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The Greatest Comeback Of Sri Lanka Cricket

2022 में आर्थिक और राजनैतिक (Politic) तंगियो ने श्रीलंका (Sri Lanka) को हिलाकर रख दिया।ऐसा पहली बार हुआ था जब कोई देश (Country) फॉरेन डेट (Date) का इंटरेस्ट (Interests) तक भी पे नहीं कर पाया।हर वर्ष इंफ्लेशन (Inflection) 50% से बढ़ रही थी। राशन (Ration) हो या फ्यूल (Fuel) , हर चीज़ का अकाल (Draught) पड़ चुका था। सरकारें  गिर चुकी थी। विरोध प्रदर्शन चल रहे थे। पूरे देश (Country) में खुब दंगे चल रहे थे।
दोस्तों जब भी कभी हम श्रीलंका टीम के कमबैक (Come Back) की बात करते हैं, एक अच्छे कप्तान(Captain)  की बात करते हैं तो सामने आता है अर्जुना (Arjuna) रानातुंगा का चेहरा। जिन्होंने विपरीत (Opposites) परिस्थितियों में श्रीलंका को शीर्ष पर पहुंचा दिया।
लेकिन जो दुर्गति पिछले कुछ वर्षों (Years) से श्रीलंका क्रिकेट (Cricket)  की हुई, उसे वहां से उठाकर टॉप पर लाना,एक जबर्दस्त टीम बनाना कोई मज़ाक नहीं है। बल्कि किसी चमत्कार से कम नहीं है। जिसने मर चुकी श्रीलंकाई क्रिकेट (Cricket) को पुनर्जीवित (Revive) कर दिया। उस कमबैक की बात कोई नहीं करता। पर आज हम उसी महान (Great) कायापाल्ट की बात करेंगे जिसने कमाल कर दिखाया।

Sri Lanka team

तो साल था 2015, वर्ल्ड (World) कप क्वार्टर (Quarter) फाइनल। श्रीलंका की टीम (Team) बुरी तरह से साउथ (South) अफ्रीका से परास्त (Defeat) हो गई। और साथ ही पिछली 1.5 दशक (Decade) से उसके सबसे मज़बूत (Strong) स्तंभ भी डेह गए। जी हां दोस्तों, ये मैच श्रीलंका की दिल और धड़कन रहे कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने का आखिरी (Last) मैच था। उस दिन किसी ने ये सपने (Dream) में भी नहीं सोचा था कि अब श्रीलंका की क्या दुर्गति होगी। क्योंकि इन दोनों दिग्गजों (Giants) के जाने से श्रीलंका को काफ़ी नुकसान हुआ। इनकी रिटायरमेंट (Retirement) के बाद एक बात तो हर कोई कर रहा था कि अब श्रीलंका ट्रांजिशन (Transition) के दौर में आ चुकी है। लेकिन ट्रांजिशन के नाम पर सिर्फ़ और सिर्फ़ श्रीलंकन क्रिकेट (Cricket) का पतन हो रहा था। कोई भी सीरीज (Series) हो, घरेलू (Domestic) या फॉरेन (Foreign), श्रीलंकाई टीम को सिर्फ हार (Defeat) का सामना करना पड़ता। और तो और, 2016 के टी 20 वर्ल्ड कप में श्रीलंका ग्रुप (Group) स्टेज में सिर्फ अफगानिस्तान (Afghanistan) से ही 1 मैच जीत सका। जो टीम पिछले वर्ल्ड कप की चैंपियन (Champion) थी,वो इस बार क्वालीफाई (Qualify) तक न कर सकी प्लेऑफ (Playform) में। इस टीम का बचा कूचा दम खम तो तब ख़त्म (Finish) हो गया जब दिग्गज ओपनर (Opener) तिलकरत्ने दिलशान ने भी सन्यास (Retirement) ले लिया। मैथ्यूज एक के बाद एक इंजरी (Injury) का शिकार हो रहे थे,उनकी फिटनेस (Fitness) और गेम काफ़ी खराब हो गई। वहीं रंगना हैराथ भी अब वाइट (White) बॉल में उतने कारगर नहीं रह गए थे। एक्सपीरिएंस (Experience) खिलाड़ियों की कमी,और एक बेहद ही यंग (Young) टीम अब श्रीलंका की ओडीआई (ODI) और टी 20 टीम (Team) बुरी तरह से एक्सपोज (Expose) हो गई थी। और देखते ही देखते ये श्रीलंकन क्रिकेट (Cricket)  का सबसे नाइटमैयर (Night mare) दौर बन चुका था। टैस्ट (Test) क्रिकेट हो, ओडीआई हो या ओडीआई, सिर्फ़ डाउनफॉल ही चल रहा था। कोई भी चीज़ इनके हक़ में नहीं जा रही थी।एक के बाद एक हर सीरीज में कप्तान (Captain) बदल रहे थे। पर जो रिज़ल्ट (Result) की ख्वाइश (Wish) थी,वो दूर दूर तक नज़र नहीं आ रहे थे। कभी टैस्ट (Test) में क्लीन (Clean) स्वीप हो जाती,तो कभी प्लेयर्स (Players) इंजर्ड हो जाते। हालांकि 2017 में कुछ खुशी के लम्हे आए थे जब साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के ही घर (House) में श्रीलंका ने टी 20 सीरीज (Series) जीती थी। और चैंपियंस (Champion)  ट्रॉफी (Trophy) में भारत के खिलाफ़ 322 रन चेस (Chase) करना,वो भी एक बेहद युवा (Young) टॉप ऑर्डर (Order) के साथ एक अच्छा सबब रहा।पर यहां भी श्रीलंका चैंपियंस (Champions) ट्रॉफी (Trophy) की ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गया। तो क्योंकि ये खुशी का पल सब इक्का दुक्का कोई 3,4 महीनों में पासिंग (Passing) शावर की तरह आ जाता, जिसे तुक्का समझ कर भुला दिया जाता,इस सबसे कुछ खास मदद (Help) मिली नहीं श्रीलंका को। क्योंकि कंसिस्टेंसी (Consistency) से उनका प्रदर्शन अभी भी फ्लॉप (Flop) चल रहा था। इसका अंदाज़ा (Guess) इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे अपने ही घर में ज़िम्बाब्वे (zimbabwe) की उस समय की एक कमज़ोर टीम से ओडीआई (ODI) सीरिज हार गए।और ऐसा एक नहीं, अनेकों बार हुआ, उन दिनों ये आम बात हो चुकी थी।
और आगे भारतीय (Indian) टीम से घर में ही ओडीआई (ODI), टैस्ट और टी 20 में बेहद ही एक तरफा अंदाज़ में क्लीन (Clean) स्वीप Swip) होना, पूरे टूर (Tour) पर एक भी मैच (Match) न जीत पाना काफ़ी निराशाजनक (Gloomy) रहा। इसके बाद जब एक और नए कप्तान (Captain) के साथ श्रीलंका टीम हमारे घर आई,तो पहले मैच (Match) में 112 पर हमें ऑल (All) आउट कर खुशियां मना ही रहे थे कि अगले मैच में हिटमैन (Hitman) का 200 आ गया। वे सीरीज तो हारे ही, साथ ही एक और लोअर (Owner) नोट पर श्रीलंका क्रिकेट (Cricket) सूली से लटकता दिख रहा था। एक और सबसे बड़ी चिंता (Tension) की बात थी इस टीम (Team) की यूनिटी (Unity), वो पैशन (Pension), फिटनेस को लेकर डिसिप्लियन (Decision) और टीमवर्क (Team work), जो पिछले 2–3 साल में कहीं अलोप सा हो चुका था। नामी प्लेयर्स अपनी फिटनेस (Fitness) पर ध्यान नहीं दे रहे थे , और अकसर फिटनेस टैस्ट (Test) में फेल (Fail) होकर टीम से बाहर ही रहते। जो टीम में रहते,वो एकजुट (Educate)  होकर नही खेलते।कई बार इंडिविजुअल (Individual) ग्लोरी (Glory) कई खिलाड़ियों (Players) के बल्ले (Bats) से निकलती,पर वो न ही तो टीम की जीत (Victory) में कोई योगदान देती,और न ही इससे टीम का मोराल कुछ अप होता। अलग अलग कप्तानों के आने जाने से भी टीम का कोई पैटर्न (Pattern),कोई स्ट्रक्चर (Structure) चल नहीं पा रहा था। क्योंकि किसी कप्तान (Captain) को ये तक मालूम नहीं होता था कि मैं कब तक टीम को लीड (Lead) करूंगा,इस सीरीज,या अगली सीरीज में भी।टीम न ही तो आगे जा रही थी, न ही पीछे। इस सबसे टीम का कॉन्फिडेंस (Confidence) जो बॉटम (Bottom) पर आ चुका था, वो अलग।और प्लेयर्स (Players) काबिल होते हुए भी नौसिखिए (Newbie) सा परफॉर्म कर रहे थे। यही कारण था कि वे कभी अफगानिस्तान (Afghanistan), कभी पाकिस्तान (Pakistan) तो कभी बांग्लादेश से बड़े अंतर से मैच हार रहे थे।
पर टैस्ट (Test) में श्रीलंका ने खुद को अप्लाई (Apply) करना शुरू किया। खिलाड़ियों (Players) ने अपनी तकनीक (Technique) पर काम कर लंबा खेलने और 20 विकेट (Wicket) लेने पर फोकस (Focus) किया जिसका परिणाम (Result) 2018 में बैक (Back) टू (To) बैक (Back) वेस्टइंडीज को उनके घर में,तो साउथ अफ्रीका को अपने घर में हराकर श्रीलंका की गाड़ी कम से कम रेड (Red) बॉल क्रिकेट में तो ट्रैक (Track) पर आती नज़र आ रही थी। और इसमें 4 चांद लगा दिए उस समय की सबसे बड़ी अचीवमेंट (Achievement) ने जो श्रीलंकाई टैस्ट टीम ने 2019 में हासिल की थी जब साउथ अफ्रीका को उसके घर में घुसकर 2–0 से टैस्ट सीरीज में वाइट (White) वाश किया था।वो भी तब,जब 17 में से लगातार 15 टैस्ट जीत साउथ अफ्रीका अजय हो चुकी थी।

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पर वाइट बॉल में श्रीलंका क्रिकेट और पीछे जा रहा था। चीज़ें सैटल (Sattle) नहीं हो पा रही थी। कई युवा (Young) खिलाड़ी आए, काफ़ी पिक ऐंड ड्रॉप (Drop) हुआ। 2019 वर्ल्ड कप में एक और नए कप्तान (Captain) दिमुथ करुणारत्ने को टीम (Team) का सरताज बनाया गया। लेकिन बात यहां भी नहीं बनी। श्रीलंका 9 में से महज़ 3 मुकाबले (Competition) ही जीत पाया। अब हर किसी ने इस टीम से उम्मीदें (Hope) छोड़ दी। सभी ये बात मान बैठे थे कि अब श्रीलंका खत्म हो चुका है। क्योंकि अगर किसी का डाउनफॉल (Downfall) आता भी है तो 1–2 साल तक रहता है,लेकिन 5–7 साल तक अगर कोई सिर्फ़ नीचे ही जा रहा हो, तो कोई नहीं जानता कि क्या होगा इस टीम का, फैंस (Fans) तो क्या उनके सेलेक्टर्स (Selector), कोच मैनेजमेंट सब कंफ्यूज (Confuse) और फ्रस्टेट नज़र आते। प्लेयर्स और बोर्ड (Board) की नोक झोंक चलती रहती। कई सीनियर (Senior) प्लेयर्स खुद पीछे हट फ्रेंचाइजी (Franchise) क्रिकेट के हो गए जिनमें सबसे बड़ा झटका था थिसारा परेरा की प्री मैच्योर (Mature) रिटायरमेंट।अपने प्लेयर्स का भी इंटरेस्ट (Interest) अब श्रीलंका क्रिकेट (Cricket) से खत्म हो रहा था। एक के बाद एक नाइटमैयर (Nightmare) ही मिल रहे थे सिर्फ़। ऐसे में थक हारकर 2021 में भारत के खिलाफ़ घरेलू (Domestic) ओडीआई और टी 20 सीरीज के लिए एक और नया कप्तान (Captain) एनाउंस किया गया। मैनेजमेंट ने अब एक ऐसे प्लेयर (Player) को कप्तान बनाया गया जो कि अभी तक टीम में सिर्फ़ अंदर बाहर चल रहा था। न ही उसके अपने रेकॉर्ड्स (Records) कुछ खास लग थे और न ही उसकी कप्तानी का किसी को कोई आइडिया (Idea)। ये प्लेयर थे श्रीलंका के हरफनमौला (All Rounder) और एक ज़बरदस्त फील्डर (Feilder) दासून शनाका।और आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पिछले 5 साल में 20 इंडिविजुअल (Individual) खिलाड़ियों (players) के कप्तानी करने के बाद शनाका को श्रीलंका का कप्तान (Caption) बनाया गया। अब इससे बत्तर तो श्रीलंका की हालत हो नहीं सकती थी। अब खोने के लिए श्रीलंका के पास कुछ नहीं था। यहां से वे और नीचे नहीं जा सकते थे।
अब ओडीआई (Odi) सीरिज में हुआ सब कुछ पहले जैसा ही,एक और सीरीज हार। लेकिन आखिरी (Last) मैच में जीत और शानका की कप्तानी (Captain) में कुछ ऐसा कॉन्फिडेंस (Confidences) और काल्मनेस देखने को मिल रही थी जो बाकी किसी कप्तान (Captain)  में अभी तक देखने को नहीं मिली। देखते ही देखते उन्होंने टी 20 सीरीज 2–1 से जीत ली,वो भी इंडियन टीम के खिलाफ़। भाई साहब,ये तो चमत्कार था।एक ऐसी टीम, जहां खुशियों का, परफोर्मेंस (Performance) का, जीत का सूखा पड़ चुका था, आज वहां हर्षोल्लास का माहौल था। शनाका की कैप्टेंसी (Captaincy) में वानिंदु हसरंगा, चमिका करुणारत्ने, असलंका, निसंका, अविष्का फर्नांडो राजपक्षे,जैसे कई और टैलेंटेड (Talented) युवा खिलाड़ी उभरकर आए ,अब पेस अटैक (Attack) संभालने के लिए चमीरा, रजिता, लाहिरू कुमारा थे ही,पर ज़रूरत थी एक ऐसे वर्ल्ड क्लास स्पिनर (Spiner) की जो कि हसरांगा के कंधे से कंधा मिलाकर बल्लेबाजों को चैलेंज कर सके। तब इंट्री हुई एक 21 साल के युवा महीश थीक्षणा की। इस यंग टैलेंट्स को जोड़कर शानाका ने एक गजब की टीम बनाई। जो कि भले ही अपने शुरुआती दिनों में जीते,या हारे पर कम से कम उनमें वो कॉन्फिडेंस (Confidence) और यूनिटी (Unity) हो जो कभी 90’s की श्रीलंका में हुआ करती थी। इसका बीड़ा उठाया शनाका ने।

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अब पिछले 5–6 साल में जो बेड़ा गर्क हुआ, उससे आप ये तो समझ ही चूके होंगे कि श्रीलंका की रैंकिंग (Ranking) हर फॉर्मेट में काफ़ी डाउन थी, इसलिए उन्हें आने वाले दोनों ही टी 20 और 2023 के वर्ल्ड कप के लिए डायरेक्ट (Direct) इंट्री नहीं मिलनी थी। क्वालीफायर (Qualifier) खेलने पड़े। 2021 के टी 20 वर्ल्ड कप में अपने दोनों मैच जीत श्रीलंका की वर्ल्ड (World) कप में इंट्री (Entry) हुई। जहां उन्होंने अपना पहला और आखिरी लीग मैच (Match) तो जीता,लेकिन प्लेऑफ (Play of) के लिए क्वालिफाई (Qualify) नहीं कर पाए। लेकिन इतने वक्त में ये पहली बार था जब हारने के बाद भी श्रीलंका टूटा हुआ, क्लूलेस नज़र नहीं आ रहा था। बल्कि ये शेरदिल कैप्टन (Captain) एक नए जोश और एक बार दोबारा गिरकर उठ धावा बोलने के एटीट्यूड (Attitude) के साथ अपनी टीम को लीड (Lead) कर रहा था।
जब लगा कि सब कुछ ठीक हो रहा है तभी 2022 में आर्थिक और राजनैतिक (Political) तंगियो ने श्रीलंका को हिलाकर रख दिया। ऐसा पहली बार हुआ था जब कोई देश (Country) फॉरेन डेट का इंटरेस्ट (Interested) तक भी पे नहीं कर पाया।हर वर्ष इंफ्लेशन 50% से बढ़ रही थी। राशन हो या फ्यूल (Fuel), हर चीज़ का अकाल पड़ चुका था। सरकारें गिर चुकी थी। विरोध प्रदर्शन चल रहे थे। पूरे देश में खुब दंगे चल रहे थे।
अब जिस देश (Country) में दिवालियापन (Bankruptcy) आ जाए,खाने पीने के लाले पड़ जाएं, उस देश में कुछ भी अच्छा होने की उम्मीद (Hope) नहीं लगाई जा सकती। ऐसे में जो 2022 का एशिया (Asia) कप श्रीलंका में होना था, उसे यूएई, दुबई में शिफ्ट करना पड़ा।
लेकिन दात देनी होगी ऑस्ट्रेलिया (Australia) टीम की,जिसने जून में आकर श्रीलंका में ही खेलना स्वीकार किया। भले ही श्रीलंका टी 20 सीरीज (Series) हारी,लेकिन जो तीसरे टी 20 में आखिरी 17 बॉल पर श्रीलंका ने 59 रन चेस (Chase) किए,और शानका ने जो वो वन मैन आर्मी 54 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली,उसने ये साफ़ कर दिया था कि बाहर कुछ भी चल रहा हो,ये टीम (Team) कुछ कर दिखाएगी।अब श्रीलंका ने ओडीआई (ODI) सीरिज भी 3–2 से जीती।
एक तो श्रीलंका को टी 20 वर्ल्ड कप क्वालीफायर (Qualifier) खेलना था। ऊपर से देश (Country) की इतनी बुरी हालत। और फिर अफगानिस्तान (Afghanistan) से अपना पहला मैच (Match) हारना, डिप्रैस (Depress) करने के लिए काफ़ी था।अब कोई दूसरा देश (Country)  होता तो अपनी दयनीय स्थिति का रोना रोकर सिंपैथी गेन (Gain) करता। परफॉर्म (Perform) करना तो भूल ही जाओ।
लेकिन शनाका,एक साइलेंट (Silent) किलर हैं। जो कि अपनी जुबान से न बोलकर अपने टैक्टिक्स (Techniques) और परफोर्मेंस (Performance)  से जवाब देते हैं। और कुछ एसा ही करते हुए उन्होंने एशिया (Asia) कप जीत सबको शॉक (Shock) कर दिया । किसी ने दूर दूर तक सोचा नहीं था कि श्रीलंका ये कारनामा कर दिखाएगी। लेकिन शनाका ने खुद भी परफॉर्म (Perform) किया और टीम ने भी कमाल की यूनिटी (Unity) दिखाकर ट्रॉफी (Trophy) जितली।

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इसके बाद कहानी फिर सेम रही,श्रीलंका क्वालीफायर तो जीत गई,लेकिन उसके मेन प्लेयर (PLayer) फिर से चोटिल (Injured) हो गए जिसके बाद एक कमज़ोर कॉम्बिनेशन (Combination) के साथ ग्रुप स्टेज (Stage) मे वे फ्लॉप (Flop) रहे।
अब इसमें सबसे बड़ा नाम था दुष्मंथा चमिरा,जो कि बार बार ज़रूरत के वक्त चोटिल होकर टीम को कमज़ोर करता। तो इसके बाद एंट्री (Entry) हुई धोनी द्वारा ग्रूम किए गए एक टैलेंटेड (Talented) 20 साल के तेज़ तर्रार 145–150 वाले मथीशा पथिराना की। जिनका राउंड (Round) आर्म ऐक्शन मलिंगा की याद दिलाता है।
और उन्हें बखूबी यूज किया उनके 7 नंबर जर्सी (Jersey) वाले ही कप्तान (Captain)  शनाका ने। जिससे ये टीम अब बेहद ही वैल बैलेंसड,कंप्लीट और अनबिटेबल (Unbeaten) बन गई।
जिसका साफ़ सबूत श्रीलंका ने अपने पिछले 12 ओडीआई मुकाबलों (Bouts) में लगातार सामने वाली टीम के पूरे 10 के 10 विकेट (Wicket) झटक कोहराम (Chaos) मचा दिया।
बड़ी ही आसानी से 2023 वर्ल्ड (World) कप के लिए क्वालिफाई भी कर दिया।और अब एशिया कप में भी डोमिनेट (Dominant) कर रहे हैं। अब फिर से श्रीलंकाई टीम (Team) उठ खड़ी हुई है। ये श्रीलंका 2.0 है, जो अपने टीम वर्क (Work) और परफोर्मेंस के दम पर एक बार फिर से घातक हो चुकी है। सलाम है शनाका और उनकी कप्तानी (Captain) को, जिन्होंने एक बेहद ही खटारा हो चुकी गाड़ी को फरारी सा खूंखार बना दिया। अपनी ज़बरदस्त बैकिंग (Backing) और काल्मनेस (Comness) से खुद भी परफॉर्म (Perform) किया, और 11 मैच विनर (Winner) भी तैयार किए। अगर आप श्रीलंका के इस ज़बरदस्त इंस्पायरिंग (Inspiring) कप्तान शानाका पर पोस्ट चाहते हैं तो कॉमेंट कीजिएगा।।।

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