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अपने पहले मैच में 17 नो बॉल फेंकने वाला गेंदबाज।

Morne morkel

जो लोग क्रिकेट के शौक़ीन है या यूँ कहें क्रिकेट के एक्सपर्ट्स (Experts) हैं उन्हें ज़रूर पता होगा कि क्रिकेट में ‘नो बॉल’ (No ball) का क्या मतलब होता है? नो बॉल उस बॉल को कहा जाता है जो काउंट (Count) नहीं की जाती यानी एक ओवर में अगर 6 बॉल्स (Balls) है और बॉलर (Bowler) ने अगर सीमित लाइन से बाहर पैर निकालकर बॉल फेंकी तो उसे गिना नहीं जाता। इससे बैट्समेन (Batsman) को फायदा होता है क्यूंकि नो बॉल पर लगाये गए रन तो काउंट होते हैं मगर उस पर अगर कोई बैट्समेन आचट हो जाए तो वो नहीं माना जाता, इसके ऊपर से एक फ्री हिट मिलती है सो अलग। सोचिये ज़रा कभी कोई बॉलर मैच के आखिरी ओवर की आखिर बॉल में नो बॉल करदे ? वो भी तब, जब 1 बॉल पर बैट्समेन को अपनी टीम को जिताने के लिए महज़ 4 रन की ज़रूरत हो तो ? खैर ऐसा जब होगा तब की तब देखेंगे, लेकिन ज़रा सोचिये कोई बॉलर अपने पहले ही मैच में एक या दो नहीं बल्कि पूरी की पूरी 17 नो बॉल फेंके तो उसके बारे में आप क्या कहेंगे ? उसके बाद तो उस बॉलर को अगले मैच में खेलने के लिए भी जगह न मिले। लेकिन अगर मेहनत और लगन साथ हो तो फिर क्या ही बात है ? ऐसे ही एक खिलाड़ी जिसने शुरुआत में भले ही धीमे खेला लेकिन जब उभर (Emerged) कर आया तो साउथ अफ्रीका की टीम को एक मज़बूत पिलर (Pilar) की तरह संभाला। आज क्रिकेट की डायरीज़ से एक और धुरंधर खिलाड़ी के बारे में हम आपको बताने वाले हैं। Heroes of world cricket की इस खास संख्या में आज हम बात करेंगे मोर्नी मोर्कल की।

आइये जानते है – 

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है अनुराग सूर्यवंशी और आप देख रहे हैं नारद टीवी। ‌दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में जिस खिलाड़ी की बात करने वाले हैं वो साउथ अफ्रीका के दिग्गज (Giants) खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि मोर्ने मोर्केल ( Morne Morkel) है। मोर्ने मोर्केल का जन्म 6 अक्टूबर 1984 को वेरीनिगिंग (Vereeniging ) में हुआ था। मोर्ने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे और उन्हें क्रिकेट विरासत (Heritage) में मिला। पिता अल्बर्ट मोर्केल और उनके बड़े भाई भी क्रिकेट की दुनिया में कदम रख चुके थे। मोर्ने मोर्केल के खून में बचपन से ही क्रिकेट दौड़ रहा था। महान क्रिकेटर बनने का सपना आँखों में लिए मोर्ने ने क्रिकेट के मैदान में अपना पहला कदम साल 2003 में रखा था। ईस्टर्न टीम के लिए मोर्ने ने साउथ अफ्रीका के दौरे पर आयी वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेला। पहले ही सीजन में मोर्ने की गेंदबाज़ी ने कुछ ख़ास कमाल नहीं दिखाया और उन्होंने 17 नो बॉल फेंकी। 5 ओवर के स्पेल में मोर्ने ने 54 रन लुटाए। दोस्तों एक क्रिकेटर हमेशा यही चाहता है कि उसे शुरुआत अच्छी मिले ताकि वो सेलेक्टर्स और क्रिकेट प्रेमियों के बीच चर्चा का केंद्र बना रहे, ऐसा ही कुछ मोर्ने ने भी सोचा होगा मगर अक्सर (Often) जैसा हम सोचते है वैसा होता नहीं है। मोर्ने ने अपने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि अपने पहले ही सीजन (Season) के पहले ही मैच में वह इस तरह की गेंदबाज़ी (Bowling)करेंगे। एक मैच में 17 नो बॉल फेंक चुके मोर्ने को चारों तरफ से ताने सुनने को मिल रहे थे। हालाँकि उन्होंने अपनी टीम को 44 रनों की नॉट आउट पारी देकर संभाला ज़रूर। अगले ही सीजन में मोर्ने ने अपने पहले सीजन का बदला ले लिया। नेक्स्ट सीजन 2004 -2005 में मोर्ने ने टाइटेन्स के लिए खेला। सुपरस्पोर्ट (Super Sport) सीरीज़ (Series) में ईगल्स के खिलाफ टाइटेन्स को मिली एक रन की जीत में मोर्ने के छह विकेट, एक शतक और एक अर्धशतक का बहुत बड़ा योगदान रहा। टाइटन्स (Titans) ने 178 का लक्ष्य रखा था। घरेलु सीरीज में मोर्ने का शानदार खेल देखकर आखिरकार मोर्ने को इंटरनेशनल टीम में जगह मिल गयी।

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भारत से सामना –

दो हफ्ते बाद ही भारत का सामना (Face) करने के लिए दक्षिण अफ्रीका की टीम में मोर्ने को शामिल (Involved) कर लिया गया। पहले ही मैच में साउथ अफ्रीका की टीम भारत पर भारी पड़ चुकी थी या ये कहे कि अकेले मोर्ने भारतीय टीम के साथ खेल रहे थे। 69 रनों के साथ भारतीय टीम के 5 विकेट ढेर हो चुके थे, जिनमें से 4 मोर्ने ने ही लिए थे। मोर्ने को भारत के खिलाफ खेलने का मौका उनकी मेहनत और किस्मत से मिला था। क्यूंकि साउथ अफ्रीका के अल्फोंसो थॉमस ने घरेलु सीरीज़ में दूसरी पारी (Turn) में 56 रन देकर सात विकेट लिए थे लेकिन बावजूद इसके साउथ अफ्रीका की नेशनल टीम में डेल स्टेन की जगह मोर्कल ने अपना टेस्ट डेब्यू (Debut) किया। ये बात 2006-07 में डरबन (Durban) में भारत के खिलाफ खेले गए बॉक्सिंग (Boxing) डे टेस्ट मैच की है।

          morne morkel

मोर्ने ने अपनी टीम के साथ इंटरनेशनल खेलते हुए कई दिग्गज टीमों को पानी पिलाया है। मोर्ने के आने से साउथ अफ्रीका की टीम को और भी मजबूती मिल गयी थी। टीम के साथ मोर्ने को पहली बार वर्ल्ड कप खेलने का मौका साल 2015 में मिला। वन डे इंटरनेशनल वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका की टीम इससे पहले कभी नहीं जीत पाई थी। न सिर्फ ODI बल्कि T20 में भी साउथ अफ्रीका का यही हाल था। साउथ अफ्रीका को वर्ल्ड कप का चोकर (Bran) कहा जाता है, जो पूरे टूर्नामेंट (Tournament) में एक कड़ी टीम की तरह बाकी टीमों को टक्कर (Collision) तो देती है लेकिन फाइनल (Final) तक आते आते बाहर हो जाती है। साल 2015 के ODI वर्ल्ड कप में सबकी नज़रे एक बार फिर साउथ अफ्रीका की टीम पर जमी हुई थीं। पूरे टूर्नामेंट में साउथ अफ्रीका ने धुआंधार परफॉर्मेंस (Performance) से अपनी जगह सेमी फिनाले (Finale) में बना ली थी। पूरे टूर्नामेंट में मोर्ने ने भी अच्छा प्रदर्शन किया था। सेमी फिनाले का दिन भी आया, साउथ अफ्रीका की न्यूज़ीलैण्ड के साथ आर या पार की लड़ाई थी। साउथ अफ्रीका की टीम मजबूत थी, जिसमें एक से बढ़कर एक दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे। AB डिविलियर्स से लेकर डेल स्टैन और मोर्ने मोर्केल तक। सबको लग रहा था कि इस बार साउथ अफ्रीका न सिर्फ फिनाले में जाएगी बल्कि वर्ल्ड विजेता भी बनेगी। साउथ अफ्रीका ने पहले बैटिंग की और एक अच्छे स्कोर की तरफ रुख किया।

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मैच का रुकना – 

बीच में बारिश पड़ने से खेल में अड़चन (Hitch) ज़रूर आई लेकिन बारिश के बाद फिर से खेल शुरू हुआ, बादल बरसकर जा चुके थे लेकिन अब मैदान पर आंसुओं की बारिश होना बाकी था। ओवर्स को 50 से घटाकर 42.2 कर दिया गया। साउथ अफ्रीका के बल्लेबाज़ कुछ ख़ास कमाल न दिखा सके और 297 रनों पर ही सिमट (Confined) गए। फाफ डु प्लेसिस के 82 रन और AB डिविलियर्स के 65 रनो की बदौलत साउथ अफ्रीका लड़ने लायक टारगेट सेट कर पाई थी। अब न्यूज़ीलैण्ड की बारी थी अपना बेहतरीन खेल दिखाने की, क्यूंकि ये कांटे की टक्कर थी। न्यूज़ीलैण्ड को 298 रनो का लक्ष्य दिया गया था। साउथ अफ्रीका के बॉलर्स पर पूरी टीम की उम्मीदें (Expectations) जुड़ी हुई थी। मोर्ने मोर्केल ने सबसे ज्यादा 3 विकेट अपने नाम किये मगर फिर भी वह साउथ अफ्रीका को हारने से नहीं बचा सके। डेथ ओवरों में दुनिया के सबसे खतरनाक तेज गेंदबाज डेल स्टेन ने मोर्चा संभाला लेकिन उस दिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। ‌ एक समय ऐसा लग रहा था मानो साउथ अफ्रीका जीत जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। न्यूज़ीलैण्ड के विस्फोटक बल्लेबाज़ ग्रांट इलियॉट ने अपनी धुआंधार बल्लेबाज़ी से साउथ अफ्रीका के बॉलर्स के छक्के ही छुड़ा दिए। आखिरी बॉल पर ग्रांट इलियॉट के छक्के ने तो साउथ अफ्रीका की टीम का दिल ही तोड़ दिया था। उस दिन मैदान में बैठकर टीम के सभी खिलाड़ी फूट फूटकर रोए थे। वो पल आज भी क्रिकेट लवर्स के दिल में एक छाप छोड़े हुए है। उस वक़्त वो नज़ारा जिसने भी देखा खुद को रोने से नहीं रोक पाया। डेल स्टैन से लेकर AB डिविलयर्स और मोर्ने मोर्कल तक सभी दिग्गज खिलाड़ी न्यूज़ीलैण्ड से हारने के बाद बहुत रोए थे। मगर खेल तो खेल है एक हारता है तो एक जीतता है। वो दिन शायद उनका नहीं था।

अफ्रीका और भारत के बिच मैच –

अगर साउथ अफ्रीका और भारत के मैचों की बात करें तो भारत के खिलाफ मोर्ने ने कई बेहतरीन स्पेल्स डाले हैं। उनमें से एक साल 2018 की सेंचुरियन (Centurion) सीरीज है। 2018 में सेंचुरियन सीरीज की मेज़बानी (Hosting) कर साउथ अफ्रीका की टीम पहला टेस्ट मैच जीत चुकी थी और 3 मैचों की इस टेस्ट श्रंखला (Series) को जीतने के इरादे से मैदान में उतरी थी। मेजबान टीम ने पहले बल्लेबाजी की और 335 रन बनाए। जिसके जवाब में भारतीय टीम सिर्फ 307 रन ही बना पाई। अगली पारी में अफ्रीका ने 258 रन बनाए जबकि भारत 151 रनों पर ऑल आउट हो गई। भारत की इस हार में सबसे बड़ा योगदान रहा मोर्ने की लाजवाब गेंदबाज़ी का, मोर्ने ने 60 रन देकर महत्वपूर्ण विकेट अपने नाम किये जिसमें 153 रन बना चुके विराट कोहली का अहम् (Ego) विकेट भी मोर्ने ने अपने नाम किया। इसका नतीजा ये हुआ कि मेज़बान टीम 233 रनों से मैच जीतने के साथ साथ सीरीज भी जीत गयी।

                                                                                       Centurion Series 2018

 

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कैरियर के शुरुआत में मोर्ने के खेल में नो बॉल जैसी समस्याओं का असर ज़रूर देखने को मिला लेकिन उनके लाजवाब खेल के आगे ये छोटी मोटी समस्याएं (Issues) भला कब तक सर उठाकर घूमती। अपनी मेहनत और प्रैक्टिस (Practice) से मोर्ने ने नो बॉल जैसी दिक्कतों से भी पार पा ली।
अपने शानदार क्रिकेट करियर से मोर्केल ने 2018 में अलविदा कह दिया था। मोर्ने एक शानदार बॉलर थे, जिनकी गेंद किसी भी बैट्समेन के छक्के छुड़ा देती थी | मोर्ने ने भले ही अपने शुरूआती करियर में नो बॉल्स के साथ ज्यादा संघर्ष किया हो लेकिन जब जब उनकी बॉल ने बल्लेबाज़ों के पसीने छुड़ाए तब तब क्रिकेट के दीवानो के पैरो तले ज़मीन हिलती रही। उनके शानदार क्रिकेट को देखना किसी भी क्रिकेट लवर के लिए ख़ुशी का अहसास है। साथ ही आपको बता दें कि साउथ अफ्रीका के जाने-माने ऑलराउंडर रहे एल्बी मोर्कल मोर्नी मोर्कल के ही भाई हैं। आपको मोर्ने मोर्केल की कौन सी पारी सबसे ज्यादा पसंद है हमें ज़रूर बताइयेगा। आर्टिकल पसंद आयी हो तो  शेयर (Share) ज़रूर करियेगा। क्रिकेट के धुरंधरों के बारे में एक्स्ट्राऑर्डिनरी (Extraodinary) बातें जानने के लिए जुड़े रहिये नारद टीवी से |

नमस्कार-

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