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Faf Du Plesis आखिर क्यों मिली जान से मारने की धमकी

 Faf du Plessis
Faf du Plessis Biography

Faf Du Plesis Biography: आखिर क्यों इस नायब हीरे को अपने ही देश वालों ने जान से मारने की धमकी दी।जिसने देश को सब कुछ दिया,आखिर क्यों उसे टीम से बाहर फेंक गया।कहानी विश्व के महान बल्लेबाज की। कहानी उस अनोखे बल्लेबाज की,को बल्ले को तलवार को तरह पकड़ता। कहानी एबी डिविलियर्स के सबसे बड़े दोस्त की।

ग्रिप। कहने को तो ये काफी छोटा अक्षर है लेकिन इसका मतलब काफ़ी गहरा है।दोस्तों ग्रिप का क्रिकेट में बहुत महत्व है। चाहे गेंदबाज हो या बल्लेबाज, क्रिकेट का पहला बेसिक है ग्रिप।अब अमूमन तौर पर बल्लेबाजी में दो तरह की ग्रिप होती हैं। कुछ बल्लेबाज बल्ले को काफी नीचे से पकड़ते हैं,उदाहरण स्वरूप सचिन तेंदुलकर और वर्तमान में श्रेयस । वहीं अधिकतर पावर हिटर और वेस्ट इंडीज के खिलाड़ी बल्ले को काफी ऊपर हैंडल से पकड़ते हैं।यदि एक सफल बल्लेबाज बन है तो ग्रिप अच्छी और स्मूथ होना बहुत ज़रूरी है।लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट में एक अनोखा बल्लेबाज ऐसा भी आया जिसका अंदाज सबसे निराला है। जिसकी ग्रिप को लेकर काफ़ी लोगों ने इसका मज़ाक भी बनाया। क्योंकि इसी ग्रिप वाला न ही तो
पहले कोई बल्लेबाज खेला/दिखा,और न ही शौद आगे कोई आए। जब वह बल्ला पकड़ता, तो लगता कोई सिपाही तलवार पकड़ कर रणभूमि में जा रहा हो।एक हाथ बल्ले के बिलकुल ऊपर,तो दूसरा हाथ बिलकुल नीचे।इस खिलाड़ी ने अपनी इस अजीबोगरीब ग्रिप से खूब रन बटोरे,खूब रिकॉर्ड बनाए। जी हां, हम बात कर रहे हैं दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज फाफ डु प्लेसिस की।हमारे एक दर्शक की बेहद समय से को जा रही बेहद खास डिमांड के बाद आज हम प्रस्तुत हुए हैं इस दिग्गज की कहानी के साथ। फाफ का कैरियर काफ़ी उतार चढ़ाव से भरा रहा। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत तो एबी डिविलियर्स के साथ ही की थी,फिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हें टीम में जगह बनाने में इतना समय लग गया।और आखिर क्यों अपने ही लोगों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी।

जन्म और क्रिकेट कैरियर :-

फाफ डु प्लेसिस का जन्म 13 जुलाई 1984 को दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया क्षेत्र में हुआ। उनके पिता फ्रैंकोइस डु प्लेसिस एक रग्बी प्लेयर थे जो कि 80 के दशक में ट्रांसवाल की टीम के लिए खेला करते थे।और नामीबिया के रग्बी प्लेयर मार्सल डू प्लेसिस भी उनके कसिन भाई हैं। अब क्योंकि फाफ एक ऐसे घर से थे जहां स्पोर्ट्स का काफ़ी बोल बाला था, तो उन्होंने भी बचपन से ही क्रिकेट और रग्बी खेलना शुरू कर दिया। उन्होंने 16 साल की उम्र में क्रिकेट में अपना करियर बनाने का फैसला कर लिया।

उनके क्रिकेट का सफ़र उस वक्त शुरू हुआ जब वे पहली बार अपने स्कूल टीम में आए। उन्होंने अपनी पढ़ाई अफ्रीकन होर सीऊनस्कूल(अफ्रीकन हाई स्कूल फॉर बॉयस) से पूरी की। आपको बता दें कि ये वही स्कूल था, जहां से एबी डिविलियर्स ने अपनी पढ़ाई पूरी की। दोनों ने बचपन से ही काफी क्रिकेट खेला है,और एज ग्रुप क्रिकेट में काफ़ी सफलता पाई।जहां डिविलियर्स का कैरियर काफ़ी बुलंदियों पर था,और हाई स्कूल पूरा करते ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के एज ग्रुप और फिर सीनियर क्रिकेट टीम में स्थान मिला। वहीं डुप्लेसिस को घरेलू टीम में भी जगह नहीं मिल सकी। और उनका संघर्ष वर्षों तक जारी रहा। और वर्षों तक जब उन्हें अधिक मौके न मिल सके तो फाफ प्रिटोरिया यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर 2006 में मौके की तलाश और अपने कैरियर को निखारने के लिए इंग्लैंड चले गए।और लीवरपूल क्लब से अपनी शुरुआत की। अपने पहले ही मैच में 200 रन और अगले तीन मैच में 3 शतक लगाकर कोहराम मचा दिया था।हालांकि 2007 सीजन उनके लिए काफ़ी बुरा रहा।

फाफ का बल्लेबाजी अंदाज काफी निराला और सबसे अलग था। जहां अधिकतर बल्लेबाज बैट को बीच से पकड़ते हैं। फाफ एक हाथ बैट के काफ़ी ऊपर और दूसरा हाथ काफ़ी नीचे रखते।और काफी हाई बैकलिफट से खेलते।पर अपने इस अजीबोगरीब अंदाज के बावजूद उन्होंने खूब जलवा बिखेरा।
इसी की बदौलत उन्हें लंकाशायर की ओर से काउंटी क्रिकेट खेलने के लिए 6 महीने की कोलपाक डील का ऑफर आया। दोस्तों कोलपाक डील के ऊपर हम एक विस्तार में वीडियो ला चुके हैं, इसे समझने के लिए उसे भी ज़रूर देखें। इसके बाद वे नॉटिंघमशायर क्लब की ओर से खेले।और उन्होंने उन्हें 2008 में उन्हें 3 साल की कोलपाक डील का ऑफर दिया।लेकिन इसकी एक शर्त थी, कि फाफ को दक्षिण अफ्रीका से खेलने का ख्वाब पूरी तरह त्याग कर खुद को पूर्णतः इंग्लैंड को समर्पित करना होगा। हालांकि उस वक्त फाफ जितना कमा रहे थे इसके 10 गुना पैसा उन्हें इस डील मे मिल रहा था, पर क्योंकि उनके हृदय में अपने देश के लिए ही खेलने का ख्वाब था,तो उन्होंने ये डील को ठुकरा दिया। ये न केवल ख्वाब था, बल्कि खुद पर उनका आत्म विश्वास भी था कि आज नहीं तो कल वे अपने देश के लिए खेलेंगे, भले ही 25 की आयु तक उनके पास सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट भी नहीं था। यहां उन्हें लंका शायर की और से एक ऑफर आया जिसके दौरान वे 6 महीने इंग्लैंड,तो 6 महीने दक्षिण अफ्रीका के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते। ऐसा 2 साल तक चला। इस दौरान उन्होंने अपने रनों का जलवा बिखेर दिया था। लेकिन बावजूद इसके, सेलेक्टर/चयनकर्ताओं के सिर पर जूं तक न रेंगी कुछ वर्षों इंग्लैंड की काउंटी क्रिकेट की भट्टी में तप अपने खेल को और ऊंचा कर फाफ 2010 के अंत में स्वदेश लौटे और दक्षिण अफ्रीका ए और टाइटंस के लिए कई शानदार प्रदर्शन कर चयनकर्ताओं के रेडार में आ ही गए।

अंततः 2011 में उन्हें भारत के खिलाफ़ टीम में स्थान मिला और इसी दौरे में उन्होंने डेब्यू किया। और नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते हुए शानदार 60 रन बनाकर अपनी कमाल की छाप छोड़ी। और एक अच्छी शुरुआत के बाद उन्हें विश्व कप टीम में स्थान मिला।उनका प्रदर्शन यहां भी अच्छा खासा रहा,लेकिन जब क्वार्टर फाइनल में हारकर दक्षिण अफ्रीका बाहर हुई तो फाफ का एक नाइट मेयर दौर आया। जब इस मैच में एबी डिविलियर्स के साथ हुई उनकी साझेदारी में एबी रन आउट हो गए,और वे मैच हार टूर्नामेंट से बाहर हो गए,तो उन्हीं के देशवासियों में खूब गुस्से की लहर देखी गई। फाफ और उनकी पत्नी को जान से मारने तक की धमकियां दी गई। इसी वर्ष उन्हें सीएसके ने आईपीएल में अपने साथ जोड़ा।2012 आईपीएल में अच्छा खासा प्रदर्शन कर फाफ ने काफी प्रभावित किया और टॉप ऑर्डर में अपनी उपयोग्यता साबित की।और इसी वर्ष टैस्ट में डेब्यू कर 78 और 110 रन की मैच बचाऊ पारी खेल खूब वाहवाही बटोरी। ये पारी काफ़ी महत्वपूर्ण थी, जहां 376 गेंद में खेली गई उनकी ये यादगार संकटमोचक पारी ने ऑस्ट्रेलिया से उनकी संभव हार बचाया। जिसके लिए उनके कप्तान स्मिथ ने उन्हें नेशनल हीरो कहा।अपने कैरियर में भले ही फाफ देर आए,पर काफी दुरुस्त आए।वे तीनों प्रारूपों के लाजवाब खिलाड़ी बने।2012 में उन्हें टी 20 टीम का कप्तान नियुक्त किया गया। अब डू प्लेसिस उस मुकाम पर पहुंच गए जिसपर उनके घनिष्ठ मित्र एबी 6 साल पहले ही पहुंच गए थे।एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि जब एबी का टीम में चयन हुआ और पदार्पण से लेकर वो 6 साल फाफ ने उन्हें काफ़ी नज़दीक से बॉल बाय बॉल फॉलो किया और उनसे काफी कुछ सीखा।लेकिन कभी उनसे जलन नहीं की। फाफ ने अब पीछे मुड़ कर नहीं देखा और कमाल का प्रदर्शन जारी रखा।2014 में वो मौका भी आया जब फाफ लगातार 4 ओडीआई शतक लगाने के दुर्लभ रिकॉर्ड बनाने के बेहद करीब आए।लेकिन 96 पर आउट होकर इस रिकॉर्ड से चूक गए।। अगले ही वर्ष वेस्टइंडीज के खिलाफ़ टी 20 में शतक लगाकर वे तीनों प्रारूपों में शतक जड़ने वाले भी पहले दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज बने।
2017 में एबी के कप्तानी से हटने के बाद फाफ तीनों प्रारूपों के कप्तान बन गए।
इसी वर्ष खेली उनकी श्रीलंका के खिलाफ 185 रन की लाज़वाब पारी उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक है। 2018 में ऑस्ट्रेलिया को घरेलू सीरीज हराते ही वे घरेलू और विदेशी दौरों पर ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट सीरीज हराने वाले पहले अफ्रीकी कप्तान बन गए।
2019 के विश्व कप में एक ताकतवर और बाहुबली दिख रही दक्षिण अफ्रीका का नेतृत्व कर रहे फाफ को उस वक्त खूब निंदा हुई जब 8 में से केवल 3 में जीतकर दक्षिण अफ्रीका ग्रुप स्टेज में बाहर हो गई।ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ ग्रुप स्टेज में खेली उनकी 100 रन की पारी अभी तक उनका आखरी ओडीआई मैच रहा,इसके बाद उन्हें ओडीआई टीम से ड्रॉप कर दिया गया।
2019 में उन्हें साउथ अफ्रीका के क्रिकेटर ऑफ द ईयर के अवार्ड से नवाजा गया।
वे दक्षिण अफ्रीका के महान बल्लेबाजों और सर्वश्रेष्ठ लीडरों में शुमार हैं जिनका कप्तानी रिकॉर्ड खुद बोलता है। उन्होंने 37 टी 20 में 23,39 ओडीआई में 28 और 36 टैस्ट में 18 में जीत हासिल की। हालांकि टेस्ट में उनका प्रदर्शन बतौर कप्तान थोड़ा फीका रहा। उनके अंतिम 8 टेस्ट में 7 में बुरी तरह हार मिलने के बाद उन्होंने 2020 में कप्तानी से इस्तीफा दे दिया।लेकिन ओवरऑल,वे दक्षिण अफ्रीका के सफलतम वाइट बॉल कप्तानों में से एक हैं।

टेस्ट क्रिकेट से सन्यास :-

2021 में फाफ ने टैस्ट क्रिकेट से सन्यास की घोषणा कर दी।जिसका कारण उन्होंने वाइट बॉल क्रिकेट पर फोकस करना बताया। उनका मैन टारगेट/लक्ष्य 2021 और 2022 के टी 20 विश्व कप था। लेकिन हद तो उस वक्त हो गई जब अच्छे खासे आईपीएल प्रदर्शन और बढ़िया फॉर्म जारी रखने के बावजूद उन्हें टीम में शमिल नहीं किया गया।2 वर्ष होने को आ गए,लेकिन फाफ को दोबारा हरी जर्सी में खेलने का मौका नहीं मिला। और अब शायद न ही मिलेगा। हाल ही में फाफ ने दक्षिण अफ्रीका टी 20 लीग में महज 58 गेंदों में 113 रन की ताबड़तोड़ पारी खेल इस लीग का पहला शतक बनाया जिसने 8 चौके और 8 गगनचुंबी छक्के शामिल थे।भले ही वे 38 के हो चले हैं, लेकिन अभी भी उतने ही फिट और फुर्तीले हैं।जो वापसी के लिए बेताब हैं।लेकिन न जाने दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड को उनसे क्या दुश्मनी है जिसने अपने इतने बड़े मैच विनर को कबसे बाहर बैठा रखा है।

2021 के पीएसएल में फाफ को एक गंभीर चोट उस वक्त लगी जब वे बाउंड्री रोकने के दौरान एक साथी खिलाड़ी के साथ बुरी तरह टकरा गए और उन्हें कंकशन हो गया। जिसके चलते उन्हें काफ़ी वक्त मेमोरी लॉस भी रहा।पर फाफ ने हिम्मत नहीं हारी और एक अच्छी वापसी भी की।

फिलहाल वे आईपीएल में आरसीबी और साउथ अफ्रीका टी 20 लीग में जोहान्सबर्ग सुपर किंग्स के कप्तान हैं।
फाफ ने अपने कैरियर में 69 ओडीआई,143 टेस्ट और 50 टी 20 में क्रमश,4163,5507,और 1528 रन बनाए हैं।

इसके अलावा डू प्लेसिस अपने कैरियर में कुछ विवादों से भी घिरे रहे।2 बार उनपर बॉल टैंपरिंग के आरोप लगे। पहले 2013 में पाकिस्तान के खिलाफ़ मैच में गेंद को अपने ट्राउजर की ज़िप पर रगड़ते पाए गए और ये हरकत तुरंत कैमरे में क़ैद हो गयी, जिसके बाद उन्हें 50% मैच फीस का जुर्माना लगा। दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ होबार्ट टेस्ट के दौरान वे गेंद पर च्विंग गम या मिंट/पुदीने जैसे कुछ लगाते पाए गए।हालांकि फाफ ने इन सभी आरोपों को खारिज किया और हाशिम अमला भी उनके बचाव में आए।लेकिन बावजूद इसके , उन्हें 100% मैच फीस फाइन और 3 डिमेरिट अंक मिले।जिसकी ऑस्ट्रेलिया मीडिया ने खूब खबर उछाली और उन्हें काफ़ी बदनामी का भी सामना करना पड़ा। लेकिन इस सबका जवाब दिया फाफ ने अपने बल्ले से और अगले ही मैच में शानदार शतक जड़ ऑस्ट्रेलियाई मीडिया को एक करारा जवाब दिया।

फाफ विश्व के सबसे फिट क्रिकेटर और बेस्ट फील्डरों में माने जाते हैं जो चीते से फुर्तीले हैं।

तो दोस्तों ये थी कहानी विश्व के टॉप फील्डर और महान बल्लेबाजों में शुमार फाफ डु प्लेसिस की।

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