रोशन परिवार का इतिहास।
नमस्कार बॉलीवुड फैमिली के एक और एपिसोड में आप सब का स्वागत है ! इस बार आप सभी दर्शकों का सबसे ज्यादा रिक्वेस्ट आया, ऋतिक रोशन की फैमिली को लेकर। आज का ये एपिसोड काफी दिलचस्प होने वाला है क्यूंकि, रोशन परिवार का इतिहास ही अपने आप में काफी दिलचस्प है। इस परिवार में निर्माता –निर्देशक, गायक, संगीतकार–अभिनेता, बेहतरीन डांसर कला जगत की लगभग सभी हस्तियां मौजूद हैं।
ह्रितिक रोशन के दादा जी-
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की रोशन परिवार की जड़ें पाकिस्तान के पंजाब से बिलोंग करती हैं जहाँ पर ह्रितिक रोशन के दादा जी रोशनलाल नागरथ का जन्म हुआ था, रोशन लाल नागरथ के नाम पर ही रोशन परिवार की नीव पड़ी। इस एपिसोड में हम रोशन परिवार के बारे में तो जानेंगे ही साथ ही साथ जानेंगे कुछ और भी दिलचस्प बातें। जैसे राकेश रोशन हमेशा गंजे क्यों रहते हैं ? राकेश की हर फिल्म का नाम K से ही क्यों शुरू होता है ?
तो चलिए हम आपको शुरुआत से इनके परिवार की कहानी बताते हैं लेकिन उससे पहले एक निवेदन है की इस पोस्ट को स्किप न करते हुए पूरा –पूरा देखिएगा अन्यथा पूरी पोस्ट पढ़ने के बाद भी आप कन्फ्यूज़न में ही रहेंगे।
शुरुआत करते हैं ऋतिक रोशन के दादा जी रोशन लाल नागरथ से जो अपने ज़माने के एक मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर थे। मुझे ये कहते हुए थोड़ा झिझक महसूस हो रहा है की ऋतिक रोशन के दादा जी, क्यूंकि शायद आज की मौजूदा पीढ़ी इनसे अनजान हो। लेकिन सच्चाई तो ये है की रोशनलाल नागरथ भारतीय संगीत जगत के एक ऐसे अनमोल नगीने थे जिनके बेहतरीन नग्मों की सौगात के लिए हर संगीत प्रेमी ऋणी रहेगा ।
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रोशन लाल नागरथ का जन्म स्थान-
रोशनजी का जन्म हुआ था 14 जुलाई 1917 को गुजरांवाला में, जो की अब पाकिस्तान के पंजाब का हिस्सा है। रोशन साब की संगीत के प्रति दिलचस्पी बचपन से ही थी। और छोटी उम्र से ही इन्होने संगीत सीखना शुरू कर दिया। संगीत सीखने के लिए इन्होने लखनऊ के मौरिस कॉलेज ऑफ म्यूजिक में दाखिला लिय। मौरिस कॉलेज ऑफ म्यूजिक अब भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है।
इनके पहले गुरु रहे मनहर बर्वे। उसके बाद इन्होने उस्ताद अलाउद्दीन खां साहब से संगीत के गुर सीखे। अलाउद्दीन खां साहब थोड़े सख्त मिज़ाज़ के थे, एक किस्सा ऐसा भी है की एक बार अलाउद्दीन खां रोशन साब को राग यमन का अभ्यास करा रहे थे। जिसके लिए उन्होंने एक जलते लकड़े से पिटाई भी कर दी ।इसके बाद तो राग यमन पर रोशन की कुछ ऐसी पकड़ हुई की उन्होंने अपने करियर में राग यमन पर ही कंपोज़ किये।
अपने करियर के शुरूआती दिनों में रोशन साब आकाशवाणी से जुड़े और करीब दस साल तक काम किया। जिसमें उन्होंने तमाम रेडियो कार्यक्रमों के लिए संगीत तैयार किया। 1948 में उन्होंने मन बनाया की अब फिल्मों में संगीत देना है और यही सोचकर ये मुंबई चले आये। जहाँ ये ख्वाजा खुर्शीद अनवर के अस्सिटेंट बन गए, जो की उस समय फिल्म सिंगार में संगीत दे रहे थे।
रोशन साब को अपने करियर के शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्ही दिनों में रोशन साब की मुलाकात हुई केदार शर्मा से। जो नेकी और बदी नाम से फिल्म बना रहे थे। इसके संगीतकार थे स्नेहल भटकर। केदार साहब को रोशन ने बड़ा प्रभावित किया।
केदार शर्मा ने स्नेहल जी से बात की और कहा कि मैं रोशन को लेना चाहता हूं। इसके बाद रोशन साब ने इस फिल्म का संगीत दिया। परन्तु दुर्भाग्यवश ये फिल्म चली नहीं । इसके बावजूद केदार शर्मा ने उन्हें फिल्म दी बावरे नैन। इस फिल्म के गाने-“खयालों में किसी के इस तरह आया नहीं करते । औरसुन बैरी बलम सच बोल रे” बेहद लोकप्रिय हुए।
रोशन साब लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत का मिश्रण बहुत अच्छी तरह करते थे। कव्वाली भी उनकी पहचान बनी। निगाहें मिलाने को जी चाहता है।। न खंजर उठेगा न तलवार तुमसे , या फिल्म बरसात की रात की कव्वाली– ना तो कारवां की तराश है।।। हर कव्वाली ने अपनी छाप छोड़ी।
राग यमन उन्हें बहुत पसंद था। उनके तमाम गाने इस राग पर ही आधारित हैं। बांसुरी और सारंगी का उन्होंने बड़ी खूबसूरती से इस्तेमाल किया। 60 के दशक में रोशन साब ने तमाम हिट फिल्में दीं। उन्हें दिल की बीमारी थी। करीब 20 साल वो इस बीमारी के साथ जिए। लेकिन 16 नवंबर 1967 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
रोशन साब की शादी हुई थी इरा जी से। जो की एक गायिका थीं। इस शादी से इनके दो बच्चे हुए। राकेश रोशन और राजेश रोशन। राकेश रोशन एक निर्माता निर्देशक और अभिनेता बने वहीँ राजेश रोशन अपने पिता जी के नक़्शे कदम पर चलते हुए म्यूजिक डायरेक्टर बने ।
तो सबसे पहले बात करते हैं रोशन साब के बड़े बेटे राकेश रोशन की –
राकेश का जन्म 06 सितम्बर,1949 को मुंबई में हुआ। राकेश रोशन जब पैदा हुए थे उस समय इनके पिता जी मुंबई में बतौर म्यूजिक डायरेक्टर अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। इस वजह से राजेश रोशन का बचपन भी मुफलिसी में बीता। इनकी शुरुआती पढ़ाई सैनिक स्कूल महाराष्ट्र से पूरी हुई। चूँकि पिता जी एक म्यूजिक डायरेक्टर थे इस वजह से इनकी भी रूचि बचपन से ही फिल्मों की तरफ रही।
अपनी ग्रेजुएशन की पढाई के लिए इन्होने दाखिला लिया वाडिया कॉलेज ऑफ़ पुणे में । मगर उसी दौरान इनके पिता जी का देहांत हो गया और इन्हे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ी । पिता जी गुज़रने के बाद पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी राकेश रोशन पर आ गयी और इन्होने HS रवैल के साथ बतौर अस्सिटेंट डायरेक्टर काम करना शुरू कर दिया। राकेश रोशन का सपना शुरुआत से ही एक्टर बनने का था और उनके इस सपने को पूरा किया राजेंद्र कुमार जी ने।
1970 में इन्हे राजेंद्र कुमार जी के कहने पर इन्हे फिल्म मिली घर –घर की कहानी । इस फिल्म में वह सपोर्टिंग किरदार में नजर आए। इसके बाद उनकी मुख्य भूमिका वाली एक के बाद एक कई फिल्में आई। जैसे की ‘मन मंदिर‘, ‘पराया धन‘, ‘आंखों–आंखों में‘, ‘खेल–खेल में‘, ‘खट्टा मीठा‘, ‘खूबसूरत‘, ‘तीसरी आंख‘ ‘आखिर क्यों‘ आदि।
लेकिन मुख्य भूमिका वाली इतनी ज्यादा फिल्में करने के बाद भी राकेश रोशन को फिल्म अभिनेता के रूप में कोई खास कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने तय किया कि वह फिल्म निर्देशन में अपने हाथ आजमाएंगे।
राकेश रोशन की प्रोडक्शन कंपनी-
राकेश रोशन ने 1980 में खुद की प्रोडक्शन कंपनी का निर्माण किया और फिल्म बनायी ‘आप के दीवाने‘ , जो की बुरी तरह फ्लॉप रही। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘कामचोर‘ बनाई, जो हिटतो रही लेकिन बतौर एक्टर इन्हे कोई फायदा नहीं हुआ।
आखिर क्या है राकेश रोशन के गंजेपन का राज ?
इसके बात राकेश रोशन निर्देशन के क्षेत्र में भी उतरे और फिल्म बनाई खुदगर्ज़। इसके पीछे ही इनके गंजेपन वाला किस्सा भी जुड़ा है। खुदगर्ज़ की रिलीज से पहले राकेश रोशन ने तिरुपति बालाजी जाकर फिल्म की सफलता की दुआ मांगी थी। राकेश ने इस मौके पर मन्नत मांगी कि अगर उनकी फिल्म सफल हुई तो वे गंजे हो जायेंगे। 31 जुलाई 1987 को रिलीज हुई उनकी फिल्म खुदगर्ज, बॉक्स–ऑफिस पर सुपरहिट रही। लेकिन राकेश ने अपनी इस फिल्म के सफल होने के बाद अपना प्रण पूरा नहीं किया।
राकेश की पत्नी पिंकी को उनके इस प्रण के बारे में सबकुछ पता था और पिंकी ने ही राकेश रोशन को प्रण पूरा करने को कहा। काफी समय के बाद राकेश रोशन ने उनकी बात मानी और आजीवन गंजे होने का फैसला किया।
इसके बाद राकेश रोशन ने खून भरी मांग, किशन कन्हैया, खेल, कोयला, करण–अर्जुन जैसी कई फिल्में बनाई जो बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई।
फिल्म: काम चोर
फिल्म काम चोर के हिट होने के बाद ही राकेश रोशन के ये लगा की K उनके लिए लकी है। इसलिए इसके बाद इन्होने जितनी भी फ़िल्में बनायीं उसका टाइटल K से ही शुरू होता है। राकेश रोशन के बारे में एक किस्सा ये भी मशहूर है की उन्होंने कभी अमिताभ बच्चन के साथ कोई फिल्म नहीं की चलिए इसके पीछे की कहानी भी जान लेते हैं।
दरसल राकेश रोशन ने अमिताभ को नजर में रखकर एक फिल्म लिखी थी किंग अंकल। लेकिन अमिताभ ने आखिरी वक्त पर इस फिल्म में काम करने से मना कर दिया। इसके बाद से उन्होंने कभी बिग बी के साथ कभी काम नहीं किया।बाद में अमिताभ बच्चन की जगह इस फिल्म में जैकी श्रॉफ को लिया गया।
फिल्म: ‘कहो ना प्यार हैं‘
राकेश रोशन ने 2000 में फिल्म बनायीं ‘कहो ना प्यार हैं‘ । इस फिल्म से राकेश रोशन ने अपने बेटे ऋतिक को लॉन्च किया। इस फिल्म ने कई सारे अवार्ड जीते। साथ ही यह फिल्म उस साल की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बनीं। जिसके कारण राकेश रोशन पर अंडरवर्ल्ड की तरफ से हमला भी हुआ। अंडरवर्ल्ड के लोग चाहते थे कि राकेश इस फिल्म की कमाई का हिस्सा उन्हें दे। फिल्म ‘कहो ना प्यार है‘ के लिए राकेश रोशन को बेस्ट फिल्म और बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला।
इसके बाद राकेश रोशन ने 2003 में साइंस–फिक्शन आधारित फिल्म ‘कोई मिल गया‘ निर्देशित की। इस फिल्म के लिए उन्हें एक बार फिर बेस्ट फिल्म और बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला। फिर राकेश ने ‘कृष‘ सीरीज की फिल्में निर्देशित कीं, जो सुपरहिट रहीं। इन्होंने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। राकेश रोशन बतौर अभिनेता भले हिट न रहे हों लेकिन एक निर्देशक के तौर पर उन्हें दर्शको का भरपूर साथ और प्यार मिला।
पिंकी रोशन
राकेश रोशन की शादी हुई पिंकी रोशन से जो की फिल्म निर्माता ओम प्रकाश की बेटी हैं । राकेश रोशन की दो संताने हुईं । बेटी सुनैना रोशन और बेटा हृतिक रोशन। सुनैना फिल्मों से दूर रहीं। इनकी शादी 1992 में आशीष सोनी से हुई जो की एक फैशन डिज़ाइनर हैं ।लेकिन सन 2000 में दोनों का तलाक हो गया ।इसके बाद 2009 में इन्होने शादी की मोहन नागर से जो की एक बिजनेसमैन हैं लेकिन ये रिश्ता भी नहीं चल सका । सुनैना की एक बेटी है सुरानिका सोनी ।
ऋतिक रोशन
अब बात करते हैं रोशन फॅमिली और बॉलीवुड के सुपरस्टार ऋतिक रोशन की। ऋतिक का जन्म 10 जनवरी 1974 को मुंबई में हुआ। चूँकि पिता जी खुद एक निर्माता –निर्देशक थे इसलिए इनके लिए फिल्मों में आना बड़ा आसान रहा । बचपन में इन्होने कई फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया।
इनकी शुरूआती पढाई हुई बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से। सीडेनम कॉलेज से कॉमर्स की पढाई पूरी करने के बाद ये अपने पिता जी के साथ बतौर अस्सिटेंट डायरेक्टर काम करने लगे । उस दौरान इन्होने कोयला ,करन–अर्जुन जैसी फिल्मों में अस्सिटेंट डायरेक्टर काम किया। सन 2000 में इनके पिता जी ने फिल्म बनायीं कहो ना प्यार है जिसके माधयम से उन्होंने ऋतिक को परदे पर बतौर हीरो लांच किया फिल्म न सिर्फ हिट रही बल्कि ऋतिक को बेस्ट मेल डेब्युए का अवार्ड भी मिला। ऋतिक ने अपने करियर में कई अलग –अलग तरह की महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई। जिसने इन्हे सुपरस्टार का स्टेटस दिलवाया।
सुजैन खान
ऋतिक रोशन की शादी हुई संजय खान की बेटी सुजैन खान से। जिससे इनके दो बेटे हुए ऋदान रोशन और ऋहान रोशन। 2014 में ऋतिक और सुजैन का तलाक हो गया था।
अब बात करते हैं रोशन लाल नागरथ के दूसरे बेटे और बॉलीवुड के महान संगीतकार राजेश रोशन की। राजेश रोशन के करियर पर नज़र डालें तो ये बॉलीवुड के एकलौते ऐसे संगीतकार हैं जो 70 के दशक से लेकर आज तक के दौर में भी फिल्मों में म्यूजिक दे रहे है । फिर चाहे जो 1975 की म्यूजिकल हिट जूली हो या फिर 2013 की कृष 3 या फिर 2017 की काबिल। इतने लम्बे दौर तक काम करना वाकई एक करिश्मा है।
राजेश रोशन का जन्म हुआ 24 मई 1955 को। घर में संगीत का माहौल था। पिता जी फिल्मों में संगीत देते थे और माँ भी एक गायिका थीं। इसका असर राजेश रोशन पर हुआ और इनकी दिलचस्पी संगीत के प्रति हो गयी। जब इनके पिता जी का निधन हुआ तो इनकी उम्र काफी कम थी । इनके बड़े भाई ने इन्हे पढ़ाया –लिखाया और संगीत की तालीम भी दिलवायी। अपनी पढाई पूरी कर राजेश रोशन लक्ष्मीकांत –प्यारेलाल के साथ बतौर अस्सिटेंट काम करने लगे।
उसी दौरान महमूद साहब ने इन्हे अपनी फिल्म जूली कुंवारा बाप मीन संगीत देने का मौका दिया। फिल्म सफल रही लेकिन इसके बाद भी इनका संघर्ष जारी रहा । जिस दौर में कल्याण जी आनंद जी, आर. डी. बर्मन, लक्ष्मीकांत –प्यारेलाल जैसे संगीतकारों का सिक्का चल रहा हो उस दौर में किसी नए संगीतकार के लिए पैर जमाना वाकई मुश्किल काम था।
फिर एक ऐसी फिल्म आयी जिसने राजेश रोशन को उस दौर के नामचीन संगीतकारों के बीच स्थापित कर दिया । 1975 में KS सेतुमाधवन ने अपनी फिल्म जूली में राजेश रोशन को संगीत देने का मौका दिया । ये फिल्म म्यूजिकल हिट हुई और राजेश रोशन की गाड़ी भी चल पड़ी। उसके बाद तो राजेश रोशन एक से बढ़कर एक हिट नग्मे दिए।
राजेश रोशन ने ही अमिताभ बच्चन को पहली बार प्ले बैक सिंगिंग करने का मौका दिया फिल्म थी नटवरलाल और गाना था मेरे पास आओ मेरे दोस्तों एक किस्सा सुनो। बाद में राजेश रोशन ने अपने बड़े भाई की फिल्मों में भी संगीत दिए। जब राजेश ने बतौर म्यूजिक डायरेक्टर अपना करियर शुरू किया तब से ना जाने कितने गायक, गीतकार संगीतकार आये और जाते रहे लेकिन राजेश रोशन आज भी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।
कंचन रोशन
राजेश रोशन की शादी हुई कंचन रोशन से जिससे इनके दो बच्चे हुए बेटा एहसान रोशन और बेटी पश्मीना रोशन।
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