टेस्ट क्रिकेट, क्रिकेट खेल का एक ऐसा प्रारूप जहां पर सही मायनो में खिलाड़ियों के व्यक्तित्व और व्यक्तित्व की दृढ़ता का प्रदर्शन समूचे विश्व के सामने होता है।
क्रिकेट के सभी प्रारूपों में सबसे Tough टेस्ट क्रिकेट अपने साथ लाता है खिलाड़ियों के हौसलों को चेक करने वाला ultimate test और इस टेस्ट में जिस खिलाड़ी का प्रदर्शन रहता है सबसे बेस्ट! उसी के सिर सज़ती है Ultimate cricket player होने की ख्याति।
मुरली विजय का शुरुआती जीवन-
हम जानेंगे आखिर कैसे 12वीं कक्षा में 40% marks लाने के बाद मुरली विजय को होटल में काम करना पड़ा हम जानेंगे आखिर क्यों मुरली विजय के पिता उन्हें चपरासी बनने लायक तक भी नहीं समझते थे और हम जानेंगे आखिर क्यों अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में साधु की उपाधि प्राप्त मुरली विजय ने साथी खिलाड़ी दिनेश कार्तिक की पत्नी से शादी रचा ली।
मुरली विजय का जन्म तमिलनाडु के एक छोटे कस्बे Tambaram में हुआ। अपने बचपन के दौर से ही मुरली विजय पढ़ाई से ज्यादा स्पोर्ट्स पर ध्यान दिया करते थे।
स्पोर्ट्स का भूत मुरली विजय के सर पर ऐसे सवार था कि वह अपने एग्जाम्स भी खेल के पीछे छोड़ दिया करते थे। अपनी प्राइमरी स्कूल के अंत में मुरली विजय को क्रिकेट खेल का चस्का लगा और फिर क्रिकेट के पीछे मुरली विजय की दीवानगी इतनी बढ़ गई कि वह पूरे-पूरे दिन क्रिकेट मैदान पर क्रिकेट खेलते हुए बिता दिया करते थे।
मुरली विजय के बचपन में ही, उनके अंदर छिपी बल्लेबाजी की बेहतरीन प्रतिभा क्रिकेट मैदान पर वाहवाही बटोरने लगी थी। और बारहवीं कक्षा तक आते-आते मुरली विजय स्थानीय स्तरों पर अपने आप को एक शानदार बल्लेबाज के रूप में स्थापित कर चुके थे।
क्रिकेट के प्रति ज्यादा ध्यान के चलते मुरली विजय को 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में इसकी कीमत भी चुकानी पड़ गई। 12वीं कक्षा में मुरली विजय के महज़ 40 परसेंट marks ही आए जिसके चलते उन्हें पिता के गुस्से का सामना करना पड़ा।
मुरली विजय के पिता ने गुस्से में उनसे कह दिया था कि ” तुम अपने जीवन में कभी चपरासी भी नहीं बन सकते” पिता की इस बात से मुरली बजाए इतने आहत हुए कि उन्होंने घर छोड़ने का फैसला कर लिया।
घर छोड़ने के बाद मुरली विजय एक स्थानीय होटल में ही स्नूकर क्लब में काम करने लगे, यहां उन्हें रहने के लिए जगह भी मिल गई थी। स्नूकर क्लब में काम करके कमाए अपने पैसों से मुरली विजय ने अपने मनपसंद विवेकानंद कॉलेज में दाखिला ले लिया यहां रहते हुए पढ़ाई के साथ-साथ मुरली विजय क्रिकेट खेल में भी लगातार सफलता पाते चले गए।
मुरली विजय का क्रिकेट में शुरूआत-
अपनी क्रिकेट खेल के चलते मुरली विजय 2003 में तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने Chennai Central zone के Alwarpet क्लब की ओर से क्रिकेट खेलना शुरू किया। इसके बाद ही सीके नायडू ट्रॉफी में मुरली विजय का सिलेक्शन तमिलनाडु अंडर बाईस के लिए हो गया।
सीके नायडू ट्रॉफी में तमिलनाडु की ओर से एक ओपनर के तौर पर खेलते हुए मुरली विजय का बैटिंग औसत 6 मैचों में 26.45 का रहा।
एक ओपनर बल्लेबाज के तौर पर मुरली विजय के शानदार Temperament को देखते हुए तमिलनाडु टीम ने साल 2006 की रणजी वनडे ट्रॉफी में मुरली विजय को जगह दे दी। और इस पूरे सीजन में बल्लेबाजी का कमाल प्रदर्शन दिखाते हुए मुरली विजय, मनोज तिवारी और रॉबिन उथप्पा के बाद तीसरे Highest run getter रहे। इसके बाद मुरली विजय का बल्ला 2007-8 रणजी ट्रॉफी, 2007-8 दिलीप ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी में भी जमकर बोला।
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मुरली विजय का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में चयन-
साल 2008 में मुरली विजय का सिलेक्शन New zealand “A” के खिलाफ India “A” से चार दिवसीय मैचों के लिए हो गया।
इंडिया A से खेलते हुए मुरली विजय का शानदार बल्लेबाजी जारी रही और यहां उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहली इनिंग्स में 45 और और दूसरी इनिंग्स में 98 रन ठोक कर न्यूजीलैंड को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
न्यू जीलैंड A के खिलाफ किए गए शानदार प्रदर्शन के बदौलत मुरली विजय को भारतीय टेस्ट कैप पहनने का सौभाग्य भी प्राप्त हो गया। साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे पर गौतम गंभीर की जगह मुरली विजय को टीम में चयनित कर लिया गया और अपने पहले ही अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट मैच में मुरली विजय ने वीरेंद्र सहवाग के साथ साझेदारी करते हुए पहली इनिंग्स में अपनी सूझबूझ के साथ 33 और 41 रनों का आंकड़ा अपनी टीम के नाम जोड़ डाला।
मुरली विजय की नियंत्रित और संतुलित बल्लेबाजी को देखते हुए कमेंट्री पर बैठे ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान Allan border भी अपने आप को उनकी तारीफ करने से रोक नहीं पाए। और उन्होंने मुरली विजय को सबसे संतुलित भारतीय बल्लेबाज बता डाला।
मुरली विजय की नियंत्रित पारी को देखते हुए भारतीय चयनकर्ताओं ने भी इंग्लैंड के खिलाफ मुरली विजय को वनडे टीम में जगह दे डाली पर सचिन तेंदुलकर की वापसी के चलते मुरली विजय यहां खेले गए तीन में से एक भी मैच में अपना नाम playing eleven में शुमार नहीं कर पाए।
इस दौरे के बाद मुंबई में खेले जाने वाले श्रीलंका के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में गंभीर की जगह फिर से मुरली विजय को अंतिम ग्यारह में शामिल कर लिया गया।
और इस मैच में एक बार फिर कमाल की बल्लेबाजी का प्रदर्शन करते हुए मुरली विजय ने 87 रन अपने नाम के आगे जड़ डालें। इसके बाद बांग्लादेश दौरे पर गई भारतीय टीम में VVS के चोटिल होने के बाद फिर से मुरली विजय को भारतीय टेस्ट स्क्वाड में शामिल कर लिया गया और यहां भी नंबर पांच पर खेलते हुए मुरली विजय का जबरदस्त बैटिंग फ्लो जारी रहा।
बांग्लादेश के बाद मुरली विजय का शानदार और संतुलित प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका जैसे tough कॉम्पिटिटर्स के सामने भी लयबद्ध तरीके से जारी रहा। इस दौरान मुरली विजय ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 139 रनों का स्कोर भी अपने नाम किया था।
टेस्ट क्रिकेट में लगातार मिल रही सफलता ने मुरली विजय के लिए भारतीय ओडीआई टीम के दरवाजे भी खोल दिए और अपने पहले एकदिवसीय मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 16 गेंदों पर 25 रन ठोक कर मुरली विजय, न्यूजीलैंड और जिंबाब्वे जाने वाली भारतीय एकदिवसीय टीम में अपनी जगह फिक्स कर बैठे।
मुरली विजय का क्रिकेट करियर-
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सफर में चलते हुए मुरली विजय को कुल 61 टेस्ट और 17 एकदिवसीय मैचों में भारतीय क्रिकेट टीम के प्रतिनिधित्व का गौरव हासिल हुआ वही इस दौरान मुरली विजय के टेस्ट क्रिकेट में कुल रन 3982 रहे वहीं one-day इंटरनेशनल्स में मुरली विजय के नाम महज़ 339 रन ही रहे।
वन डे इंटरनेशनल क्रिकेट में जहां मुरली विजय के नाम एक भी शतक शामिल नहीं है वही वह अपने पूरे करियर में कभी भी भारतीय T20 क्रिकेट टीम का हिस्सा नहीं बन पाए। पर बावजूद इसके मुरली विजय के टेस्ट करियर में ऐसे कई मुकाम उनके नाम के आगे दर्ज हुए
जिनसे भारतीय टेस्ट क्रिकेट की गरिमा हमेशा ही क्रिकेट इतिहास में गौरवान्वित होती रहेगी। खासतौर पर अगर हम बात करें साल 2013 के मोहाली टेस्ट की जहां मुरली विजय ने डेब्युटेंट शिखर धवन के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार 289 रन की ओपनिंग साझेदारी बिना किसी विकेट गवाएं कर डाली थी।
इस दौरान अकेले मुरली विजय के बल्ले से 153 रन निकले थे। मुरली विजय और शिखर धवन की खेली गई यह ओपनिंग पारी आज भी भारतीय टेस्ट इतिहास में अपना एक स्वर्णिम स्थान घेरे हुए हैं।
International cricket के अलावा मुरली विजय समय-समय पर आईपीएल टीमों के लिए खेलते हुए भी अपनी प्रतिभा का जौहर भारतीय क्रिकेट मैदानों पर बिखरते नजर आते रहे हैं।
बात करें अगर मुरली विजय की आईपीएल टीमों की तो मुरली विजय साल 2009 से 2013 तक Chennai Super Kings का हिस्सा रहे वहीं साल 2014 में दिल्ली डेयरडेविल्स से जुड़ने के बाद मुरली विजय, 2015 से 17 तक किंग्स इलेवन पंजाब का हिस्सा रहे। और 2018 के बाद से ही मुरली विजय अपनी पुरानी फ्रेंचाइजी सीएसके के साथ लगातार जुड़े हुए हैं।
अब अगर बात करें आईपीएल में मुरली विजय के Stats की तो मुरली विजय ने कुल 106 आईपीएल मैचों में 25 की औसत से 2619 रन अपने नाम के आगे दर्ज किए।
मुरली विजय का ब्यक्तिगत जीवन –
आईपीएल के सीजन 5 के दौरान ही मुरली विजय की नज़दीकियां दिनेश कार्तिक की पत्नी निकिता बंजारा से बढ़ी थी, नज़दीकियां अफेयर में तब्दील हुई और बाद में मुरली विजय और निकिता ने शादी रचा ली।
अपने शांत स्वभाव और संतुलित व्यक्तित्व के चलते अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में साधु के उपनाम से जाने, जानेवाले खिलाडी मुरली विजय साथी खिलाडी की पत्नी से शादी रचाने के बाद मीडिया के बीच गहरे विवादों में घिरते हुए नजर आए थे, लेकिन दिनेश कार्तिक द्वारा इस मसले को बेहद ही आसानी से सुलझा दिया गया था।
लगभग 10 साल चले मुरली विजय के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में उनके द्वारा भारतीय क्रिकेट की कई नामी उपलब्धियां हासिल की गई, वर्तमान समय में मुरली विजय ने अपने आप को क्रिकेट एक्शन से दूर रखा हुआ है जिससे उनके रिटायरमेंट के कयास भी लगाए जा रहे हैं। रिटायरमेंट के लिए मुरली विजय का फैसला जो भी हो नारद टीवी की शुभकामनाएं उनके साथ है।
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