राहुल द्रविड़ भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने टीम की जरूरत के हिसाब से खुद को ढालने की शानदार मिसाल कायम की थी, उन्होंने टीम को जरूरत पड़ने पर खुद को कीपर भी बना लिया था इसके अलावा लगभग हर मैच में टीम की जरूरत को देखते हुए ही अपना परफोर्मेंस राहुल द्रविड़ ने दिया था।
यह एक इत्तेफाक ही है कि आज की भारतीय टीम में अपने देश के लिए कुछ इसी तरह की भूमिका निभाने वाले खिलाड़ी का नाम भी राहुल ही है जो टीम की जरूरत के हिसाब से कुछ भी करने को तैयार हो जाता है।
के एल राहुल (KL Rahul) की जीवनी-
18 अप्रैल साल 1992 को कर्नाटक के मैंग्लुरु शहर में पिता के एन लोकेश और मां राजराजेश्वरी के घर उनकी पहली संतान का जन्म हुआ था जिसका नाम कन्नूर लोकेश राहुल रखा गया।
राहुल के पिता नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कर्नाटक में सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट प्रोफेसर के तौर पर काम करते हैं इससे पहले राहुल के पिता NIT कर्नाटक में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत थे।
राहुल की मां मैंगलोर यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री की प्रोफेसर के तौर पर काम करती है, राहुल की एक छोटी बहन भी है जिसका नाम भावना है।
राहुल के पिता क्रिकेट के दीवाने हैं और उन्हें सुनील गावस्कर का खेल बहुत पसंद था इसलिए जब उनके घर बेटे का जन्म हुआ तो वो अपने बेटे का नाम सुनील गावस्कर के बेटे के नाम पर रखना चाहते थे लेकिन एक दिन रेडियो पर कोमेट्री सुनते समय राहुल के पिता ने सुनील गावस्कर के बेटे का नाम रोहन की जगह राहुल सुन लिया था और इस तरह राहुल को अपना नाम एक गलतफहमी के चलते मिला था।
राहुल की शुरुआती पढ़ाई NITK इंग्लिश मिडियम स्कूल से हुई थी जिसके बाद उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई के लिए अपना दाखिला बैंगलोर की जैन कोलेज में करवा लिया था जहां इनके साथ हिंदी सिनेमा की अभिनेत्री निधी अग्रवाल भी थी।
घर में पढ़ाई लिखाई का माहौल था और राहुल भी पढ़ाई लिखाई में बहुत अच्छे थे लेकिन उनका मन छोटी उम्र से ही धीरे धीरे क्रिकेट के खेल की तरफ बढ़ने लगा था, 10 साल की उम्र में पहली बार क्रिकेटर बनने की इच्छा मन में लिए बल्ला थामने वाले राहुल का साथ उनके पिता ने भी बखूबी दिया था।
के. एल. राहुल (KL Rahul) का क्रिकेट करियर-
राहुल के पिता अपने बेटे को हर शाम बैटिंग की प्रेक्टिस करवाया करते थे लेकिन फिर आसपास के पड़ोसियों की शिकायते बढ़ने लगी थी क्योंकि राहुल उनकी खिड़कियों के शीशे तोड़ देता था, यही वजह रही कि राहुल के पिता ने अपने बेटे को प्रोफेशनल क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलवाने का फैसला किया।
ग्यारह साल की उम्र में राहुल को उनके पिता कोच सेमुएल जयराज के पास ले गए और यहां से राहुल का एक लम्बा सफर शुरू हो गया था।
राहुल को सेमुएल ने बैटिंग के साथ विकेटकीपर की भूमिका के लिए भी तैयार करना शुरू कर दिया था, इसके बाद राहुल ने under 13 में शामिल होने के लिए ट्रायल दिया जिसमें राहुल को नहीं चुना गया था, राहुल ने दुबारा प्रयास किया और इस बार उनका सलेक्शन हो गया था।
इस दौरान का एक किस्सा यह भी सुनने को मिलता है कि सेमुएल राहुल को चिन्नास्वामी स्टेडियम भी ले जाया करते थे जहां राहुल द्रविड़ प्रेक्टिस किया करते थे, सेमुएल राहुल को द्रविड़ की टेक्निक को नजदीक से ओब्जर्व करने के लिए कहते थे और ऐसा राहुल ने लगातार सात दिनों तक किया था जिससे इस बल्लेबाज की बैटिंग में अच्छे परिवर्तन देखने को मिले थे।
एक दिन राहुल द्रविड़ सेमुएल के पास आए और उनसे कहा कि तुम इस लड़के पर ध्यान दो ये लड़का बहुत अच्छा खेलता है ये बहुत आगे जाएगा।
राहुल जब 15 साल के हुए तो दसवीं कक्षा में उन्होंने अच्छे अंक प्राप्त किए थे जिसे देखते हुए उनकी मां ने राहुल को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने को कहा लेकिन राहुल अब पढ़ाई के झंझट में नहीं पड़ना चाहते थे इसलिए उन्होंने कोमर्स विषय के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया जो उन्हें आसान लगता था।
राहुल बताते हैं कि उनकी मां क्रिकेटर बनने के बाद भी उनसे नाराज़ रहती है क्योंकि मैं इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल नहीं कर पाया।
राहुल की मां को राहुल का क्रिकेट में जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था वो चाहती थी कि उनका बेटा एक अच्छा सा काम करें जो टिकाऊ हो और इस पर बात करते हुए राहुल ने कोफी विथ करण शो पर बताया था कि उन्होंने रिजर्व बैंक ओफ इंडिया में साल 2018 से असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर भी काम करना शुरू कर दिया था ताकि उनकी मां खुश रहें, राहुल अपनी मां के लिए आज भी अपने इस पद पर बने हुए हैं।
अपनी उम्र के पन्द्रहवें साल में ही राहुल ने डेविड बैकहम से प्रभावित होकर अपने शरीर पर पहला टेटू खुदवाया था और इस बात से भी उनकी मां काफी नाराज़ हुई थी लेकिन राहुल शुरू से ही एक रिबेलियस लड़के थे उन्हें अपने मन का करना पसंद था इसलिए उन्होंने आगे भी अपना यह शौक जारी रखा और आज उनके शरीर पर कई टेटू है।
खैर राहुल जब 18 साल के हुए तो साल 2010 -11 सीजन में उन्होंने फस्ट क्लास क्रिकेट में पदार्पण किया और फिर उसी साल राहुल को भारत की अंडर नाईनटीन टीम में भी शामिल कर लिया गया था जिसमें इनके बल्ले से कुल 143 रन ही निकल पाए थे।
अंडर नाईनटीन में खराब प्रदर्शन को देखते हुए राहुल को अगले सीजन में रणजी ट्रॉफी में मौके नहीं मिल पाए थे लेकिन फिर इस खिलाड़ी के डोमेस्टिक क्रिकेट में 2013-14 का सीजन नई खुशियां लेकर आया और इस सीजन राहुल के बल्ले से 1033 रन आए थे और यह खिलाड़ी इस सीजन में रनों के मामले में दुसरे स्थान पर रहा था।
के एल राहुल (KL Rahul) का आईपीएल (IPL) करियर-
साल 2013 में ही पहली बार राहुल आईपीएल में बैंगलोर की टीम से खेलते हुए नजर आए लेकिन यहां उनका प्रदर्शन इतना शानदार नहीं रहा था।
लेकिन डोमेस्टिक क्रिकेट में राहुल का बल्ला आग उगल रहा था, 2014-15 सीज़न में साउथ जोन के लिए खेलते हुए राहुल ने दिलीप ट्रॉफी के फाइनल में सेन्ट्रल जोन के खिलाफ खेलते हुए एक मैच की दोनों पारियों में शतक जड़ने का कारनामा किया था।
इसी प्रदर्शन को देखते हुए बोर्डर गवास्कर ट्रोफी के लिए आस्ट्रेलिया जाने वाली भारतीय टीम में राहुल को शामिल कर लिया गया था।
26 दिसंबर साल 2014 के दिन रोहित शर्मा की जगह राहुल को टीम में शामिल किया गया और महेन्द्र सिंह धोनी के हाथों से अपनी टेस्ट कैप लेकर यह खिलाड़ी मेलबर्न के मैदान पर अपना पहला टेस्ट मैच खेलने उतरा था।
इस मैच में राहुल दोनों पारियों में असफल रहे और इस असफलता ने उनको अन्दर से झकझोर कर रख दिया था, राहुल के मन में तरह-तरह के विचार आने लगे थे, राहुल को टीम से बाहर होने का डर भी सताने लगा था और यहां उनको इन विचारों से बाहर लाने का काम टीम के बाकि खिलाड़ियों ने किया था।
शुरुआत विराट कोहली ने की और वो राहुल को मैच खत्म होने के बाद अगली शाम को होटल ले गये थे जहां अनुष्का शर्मा भी उनके साथ थी।
इसके बाद दुसरे मैच से पहले सात दिनों तक टीम का कोई ना कोई खिलाड़ी राहुल के साथ रहता था जिससे कि उनके मन में बुरे विचार ना आ सके, महेन्द्र सिंह धोनी ने इस दौरान राहुल को कई किस्से सुनाते हुए यह समझाया कि असफलता हर खिलाड़ी के करियर में आती है और उनसे लड़कर आगे बढ़ने वाला ही महान बनता है।
इन सब बातों का असर भी राहुल के मन पर देखने को मिला, राहुल दुसरे मैच से एक दिन पहले का किस्सा बताते हुए कहते हैं कि वो उस दिन सिडनी के उस मैदान पर गये जहां अगला मैच होने वाला था और वहां उन्होंने बोर्ड पर ब्रायन लारा और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ियों के नाम देखें जो सिडनी के मैदान पर शतक लगा चुके थे और अब राहुल ने भी सोच लिया कि उन्हें अगले मैच के बाद इस बोर्ड पर अपना नाम देखना है।
अगले मैच में ऐसा ही हुआ, कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने उन्हें ओपनिंग करने का मौका दिया और मुरली विजय के साथ खेलते हुए राहुल ने अपना पहला टेस्ट शतक लगा दिया।
इस सीरीज के बाद वापस अपने देश आने के बाद राहुल कर्नाटक की टीम की तरफ से खेलते हुए तिहरा शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए थे, राहुल ने यह कारनामा उत्तरप्रदेश के खिलाफ खेलते हुए किया था जहां इस बल्लेबाज के बल्ले से 337 रन निकले थे।
आगे श्रीलंका दौरे पर मुरली विजय की जगह राहुल को टीम में शामिल किया गया और यहां राहुल ने अपना दुसरा शतक लगाकर मैन ऑफ द मैच अवार्ड अपने नाम किया था, इस दौरान राहुल को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में विकेटकीपिंग करते हुए भी देखा गया था।
ग्यारह जून साल 2016 को राहुल ने वनडे क्रिकेट में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपना पहला मैच खेला जिसमें कई नये खिलाड़ियों को मौका दिया गया था, राहुल ने इस मौके को भुनाने का काम किया और अपने पहले ही वनडे मैच में शतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बन गए थे।
इसी दौरे के दौरान राहुल ने टी20 क्रिकेट में पदार्पण किया था लेकिन वहां अपने पहले मैच में यह बल्लेबाज शून्य के स्कोर पर आउट हो गया था। आगे राहुल वेस्टइंडीज में अपना पहला मैच खेलते हुए शतक लगाने वाले खिलाड़ियों में शामिल हो गए थे जिसके बाद राहुल सबसे कम 20 इनिंग्स में क्रिकेट के तीनों फोर्मेट्स में शतक लगाने वाले खिलाड़ी भी बन गए थे।
इसी दौरान राहुल टी20 क्रिकेट में हिट विकेट होने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज भी बन गए थे। साल 2019 की शुरुआत इस खिलाड़ी के लिए अच्छी नहीं रही, करण जौहर के टीवी शो कोफी विथ करण से उपजे विवाद के कारण इन्हें भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर कर दिया गया, इस दौरान कई दिनों तक यह खिलाड़ी अपने घर से बाहर निकलने से भी डरने लगा था।
इसके बाद कुछ ही दिनों में इन पर लगी पाबंदियों को हटा दिया गया और राहुल फिर से टीम में अपनी जगह तैयार करने में जुट गए थे।
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2019 के वर्ल्डकप के एल राहुल (KL Rahul) का चयन-
अप्रैल 2019 में वर्ल्डकप के लिए इंग्लैंड जाने वाली भारतीय टीम में राहुल को शामिल किया गया और क्रिकेट के सबसे बड़े मंच पर खेलते हुए राहुल ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था, टीम की जरूरत के हिसाब से खेलते हुए राहुल ने श्रीलंका के खिलाफ शानदार शतक लगाया और आगे भी भारत को सेमीफाइनल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इसके बाद कुछ समय के लिए राहुल को टीम से बाहर भी रहना पड़ा था, जिसके चलते इस खिलाड़ी ने अपने खेल पर ध्यान दिया और आईपीएल में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से एक बार फिर टीम में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे थे
अक्टूबर साल 2020 में राहुल को भारत की वनडे और टी20 टीम का वाइस कैप्टन भी बनाया गया जिसके बाद राहुल को बोर्डर गवास्कर ट्रोफी के लिए भी टीम में शामिल किया गया था लेकिन यहां अपनी चोट के कारण राहुल अपनी जगह प्लेइंग इलेवन में बरकरार नहीं रख पाए थे।
आगे राहुल को इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली टेस्ट सीरीज में भी जगह नहीं मिल पाई थी, वनडे और टी20 में मौका मिला लेकिन वहां राहुल टी20 सीरीज में अपनी फोर्म से लगातार जूझते हुए नजर आए थे।
चार टी20 मैचों में सिर्फ 15 रन बनाने के बाद राहुल को सीरीज के आखिरी मैच में बाहर कर दिया गया था। वनडे सीरीज में राहुल ने अपने हुनर का जौहर दिखाया और दुसरे मैच में शतक पूरा किया जिसके चलते इन्हें इंग्लैंड के खिलाफ साल 2021 में होने वाली टेस्ट सीरीज में शामिल किया गया था।
राहुल का प्रदर्शन यहां भी शानदार रहा, रोहित शर्मा के साथ खेलते हुए राहुल ने इस सीरीज में कुल 315 रन बनाए थे। आगे राहुल को टी20 वर्ल्ड कप टीम में शामिल किया गया जहां स्कोटलैंड के खिलाफ खेलते हुए राहुल ने 18 गेंदों में अर्धशतक पूरा किया था।
हाल ही में साउथ अफ्रीका जाने वाली भारतीय टेस्ट टीम में राहुल को वाइस कैप्टन के तौर पर शामिल किया गया था जहां पहले मैच में इस बल्लेबाज ने 123 रनों की पारी खेली थी जिसके बाद अगले मैच में कोहली की जगह राहुल भारत की कप्तानी करते हुए भी नजर आए थे।
आगे रोहित शर्मा की नामौजूदगी में राहुल ही भारत को वनडे क्रिकेट में लीड करने वाले है। बात करें इनके आईपीएल करियर की तो अपने पहले सीजन के बाद सनराइजर्स हैदराबाद की तरफ से भी राहुल खेलते हुए नजर आए थे जिसके बाद राहुल को फिर से बैंगलोर में शामिल कर लिया गया था।
साल 2018 में पंजाब ने ग्यारह करोड़ की बड़ी रकम देकर इस खिलाड़ी को अपनी टीम में शामिल कर लिया था और उस सीजन के पहले ही मैच में राहुल ने 14 गेंदों में अर्धशतक लगाकर अपने चुनाव को सही साबित भी किया था।
जिसके बाद राहुल पंजाब की टीम को आईपीएल में लीड करते हुए नजर आए थे और इनकी कप्तानी में पंजाब की टीम ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया था।
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