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अमित साध फ़िल्म इंडस्ट्री का वो उभारत सितारा जिसे कभी इंडस्ट्री वालों ने ही बैन कर दिया

“कहते हैं “नीति और नियत” किसी भी इंसान को अर्श पर पहुंचा सकती है तो फर्श पर लाकर भी पटक  सकती है” यानि की अगर  जीवन में सफलता पाने के लिए आपकी नियत अच्छी है और उस सफलता को हासिल करने का जज्बा तथा उसके लिए उठाये गये कदम अच्छे हों तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक पायेगा।

यह सभी बातें हमारे आज के उस कलाकार पर चरितार्थ होती हैं जिन्होंने अपने फ़िल्मी करियर को अपने  दम पर फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया. बात हो रही है  भारतीय सिनेमा और वेब सीरीज के सबसे बेहतरीन – चर्चित कलाकारों में से एक अमित साध की .

जी हाँ ,अमित साध एक ऐसा फ़िल्मी सितारा जो इस अभिनय की दुनिया के फलक पर तो वर्ष 2001 से मौजूद  हैं लकिन उसकी चमक अब जाके फैलना शुरू हुई है।

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अमित साध का परिचय

अमित साध का परिचय-

5 जून 1983 को जम्मू में जन्मे अमित के परिवार में वर्तमान में उनकी बड़ी बहन  अनु गौर हैं। अमित का बचपन बहुत ही परेशानियों में गुजरा भारतीय सेना में कार्यरत उनके पिता रामचंद्र डोगरा हॉकी के नेशनल स्तर के खिलाड़ी थे लेकिन जब अमित 16 साल के थे तभी उनका देहांत हो गया। उस वक़्त अमित लखनऊ के ला-मार्टिनर में कक्षा ग्यारहवी में पढ़ते थे।

पिता की मौत के बाद आर्थिक परेशानियों से जूझते हुए अमित को अपनी पढाई छोड़ देनी पड़ी और ये रोज़ी -रोटी की तलाश में दिल्ली चले आये। कई ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी में यही बताया जाता है कि अमित ने एक्टिंग में अपना करियर बानने के लिए घर छोड़ा था लेकिन ये सभी जानकारी गलत है।

अमित अपने घर छोड़ने की वजह का जिक्र ज्यादा तो नहीं करते लेकिन एक इंटरव्यू में अमित ने खुद बताया कि उनके पिता के जाने के बाद उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा घटित हुआ जिसके कारण उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा। खुद अमित के शब्दों में “कोई इंसान अगर घर से भागता है ,तो वह बहुत तकलीफ में होता है। वह  एक्टिंग के लिए नहीं भागता “ अमित ने उस वक़्त एक्टिंग का सोचा भी नहीं था.  वो फ़ुटबाल खेला करते थे और उनके पिताजी का सपना था की अमित भी आर्मी ज्वाइन करें , लेकिन होता वही है जो नियति में नियत होता है और ये रस्ते खुदबखुद खुलने लगते हैं।

पिता की मृत्यु के बाद से ही अमित का संघर्ष प्रारंभ हो चुका था।16 साल की उम्र में घर से भागकर दिल्ली आये अमित का लक्ष्य उस समय कुछ बनना नहीं  बल्कि  सिर्फ जिंदा बने रहना था।

अमित का संघर्ष भी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं था खुद अमित ने एक इंटरव्यू में बताया है कि “ वह दूसरों  के घर में नौकर का काम किया करते थे , वहां रहकर वह झाड़ू – पोछा बर्तन साफ़ किया करते थे .चूँकि वह लखनऊ के बेहतरीन स्कूल में पढ़े थे इस  कारण उनकी इंग्लिश बहुत अच्छी थी और इतनी अच्छी थी जितनी उनके मालिक के बच्चे भी नहीं बोल पाते थे बस इसी के कारण उन्हें वहां  काम से निकाल दिया गया।”

इसके बाद अमित ने दिल्ली में सिक्यूरिटी गार्ड का काम किया। परेशानियां दिन पर दिन बढ़ती जा रहीं थी और किन्ही भी समस्या का समाधान नहीं निकल रहा था। रोज़ रोज़ के संघर्ष से तंग आ कर अमित ने एक दिन उसी  बिल्डिंग की छत से कूदकर आत्महत्या करने का प्रयास किया जिसमें वह सेक्युर्टी गॉर्ड की नौकरी कर रहे थे।

ऊपर वाले का शुक्र था की उनके एक दोस्त ने ऐन मौके पर आकर उनको बचा लिया। संघर्ष के दिनों में अमित फुटपाथ पर सोये , तो सेल्समेन का काम भी किया। एक और जहाँ इस संघर्ष ने अमित को मज़बूत बनाना शुरू किया तो वहीँ उनमें आक्रोश के बीज बोना भी शुरू कर दिया।

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अमित साध का फिल्म संघर्ष की शुरुआत

अमित साध का फिल्म संघर्ष की शुरुआत-

इसके बाद अमित एक्टिंग और मॉडलिंग में करियर बनाने मुंबई आ गए और यहाँ फिल्म इंडस्ट्री में अपने संघर्ष की शुरुआत की .अमित मुंबई तो आ गए  लेकिन न तो इन्हे एक्टिंग आती थी और न ही इन्होने ज्यादा फ़िल्में देखी थीं . फिर भी वह  इस समर में  कूद चुके थे ।

शुरूआती रिजेक्शन के बाद अमित को अपना पहला ब्रेक टीवी धारावाहिक “क्यों होता है प्यार” में मिला  जो उस समय काफी पसंद भी किया गया लेकिन अमित को उनकी ख़राब एक्टिंग के चलते 3 एपिसोड के बाद ही  निकाल दिया गया। इसके बाद अमित को दुर्गेश नंदनी , कोहिनूर और मिस इंडिया जैसे सीरियल में भी काम मिला  लेकिन अपनी कमज़ोर एक्टिंग और गुस्सैल स्वाभाव के कारण उन्हें उन कामों से भी हाथ धोना पड़ा।

अमित खुद कहते हैं की -” उन दिनों मुझे बहुत गुस्सा आता था और मैं अपने लिए कुछ भी गलत सहन नहीं कर पाता इसलिए मुझे काम तो मिलता था लेकिन  जल्द ही मुझे काम से निकाल भी दिया जाता था। इसी दौरान अमित नच बलिये , बिग बॉस सीजन 1 और फियर फेक्टर खतरों के खिलाड़ी जैसे रियलिटी शो में भी नज़र आये लेकिन इन सब ने भी अमित के एक्टिंग करियर को कोई सहारा नहीं  दिया।

एक समय ऐसा भी आया  जब अमित की एक्टिंग टीवी के लिए  निखर कर अच्छी हो चुकी तब भी उनके बेबाक स्वभाव के कारण टीवी इंडस्ट्री में उन्हें काम नहीं मिल रहा था, बेबाक स्वभाव और गलत को स्वीकार न करने की आदत के कारण टीवी इंडस्ट्री ने उन्हें बैन भी कर दिया।

इन सबके चलते अमित ने फिल्मों की तरफ रुख करने का विचार किया, लेकिन फिल्मों में भी उन्हें कोई पूंछने वाला नहीं था . लोग कहते जो बंदा TV में नहीं चल पाया वो फिल्मों में क्या काम करेगा , आठ साल लम्बे समय के बाद  अमित  का करियर पूरी तरह से तबाह हो चुका था। सभी तरफ से निराशा ही हाथ लग रही थी। ऐसे में कोई भी आसानी से टूट नहीं मानी। लेकिन जुझारूपन तो अमित के  स्वाभाव में ही  था इसी कारण अब भी उन्होंने हार नहीं मानी।

हमने ऊपर बात की नीति और नियत के बारे में। यहाँ अमित की नियत तो अच्छी थी लेकिन अब वक़्त आ गया था अमित को अपनी नीति में भी बदलाव करने की। इसलिए अमित ने अब एक्टिंग सीखने का निर्णय लिया और एक्टिंग सीखने के लिए वो न्यूयॉर्क के ली स्ट्रासबर्ग थियेटर एंड फिल्म इंस्टिट्यूट पहुँच गए। जो हॉलीवुड के बेहतरीन एक्टिंग स्कूल में से एक है जहाँ से क्रिस एवंस, स्कारलेट जोंसन और अन्जिलना जॉली जैसे स्टार्स ने भी एक्टिंग सीखी है।

वापस आकर अमित ने अपने करियर की दूसरी पारी का संघर्ष शुरू किया। लेकिन इंडस्ट्री में अब भी लोग उन्हें हत्सोसाहित करने  की कोशिश में लगे रहते , सभी उन्हें तरह तरह की सलाह देते थे कुछ का कहना होता था की एक्टिंग तो अच्छी है लेकिन चेहरा हीरो के लायक नहीं , तो कोई कहता था की आपके चेहरे में वो बात नहीं जो दोबारा देखने का मन करे  फिल्मों में कोई क्यों देखेगा ,

लेकिन अमित अब काफी बदल चुके थे उन्होंने अपना गुस्सा और अपना आक्रोश सिर्फ और सिर्फ अपनी एक्टिंग पर लगा दिया .संघर्ष ज़ारी रहा और फिर अमित को उनकी पहली फिल्म मिली जिसका नाम था “फूँक” .किरदार छोटा था और इससे अमित को कोई फायदा नहीं हुआ ,

संघर्ष का दौर ज़ारी रहा , एक बार फिर अमित को  निराशा ने घेर लिया , इस बारवो  इतना निराश हो चुके थे की उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने का मन बना लिया , लेकिन कहते हैं न जब निराशा के बादल सबसे ज्यादा घने हों और कोई उम्मीद भी न रहे तभी आशा की किरण नज़र आती है।और वह आशा की किरण अमित के जीवन में  2012 में आई ,“काये पोचे” फिल्म के रूप में ये  फिल्म अमित के फ़िल्मी करियर की टर्निंग पॉइंट साबित हुई।

फिल्म में  निभाए उनके ओम शास्त्री के किरदार को बहुत पसंद किया गया . अमित को काफी विविधता के साथ अपना हुनर दिखाने का मौका मिला  और उसमे वो सफल भी रहे ,  फिल्म की सफलता के बाद जहाँ जहाँ एक ओर  फिल्म के अन्य  कलाकार शुशांत सिंह  राजपूत और राजकुमार राव को मीडिया में कवरेज और अन्य  फिल्मों के ऑफर  मिल रहे थे तो वही अमित को अब भी कोई नहीं पूँछ रहा था।

द क्विंट को दिए अपने इंटरव्यू में अमित ने बताया” काये पोचे की सफलता के बाद इंडस्ट्री में लोग उनके सामने उनकी एक्टिंग की तारीफ ज़रूर करते थे लेकिन मेरी पीठ पीछे कोई भी उसकी बात नहीं करता था।

मैं सोचता था अगर ये तारीफ करते हैं तो ये मेरे बारे में कुछ बोलते क्यों नहीं मेरे बारे में कुछ लिखते क्यों नहीं , और अब भी  मुझे कोई फिल्मों में काम क्यों नहीं दे रहा है। इन सब ने अमित को  बहुत निराश कर दिया। लेकिन अमित टूटे नहीं।

इसके बाद 2015 में आई फिल्म “गुड्डू रंगीला “ ने उन्हें एक नया सिम्बल  दिया अब आप यहाँ ये मत सोचियेगा की फिल्म कामयाब रही होगी। फिल्म तो फ्लॉप रही लेकिन इस फिल्म में अमित ने अरशद वारसी के साथ जो काम किया उसने उनकी किस्मत बदल दी .

अरशद  वारसी ने उन्हें समझाया की फिल्म इंडस्ट्री में डबल स्टैण्डर्ड हमेशा रहते हैं लेकिन तुम डिमोटिवेट हो कर अपनी एक्टिंग स्किल ख़राब मत कर लेना, यहाँ एक्टिंग करने आये तो बस एक्टिंग करो अपने पर भरोसा करो और सिर्फ एक्टिंग करो” अमित ने अरशद वारसी की बात गाँठ बाँधी और अब वो किसी रोल के लिए नहीं सिर्फ और सिर्फ एक्टिंग पर ध्यान देने लगे,  फिल्म न मिलने की  चिंता बंद कर दी और जो भी किरदार मिलता गया उसे पूरी शिद्दत से निभाते गए।

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अमित साध बड़ा टर्निंग पॉइंट

अमित साध बड़ा टर्निंग पॉइंट-

अमित का यही सकारात्मक, रवैया उनके काम आया।उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्हें साल 2016 में आई सलमान खान की  फिल्म सुल्तान में एक अहम किरदार निभाने का मौका मिला जिसमें उनके अभिनय को फिल्म क्रिटिक और जनता दोनों ने ही ने बहुत सराहा , इसके बाद अमित इसी साल “अकिरा” , “रनिंग शादी  “और “सरकार 3” जैसी फिल्म में नज़र आये।

अब अमित की नियत के साथ साथ उनकी नीति ने अपना रंग और परिणाम दिखाना शुरू करा दिया था , लेकिन अभी अमित का  वो किरदार आना बाकि था जिसने उन्हें सभी का चहेता बना दिया वह किरदार आया जनवरी 2018 में अमेज़न प्राइम पर आई वेब सीरीज “ब्रीथ” में ।

.उनके द्वारा  निभाए गए  इंस्पेक्टर कबीर सावंत के किरदार ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया इसी साल अमित अक्षय कुमार के साथ फिल्म “गोल्ड” में रघुवीर प्रताप सिंह की  अहम् किरदार में नज़र आये जो उनके ब्रीथ में निभाए किरदार से विल्कुल अलग था। जो  उनकी अभिनय क्षमता का दूसरा पहलू दिखता  है। गोल्ड के बाद अमित ऋत्विक रोशन  की फिल्म सुपर 30 में भी छोटे से किरदार में नज़र आते हैं जो इनके काम के प्रति  समर्पण को दर्शाता है।

साल 2020 अमित के लिए उनकी सफलता और मेहनत के जश्न का वर्ष है .इस वर्ष वह “बारोट हाउस”, “ऑपरेशन परिंदे” जैसी फिल्मों में मुख्य भूमिका में नज़र आये तो साथ ही साथ अमेज़न पर” ब्रीथ –सीजन 2 “ में सभी के चाहते कबीर सावंत के किरदार में फिर से सबके सामने रूबरू हुए , अभी कल ही उनकी एक और वेब सीरीज अवरोध रिलीज़ हुई है जिसमें अमित एक आर्मी अफसर की भूमिका में है , जो वाकई में काफी शानदार है।

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अमित साध की सफलता-

एक तरफ अमित अपने अभिनय क्षमता के आधार पर सफलता की सीढियां चढ़ते जा रहे हैं वहीँ उनका स्वभाव भी उन्हें सबका चहेता बनाता जा रहा है , जहाँ वह एक ज़माने में बहुत ही आक्रोश से भरे रहते थे वहीं आज वो  बहुत ही शांत और निश्चल हैं। उनकी खासियत है उनका बेबाक और ईमानदार होना। वह खुलकर अपनी बात रखते हैं और मेहनत पर विश्वास रखते हैं।

खुद फिल्म निर्देशक शेखर कपूर अमित के लिए कहते हैं कि “जहाँ बॉलीवुड में हर कोई या तो झूठी हंसी लिए हुए या परेशान नज़र आता है ये एक ऐसा बंदा भी है  जो हमेशा सच्ची मुस्कराहट लिए  रहता है “। अमित का यही अलहदा स्वभाव अब उनके चरित्र का हिस्सा बन चुका है जो उन्हें सबका चहेता बना रहा है .अमित अब पूरी तरह से अपने आप को साधकर, नए अमित साध बन चुके हैं।

यह कहना गलत नहीं होगा कि” अमित ने अपनी नियत और नीति के दम पर खुद को न केवल सम्हाला है बल्कि खुद को बिना किसी सहारे के सफलता की बुलंदियों पर पहुँचाया सच है , इंसान अपनी गलतियों को स्वीकार कर उन्हें सुधार कर कुछ भी हासिल कर सकता है ।

अमित के सघर्ष और सफलता के लिए शायद ये पक्तियां सही होगी –

““ख्वाहिशों” से नही गिरते हैं, “फूल” झोली में, कर्म की साख़ को हिलाना होगा,

कुछ नही होगा कोसने से किस्मत को, अपने हिस्से का दिया ख़ुद ही जलाना होगा.”

निश्चित ही अमित की ऊँची उड़ान अभी नहीं आई अभी तो शरुआत है ,और एक दिन यह कलाकार वह सब पायेगा जिसका ये हक़दार है । आने वाले समय में हम सभी को इनकी अभिनय क्षमता के नए आयाम देखने को मिलेंगे।

अमित नेपोटीज्म की व्यवस्था की दीवार पर वह करारी चोट हैं जो भविष्य में इस दीवार को तोड़ने और इस दुनिया में प्रतिभा को अन्दर आने का रास्ता बनाएगी।

इसी के साथ हम अमित के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं और आशा करते हैं वह कदम दर कदम सफलता प्राप्त कर लोगों के लिए एक आदर्श स्थापित करेंगे। अमित ने तो नेपोटिसम पर करारी चोट दे दी है।

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