं बन पाओगे और तेज गेंदबाज तो बिल्कुल नहीं और उनकी इसी सोच के कारण इन्हें जूनियर क्रिकेट टुर्नामेंट्स की टीम में शामिल भी नहीं किया जाता था।
लेकिन मैक्ग्राथ ने तो सोच लिया था कि उन्हें आस्ट्रेलिया का सबसे सफल तेज गेंदबाज बनना है और इसलिए उन्होंने खुद को अपने तरीके से तैयार करना शुरू कर दिया, खाली मैदानों पर पसीना बहाने के बाद 44 गैलन के एक ड्रम को निशाना बनाकर अपनी लाईन लेंथ पर काम करना इनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गया था।
एक दिन आस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर डग वाल्टर की नजर एक दुबले लड़के पर पड़ी और उन्हें उस लड़के की गेंद में कुछ ऐसी विशेषताएं नजर आई जो तेज गेंदबाजी में क्रांति ला सकती थी।
डग वाल्टर ने मैक्ग्राथ से सिडनी जाकर अपनी गेंदबाजी को तरासने की सलाह दी जिसे मानकर ग्लैन सिडनी तो आ गए लेकिन वहां उनके पास न रहने के लिए घर था और ना खाने के लिए पैसे, ऐसी स्थिति में इन्होंने खुले आसमान के नीचे कारवां बीच पर लगभग छः महीने गुजारे।
मैकग्राथ ने इसी बीच बैंक में भी काम किया और इनके कुछ दोस्तों की मानें तो ये कागज पर अपना नाम लिखकर इनके साथ काम करने वाली लड़कियों को देते और कहते इसे सम्भाल कर रखना क्योंकि एक दिन मैं बहुत बड़ा आदमी बनने वाला हुं।
यह भी पढ़ें:- युवराज की पाँच सबसे ख़तरनाक पारियाँ।
ग्लेन मैकग्राथ का क्रिकेट में शुरूआत-
ग्रेड क्रिकेट खेलने के मकसद से सिडनी आए मैक्ग्राथ ने 1992 में अपना फस्ट क्लास डेब्यू किया और आठ मैचों के बाद 12 नवंबर 1993 के दिन इन्हें आस्ट्रेलियाई टीम की तरफ से बुलावा आ गया।
शुरुआत साधारण रही लेकिन अपनी अगली सीरीज में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलते हुए इन्होंने अपनी शानदार गेंदबाजी की पहली झलक विश्व पटल पर रखी जिसे देखने वाली हर नज़र चौंधिया गई थी।
लगभग एक दशक से अजेय चल रही वेस्टइंडीज की टीम जिसके खिलाफ खेलते हुए आस्ट्रेलियाई टीम एक अरसे से टेस्ट सीरीज नहीं जीत रही थी उस टीम को एक नए गेंदबाज ने रौंद दिया था।
मैकग्राथ ने इस सीरीज में कुल 17 विकेट लिए और आस्ट्रेलिया यह सीरीज 2 -1 से जीत गई, वेस्टइंडीज ने 15 सालों बाद अपनी टेस्ट की नंबर वन रैंकिंग को खो दिया था।
वेस्टइंडीज को धाराशाई करने वाले इस गेंदबाज के पास उस जमाने के अन्य गेंदबाजों की तरह घातक रफ्तार नहीं थी लेकिन गेंद को लगातार एक जगह पर डालते रहने की काबिलियत और 6 फुट छः इंच लम्बाई इन्हें दुसरो से अलग और एक खास गेंदबाज बनाती थी।
अपने पहले एशेज दौरे के दुसरे टेस्ट मैच के दौरान इंग्लैंड की टीम को ढेर कर देने वाला मैक्ग्राथ का 38 रन देकर आठ विकेट चटका देने वाला वो अविस्मरणीय कारनामा सबको याद है और सबको ये भी याद है कि इस गेंदबाज ने अपने करियर में माईक एथर्टन को कभी नहीं बख्शा, 19 बार किसी एक बल्लेबाज को आउट करना अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
ब्रायन लारा, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ के अलावा दुनिया के कई बड़े नाम इस गेंदबाज की सोच और सटीकता की दाद देते हैं।
ग्लैन मैक्ग्राथ के टीममेट ब्रेड मैक्नमार इनकी पतली टांगों की तरफ इशारा करते हुए कहते थे कि तुमने किसी कबूतर से टांगें चुराई है, यही वजह है कि इस गेंदबाज को लोग पीजन के उपनाम से जानने लगे थे।
जुलाई 2004 में भारत के खिलाफ खेलते हुए नागपुर के मैदान पर मैक्ग्राथ आस्ट्रेलिया की तरफ से 100 टेस्ट मैच खेलने वाले पहले तेज गेंदबाज बन गए थे।
सबसे ज्यादा बल्लेबाजों को शून्य पर आउट किया-
मैकग्राथ ने 2005 एशेज के पहले टेस्ट में मार्कस ट्रैस्कोथिक को आउट कर टेस्ट क्रिकेट में अपने 500 विकेट पुरे किए थे, साथ ही इन्होंने अपने करियर में 104 बार बल्लेबाजों को शून्य पर आउट किया है जो आज भी एक वर्लड रिकॉर्ड है। ब्रायन लारा को बोल्ड कर इन्होंने अपने टेस्ट करियर में 300 विकेट का आंकड़ा छुआ था।
2005 के यादगार एशेज सीरीज के पहले मैच में 31 गेंदों में इंग्लैंड के पांच बल्लेबाजों को पवैलियन भेजने वाले उस स्पैल के बाद अगले मैचों में मैक्ग्राथ की नामौजूदगी आस्ट्रेलिया की हार का सबसे बड़ा कारण मानी जाती है जिसकी भरपाई मैक्ग्राथ ने अगले एशेज में अपने शानदार प्रदर्शन से पुरी कर दी थी।
मैकग्राथ ने इंग्लैंड के खिलाफ कुल 30 टेस्ट मैच खेले थे जिनमें से लगभग 22 मैचों में इन्होंने आस्ट्रेलिया को जीत दिलाई थी। शेन वार्न और मैक्ग्राथ की जोड़ी को टेस्ट इतिहास की सबसे सफल जोड़ियों में गिना जाता है, इस जोड़ी ने एशेज में लगभग 300 विकेट चटकाए हैं जिनमें इंग्लैंड के कुछ महानतम बल्लेबाजों के नाम भी शामिल है।
साल 2003 में वेस्टइंडीज की धरती पर खेले जाने वाली टेस्ट श्रृंखला के पहले दो मैचों में ग्लैन मैक्ग्राथ टीम का हिस्सा नहीं थे क्योंकि उनकी पत्नी जेन उस समय सैकेंडरी कैंसर से जूझ रही थी लेकिन तीसरे मैच से पहले अपनी पत्नी की बात मानकर मैक्ग्राथ इस दौरे में शामिल हो गए थे।
इस दौरे के चौथे मैच के दौरान शानदार बैंटिग कर रहे श्रवण को खराब प्रदर्शन और अपनी पत्नी की बीमारी से परेशान मैकग्राथ ने कुछ ऐसा कह दिया था जिसे उनके स्वभाव और व्यक्तित्व को देखकर स्वीकार करना मुश्किल है लेकिन इसके जवाब में श्रवण ने भी मैकग्राथ की पत्नी के बारे में एक ऐसी बात बोल दी जिसे सुनकर मैक्ग्राथ ने सरवन से कहा अगर तुमने फिर से ऐसी बात कही तो मैं तुम्हारी गर्दन चीर दुंगा, हालांकि सरवन को जब जेन की हालत के बारे में पता चला तो उन्होंने मैकग्राथ से माफी मांग ली थी।
साल 2006 के एशेज का पांचवां टेस्ट मैच इनके करियर का आखिरी टेस्ट मैच था जिसमें अपनी आखिरी गेंद पर विकेट लेकर इस गेंदबाज ने अलग अंदाज में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा था।
टेस्ट क्रिकेट की तरह वनडे क्रिकेट को भी इन्होंने अप्रतिम तरीके से अलविदा कहा था, 2007 के वर्ल्डकप में 26 विकेटों के साथ प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहने वाले इस गेंदबाज ने अपने करियर को जिस तरह अलविदा कहा वैसा मौका हर किसीको नसीब नहीं होता है।
ग्लैन मैक्ग्राथ का खेल प्रदर्शन और आकड़े-
मैकग्राथ ने अपने करियर में कुल 124 मैच खेले जिनमें इनके विकेटों का आंकड़ा 563 है,29 बार फाइव विकेट होल लेने वाले इस गेंदबाज का सबसे अच्छा प्रदर्शन पाकिस्तान के खिलाफ पर्थ के मैदान पर देखने को मिला था जहां इन्होंने 24 रन देकर आठ विकेट लिए थे।
वर्ल्डकप इतिहास के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज मैकग्राथ ने अपने वनडे करियर में कुल 250 मैच खेले और कुल 381 विकेट लिए जिनमें 15 बार फाइव विकेट होल भी शामिल है।
मैकग्राथ के पास गेंद को एक लाईन और लेंथ पर डालने का ऐसा हुनर था कि अगर उन्हें एक सिक्के पर गेंद डालने को कहा जाए तो वो यह काम दिन भर कर सकते हैं, ऐसी ही सटीकता इस गेंदबाज की याददाश्त में भी देखने को मिलती हैं, सैकंडों अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेलने के बाद और अनगिनत यादगार स्पैल डालने के बावजूद भी इस गेंदबाज को अपनी हर टेस्ट विकेट आज भी याद है, बल्लेबाज का नाम, विकेट नंबर से लेकर स्टेडियम तक, हर्षा भोगले से एक वार्तालाप के दौरान मैक्ग्राथ ने इस बात को साबित भी किया था।
ग्लैन मैक्ग्राथ का पारिवारिक जीवन-
ग्लैन मैक्ग्राथ मैदान पर बल्लेबाज के दिमाग से खेलने वाला इस गेंदबाज ने 2002 में मैकग्राथ फाउंडेशन की स्थापना की थी जो ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों के लिए काम करती है लेकिन इस काम के पीछे की प्रेरणा यानी की मैकग्राथ की पत्नी जेन का निधन 2008 को हो गया था।
जेन के बाद मैकग्राथ ने साल 2010 में दुसरी शादी सारा मैकग्राथ से की थी।
आईसीसी क्रिकेट होल ओफ और तीन बार वर्ल्ड चैंपियन रह चुके फेम मैकग्राथ वर्तमान में एमारएफ पेश फाउंडेशन में डायरेक्टर के तौर पर तेज गेंदबाजों की नई पीढ़ी के साथ अपने अनुभव साझा करने के काम में लगे हुए हैं।
Watch On Youtube-