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Zombie Apocalypse Is Possible ?

इमेजिन (Imagine) कीजिए एक सुबह (Morning) आप सोकर उठते हैं और आपको अपने आस पास अफ़रातफ़री का माहौल देखने को मिलता है। चारों तरफ चीख पुकार , बदहवास होकर भागते लोग। क्या हो रहा है ? ये सब समझने के लिए आप अपने घर (House) का दरवाज़ा (Door) खोलकर बाहर निकलते हैं, तभी आपके ऊपर के फ्लैट (Flat) में रहने वाले शर्मा (Sharma) जी अपनी बालकनी से सीधा आपकी कार (Car) पर आकर गिरते हैं ” धड़ाम ” . कार का शीशा (Glass) टूट जाता है। आप अपने कार की परवाह किये बग़ैर शर्मा जी को बचाने के लिए जाते हैं। लेकिन ये क्या ? शर्मा जी तो आपको काटना चाह रहे हैं। आपका खून पीना चाह रहे हैं। उनकी आँखे सुर्ख लाल हो गयी हैं। शरीर की एक -एक नस नीली होकर बाहर निकल आयी है. आप पूरी कोशिश (Effort) करके किसी तरह शर्मा जी से अपना पीछा छुड़ाकर जल्दी से अपने घर के अंदर आते हैं और घर का दरवाज़ा (Door) बंद कर लेते हैं।
अब आप सोच होंगे की अनुराग भाई ने आज कोई ज़ोम्बी (Zombie)  मूवी देख ली है और उसी की कहानी (Story) हम लोगों को सुना रहे हैं। लेकिन अगर मैं कहूं की ये कहानी फ्यूचर  (Future) में सच होने वाली हैं तो क्या आप विश्वास (Trust) करेंगे ? ज़ॉम्बी (Zombie)  मूवी देखते हुए आपके मन में ये ख्याल तो ज़रूर आता होगा की क्या हो अगर ज़ोम्बी (Zombie) अपॉकलिप्स दुनिया में सच में आ जाए ? क्या ऐसा पॉसिबल (Possible) है ? ऐसा हुआ तो जो बातें फिल्मों (Films) में दिखाई गयी हैं क्या वो सब सच हो जाएँगी ?
तो मैं आपके इन सभी सवालों (Question)  को जवाब हाँ में दूंगा।
क्यों ये जानने के लिए आपको बने रहना होगा इस पोस्ट में शुरू से अंत तक बिना एक भी सेकंड स्क्रॉल किये हुए।
अब हो सकता है की आप में से बहुत से रीडर्स ज़ोम्बी शब्द ही पहली बार सुन रहे हों तो ऐसे व्यूअरस को भी साथ लेकर चलना ज़रूरी है इसलिए सबसे पहले जानते हैं की आखिर

Zombie

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ज़ोम्बी कहते किसे हैं ?

ज़ोम्बी (Zombie) एक ऐसे इंसान या जीव को कहते हैं जिसका दिमाग (Mind) उसके अपने वश (Control) में नहीं है मतलब उसे कोई और कंट्रोल (Control) कर रहा है जो मर चुका है फिर भी उसका दिमाग (Mind) सक्रिय है । ज़ोम्बी शब्द आया है हैती लोककथाओं से। हैती की लोक कथाओं में ऐसा सुनने को मिलता है कि वहां के लोग किसी इंसान (Human) के मर जाने के बाद उसे वुडू नाम के काले (Black) जादू (Magic) के सहारे ज़िंदा कर देते थे और उसे अपना गुलाम बनाकर अपने मन का काम करवाते थे। दोबारा ज़िंदा हुए इंसान को ज़ोम्बी कहा गया।
अब ये शब्द आम लोगों के बीच कैसे प्रचलित (prevelt) हुआ ? तो उसकी सबसे बड़ी वजह हैं फ़िल्में (Films)। 1932 में एक फिल्म आयी थी White Zombie जिसमें पहली बार ज़ोम्बी (Zombie) जैसी बातें दुनिया (World) के सामने रखी गयीं थीं।. लेकिन मज़े की बात ये है की इस फिल्म की पटकथा (Script) आधारित (Based) थी 1929 में आयी एक किताब Magic Island पर. जिसे लिखा था विलियम सीब्रुक ने।
ये किताब (Book) उन्ही हैती लोगों पर आधारित (Based)  थी जिनका ज़िक्र अभी हमने थोड़ी देर पहले किया है । विलियम (William) सीब्रुक ने अपनी इस किताब में हैती समुदाय (Community) के कल्चर (Culture) , काला (Black) जादू से जुडी बातों का वर्णन (Description) किया है जो इन्होने अपनी हैती की यात्रा (Travel) के दौरान महसूस (Feel) किया था। ये किताब काफी पॉपुलर (Popular) हुई जिसके बाद ज़ोम्बी के कॉन्सेप्ट (Concept) पर तमाम फ़िल्में बनी। और होते करते ये ज़ोम्बी शब्द हम लोगों तक पहुंचा। लेकिन फिल्मों का ज़ोम्बी हैतियन ज़ोम्बी से अलग है , क्यूंकि फिल्मों के ज़ोम्बी किसी काले जादू या तंत्र मंत्र से नहीं बल्कि साइंटिफिक (Scientific) तरीके से पैदा होते हैं। जैसे कि कोई फँगाई इन्फेक्शन (Infection) या फिर किसी वायरस (Virus) से। और यही वजह है की भविष्य (Future) में ज़ोम्बी अपॉकलिप्स (Apocalypse) जैसी घटना (Event) के होने की सम्भावना कोई कल्पना (Imagination) नहीं लगती।

ये तो रहीं फ़िल्मी और किताबी बातें लेकिन सवाल ये उठता है की क्या

ज़ोम्बी सच में होते हैं ?

तो क्या ऐसा पॉसिबल (Possible) है कि कोई जीव मर चुका है , उसके शरीर (Body) के अंग सड़ चुके हैं फिर भी वो चल रहा है ? बस इसलिए क्यूंकि उसका दिमाग़ (Mind) अभी भी सक्रिय है। सुनने में में ही ये एकदम नॉनसेंस (Nonsense)  लगता है , है न ? तो चलिए पहले आपको कुछ ऐसे केसेस बताते हैं जिसे सुनकर आप कुछ हद तक ये यकीन करने लगेंगे की ज़ोम्बी जैसा कुछ सच में एक्सिस्ट करता है.

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Zombie-ant fungus

आपमें से बहुत से लोगों ने HBO की ड्रामा (Drama) सीरीज The Last Of Us तो देखी ही होगी जिसमें दिखाया गया है कि एक फंगस (Fungus) इंसानी दिमाग को अपने कण्ट्रोल (Control) में करके उन्हें ज़ोम्बी बना देता है।

ये है सिकाडा नाम का कीड़ा (worm) जो मर चुका है। इसके शरीर के वाइटल पार्ट्स (Part) सड़ चुके हैं लेकिन ये अब भी मूव (Move) कर रहा है। कैसे ? तो इसके बॉडी और दिमाग को कण्ट्रोल (Control) कर रही है एक तीसरी शक्ति ।ये तीसरी शक्ति है मैसोस्पोरा (massospora) फंगस (Fungus) जो इस सिकाडा के वाइटल (Vital) बॉडी पार्ट्स के न होने के बावजूद इसे चला फिरा रहा है। ये फंगस इस कीड़े के दिमाग पर पूरी तरह से कण्ट्रोल (Control) कर रहा है।
इसी तरह के एक और फंगस (Fungus) की बात करते हैं जो ज्यादातर चीटियों (Ants) को इन्फेक्ट (Infact) करता है। नाम है कॉर्डीसेप्स (cordyceps) फंगस जिन्हे ज़ोम्बी aunt फंगस भी कहा जाता है ।
कॉर्डीसेप्स फंगस अपने स्पोरस (spores) के ज़रिये अपने शिकार को टारगेट (Target) करता हैं और उन्हें इन्फेक्ट करता हैं। ये फंगस उन कीड़ों के शरीर में बैठ कर उन्हें कंट्रोल (Control) करता रहता है और साथ ही साथ उसके शरीर को तब तक खाता रहता है जब तक उसका शरीर पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता।

तो क्या ऐसा ही कोई फंगस ह्यूमन (Humans) बॉडी को भी इन्फेक्ट कर सकता है ? इस कॉर्डीसेप्स फंगस की 200 से अधिक प्रजातियों को खोजा जा चुका है और भी प्रजातियां अभी खोजी जानी बाकी है। जिसमें कोई प्रजाति ऐसी भी हो सकती है जो ह्यूमन को भी इन्फेक्ट कर पाए। या हो सकता की समय के साथ इनमें इतनी ताकत आ जाये जिससे ये ह्यूमन बॉडी को इन्फेक्ट कर पाएं। या फिर किसी लैब (Lab) में प्रयोग के माध्यम से इस फंगस को और ज्यादा पॉवरफुल (Powerful) बनाया जा सके जैसा की कोरोना (Corona) वायरस के केस में हुआ था क्यूंकि अधिकतर लोगों का मानना है की कोरोना वायरस लैब से निकला हुआ वायरस था। । वैज्ञानिक (Scientists)  लोग भी ऐसा होने से नकार नहीं रहे हैं.

Zombie spiders

साल 2018 में कनाडा (Canada) के वैंकूवर में ब्रिटिश (British) कोलंबिया विश्वविद्यालय (University) के जूलॉजिस्ट (Zoologist) फिलिप (Philip) फर्नांडीज-फोरनियर ने इक्वाडोर के अमेज़ॅन (Amazon) में एक चौंकाने वाली खोज की ।उन्होंने ज़ेटीपोटा ततैया की एक ऐसे प्रजाति (species) की खोज की जो एनेलोसिमस (anelosions) एक्ज़िमियस प्रजाति की मकड़ियों (Spiders) को इस हद तक निययन्त्रित (Control) कर सकती है जिसे प्रकृति (Nature) में पहले कभी नहीं देखा गया । ए. एक्ज़िमियस (Eximius) मकड़ियां ग्रुप्स (Group) में रहना पसंद करती हैं, कभी भी अपनी कॉलोनियों (Colony) से बहुत दूर नहीं जाती हैं। लेकिन फर्नांडीज (Fernandez) -फोरनियर ने देखा कि ज़ैटिपोटा (zatipota) लार्वा से इन्फेक्टेड (infected) इन मकड़ियों ने एक अजीब सा व्यवहार किया,इन्फेक्टेड मकड़ियां अपनी कॉलोनी से दूर जाकर कोकून जैसे जाल बना रही थीं और वो जाल काफी मज़बूत थे। जब फर्नांडीज ने इन “कोकून” को खोला, तो उन्होंने पाया कि इसके अंदर ज़ैटिपोटा लार्वा (Larva) बढ़ रहा है। आगे देखा गया की ज़ैटिपोटा ततैया ए. एक्ज़िमियस (Ambiguous)  मकड़ियों के पेट पर अंडे (Egg) देती हैं। जब अंडा फूटता है और ततैया का लार्वा निकलता है, तो यह मकड़ी को खाना शुरू कर देता है और उसके शरीर पर नियंत्रण (Control) करना शुरू कर देता है।जब लार्वा अपने शिकार पर पूरा कण्ट्रोल पा लेता है, तो यह उसे एक ज़ोंबी (Zombie) जैसे प्राणी में बदल देता है। फर्नांडीज-फोरनियर कहते हैं, “मकड़ियों के व्यवहार में हेरफेर करने वाले ततैया को पहले भी देखा गया है, लेकिन इस लेवल (Level) पर नहीं।”ततैया मकड़ी के दिमाग को पूरी तरह से अपने कब्जे (Capture) में ले लेती है और उससे कुछ ऐसा करवाती है जो वह कभी नहीं करती।

The reanimated virus

2014 में, फ्रांस (France) के ऐक्स-मार्सिले यूनिवर्सिटी (University) के रिसर्चर्स ने साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट से एक आकर्षक (Attractive) जीव खोजा . एक वायरस (Virus) जो लगभग 30,000 साल पुराना है जिसे उन्होंने नाम दिया पिथोवायरस साइबेरिकम। ये वायरस छोटे होते हुए भी माइक्रोस्कोप से आसानी से दिखाई देते हैं। यह एक डीएनए (DNA) वायरस है जिसमें 500 तक जीन होते हैं । वायरस में इतनी बड़ी मात्रा में डीएनए होना उन्हें खतरनाक (Dangerous) बना सकता है, क्योंकि वे बहुत लंबे समय तक टिके रह सकते हैं। ज़िंदा होने के बाद इस वायरस ने केवल अमीबा (Ameboma) को इन्फेक्ट किया -हुमंस या अन्य जानवरों को नहीं। फिर भी वैज्ञानिकों (Scientsts) ने चेतावनी (Warning) दी है कि पर्माफ्रॉस्ट के अंदर ऐसे ही विशालकाय वायरस दबे हो सकते हैं जो पुरी इंसनियत को खत्म (Finish) कर सकते हैं। और अगर ऐसा हुआ इसका सबसे बड़ा कारण होगा ग्लोबल (Global) वार्मिंग।

लेकिन अब सवाल ये है की क्या

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इंसान भी ज़ोम्बी बन सकता है ?

इंसान के ज़ोंबी (Zombie) बनने की संभावना को पहले एक बहुत बेसिक तरीके से आपको समझाते हैं .
आपने रेबीज वायरस का नाम तो ज़रूर सुना होगा जो की जनरली (Generally) कुत्तों से इंसानों में पहुँचता है। इस वायरस के प्रभाव में आने से इंसान वायलेंट (Violet) हो जाता है और बिना चेतावनी के किसी पर भी हमले कर देता है। रेबीज (Rabies) इन्फेक्शन इतनी आसानी से एक से दूसरे इंसान में नहीं पहुँचता लेकिन अगर रेबीज के वायरस में इन्फ्लुएंजा के वायरस वाली खूबी आ जाये तो वो बहुत तेजी से फ़ैल सकता है और देखते ये पूरी आबादी को अपने चपेट में ले सकती है। कोरोना के केस में ऐसा हम पहले भी देख चुके हैं जहाँ एक वायरस म्युटेशन (Mutation) के ज़रिये अपने अंदर नयी नयी ताकते पैदा कर सकता है।.

इंसान के ज़ाम्बी होने की सम्भावना (Possibility) को चलिए और गहराई से टटोलते हैं.

1997 में द लांसेट नाम की एक मैगज़ीन (Mazine) में डॉ. चवन्नेस डौयॉन और प्रो. रोलैंड लिटिलवुड (Little)की एक स्टडी लेटर पब्लिश (Publish)  होती है जिसमें उन्होंने हैती के तीन ऐसे व्यक्तियों की केस स्टडी (Study) की थी जिन्हे उनकी कम्युनिटी ने मरने के बाद ज़ोम्बी की तरह भटकते हुए देखा था।

एक 30 साल की महिला , जिसकी एक बीमारी (Disease) के चलते मौत हो गयी लेकिन इसके 3 साल बाद उसके परिवार वालों ने उसे ज़ोम्बी की तरह घूमते हुए पाया। दूसरी घटना – एक लड़का जो 18 साल की उम्र में “मर गया” . , और 18 साल बाद फिर से ज़िंदा होकर वापस आ गया , उसने ये दावा किया कि एक ड्रग (Drug) के माधयम से उसके अपने ही एक रिश्तेदार (Relatives) ने उसे ज़ोम्बी बनाकर रखा और 18 साल तक गुलाम बनाकर अपने खेतों में काम करवाता रहा ।

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एक और महिला जो 18 साल की उम्र में “मर गई” लेकिन 13 साल बाद उसे फिर से एक ज़ोंबी के रूप में पाया गया ।
हालाँकि ये भी एक रहस्य (Mystery) है की मरने के बाद इन तीनों को ताबूत से बाहर किसने निकाला ?

डॉ. डौयॉन और प्रो. लिटिलवुड ने जब इन तीनों मामलो की जांच की तो पाया कि वे किसी बुरे जादू (Magic) के शिकार नहीं हुए थे। बल्कि उनके ज़ोम्बी बनने के पीछे मेडिकल (Medical) रीज़न थे ।

पहले केस में महिला को कैटेटोनिक सिज़ोफ्रेनिया था, ये एक दुर्लभ (Rare) स्थिति होती है जिसमें एक व्यक्ति (Person)  बिना होशो हवास के भटकता रहता है । दूसरे व्यक्ति को ब्रेन (Dead) डेड का अनुभव हुआ था, और उसे मिर्गी भी आती थी, जबकि तीसरे केस में महिला को learning disability.थी।

इसी तरह कॉटर्ड (Cotard) सिंड्रोम नाम का एक psychiatric disorder भी है जिसकी वजह से लोग लाश की तरह बिहेव (Behave) कर सकते हैं। ऐसे लोगों को ये भ्रम रहता है कि वे मर चुके हैं या सड़ रहे हैं। ये psychiatric disorder बहुत ही रेयर है।

एक केस स्टडी में एक 53 वर्षीय महिला के बारे में ये बताया गया की वो शिकायत कर रही थी कि वह मर चुकी है, उसे अपने शरीर के सड़ने की गंध आ रही थी.

तो इससे ये समझ में आता है की इंसान के ज़ोम्बी बनने के पीछे की वजह एक psychiatric disorder भी हो सकती है।

या फिर कोई ड्रग

अमेरिका में कुछ लोग नशे के लिए जाइलाजाइन (xylazine) नामक दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं । आमतौर पर इस दवा का इस्तेमाल जानवरों (Animal’s) पर किया जाता है, जिससे जानवरों को बेहोश करने में मदद मिलती है। लेकिन अमेरिका के कई शहरों में यूथ इस दवा को बतौर ड्रग इस्तेमाल कर रहे हैं और इससे उन्हें भी बेहोशी जैसी नींद आना, सांसे धीमी हो जाने की समस्या हो रही है। बार-बार इस ड्रग का इस्तेमाल करने वाले या फिर ज्यादा डोज (Doze)  लेने वाले लोगों की मौत भी हो रही है। साथ ही इस ड्रग के इस्तेमाल (Use) से लोगों की त्वचा (Skin) सड़ रही है और वो जॉम्बी (Zombie)  जैसे दिख रहे हैं।
ड्रग के साइड इफेक्ट से शरीर (Body) पर घाव हो रहे हैं और अगर इस पर ध्यान ना दिया जाए तो इससे स्किन की सेल्स (Cells) डेड (Dead) हो जाती हैं। ऐसे में उस अंग (Organ) को काटना पड़ता है । जाइलाजाइन को फेनटानिल के साथ मिलाकर ट्रैंक (Track) डोप तैयार किया जाता है , जिसे नशे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। चिंता की बात ये है कि यह ट्रैंक डोप अमेरिका की सड़कों पर आसानी से मिल भी जाते हैं । तो ऐसा भी हो सकता है कि फ्यूचर (Future) में कोई पॉवरफुल कंट्री एक ऐसा ड्रग (Drug) तैयार कर ले जिसकी मदद (Help) से वो लोगों को ज़ोम्बी में कन्वर्ट (Convert) कर दे और उन्हें स्लेव (Swel) की तरह इस्तेमाल (Use) करे क्यूंकि ज़ोम्बी के केस में यही तो होता है की सक्रमित व्यक्ति पर किसी तीसरे का नियंत्रण रहता है। इस बात को और पुख्ता करते हैं इतिहास (History) की एक घटना से।
ऐसा कहा जाता है की सेकंड (Second) वर्ल्ड वॉर के समय हिटलर अपने सैनिकों (Solders) को पेरविटिन नाम का देता था जिससे उन सैनिकों में बिना खाये पीये बिना थके लड़ने की शक्ति आती थी और वो चौबीसों (24) घंटे युद्ध के मैदान में डटकर अपने दुश्मनों (Enemy)  के नेस्तनाबूत कर देते थे। ये घटना भी ज़ोम्बी ड्रग का एक एक्साम्पल (Example) है। सोचिये जब 70 से 75 साल पहले ऐसे ड्रग्स को बनाया जा सकता था तो अब क्या हो सकता है ये सोचकर ही डर लगता है।

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CONPLAN 8888

अब अंत (End) में हम एक ऐसी बात आपको बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको ये पूरा यकीन हो जायेगा की ज़ोम्बी अपॉकलिप्स जैसी घटना फ्यूचर (Future)  में सच में हो सकती है।
हिंदी में एक कहावत है की आवश्कयता ही अविष्कार की जननी है।
अगर मैं आपसे कहूं की USA  मिलिट्री ने ज़ोम्बी अपॉकलिप्स से निपटने के लिए एक पूरा प्लान तैयार कर लिया है तो क्या आप विश्वाश करेंगे ? नहीं न ? लेकिन ऐसा है।
जी हाँ ! USA  मिलिट्री का एक थिंक (Thick) टैंक है जिनका काम है फ्यूचर में होने वाले डिजास्टर (Dejster) सेनेरिओं को इमेजिन (Imagine) करके उससे बचने का प्लान बनाना। जैसे की अगर पृथ्वी (Earth) से कोई बड़ा एस्ट्रोनॉड (Asteroid) टकरा गया तो उस कंडीशन में क्या प्लान होने चाहिए , परमाणु हमले के दौरान क्या प्लान होने चाहिए यहाँ तक की उन्होंने एलियन (Alien) के हमले से बचने के लिए भी एक पूरा प्लान तैयार कर लिया है। ऐसे ही ज़ोम्बी अपॉकलिप्स (Oplips) के समय उससे निपटने के लिए भी इन्होने एक पूरा प्लान तैयार कर लिया है जिसे CONPLAN 8888, और Counter-Zombie Dominance का दिया गया है। अब इनका पूरा प्लान (Plan) क्या है ये अगर हम इस वीडियो में बताने बैठे तो पोस्ट लम्बी हो जाएगी।

तो ज़रा सोचिये usa मिलिट्री को ऐसा प्लान बनाने की ज़रूरत ही क्यों पड़ी। ये बातें उस तरफ इशारा कर रही हैं की ज़ोम्बी अब एक कल्पना (Imagine) नहीं हैं बल्कि आने वाली एक भयावह सच्चाई है जो कितना भयावह होगा ये कह नहीं सकते लेकिन इसका एक्साम्पल आप कोरोना जैसी महामारी से समझ सकते हैं जिसके विनाश के घाव अभी भी सूखे नहीं हैं। तो ये कब होगा ? कैसे होगा ? क्यों होगा ? ये तो वक़्त ही बताएगा। ज़ोम्बी अपॉकलिप्स को लेकर आप क्या सोचते हैं कमेंट करके ज़रूर बताइयेगा ? और हाँ ज़ोम्बी बनने के बाद आप सबसे पहले किसको खाना पसंद करेंगे ? अब ध्यान से सुनिए पढियेगा को बनाने में लगी है बहुत मेहनत तो पोस्ट को शेयर तो करना ही है साथ ही साथ कम से कम एक ऐसे इंसान को ये पोस्ट शेयर ज़रूर कीजियेगा जो इस पोस्ट को पूरा पूरा पढ़े।

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