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अमय खुरासिया : क्रिकेट के लिए IAS की नौकरी क्यों छोड़ दी

अमय खुरसिया
क्रिकेट इतिहास का पहला IAS खिलाड़ी

अंडररेटेड, क्रिकेट के मैदान में पहली बार सुनने पर तो ये शब्द तारीफ़ लगता है। लेकिन, अंडररेटेड खिलाड़ी होने का ये टैग श्राप तब बन जाता है। जब आपको अंडररेटेड के नाम पर सिर्फ़ तारीफ़ मिले, मौके नहीं। जिसका नतीजा ये होता है। कि, खिलाड़ी कुछ दिनों बाद गुमनाम हो जाता है। यहाँ अफ़सोस की बात ये है कि भारत जैसे क्रिकेट पावरहाउस देश में ऐसे अंडररेटेड खिलाड़ियों की लिस्ट बहुत लम्बी है।  आज हम बात करेंगे एक ऐसे अंडररेटेड खिलाड़ी की। जिसके नाम घरेलू क्रिकेट में कई रिकॉर्ड हैं। मगर, अंतर्राष्ट्रीय पटल पर शायद ही कोई उस खिलाड़ी का नाम आज याद करता हो। दोस्तों, जिस खिलाड़ी की हम यहाँ बात कर रहे हैं। वो हैं मध्यप्रदेश के अमय खुरासिया। वो अमय खुरासिया जो भारतीय क्रिकेट इतिहास के एकमात्र ऐसे इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं। जो, आई.ए.एस. अफ़सर भी रह चुके हैं। तो चलिये, बायें हाथ के इस विस्फ़ोटक खिलाड़ी के बारे में ‘क्रिकेटर्स फ्रॉम लास्ट सेंचुरी’ के आज के एपिसोड में क़रीब से जानते हैं।

 

दोस्तों, अमय रामसेवक खुरासिया यानी अमय खुरासिया का जन्म 18 मई 1972 के रोज़ मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ था। अपने स्कूल के दिनों से ही अमय खुरासिया खेल और पढ़ाई दोनों में अव्वल थे। मगर, उम्र बढ़ने के साथ अमय ने क्रिकेट को कैरियर के रूप में चुनने का फ़ैसला लिया और जमकर मेहनत की। हालाँकि, अमय ने पढ़ाई कभी पूरी तरह नहीं छोड़ी और दोनों क्षेत्रों को बराबर वक़्त देते रहे। अमय के इस टाइम मैनेजमेंट और डेडिकेशन का ईनाम उन्हें 1989 में तब मिला। जब क्लब स्तर पर अच्छे प्रदर्शन के बाद महज़ 17 साल की उम्र में अमय को मध्यप्रदेश की रणजी टीम में शामिल किया गया। अमय के लिये 1989-90 सत्र सामान्य रहा। लेकिन, असल कहानी शुरू हुई 1990-91 सत्र से। अमय ने सबको चौंकाते हुए रनों का पहाड़ खड़ा करना शुरू किया और अगले लगातार चार रणजी सीज़न ऐसे खेले जिसमें अमय ने 500 से ज़्यादा रन बनाये। अपने चौथे प्रथम श्रेणी मैच में 70 रन की बेहतरीन पारी खेलने वाले अमय ने असल सनसनी मचाई अपने छठे रणजी मैच में। जहाँ उन्होंने पहली पारी में तेज़ 99 रन बनाकर मध्यप्रदेश को बड़ी लीड हासिल करने में अहम भूमिका अदा की और दूसरी पारी में नाबाद 99 रन बनाकर मध्यप्रदेश को 7 विकेट से जीत भी दिलाई। मगर, दोनों पारियों में 99 रन बनाने के चलते अमय एक अनचाहे रिकॉर्ड का हिस्सा बन गये। अभी तक क्रिकेट इतिहास में  सिर्फ़ दो खिलाड़ी ऐसे हुए हैं। जिन्होंने एक ही प्रथम श्रेणी मैच की दोनों पारियों में 99 रन बनाये हो और उनमें से एक नाम अमय खुरासिया का भी है।

अमय खुरासिया क्रिकेट इतिहास का पहला IAS खिलाड़ी
अमय खुरासिया

उस यादगार मैच के बाद अमय ने उसी सीज़न में 238 रनो की रिकॉर्ड पारी खेली और मध्यप्रदेश के लिए हाईएस्ट स्कोर का रिकॉर्ड अपने नाम किया। एक यादगार सीज़न के बाद अमय का नाम मध्यप्रदेश से संबंध रखने वाले हर क्रिकेट प्रेमी की ज़बान पर था। क्योंकि, अमय खुरासिया सिर्फ़ बड़े रन नहीं बनाते थे। बल्कि, वो तेज़ी से रन बनाने की भी क़ाबिलियत रखते थे। अमय के इस आकर्षक अंदाज़ के बारे में पूर्व भारतीय क्रिकेटर और मध्यप्रदेश रणजी टीम के कप्तान संदीप पाटिल ने कहा था–“मध्यप्रदेश (स्थानीय) के लोग अमय को स्टार से कम नहीं मानते थे। अमय के छक्के-चौक्के मारने के स्टाइल के अलावा दर्शक अमय की फील्डिंग के भी दीवाने थे”। दोस्तों, रणजी रिकॉर्ड बुक उठाकर देखें तो अमय के नाम के आगे कई बार लगातार 3 छक्के मारने का कारनामा नज़र आता है। ये रिकॉर्ड संदीप समेत कई क्रिकेट विशेषज्ञों की बात को सही साबित करता है।

 

दोस्तों, जहाँ एकतरफ़ 90 के शुरुआती दशक में अमय खुरासिया ने क्रिकेट गलियारों में अपने प्रदर्शन से शोर मचा रखा था। वहीं दूसरी तरफ़ अमय ने अकेडेमिक्स (पढ़ाई) में कमाल करना जारी रखा और ये कमाल शिखर को तब पहुंचा जब अमय ने भारतीय इतिहास का सबसे मुश्किल सिविल सर्विसेज़ एग्ज़ाम यानी आई.ए.एस. क्लीयर किया। इसके बाद अमय इंडियन ‘कस्टम्स व सेंट्रल एक्साइज विभाग’ में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त हुए। मगर, इंटरनेशनल ड्यूटी के लिये अमय को ये पद छोड़ना पड़ा और साल 1999 में अमय को भारत की जर्सी पहनने का मौका मिला। सालों से इस ख़्वाब को पूरा करने की चाह दिल मे लिये जी रहे खुरसिया ने मौके को दोनों हाथों से लपका। उन्होंने अपनी पहली ही अंतर्राष्ट्रीय पारी में सिर्फ़ 45 गेंदों में तेज़ 57 रन बनाये और श्रीलंका के विरुद्ध मुश्किल में फँसी भारतीय टीम को अजय जडेजा के साथ मिलकर एक अच्छे स्कोर तक पहुंचाया। जडेजा और अमय के बीच हुई 125 रनो की इस निर्णायक साझेदारी के दम पर भारत मैच जीत गया और इस तरह अमय का ड्रीम डेब्यू एक हक़ीक़त बन गया। मगर, शानदार आगाज़ के बाद अमय अगले कुछ मैचों में बुरी तरह फ़्लॉप रहे। लेकिन, चयनकर्ताओं ने अमय पर भरोसा बनाये रखा। क्योंकि, उस दौरान भारतीय टीम एक मज़बूत और धाकड़ मिडिल ऑर्डर तलाश रही थी। जिसकी उम्मीद के तौर पर अमय को भी देखा जा-रहा था। लेकिन, अमय इसके बाद मिले मौके भी भुना नहीं पाये। जिसके चलते अमय को ड्रॉप कर दिया गया। हालाँकि, अमय ने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन जारी रखा और 2001 रणजी सीज़न में 700 से अधिक रन बनाये। यही वजह रही कि जब साल 2001 में श्रीलंका के विरुद्ध सचिन चोटिल हुए तो चयनकर्ताओं ने अमय खुरासिया को फिर याद किया। मगर, उन दो मैचों में अमय के स्कोर सिर्फ़ 12 और शून्य रहे। इसके बाद अमय को टीम से ड्रॉप कर दिया गया और उन्हें फिर कभी दोबारा मौका नहीं मिला। हालाँकि, अमय ने 2001 के बाद अगले 6 साल और घरेलू क्रिकेट में शानदार खेल दिखाया। मगर, सेलेक्टर्स अमय को जैसे भूल ही गये थे। अमय को नज़रअंदाज़ करने की वजह किसी को समझ नहीं आयी। जबकि, उस दौरान बहुत से नये खिलाड़ियों को बार-बार मौके दिये भी गये थे।

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आज जब अमय खुरासिया का नाम कहीं आता है। तो, उन्हें 12 मैचों में 14.54 की औसत से महज़ 149 रन बनाने वाले फ़्लॉप क्रिकेटर के रूप में देखा जाता है और ख़राब टेक्नीक का हवाला देकर क्रटिसाइज़ किया जाता है। मगर, हक़ीक़त इन आँकड़ों से काफ़ी अलग है। दरअसल, अमय एक अटैकिंग मिडिल ऑर्डर बैट्समैन थे। जब उन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में मौका मिले तो ज़्यादातर मौकों पर ज़रूरत शॉट्स लगाने की थी। जिसके चलते अमय 12 मैचों की 11 पारियों में 149 रन ही बना पाये। इसलिये, अमय की प्रतिभा की असली तस्वीर उनके घरेलू क्रिकेट के आँकड़ें साफ़ करते हैं। फिर, बात चाहे अमय के 119 फ़र्स्ट क्लास मैचों में 21 शतकों के साथ 40.80 की औसत से बनाये गए 7,304 रनों की हो या ‘लिस्ट ए’ क्रिकेट में बनाये गये 3,768 रनों की हो। अमय के ये रिकॉर्ड बहुत से खिलाड़ियों के लिये एक सपने की तरह है। हालाँकि, 2006 में उनकी घरेलू टीम ने भी उनसे आगे देखने का फ़ैसला कर लिया था। तो, अमय ने हार मानकर सिर्फ़ 35 साल की उम्र में क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। संन्यास के बाद बंधी हुई आवाज़ रखने वाले अमय ने कमेंट्री की ओर रुख़ किया। मगर, उस दौर में चुनिंदा चैनल हुआ करते थे। जिसके चलते उन्होंने दूरदर्शन का हाथ थामा। हालाँकि, अमय ने कमेंट्री ज़्यादा नहीं की और कुछ वक्त के लिये कोचिंग की तरफ़ रुख़ किया। अगर, कुछ प्रतिष्ठित मीडिया होउसेज़ की मानें तो फ़िलहाल अमय खुरासिया कस्टम्स एंड सेंट्रल एक्साइज़ डिपार्टमेंट में पोस्टेड हैं।

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तो दोस्तों, ये थी भारतीय क्रिकेट इतिहास के इकलौते आई.ए.एस. अमय खुरासिया की कहानी। जिन्हें एक टैलेंटेड खिलाड़ी से ज़्यादा अंडररेटेड खिलाड़ी के तौर पर याद किया जाता है।

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