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Australia vs Afghanistan World Cup 2023

भाई क्या मैच (Match) था ये। शब्द नहीं हैं मेरे पास। कैसे बयां करूं इसे। क्या कहूं। यार इतनी अतिशी (Too Much) बैटिंग। इतना बेखौफ अंदाज़,इतनी क्लीन स्ट्राइकिंग (Striking)। अनबिलिवेबल (Unbelievable),यार outstanding, माइंड ब्लोइंग,ज़बरदस्त। क्रिकेट इतिहास (History) के सबसे अविश्वसनीय (Incredible) रन चेज। जहां जीत (Victory) का कोई चांस (Chance) ही नहीं था। वहां से इतना बड़ा चमत्कार। क्या कहर ढा दिया मैक्सवैल (Maxwell) भाई। करिश्में तो बहुत देखे,लेकिन इतने वर्षों (Years) की क्रिकेट (Cricket) के इतिहास में पहली बार ऐसा चमत्कार होते देखा। भाई क्या खाकर आए थे मैक्सवेल, क्या हो गया था कल आपको। यार कल तो टू मच हो गया। मुझे नहीं लगता कि मरते दम तक दोबारा कोई ऐसा मैच (Match) देखने को मिलेगा। न ही ऐसी इनिंग (Innings) शायद कभी देख पाऊं। लेकिन इतना शुक्र है भगवान का, कि जब ऐसा बवाल हो रहा था,तो मैंने ये मैच लाइव (Live) देखा। आखिरकार एक बार दोबारा ये साबित (Proved) हो ही गया कि क्यों 5 वर्ल्ड (World) कप (Cup) जीते हैं आस्ट्रेलिया ने। ऐसा कैरेक्टर (Character) किसी दूसरी टीम (Team) में नहीं मौजूद। क्या पटखनी दे दी अफगानिस्तान (Afghanistan) को कल। खून के आंसू रुला दिए यार। लिटरली, धज्जियां उड़ा दी मैक्सवेल ने। जितनी तारीफ़ (Praise) करूं इस पारी की। उतनी कम है,एक पल को भले ही अफगानिस्तान (Afghanistan) ही छाया हुआ था। लेकिन एक अकेले मैक्सवेल ने अफगानिस्तान का काम तमाम कर दिया भाईसाहब। जो अफगानी किसी समय फेवरेट (Favourite) लग रहे थे इस मैच में। यहां तक कि सेमिफाइनल (Semifinal) में क्वालिफाई (Qualify) करने के उनके चांस (Chance) बड़े प्रबल लग रहे थे, सेमिफाइनल तो दूर कल उनकी इज्ज़त के भी चिथड़े चिथड़े कर दिए ग्लेन मैक्सवेल ने। सच मे कल तो यही लगा कि” द बिग शो के आगे अफगानिस्तान दिया रो।” बहुत बातें हैं आपसे करने को। बहुत कुछ कहना है। कल के इस क्रांतिकारी मैच (Match) ने दिमाग ही हैंग कर दिया। कहां से शुरू करूं समझ नहीं आ रहा। अफ्गानिस्तान ने हर बार की तरह आखिर में गंदा परफॉर्म (Perform) तो किया ही। लेकिन भाई इतना भी गंदा नहीं सोचा था, जो कहर बरपाया मैक्सी ने उन पर। समझ नहीं आ रहा मैक्सवेल की तारीफ़ करूं या अफगानिस्तान को रोस्ट (Rost) करूं। सच कहूं तो इन्हें कुछ कहने का दिल ही नहीं कर रहा,थक गया हूं भाई। बड़ा वो जो अपनी गलतियों (Mistakes) से सीख (Learn) ले,लेकिन ये अपनी गलतियों को देखकर ये सोचते (Think) हैं कि अगली बार इससे भी बड़ी गलती करनी है। और जो मैक्सवेल ने इनकी हालत की है। किसी नाइटमैयर (Nightmare) से कम नहीं। ज़रा ये भी तो देखिए।

Glenn Maxwell

यार अफगानिस्तान टीम (Team) जब मुंबई (Mumbai) के इस खुबसूरत मैदान (Field) पर जब खेलने आई तो उससे ठीक पहले खिलाडियों (Players) ने सचिन (Sachin) तेंदुलकर (Tendulkar) साहब से अपनी परफार्मेंस (Performance) के लिए टिप्स (Tips) लिए,लेकिन क्या फायदा, मरवा तो बोलिंग (Bowling) ने दिया।अखिर में किया तो वही गुड़ गोबर ही न। एक मीटिंग (Meeting) ग्लैन मैकग्रा से भी कर लेनी थी। शायद काम तमाम न होता अफगानिस्तान का। यार 292 की चेस (Chess) में आप सामने वाली टीम (Team) को 91/7 कर दें तो कम से कम 150 रनों (Runs) की आपकी जीत (Victory) तो कहीं नहीं गई। लेकिन यहीं तो बात बिगड़ी। ज़रा इस मैच (Match) में पीछे चलते हैं, देखते हैं कि कहां क्या चूक (Mistake)  हो गई अफगानिस्तान से। शुरुआत तो वही अटैकिंग (Attacking) ।लेकिन फिर गुरबाज का अच्छे स्टार्ट (Start) को थ्रो करना। मना भी किया था बाबर आजम से मिलने को,लेकिन नहीं, फिर भी उन्हीं से बैट लेना था आपको। अब भुगतो।
शाहिदि और रहमत वही अपनी नैचुरल (Natural) गेम खेले,धीमी और शॉर्ट (Short) टर्म (Term) पारियां। देखा जाए तो कोई बल्लेबाज (Batsman) ढंग से टिका ही नहीं क्रीज़ (Crez) पर,एक आया और गया। दूसरा बल्लेबाज (Batsman) भी आता और यही पैटर्न (Pattern) फॉलो (Follow) करता। लेकिन इब्राहिम जादरान ने बड़े ही महान लहज़े में बल्लेबाजी (Batting) की।और ऑस्ट्रेलिया के क्वॉलिटी (Quality) पेस अटैक (Attack) के सामने 129 रन जड़ दिए। वर्ल्ड कप सेंचुरी (Century) बनाने वाले भाई पहले अफगानी खिलाड़ी (Player) बने।बाकी असली फिनिशिंग (Finishing) की राशिद ने। महज़ 18 गेंदों (Balls) में 35 रनों , और 291 के तगड़े स्कोर (Score) ने मौज कर दी अफगानिस्तान (Afghanistan) की तो।

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अब टारगेट (Target) ठीक ठाक था। अभी तक ऑस्ट्रेलिया ने 287 के ऊपर कोई सक्सेसफुल (Successful) रन चेज किया ही नहीं था वर्ल्ड कप के इतिहास (History) में। यहां एक बात तो साफ़ थी, कि अगर इतिहास रचना था,तो इस चेज (Chase) को करके ही दिखाना होता। वैसे तो बड़ा कम होता है कि वॉर्नर (Warner) या हेड में से दोनों ही न चले और कल यही मौका था। मार्श बड़े तगड़े इंटेंट से खेल रहे थे, मगर उनका भी पत्ता कट गया। लाबूशेन (Labushen) भी बस एक रन (Run) की लालच (Greed) में निपट गए। इंगलिस (English) को तो पता भी नहीं लगने दिया कि आखिर हुआ क्या। हालात बद से बत्तर होते चले गए। 292 की चेस (Chase) में केवल 18.3 ओवर (Over) में महज 91 रनों पर 7 विकेट। गर्दा उड़ा रखा था अफगानिस्तान ने। काफ़ी सपोर्ट (Support) भी मिल रहा था इन्हे स्टेडियम (Stadium) से। बस इसी बात से नाराज़ होकर मैक्सवेल (Maxwell) क्रीज (Crez) पर खड़ गए,और कमाल की बात तो ये है कि जब आपके इतने विकेट (Wicket) गिर जाए और सिर्फ गेंदबाजों (Bowlers) की ही बल्लेबाज़ी (Batting) बची हो, तो भाई काम मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है। अगर यहां से 50 रन (Run) भी रहते होते और तब ऑस्ट्रेलिया (Australia) जीत (Victory) जाती तो बात और थी। लेकिन जब हर कोई हार मान गया था,तो ये भाई जीत ठान चुके थे। अभी भी 201 रनों की दरकार थी। और कप्तान (Captain) कमिंस मैक्सवेल के साथ मौजूद थे। लेकिन यहां काम नामुमकिन (Impossible) सा था।
और यहीं से मैक्सवेल का तांडव शुरू हुआ। क्या फास्ट (Fast) बॉलर (Bowler), क्या स्पिनर (Spinner), सबको बहुत कुटा मैक्सवेल् ने।
मैं तो अभी तक शॉक (Shock) में हूं यार, इतनी लाजवाब बैटिंग (Batting)। यार अगर कहीं तूफान भी आता है न तो उसके पहले थोड़ी शांति होती है। लेकिन ये तो कल शांत ही नहीं हुए। आते ही बरस पड़े। एक एक के ऊपर टूट पड़े। क्या तबाही मचा दी भाई ने। मज़ा ही आ गया। लेकिन मैक्सवेल भाई हैं बड़े दिलवाले, कई मौके दिए अफगानिस्तान को। लेकिन इन नलायकों को कौन समझाए कि कैचेस (Caches)  विन मैचेस। वरना जीते (Won) मैच भी हार जाता है आदमी। पहले 24,फिर 33 पर उन्हें जीवनदान मिला। हालांकि मुजीब का कैच (Catch) तो बहुत आसान था। कोई एंडर 15 का खिलाड़ी भी पकड़ लेता उसे। लेकिन नहीं, इन्होंने मौके छंटक दिए।
पर 2–2 जीवनदान मिलने के बाद किस कदर चकनाचूर किया मैक्सी ने इस बॉलिंग (Bowling) को,ये देखने लायक था। पहली 50 पूरी 51 गेंदो में। अगला 50 25 गेंदों पर। और अगली 25 गेंदों में मैक्सवैल 147 रनों (Runs) तक पहुंच गए। लेकिन यहाँ क्रैंप्स ने उनकी हालत खराब कर दी। जिसके बाद फिजियो साहब भी ज्यादा कुछ न कर सके। मैक्सवेल चलने में बहुत ही स्ट्रगल (Struggle) कर रहे थे। उनसे ठीक से खड़ा (Stand) भी नहीं हुआ गया। लेकिन इसके बावजूद जो उन्होंने टॉप (Top) की परफॉर्मेंस (Performance) की,वो काबिले (Worthy) तारीफ़ है। आखिरी के 55 रन तो उन्होंने खड़े खड़े बनाए। सिर्फ हाथों की ताकत से। बिना लोअर (Lower) बॉडी (Body) मूव किए। कमाल की स्विच (Swich) हिट, रिवर्स स्वीप, अविश्वसनीय (Unbelievable) शॉट्स (Shorts) खेले।और बीच बीच में पूरी जान लगाकर सिंगल लिए।

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मैक्सवेल तो विडियो गेम की तरह ही शॉट्स खेलते रहे । और देखते ही देखते ये स्कोर चेज (Chase) कर दिया मैक्सवेल ने। देखते ही देखते दोहरा शतक (Century) भी जड़ दिया। जिसकी किसी को कोई उम्मीद (Hope) भी नहीं थी। सब उम्मीद लगाते हैं रोहित से।लेकिन बाज़ी मारी मैक्सवेल ने। उन्होंने रन (Run) बनाए 201, केवल 128 गेंदों (Balls) में जिसमें 21 चौके,और 10 गगनचुंबी छक्के (Sixes) थे। पता नहीं कौन सी दुनिया (World) से हैं ये खिलाड़ी। अफगानिस्तान के बचे कूचे चांस (Chance) भी खत्म कर दिए। लेकिन यहां पैट कमिंस की भी तारीफ़ बनती है। 68 गेंदों तक डटे रहे। भले ही रन सिर्फ 12 बनाए लेकिन अपना विकेट (Wicket) नहीं दिया। बडे़ बडे़ खिलाड़ी गलती कर जाते हैं। लेकिन इन्होंने काफ़ी सुझ बूझ वाली बैटिंग (Batting) की | और अफगानिस्तान (Afghanistan) ने एक गोल्डन opportunity गवा दी इतिहास रचने की। सच में इनका कुछ नहीं हो सकता। जो ऐसी सिचुएशन (Situation) से भी हार (Defeat) जाए वो तो जितना डिजर्व (Deserve) ही नहीं करते।पता नहीं क्या दिक्कत है। इनके गेंदबाजों (Bowlers) से आखिरी के विकेट (Wickets) ही नहीं लिए जाते। लेकिन एक बार फिर सलाम है ग्लेन मैक्सवेल के नेवर गिव अप एटीट्यूड (Attitude) को। अक्सर या तो कोई खिलाड़ी (Player) मैच जीतता है या दिल। लेकिन मैक्सी दोनों ही जीत (Win) गए और ऑस्ट्रेलिया ने एक करिश्माई जीत से क्वालीफाई (Qualify) कर लिया।

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