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फिल्म ज़ंजीर के बनने की दिलचस्प कहानी

ख़ूबसूरत और कामयाब फ़िल्में हर दौर में आती रहीं हैं और हमेशा आती भी रहेंगी मगर वो फिल्में जिनकी वज़ह से एक नया ट्रेंड बना, ऐसी फ़िल्में कम ही बनती हैं। लीक से हटकर बनने वाली इन फ़िल्मों की सफलता की गारंटी बहुत कम होती है, जबकि इन्हें बनाने में एक निर्माता निर्देशक को अच्छी ख़ासी मशक्कतों का सामना करना पड़ता है।

70 के दशक में एक ऐसी ही फ़िल्म रिलीज़ हुई जिसका नाम था ‘ज़जीर’  इस फिल्म ने न सिर्फ हिंदी सिनेमा में एक नया ट्रेंड बनाया बल्कि हिंदी फ़िल्म के नायक की परिभाषा को भी बदल कर रख दिया। एक ब्लॉकबास्टर फिल्म कही जाने वाली इस फ़िल्म के बनने की भी एक अलग ही कहानी है जो वाकई में बेहद दिलचस्प है।

Zanzeer Movie Poster

11 मई 1973 को रिलीज़ हुई इस फ़िल्म को बनाने में इसके निर्माता निर्देशक प्रकाश मेहरा को कितने पापड़ बेलने पड़े यह जानकर आप भी चौक जायेंगे। ज़जीर एक ओर जहाँ निर्देशक प्रकाश मेहरा की बतौर निर्माता पहली फिल्म थी तो वहीं यह फिल्म अमिताभ बच्चन के करियर की  पहली सुपरहिट भी बनी। लेखक जोड़ी सलीम-जावेद ने भी इसी फ़िल्म से पहली बार बतौर स्क्रिप्ट राइटर अपनी सफल जोड़ी बनायी थी।  

दोस्तों आपको जानकर ताज्जुब होगा कि अमिताभ के हाथों में आने से पहले फ़िल्म ज़ंजीर की स्क्रिप्ट को धर्मेंद्र, शम्मी कपूर, दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कुमार जैसे बड़े ऐक्टर ठुकरा चुके थे। जब यह फिल्म  धर्मेंद्र को ऑफर की गई तो उन दिनों वे तीन तीन शिफ्ट्स में फिल्में कर रहे थे और ‘जंजीर की शूटिंग वे थोड़ा रुककर शुरू करना चाहते थे,

साथ ही वे इस फिल्म के को प्रोड्यूसर भी बनना चाहते थे लेकिन प्रकाश मेहरा चाहते थे कि वे ‘ज़ंजीर’ को छह महीने के भीतर ही शूट करके रिलीज़ कर दें, इसलिए मजबूरन उन्हें धर्मेंद्र को छोड़ दूसरे ऐक्टर्स के पास जाना पड़ा।

प्रकाश मेहरा सबसे पहले पहुंचे शम्मी कपूर के पास। शम्मी कपूर को फिल्म की कहानी तो पसंद आई, लेकिन उन्होंने इसे करने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि इस फिल्म में हीरो के लिये न गाने थे और न डांस। मायूस होकर प्रकाश देव आनंद के पास पहुंचे तो उन्होंने भी वही जवाब दिया हालांकि उन्होंने कहा कि “अगर यह फिल्म मेरे बैनर के तले प्रोड्यूस होती है, तो मैं इस पर जरूर विचार करूंगा।”

 इसके बाद प्रकाश पहुंचे राज कुमार के पास, बताया जाता है कि राजकुमार ने प्रकाश मेहरा की फिल्म में काम करने से इसलिए इंकार कर दिया क्योंकि उन्हें प्रकाश मेहरा के बालों में लगे चमेली के तेल की ख़ुश्बू बिल्कुल भी नहीं पसंद थी। हालांकि यह भी सुनने में आया कि तब राजकुमार शूटिंग के सिलसिले मद्रास जाने वाले थे और उन्होंने प्रकाश मेहरा से वहीं शूट करने को कहा, जिसके लिये प्रकाश ने मना कर दिया।

दोस्तों इतने इनकार सुनने के बाद एक बार तो प्रकाश मेहरा के मन में भी ये ख़्याल आने लगा कि कहीं मैं ग़लत कहानी के पीछे अपना वक़्त बरबाद तो नहीं कर रहा। उसी दौरान  प्राण साहब जो उस फ़िल्म में एक सशक्त भूमिका निभाने वाले थे उन्होंने प्रकाश मेहरा की परेशानी को देखते हुये उन्हें अमिताभ बच्चन का नाम सुझाया।

 प्राण की सलाह पर प्रकाश ने अमिताभ की कुछ पुरानी फिल्में भी देखीं, और उन्हें अमिताभ का काम काफी अच्छा लगा। इस तरह से यह फिल्म अमिताभ के हिस्से आ गयी।

Zanjeer Still

दोस्तों जिस तरह से एक नायक के रूप में विजय का किरदार सबके लिये एकदम नया और अजीब था वैसे ही इस रोल के लिये अमिताभ बच्चन का चुना जाना भी सबको चौकाने वाला था। एक इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने बताया था कि “उस ज़माने में सुपरहिट म्यूजिकल फिल्में आ रही थीं

ऐसे में उन्होंने एक ऐसी स्क्रिप्ट लिखी जिसमें न तो हीरो गाने गाता है न हँसता है न रोमांस ही करता है और न ही कॉमेडी करता है, जो कि मार्केट के एकदम ख़िलाफ बात थी, उस पर से अमिताभ का लुक एक सीधा, इंटेंस सा लड़का और उस पर से उनकी लंबाई, सब कुछ एक हीरो की इमेज के बिल्कुल विपरीत था। 

यहाँ तक कि जब अमिताभ बच्चन को यह फिल्म ऑफर की गई तो वो भी हैरान थे। उन्होंने जावेद से पूछा कि उनकी फिल्में लगातार फ्लॉप होने के बाद भी इस फिल्म में उन्हें क्यों कास्ट किया जा रहा है? तब जावेद ने बताया कि उन्होंने बॉम्बे टू गोवा फिल्म में अमिताभ बच्चन का एक सीन देखा था जिसमें वे च्विंगम खा रहे होते हैं और उसी दौरान उन्हें कोई मारता है, वे उठ जाते हैं और तब भी वैसे ही च्विंगम खा रहे होते हैं।

इस सीन को देखने के बाद ही उन्हें लगा कि अमिताभ इस रोल के लिए एकदम फिट हैं। हालांकि अमिताभ को ज़ंजीर फिल्म में अपने चुने जाने का वो च्विंगम कनेक्शन आज तक समझ नहीं आया है।

फिल्म ‘ज़ंजीर’ में हिरोइन के रोल के लिए जया बच्चन से पहले ऐक्ट्रेस मुमाताज को रोल ऑफर किया गया था और एक समय तो प्रकाश मेहरा ने धर्मेंद्र और मुमताज की जोड़ी को लेकर फिल्म का ऐलान भी कर दिया था। लेकिन जब धर्मेंद्र ने इस फिल्म में काम करने से मना कर दिया तब मुमताज़ भी पीछे हट गयीं।

हालांकि मुमताज ने ये कहते हुए फिल्म छोड़ दी थी कि वे शादी करने की योजना बना रही हैं। यह भी बताया जाता है कि उन्होंने यह फिल्म अमिताभ बच्चन के वज़ह से छोड़ी थी क्योंकि वे उनके साथ फिल्म ‘बंधे हाथ’ हाथ में काम कर चुकीं थीं, और वे उस फिल्म से ख़ुश नहीं थीं।

Zanjeer Cast & Crew

दोस्तों इस फिल्म में दमदार ऐक्टर प्राण ने एक बेहद ही शानदार रोल निभाया था। अपने किरदार शेर खान के लिए प्राण ने भरपूर तैयारियां कीं थी। यहाँ तक कि अपने किरदार का गेटअप भी उन्होंने खुद ही तैयार किया था। बताया जाता है कि इस फिल्म के दौरान मनोज कुमार ने उन्हें दो फिल्में ऑफर की थीं लेकिन उसके लिये इन्हें ज़जीर फिल्म छोड़नी पड़ती इसलिए उन्होंने मनोज कुमार को ना कह दिया।

दोस्तों इस फिल्म में अभिनेता अजीत ख़ान डॉन के एक निगेटिव रोल में नज़र आये थे। अपने रोल को जीवंत बनाने में अजीत ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी। बताया जाता है कि इस किरदार में वास्तविकता दिखे इसके लिये अजीत राइटर सलीम ख़ान की मदद से इंदौर के एक डॉन से मिले और उसके साथ एक लम्बा वक़्त गुज़ार कर उसके हाव भाव और अंदाज़ को अपनाया।

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ज़जीर से पहले अमिताभ की कई फिल्में फ्लॉप हुई थीं जिससे वे काफी हतश हो चुके थे। उन्होंने प्रकाश मेहरा से ख़ुद कहा था कि अगर ज़ंजीर भी फ्लॉप हो गई तो वो मुंबई को हमेशा के लिये छोड़कर वापस अपने घर इलाहाबाद लौट जाएंगे। प्रकाश मेहरा ने भी एक इंटरव्यू में बताया था कि ” ज़ंजीर की शूटिंग के दौरान अमिताभ बहुत नर्वस रहते थे।

वे हमेशा डिप्रेस्ड से दिखते थे और शॉट होने के बाद अकेले बैठकर कोका-कोला पीते रहते थे।” उन्होंने बताया कि, जब यह फिल्म रिलीज़ हुई तब कोलकाता में इस फिल्म की शानदार ओपेनिंग हुई। लेकिन बॉम्बे में इसके शुरूआत के 3 दिन काफी ख़राब रहे और सब को यही लगा कि यह फिल्म भी फ्लॉप हो जाएगी। फिल्म की ख़राब शुरुआत देख अमिताभ तो इतना डर गए थे कि उन्हें बुख़ार तक आ गया था।

” हालांकि चौथे दिन से फिल्म ने रफ्तार पकड़ ली और एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई।

Pran in Zanjeer

दोस्तों फिल्म ज़जीर का जब कोलकाता में प्रीमियर हुआ तो वहां हर तरफ़ लोग बस प्राण का ही नाम ले रहे थे। क्योंकि फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर्स ने भी इसका प्रचार प्राण की फिल्म के तौर पर ही किया हुआ था। उस वक़्त प्रकाश मेहरा ने अमिताभ से कहा था कि, “पिक्चर ख़त्म होने दो यही लोग थोड़ी देर में तुम्हारी जय जयकार करते दिखेंगे।”

और हुआ भी बिल्कुल वैसा ही अमिताभ की मेहनत रंग लाई और फिल्म में उनकी ऐक्टिंग को लोगों ने खूब सराहा। बताया जाता है कि फिल्म की शुटिंग के दिनों उनके काम को देखकर ऐक्टर ओम प्रकाश जी ने एक दिन ट्रंक कॉल के ज़रिये मद्रास फोन लगाया, जहां दिलीप कुमार अपनी किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे।

 उन्होंने दिलीप कुमार से कहा “यूसुफ मियां, इंडस्ट्री में तुम्हे टक्कर देने वाला कोई आ गया है।” दोस्तों ज़ंजीर फिल्म में अमिताभ द्वारा निभाया विजय का रोल इतना मशहूर हुआ था कि आगे चलकर अमिताभ बच्चन की लगभग 22 फिल्मों में उनके किरदार का नाम विजय ही रखा गया।

फिल्म ‘ज़ंजीर’ में कुल पांच गाने हैं जिनमें चार गाने तो गीतकार गुलशन बावरा ने लिखे थे लेकिन एक गाना ‘दिलजलों का दिल जला के’ ख़ुद फिल्म के निर्माता-निर्देशक प्रकाश मेहरा ने ही लिखा था। कल्याणजी- आनंद जी द्वारा संगीतबद्ध इस फिल्म के लगभग सभी गाने सुपरहिट हुए थे, ख़ासतौर पर प्राण साहब पर फिल्माया ‘यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िन्दगी’ तो हर महफिल की शान बन गया था।

कम लोगों को ही पता होगा कि इस फिल्म के एक गाने ‘दीवाने हैं दीवानों का न घर चाहिए’ में परदे पर गीतकार गुलशन बावरा खुद हारमोनियम बजाते, गाते और नाचते नज़र आये थे। हालांकि गुलशन बावरा इससे पहले भी कई फिल्मों में ऐक्टिंग कर चुके थे। दोस्तों इस गाने की रिकॉर्डिंग से जुड़ा एक दिल को छू लेने वाला किस्सा है, जो महान गायक मोहम्मद रफ़ी से जुड़ा हुआ है।

Mohammad Rafi

हुआ ये कि जब यह गाना रिकॉर्ड हो रहा था तब रमज़ान के दिन थे और रफी साहब रोज़े से थे। गाना पूरा हुआ और कल्याण जी आनंद जी की तरफ से टेक ओके भी हो गया लेकिन लता जी को अपने गाने से संतुष्टि नहीं मिल रही थी वे चाह रही थीं कि एक टेक और लिया जाये। इस पर रफी साहब ने उनको समझाया कि “टेक बिल्कुल ओके है और आपने बहुत ही अच्छा गाया है।”

उसके बाद रफ़ी साहब स्टूडियो से निकलने लगे। इसी दौरान गीतकार गुलशन बावरा जी ने ख़ुश होकर रफी साहब से पूछा कि “रफी साहब क्या आपको पता है कि ये गाना मुझपे फिल्माया जा रहा है?”  जैसे ही रफ़ी साहब ने ये सुना वे बड़े परेशान हुए और गुलशन जी से बोले, “अरे! तो ये बात पहले क्यों नहीं बताया तुमने? मैंने तो गाना अमिताभ को ध्यान में रख के गा दिया है।

” रफी साहब तुरंत स्टूडियो की तरफ वापस लौटे, फटाफट सारे म्यूजिशियन्स को बुलाया गया और इस बार उन्होंने गुलशन बावरा को ध्यान में रखते हुए लता जी के साथ गाने को फिर से रेकॉर्ड किया।

इस फिल्म की कमाई की बात की जाये तो ‘ज़ंजीर’ 3 करोड़ के साथ उस साल की चौथी सबसे ज़्यादा कमाने वाली सफल फिल्म बनी जो आज के हिसाब से कई सौ करोड़ के बराबर है।

वर्ष 1974 के फिल्मफेयर अवार्ड में बेस्ट एक्टर के लिए  अमिताभ बच्चन को नॉमिनेट किया गया। इस फिल्म के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन और फैन्स के रिएक्शन को देखते हुए सबके साथ-साथ अमिताभ बच्चन को भी यही लग रहा था कि ये अवार्ड उनके ही हाथ ही आएगा। लेकिन ये अवाॅर्ड ॠषि कपूर को फिल्म बॉबी के लिये मिला।

हालांकि बाद में ऋषि कपूर ने अपनी किताब ‘खुल्लम खुल्ला’ में इस बात का खुलासा करते हुए सबको चौका दिया था कि वर्ष 1974 में उन्होंने 30 हज़ार रूपये देकर बेस्ट एक्टर का वह फिल्मफेयर अवार्ड खरीदा था।

ख़ैर ज़ंजीर के लिये न सही लेकिन अमिताभ बच्चन को इसी साल फिल्म ‘नमक हराम’ के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवाॅर्ड मिला था। फिल्म ज़ंजीर को बेस्ट स्टोरी और बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिये सलीम- जावेद, तथा सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिये गुलशन बावरा को अवाॅर्ड मिले थे।

Lata Mageshkar and Mohd. Rafi

दोस्तों फिल्म ज़ंजीर भारत के साथ-साथ रूस में भी काफी सफल रही थी। साथ ही इस फिल्म की सफलता को देखते हुये तमिल, तेलुगू और मलयालम भाषा में इसकी रिमेक भी बनायी गयी थी। फिल्म ‘ज़ंजीर’ की सफलता का अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि रिलीज़ के 40 साल बाद वर्ष 2013 में भी इसका रिमेक बनाया गया।

हालांकि इस फिल्म को दर्शकों ने बिल्कुल पसंद नहीं किया। इससे यह बात पूरी तरह साबित हो जाती है कि कुछ फ़िल्में बनायी नहीं जातीं वो बन जातीं हैं और ऐसा ही कुछ हुआ प्रकाश मेहरा की फिल्म ज़ंजीर के साथ।

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Prabhath Shanker

Bollywood Content Writer For Naarad TV

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