CricketSports

Sachin Sehwag Greatest Partnership In Cricket

दोस्तों क्रिकेट को मैं बचपन से ही फॉलो (Follow) कर रहा हूं, और तब से लेकर अब तक इन्डियन (Indian) टीम (Team) की लगभग हर सीरिज (Series), हर मैच को फॉलो करते आया हूं, बड़ी करीब से मैंने हर दौर देखा, चाहे वो इन्डियन क्रिकेट के ग्लोरी (Glory) डेज (Days) हों,या आज चल रहा डाउनफॉल (Downfall)। चाहे वो चैम्पियंस (Champions) ट्रॉफी (Trophy) में 127 रन डिफेंड (Defend) करना हो ,या डबल्यूटीसी (WTC) फाइनल (Final) में आस्ट्रेलिया के हाथों शर्मनाक हार । लेकिन इन सबके बीच कुछ ऐसे प्लेयर्स (Players) होते हैं, कुछ ऐसे मोमेंट्स (Moments) होते हैं, जो हमारे दिल के बड़े करीब होते हैं। मेरी भी कुछ यादें हैं, जिससे मैं अपने पुराने दिन रिलेट (Relate) करता हूं। बचपन के वो दिन,2003 का वो वर्ल्ड (World) कप और इंडियन टीम के वो 2 खिलाड़ी,जय वीरू के बाद मेरी सबसे फेवरेट जोड़ी थी – सचिन वीरू। जो नजरों के इशारे में ही रन (Run) भाग जाते थे। देखते ही देखते सामने वाली टीम से मैच छीन जाते थे। वो दिन भी क्या दिन थे। आज भी जब बचपन के उन दिनों की याद आती है, तो सचिन सहवाग का चेहरा सामने आ जाता है। क्या ओपनिंग (Opening) करते थे न, मज़ा आ जाता था। मेरे जैसे और भी कई 90 के किड्स (Records) के लिए इमोशन (Emotion) है सचिन सहवाग की एवरग्रीन (Evergreen) सुपरहिट (Superhit) जोड़ी जिसने इन्डियन क्रिकेट को एक नई शुरुआत देकर बुलंदियों पर पहुंचाया। लेकिन ताजुब की बात तो ये है इन दोनों में से कोई असल में ओपनर (Opener) था ही नहीं। तो आज हम हमारी नई सीरिज जो (Series) ड़ी नंबर वन के नए पोस्ट में बात करेंगे हमारे बचपन को खूबसूरत और यादगार बनाने वाली इस सफलतम पार्टनरशिप (Partnerships) के सफर की। साथ ही जानेंगे कि आखिर कैसे हमें ये जबरदस्त जोड़ी मिली.
सहवाग ने अपने करियर (Career) का पहला मैच 2001 में खेला था, और तब उनकी शक्ल,खेलने का अंदाज़ और चाल बिल्कुल सचिन सी ही थी। तब कपिल देव ने तो उन्हें नॉर्थ (North) इंडिया (India) का सचिन तक कह दिया था। अब ऑफ़ द फील्ड तो सहवाग की इंस्पिरेशन (Inspiration) ही सचिन थे।लेकिन अब देखना ये था कि सचिन और उसकी परछाईं की क्रिकेट के मैदान पर कैसी जमती है।

sachin and sehwag

तो बात है 2002 की,जब इंग्लैंड भारत दौरा करने आया था। पर टीम में सहवाग की बैटिंग (Batting) काफी नीचे आ रही थी। और उनकी परफोर्मेंस (Performance) भी वहां से उस तरह की नहीं आ रही थी। तब ओपनिंग (Opening) कॉम्बिनेशन (Combination) को चेंज (Change) कर गांगुली ने सहवाग को ओपनिंग में भेजा, जहां तीसरे ओडीआई (ODI) में पहली बार सचिन सहवाग की जोड़ी हमने पहली बार देखी थी। और अपने पहले ही मैच में 18 ओवर में तेज़ तर्रार 107 रन जोड़ इन्होंने कमाल का आगाज़ (Beginning) किया और इंडिया ये मैच जीता (Win) भी। और अगले मैच में ये जोड़ी 17 ओवर में 134 रन ठोक देता है, और अगले दो मैचों में भी ये ताबड़तोड़ अंदाज़ में हमें क्विकफायर (Kick Fire) स्टार्ट (Start) दे जाते हैं। ये देखकर साफ़ हो गया था कि सेहवाग ओपनिंग के लिए ही बने हैं और सचिन के साथ ही।यहां से सफर शुरू हुआ दो ऐसे खिलाड़ियों की सुपरहिट ओपनिंग का, जो कि ओपनर्स थे ही नहीं।

इसके बाद 2003 के वर्ल्ड (World) कप (Cup) में भी हमने एक ड्रामेटिक (Dramatic) अंदाज़ में इस जोड़ी को दोबारा सारा देखा।जब नीदरलैंड के साथ पहले मुकाबले में भले ही हमे जीत मिली पर हम सिर्फ 204 रन ही बना सके थे। वहीं दूसरे मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ महज़ 125 पर सिमट जो हमें करारी हार मिली, उसने टीम को ये सोचने पर मजबूर कर हो गई कि किसे ओपनिंग करनी चाहिए। क्योंकि हमारी ओपनिंग पार्टनरशिप 25– 30 के ऊपर जा ही नहीं रही थी।तो सभी टीम मेंबर्स (Members) ने अपनी पसंदीदा ओपनिंग कॉम्बिनेशन चिट्स (Cheats) पर लिखा। और ताजुब की बात तो ये है कि 15 में से 14 चिट पर सचिन और सहवाग का नाम लिखा था। और सिर्फ एक पर गांगुली और सचिन। तब गांगुली ने मज़ाक में कहा कि यार तुम लोग पॉलिटिक्स (Politics) कर गए मेरे साथ। खैर, जिम्बाब्वे के सामने ही अपने पहले मैच में सचिन सहवाग की जोड़ी उतरती है। और 99 रनों की शानदार ओपनिंग पार्टनरशिप से (Partnerships)  इनकी जोड़ी धूमधाम वाला आगाज़ करती है। और फिर नामीबिया के खिलाफ़ 46, इंग्लैंड के खिलाफ ज़बरदस्त 60 रन के ओपनिंग स्टैंड (Stand) के बाद हमारा मुकाबला पाकिस्तान के साथ होता है। जो कि न केवल इन लेजेंड्स (Legends) के, बल्कि हम फैंस (Fans) के जीवन का भी सबसे एक्साइटिंग (Exciting) और यादगार (Memorable) मैच था। जहां शोएब, वसीम, वकार और रजाक से सजी घातक पाकिस्तानी लाइन अप को इन्होंने तहस नहस कर दिया था। चाहे वो शोएब की पहली बॉलn (Ball)  पर सचीन का आइकॉनिक (Iconic) सिक्स (Six) हो,या सहवाग का एग्रेसिव (Aggressive) स्ट्रोकप्लै (Stroke play),महज़ 5.3 ओवर (Over) में 54 रन का तेज़ तर्रार ओपनिंग स्टैंड (Stand) कर इन दोनों ने हमारी यादगार (Memorable) जीत की नीव रखी। सचिन तो थे ही ज़बरदस्त फ़ॉर्म (Form) में,और 98 रनों की मास्टरक्लास (Masterclass) खेल उन्होंने एक बड़ी चेस (Chess) कर दिखाई। इसके बाद श्रीलंका के खिलाफ़ तो 153 रन की इनकी ज़बरदस्त ओपनिंग (Opening) ने क्या खूब मेला लूट लिया था। बस फाइनल (Final) में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन जल्दी आउट (Out) हो गए और अकेले लड़ते रहे सहवाग। हम ये वर्ल्ड कप भले ही न जीत (Win) सके,पर सचिन सहवाग हमारा दिल ज़रूर जीत गए। खास तौर पर सचिन तो प्लेअर (Player) ऑफ द टूर्नामेंट (Tournament) थे। जो कि सिर्फ़ उस आखिरी मैच में चूक गए थे।

इसके बाद इंडियन टीम के कोच (Coach) ग्रैग चैपल और कप्तान (Captain) द्रविड़ बने। जिन्होंने एक के बाद एक एक्सपेरिमेंट (Experiment) और हिट (Hit) एंड ट्रायल (Trial) करने शुरू कर दिए। कभी ओपनिंग (Opening) रॉबिन उथप्पा करते,तो कभी इरफान पठान। कभी सहवाग ड्रॉप (Drop) हो जाते,तो कभी सचिन मिडल (Middle) ऑर्डर में। काफ़ी समय ऐसा चलने के बाद 2008–09 का वो दौर आ ही गया जब सचिन और सहवाग की जोड़ी पक्के तौर पर ओपनिंग (Opening) करती। और चीज़ें काफ़ी बैलेंस (Balance) और सैटल (Sattle) दिखने लगी।

ये भी पढ़े – भारतीय क्रिकेट टीम का अगला कोच कौन होना चाहिए?

हर चीज़ की कोई न कोई खासियत ज़रूर होती है। लेकिन सचिन सहवाग की ये जोड़ी तो गुणों की खान थी। ऐसा लगता था कि मैच से पहले ये कोई स्ट्रैटजी (Strategy) बनाकर मैदान पर उतरे हैं। और जब भी ओपन करते थे, तो दोनों ही बॉलर्स को टूट कर पड़ जाते। दोनों एक दूसरे को बड़े ही अच्छी तरह समझते थे।और सचिन एक बड़े भाई की तरह सहवाग को पहले ही सचेत (Alert) कर दिया करते कि लाला अगली बॉल पैड पर आयेगी, तो तैयार रहना। वहीं सहवाग भी अपनी आतिशी बैटिंग से, शुरूआत से ही सचिन से प्रैशर (Pressure)  हटा दिया करते थे। जिससे कि वे लंबा खेल सकें। 2003 का वर्ल्ड कप तो वो दौर था जब सचिन अपनी पीक (Peak) पर थे,और सहवाग यंग (Young) थे। तब ये दोनो लगभग एक ही गति (Speed) से खेला करते थे और सचिन बड़ी बड़ी इनिंग्स (Innings) खेल दिल खुश कर दिया करते। लेकिन 2011 के वर्ल्ड कप में सहवाग और भी घातक और अनुभवी हो चूके थे। और सचिन अपने करियर (Career) के आखिरी पड़ाव में। जो कि शुरूआत में समय लिया करते। अब समय के साथ रोल (Role) थोड़ा बदला, जहां सहवाग पहली ही बॉल से चौका लगाकर हमें पावरप्ले (Power play) में तूफ़ानी शुरूआत देते, तो सचिन एक छोर संभालकर ऐंड तक डटे रहते। इस वर्ल्ड कप में कमाल की बात ये थी कि सहवाग ने 5 मैचों की पहली बॉल पर पहला चौका जड़कर एक अलग ही रिकॉर्ड (Record) बना दिया था। पहले मैच से ही गाड़ी 150 की स्पीड (Speed) से दौड़ रही थी। पहले ही मैच में बांग्लादेश को धो सहवाग ने 175 रन , तो वहीं दूसरे मैच में सचिन ने भी 120 रनों की शानदार पारी खेली थी। वहीं सेमीफाइनल (Semifinal) में मोहाली में उमर गुल को एक ही ओवर में 5 चौके जड़ दिए थे। जिसने मैच की टोन सेट कर दी थी। तो सचिन ने भी उस मैच में 85 रन ठोक हमें एक फाइटिंग (Fighting) टोटल तक पहुंचाया था। एक बार फिर हमें वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचाने का हमारी सुपरहिट (Suparhit) जोड़ी का बड़ा हाथ था। लेकिन फाइनल की दूसरी ही बॉल पर सहवाग का डक पर आउट (Out) हो जाना, और सचिन का फेलियर (Failure) एक बार फिर हमारा दिल तोड़ गया। लेकिन लकिली ये वर्ल्ड कप हम जीत गए और अपने आखिरी वर्ल्ड कप और आईसीसी टूर्नामेंट (Tournament) में सचिन सहवाग को एक ओडीआई (ODI) वर्ल्ड कप की ग्लोरी मिल ही गई। और कुछ इस तरह हुई इनकी जोड़ी की हैप्पी एंडिंग।अब क्योंकि इनके कैरियर की शाम हो चुकी थी। और यंगस्टर्स (Youngsters) को मौके देने के लिए कप्तान (Captain) धोनी ने रोटेशन (Rotational) पॉलिसी चालू कर दी थी। तो साल 2012 वो आखिरी मौका था जब ,ऑस्ट्रेलिया में हुई कॉमनवेल्थ (Common wealth) बैंक (Bank) ट्राई सीरीज (Series) में दुनिया ने सचिन सहवाग की इस ब्लॉकबस्टर (Blockbuster) जोड़ी को एक साथ ओपनिंग करते देखा था। और 10 साल पहले जिस फ्री (Free) फ्लोइंग (Flowing) स्ट्रोकप्ले (Strokeplay) के साथ ये दिग्गज मैदान पर उतरे,आज भी उसी अंदाज़ में इन्होंने श्रीलंकाई बॉलर्स (Bowlers) की पिटाई की। और सिर्फ 6.2 ओवर में 54 रन जोड़ एक तेज़ तर्रार शुरुआत की, जिसे हमारे मिडल (Middle) ऑर्डर ने बखूबी निभाया और सिर्फ 36 ओवर्स में हमने 321 रन का रिकॉर्ड चेस किया।इसके बाद सचिन और सहवाग दोनों ने ही अपने आखिरी मैच 2013 में खेले, जहां सहवाग को टीम से परमानेंट (Permanent) ड्रॉप कर दिया गया,सचिन ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट (Format) को अलविदा कह दिया। इसके बाद दोबारा कभी नीली जर्सी में ये दिग्गज दिखाई नहीं दिए। इसके साथ ही एक युग का अंत हो गया।

ये भी पढ़े – 5 Best Cricket Films of Indian Cinema

इनकी कैमिस्ट्री (Chemistry)  शायद क्रिकेट की सबसे खूबसूरत चीज़ थी।
जिसने हमें लाखों खुशियां दी, बेशुमार एक्साइटमेंट दी, और कुछ यादगार लम्हें।
सिर्फ ओडीआई में ही नहीं, टैस्ट क्रिकेट में भी सचिन सहवाग ने कई करिश्माई साझेदारी की। जिनमें से एक थी सहवाग के डेब्यू टैस्ट की ही।जहां सचिन 4,और सहवाग 6 नंबर पर बैटिंग करने उतरे।और 5वे विकेट के लिए उन्होंने 220 रनों की शानदार पार्टनरशिप (Partnerships) कर टीम को कोलाप्स (Collapse) से तो बचाया ही था,साथ ही एक मज़बूत पोजीशन (Position) में भी ला दिया था।2010 के उस एतिहासिक (Historic) कोलकाता टैस्ट (Test) की, जहां 643 का स्कोर (Score) खड़ा कर हम एक इनिंग्स (Innings) से मैच जीते थे, उस मैच में सहवाग ने 163 और सचिन ने 106 रन। जड़े थे, जिस दौरान 249रनों की उनकी पार्टनरशिप ने उस बड़ी जीत की नींव रखी थी। इसके अलावा मुल्तान टैस्ट भला कौन भूल सकता है, जहां तीहरा शतक (Century) लगाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे सहवाग, उनके 309 और सचिन के 194* ने 336 रनों की रिकॉर्ड पार्टनरशीप की थी, जो कि तीसरे विकेट (Wicket) की सबसे बड़ी स्टैंड (Stand) थी। साथ ही टॉप 5 ऑल टाइम हाईएस्ट (Highest) पार्टनरशिप भी बनी।साथ ही सचिन सहवाग के करियर का एक यादगार लम्हा भी। जिसका एक बड़ा ही रोमांचक किस्सा याद करते हुए सहवाग बताते हैं कि उस मैच में 100 तक पहुंचते पहुंचते सहवाग 6–7 छक्के जड़ चूके थे, और सचिन उन्हें रिस्की (Riskey) क्रिकेट खेलने से रोक (Stop) रहे थे,पर सहवाग उनकी सुन नहीं रहे थे।तब सचिन उन्हें डरावा देते हैं कि अगर अब छक्का मारा तो मैं बैट से तुम्हारी पिटाई करूंगा।तब सहवाग 295 तक ग्राउंडेड शॉट्स (Shorts) ही खेलते हैं, और जैसे ही मुश्ताक बोलिंग पर आते हैं,सचिन से पूछकर छक्का जड़कर अपना 300 पुरा करते हैं।
सचिन और सहवाग की इस ब्लॉकबस्टर (Blockbuster) जोड़ी ने कुल 114 ओडीआई मैचों में ओपनिंग करते हुऐ कुल 4387 रन बनाए, जिसमें उनका एवरेज (Average) 39.16 का रहा । ओडीआई क्रिकेट की ऑल टाइम सक्सेसफुल (Successful) पार्टनरशिप में भले ही रनों के हिसाब से ये 9th हों । लेकिन ग्रेटेस्ट (Greatest) ओपनिंग पेयर्स (Pears) में ये बंदे आज भी अलग ही स्थान रखते हैं। ओपनिंग तो मतलब सचिन सहवाग, क्रिकेट के जय वीरू। तो दोस्तों ये थी कहानी क्रिकेट की एवरग्रीन जोड़ी सचिन सहवाग की। आज की पोस्ट में इतना ही।

वीडियो देखे – 

Show More

Related Articles

Back to top button