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England Cricketer Monty Panesar Biography

दोस्तों आज का पोस्ट शुरू करने लगा तो एक सवाल (Question) मेरे मन में बार बार आने लगा। कि टैस्ट क्रिकेट का सर्वश्रेष्ठ (Best) बल्लेबाज (Batsman) कौन? वो कौन खिलाड़ी है जिसने रेड (Red) बॉल क्रिकेट में अपनी एक अद्वितीय (Unique) लेगेसी (Legacy) बनाई। औसत (Average) के हिसाब से देखा जाए तो सर डॉन ब्रैडमैन, स्टीव स्मिथ। रनों के लिहाज से देखा जाए तो गॉड (God) ऑफ क्रिकेट सचिन तेंदुलकर। जिनके आगे किसी गेंदबाज (Bowler) की एक न चलती थी।बेबाकी और बेखौफ (Fearless) मिजाज़ से तो विव रिचर्ड्स,सहवाग। फ्लेमबॉयंट चीख चीख कर ब्रायन लारा कहती है। दृढ़ता (Perseverance) और संयम शिवनारायण चंद्रपॉल का नाम पुकारता है। लेकिन अगर तकनीक के हिसाब से देखें तो अपने अभेद्य (Impregnable) डिफेंस और अत्यंत धैर्यपूर्वक (Patiently) लहज़े से खेलने वाले बल्लेबाज जो घंटों पिच पर डटे रहकर टीम को खराब स्थिति से निकाल बड़े स्कोर करते , वो मिस्टर डिपेंडेबल राहुल द्रविड़ ही थे। जो दीवार की तरह क्रीज़ पर खड़े रहते। और काफ़ी बार हार और ड्रॉ का अंतर बनते। उनकी इसी उच्च गुणवत्ता (Quality) वाली बैटिंग के चलते उन्हें टेस्ट का सर्वश्रेष्ठ (Best) बल्लेबाज माना गया। अब ज़रा सोचिए कि जिस टीम के नंबर 3,4 ही द्रविड़ सचिन जैसे धुरंधर हों , जो गेंदबाजों पर रति भर भी तरस नहीं खाते थे। अरे अपना विकेट देने को ही राज़ी नहीं होते थे। घंटों गेंदबाज को थका वे उनका मनोबल ही तोड़ देते थे। और विश्व (World) भर के बड़े बड़े गेंदबाजों के उनके सामने पसीने निकल जाते थे। लेकिन ऐसे बल्लेबाजों को यदि कोई गेंदबाज अपने पहले ही मैच में बड़ी ही आसानी से आउट कर जाए तो पहले तो आंखों पर यकीन ही नहीं होता। और अगर यकीन हो भी तो ये बात हजम करना ही बड़ा मुश्किल है कि ऐसा कौनसा तीस मार खान आ गया जो इतनी बड़ी हस्ती को एक साथ आउट (Out) कर गया। ऐसे दृश्य (Scene) बार बार देखने को नहीं मिलते। 1999 के बाद शायद ये दूसरी बार हुआ जब कोई न्यू कमर भारत की ही सरजमीं (Land) पर भारत के ही दो अनमोल रत्नों (Gems) और टेस्ट क्रिकेट के महानायकों को चकमा दे जाए। भाई उसमें टैलेंट तो काफ़ी तगड़ा ही होगा। कुछ बात तो खास होगी। क्योंकि वह जब जब भारत के सामने आया तब तब इन्हें अपनी फिरकी पर नचाया। एक बार नहीं बार बार। अब सुनकर आप सोच रहे होंगे कि ये कारनामा पहले शोएब अख्तर ने किया। उनका खूब नाम हुआ। वे बहुत बड़े खिलाड़ी बने। फिर तो इस खिलाड़ी का भी काफी सुनहरी करियर रहा होगा। अपनी टीम का ये भी हीरो रहा होगा। परंतु बदकिस्मती से ऐसा कुछ नहीं हुआ। उस खिलाड़ी में टैलेंट (Talent) तो भरपूर था। लेकिन वह कभी उस मकाम तक पहुंच ही नहीं पाया। कभी महान खिलाड़ी का ठप्पा (Stamp) उस पर न लग पाया। और कैसे शराब पीकर की गई उसकी एक गुस्ताखी ने उसे दुनिया जहान की बदनामी तो दी ही। साथ ही उसका करियर भी तबाह कर दिया। दोस्तों हम बात कर रहे हैं मोंटी पनेसर की। जो किसी समय इंग्लैंड के बेस्ट स्पिनर (Spiner) हुआ करते थे। आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे उनके उतार चढ़ाव भरे करियर की, साथ ही जानेंगे कि कैसे ये चैम्पियन गेंदबाज अर्श से फर्श पर आ गया और कहीं गुमनाम सा हो गया।

                                                                                               मधसुधन सिंह पनेसर

मधसुधन सिंह पनेसर का जन्म 25 अप्रैल 1982 को यूनाइटेड किंगडम के लूटन शहर में हुआ। वैसे कहने को तो उनका निक नेम मोंटी है। लेकिन यही वो नाम है जिसने उन्हें पहचान दिलाई। उनके पिता परमजीत सिंह और गुरशरण कौर भारतीय मूल के सिख वंशज (Descendants) के ही हैं जो कि इंग्लैंड के रहने वाले थे। और वे लुधियाना से तालुक रखते हैं
अब पंजाबियों को खाने पीने का बहुत शौंक होता है। ये बात तो किसी से छिपी नहीं है।भले ही वे इंग्लैंड में रहते थे, परंतु उनकी जड़ें तो भारतीय ही थी। मोंटी का परिवार भी कुछ इसी लहज़े का था। मोंटी भी बचपन से मोटे और चब्बी/चर्बीदार थे।10–11 साल की उम्र तक मोंटी को क्रिकेट से कोई खास लगाव नहीं था। उन्हें ट्रेनिंग (Training) करना भी पसंद नहीं था। वे कभी कबार संडे को मैच खेलने जाया करते। और धीरे धीरे मोंटी का लगाव क्रिकेट में बढ़ता चला गया।वे थे तो वसीम अकरम के बड़े वाले फैन। उन्हीं को देखकर उनमें क्रिकेट का जुनून जागा और वो भी उन्हीं की तरह एक तेज़ गेंदबाज (Bowler) बनना चाहते थे। लेकिन 3–4 साल तक अकरम बनने की दौड़ में वे कहीं आगे न जा पाए। और न ही उनके पास अधिक गति थी। जब वे 15 साल के थे तो उन्हें कोच पॉल टेलर के रूप में एक फरिश्ता मिला जिसने उनके पोटेंशियल (Potential) को पहचानते हुए उन्हें लेफ्ट आर्म (Arm) स्पिनर (Spiner) बनने की सलाह दी। और अगले ही मैच में 7 विकेट लेकर मोंटी ने अपनी फिरकी का जादू बिखेरना शुरू किया। ये उनके लिए टर्निंग प्वाइंट (Point) साबित हुआ। मोंटी ने एक इंटरव्यू (Interview) में बताया कि पॉल टेलर उनके लिए भगवान थे। अब मोंटी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। और स्कूल लेवल पर कई कमाल की परफॉर्मेंस कर उन्होंने अपना एक नाम बनाया।और साल 2001 उनके लिए ब्रेक थ्रू ईयर साबित हुआ। जहाँ पहले तो उन्हें इंग्लैंड की अंडर 19 टीम में स्थान मिला। साथ ही फर्स्ट क्लास करियर में भी उन्होंने पदार्पण (Debut) किया। जहाँ नॉर्थंप्टनशायर की ओर से खेलते हुए लीसेस्टरशायर के खिलाफ 8/131 के करिश्माई आंकड़ों के साथ मोंटी ने अपने प्रथम श्रेणी करियर की शानदार शुरुआत की थी। लेकिन उन्हें अपनी जगह पुख़्ता (Cemented) करने में 4 साल लग गए।

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2005 के सीज़न (Season) में ताबड़तोड़ 51 विकेट लेकर मोंटी ने मानो चयनकर्ताओं (Selectors) का दरवाजा खटकाया नहीं तोड़ ही डाला।
2006 वो समय आया जब भारतीय दौरे के लिए उनका चयन इंग्लैंड टीम में हुआ। और भारत के खिलाफ उन्हें नागपुर टैस्ट में उनका डेब्यू (Debut) हुआ। और सचिन तेंदुलकर के बड़े विकेट से उन्होंने अपने टेस्ट करियर (Career) का आगाज़ किया। वहीं दूसरे पारी में राहुल द्रविड़ का बड़ा विकेट लेकर अपने पहले टेस्ट में ही बड़े बड़े दिग्गजों को चलता कर खूब सुर्खियां (Headlines) बटोरी। इसके बाद घरेलू सीरीज में उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ पहला फाइफर भी लिया। इसके बाद हुई पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज़ में भी उन्होंने काफ़ी प्रभावित किया।लेकिन चैंपियंस (Champions) ट्रॉफी स्क्वॉड (squad) में उनका नाम न आना शॉकिंग था।
पनेसर की आर्म बॉल उनका सबसे कारगर हथियार थी। ये वो घातक वैरिएशन थी जिसे बल्लेबाज पढ़ने में चकमा खा जाते। और अपने शुरुआती दिनों में मोंटी ने आर्म बॉल से काफ़ी सफलता भी पाई। 2007 की एशेज भले ही इंग्लैंड 5–0 से बुरी तरह हारी,लेकिन इंग्लैंड का इकलौता पॉजिटिव (Positive) पनेसर ही थे, जिन्होंने केवल 3 मैचों में 10 विकेट झटके। वाका में फाईफर लेने वाले वे इंग्लैंड के पहले गेंदबाज बने।
2007 में उन्होंने ओडीआई में अपना डेब्यू किया। जो कद मोंटी का टेस्ट में था, ओडीआई में उन्हें वैसी सफलता हासिल नहीं हुई।और वे अधिक विकेट न निकाल पाए। हां लेकिन वे काफ़ी किफायती स्पैल करते जो कि बल्लेबाजों पर खूब प्रेशर (Pressure) बनाती।
वेस्टइंडीज के इंग्लैंड दौरे पर मोंटी ने कैरेबियन बल्लेबाजों की तबीयत से खातिरदारी की। और क्या फाइफर, क्या टेंफर उस श्रृंखला में सब ले डाला। खासतौर पर चंद्रपाल जैसे लेजेंड, जिनका टेस्ट क्रिकेट में काफ़ी नाम था, उन्हें भी इस श्रृंखला (Series) मोंटी ने काफ़ी परेशान किया। इस सीरीज में 23 विकेट लेकर वे मैन ऑफ द सीरीज भी बने। इसके बाद जब भारत इंग्लेंड गया तो मोंटी ने फिर सचिन को खूब परेशान किया और लॉर्ड्स पर उन्हें बिल्कुल नागपुर टैस्ट के एक्शन (Action) रिप्ले में उन्हें एलबीडब्ल्यू (LBW) आउट किया।
इसके बाद डंकन फ्लेचर ने उन्हें विश्व (World) का सर्वश्रेष्ठ फिंगर (Figure) स्पिनर (Spiner) करार दिया। वहीं फिल टफनेल के बाद उन्हें इंग्लेंड का सर्वश्रेष्ठ (Best) स्पिनर भी कहा गया।
सब कुछ ठीक चल रहा था।और मोंटी का करियर भी काफ़ी बुलंदियों पर चल रहा था।लेकिन नजाने उन्हें किसकी नज़र लग गई। उनके प्रदर्शन में भी कमी आने लगी। साथ ही उनका कॉन्फिडेंस (Confidence) भी काफ़ी डाउन बॉडी लैंग्वेज वाला रहा। और 2009 की एशेज (Ashes) के पहले टेस्ट में हालात बद से बत्तर हो गए जब एक टर्निंग ट्रैक पर भी वे फीके नज़र आए। हालांकि बल्ले से उन्होंने कुछ जादू दिखाया और एंडरसन के साथ 10वें विकेट के लिए 11.3 ओवर ब्लॉक कर इंग्लैंड को मैच बचाकर दिया।
इसके बाद मोंटी को टीम से तो ड्रॉप (Drop)  किया ही, साथ ही सेंट्रल (Central) कॉन्ट्रैक्ट (Contract) से भी उन्हें बर्खास्त (Sacked) कर दिया गया। लेकिन मोंटी ने हार नहीं मानी। और ससैक्स की टीम ने उनके भाग्य बदल दिए।पहले 2009 सीजन में उन्होंने 52 विकेट, फिर 2011 में लिए उनके,69 विकेट ने कोहराम मचा दिया था। जिसके बाद इंग्लैंड की टीम में उन्होंने जोरदार कमबैक किया। और 2012 की पाकिस्तान सीरिज में उन्हें टीम में शामिल किया गया। हालांकि 2 मैचों में उन्होंने 14 विकेट झटके, लेकिन इंग्लैंड 3–0 से ये सीरीज हार गया।

और इंग्लैंड का भारत दौरा भला कौन भूल सकता है जब 2004 के बाद भारत दूसरी बार कोई घरेलू (Domestic) सीरिज हारी।1–0 से पिछड़ने के बाद टीम में मोंटी को शामिल किया गया। और आते ही उन्होंने मैच में 11 विकेट झटक क्राउड (Crowed) को स्तब्ध (Stunned) कर दिया और सचिन तो मानो अब उनके बनी हो गए थे। उनकी बदौलत इंग्लैंड यह सीरिज जीता, मोंटी ने 17 विकेट लेकर काफ़ी इंप्रेस (impress) किया।

सबकॉन्टिनेंट (Subcontinent) में आकर सबकॉन्टिनेंट के ही बल्लेबाजों को अपनी धुन पर नचाना हर किसी के बस की बात नहीं।लेकिन मोंटी बार बार ये कारनामा कर दिखाते, वो भी एक बेहद सरल एक्शन के साथ। वापिस से उनकी गाड़ी ट्रैक पर आने लगी और फिर स्वान के तत्काल (immediately) रिटायर (retire) होते ही वापिस से टीम का प्रमुख स्पिनर
(spinner) बन अपनी जगह पुख़्ता करने का उनके पास सुनहरी मौका भी था।
लेकिन कहते हैं न दोस्तों कि यदि आदमी अपने एटीट्यूड (Attitude) और आदतों पर काबू कर ले तो वह सफलता के शिखर पर जा सकता है।लेकिन मोंटी वो नहीं कर पाए। और उन्हें शराब की बेहद बुरी लत थी। जा आगे चलकर ले डूबी। मोंटी कई कंट्रोवर्सीज (controversy) का शिकार हो गए।

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साल 2013 में नाइट क्लब में ब्राइटन क्लब (club) में मोंटी ने देर रात पार्टी की, खूब लड़कियां छेड़ी और जब सुबह 4 बजे तक वे दारू के नशे में चूर रहे तो कई बार समझाने के बाद बाउंसरों (Bouncers) ने उन्हें बाहर जाने को कहा। लेकिन मोंटी शराब के नशे में इतना धुत थे कि उन बाउंसरो की उन्होंने एक नहीं सुनी और उन्हीं पर पेशाब कर दिया। जिसकी शर्मनाक एमएमएस (MMS) कुछ समय बाद लीक हुई। इससे मोंटी की जमकर बदनामी हुई। आखिर कोई ऐसा कैसे कर सकता है। इसे क्रिकेट का सबसे काला स्कैंडल (Scandal) माना गया जिसने क्रिकेट को काफी शर्मसार किया।हालांकि इसके बाद उन्होंने माफ़ी भी मांगी। पुलिस ने कारवाही करते हुए उनपर भारी जुर्माना (Fine) भी लगाया। और इसके बाद उन्हें ससेक्स (Sussex) ने तो रिलीज (Release) किया ही,साथ ही इंग्लैंड टीम ने भी उनके लिए दरवाज़े हमेशा के लिए बंद कर दिए। बैटिंग और फील्डिंग (Fielding) तो वैसे भी मोंटी की कुछ खास न थी। और मोईन अली, रशीद जैसे कमाल के स्पिनरों ने उनकी टीम से छुट्टी कर दी थी। अब मोंटी क्लब क्रिकेट या थोड़ी बहुत तक घरेलू (Domestic) क्रिकेट तक ही सीमित रह गए। और बोर्ड से कोई सहायता (Help) न मिलने पर वे काफी समय डिप्रेशन (Depression) में चले गए। हालांकि उन्होंने डिप्रेशन से बाहर आकर दोबारा खेलने की इच्छा ज़ाहिर भी की।लेकिन इंग्लैंड ने अब उन्हें राइट ऑफ कर दिया। देखते ही देखते इंग्लैंड के महान स्पिनर कब आंखो से ओझल हो गए,पता ही नहीं चला। जिस तरह से उन्हें ट्रीट किया गया, वो थोड़ा निराशाजनक है। बोर्ड द्वारा उन्हें थोड़े अच्छे से मैनेज किया जा सकता था। साथ ही यदि वे अपने रवैए में सुधार और शराब पर काबू करते तो निश्चित ही आज इंग्लैंड के ऑल टाइम ग्रेट्स में उनकी गिनती होती। 2019 में उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी (Autobiography) भी लिखी। जिसमें बॉल टैंपरिंग का पर्दा फाश करते हुए ये भी साफ किया कि एंडरसन को रिवर्स स्विंग करने के लिए ज़िप, सलीवा में स्वीट मिलाकर बॉल को शाईन किया जाता था। और तो और उन्होंने भारत में 2019 की रणजी ट्रॉफी खेलने की भी इच्छा जताई। परन्तु अब उनके करियर की शाम हो चुकी थी।हाल ही में हुई रोड सेफ्टी (Safety) सीरीज और लेजेंड लीग में भी उन्हें खेलते हुए देखा गया जहां उन्होंने सालों बाद दोबारा सचिन को आउट कर फैंस को काफ़ी आनंदित किया।
मोंटी ने अपने करियर में कुल 50 टेस्ट में 167,26 ओडीआई में 24, और एकमात्र टी 20 में 2 विकेट झटके।वे रेड बॉल में एक अलग ही बीस्ट थे,जिसके नाम 709 फर्स्ट क्लास विकेट हैं।

तो दोस्तों ये थी कहानी इंग्लैंड के महान मगर विवादित स्पिनर मोंटी पानेसर की।आज की पोस्ट में इतना ही, धन्यवाद।

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