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जब 12 सर्जरीयों के बाद भी खेलते रहे नेहरा , कहानी कमबैक किंग की ।

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” अर्थात तू केवल कर्म कर फल की आशा मत कर । भगवान श्री कृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र में कहा गया यह वाक्य भटके हुए पथिक को सही राह दिखाने का कार्य करता है। क्योंकि, फल की चिंता अक्सर बनते काम को भी बिगाड़ देती है।

जीवन का पहिया हो या खेल का मैदान बिगड़ी हुई बाज़ी संभालना आसान नहीं होता है। लेकिन, क्रिकेट के मैदान ने कुछ ऐसे खिलाड़ी भी देखें हैं । जिन्होंने बेफ़िक्र और निडर अंदाज़ में विश्व पटल पर क़ामयाबी की इबारत लिखी है।वक़्त ने जब उन्हें धक्का मारा । तो, उन्होंने हार नहीं मानी और परिणाम की चिंता किये बिना ख़ुद को क्रिकेट की भट्टी में झोंक दिया ।

इस तरह के खिलाड़ियों की श्रेणी में ज़हन को सबसे पहला नाम आशीष नेहरा का याद आता है । वो आशीष नेहरा जिसकी गेंदों के सामने विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ भी घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते थे। वो आशीष नेहरा जिस को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ‘कमबैक किंग’  कहा गया । वो आशीष नेहरा जो मैदान के अंदर हो या मैदान के बाहर अपने प्रशंसकों को ख़ुशी के पल देने में कोई भूल नहीं करते हैं।

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आशीष नेहरा का परिचय

आशीष नेहरा का परिचय-

आशीष नेहरा का जन्म 29 अप्रैल 1979 को दिल्ली के एक जाट परिवार में हुआ था। दीवान सिंह नेहरा और सुमित्रा नेहरा के दो बेटों में आशीष नेहरा अपने भाई भानू नेहरा से बड़े थे। आशीष ने प्रारम्भिक शिक्षा सलवान पब्लिक स्कूल से प्राप्त करने के समय से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।

स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने के बाद नेहरा ने ग्रेजुएशन राजधानी कॉलेज से पूरी की। इसी दौरान आशीष ने कोच तारक सिन्हा की निगरानी में सॉनेट क्रिकेट क्लब में गेंदबाज़ी की बारीकियों पर काम किया। क्लब क्रिकेट के दौरान नेहरा अक्सर कोच को स्टेशन छोड़ने जाते थे। तो, पटरी पर पड़े पत्थरों से ही गेंदबाज़ी किया करते थे।

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आशीष नेहरा का क्रिकेट जगत में शुरुआत

आशीष नेहरा का क्रिकेट जगत में शुरुआत-

यह वो दौर था जब वीरेन्द्र सहवाग स्कूटर से आशीष नेहरा को अपने साथ लेकर फ़िरोज़ शाह कोटला स्टेडियम जाते थे ।आख़िर नेहरा की मेहनत रंग लाई और मात्र 18 साल की उम्र में उन्होंने पहला फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच खेला।

 6 फ़ुट लम्बे आशीष नेहरा बेमिसाल अनुशासन के साथ गेंदबाज़ी करते थे। नेहरा के पास नई गेंद को विकेट के दोनों ओर स्विंग कराने की क़ाबिलियत के साथ रफ़्तार भी थी। नेहरा के पास बल्लेबाज़ के हैलमेट पर लगने वाली बाउंसर और अँगूठे को घायल करने वाली यॉर्कर थी।फर्स्ट क्लास क्रिकेट में नेहरा का बेहतरीन प्रदर्शन उन्हें भारतीय चयनकर्ताओं की रडार में ले आया।

इस तरह 24 फरवरी 1999 को आशीष नेहरा ने श्रीलंका के विरुद्ध कोलम्बो में टेस्ट डेब्यू किया। नेहरा अपने पहले टेस्ट की पहली पारी में 28 ओवर गेंदबाज़ी करने के बाद सिर्फ़ 1 विकेट हासिल कर पाये। अपने पहले टेस्ट में आशीष नेहरा पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का दबाव साफ़ झलक रहा था।इस एक टेस्ट के बाद आशीष नेहरा को भारतीय टीम से ड्रॉप कर दिया गया। लेकिन, आशीष नेहरा ने हार नहीं मानी।उनके साथी क्रिकेटर और हिन्दी कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने कहा था “कोलंबो से लौटने के बाद आशु एक घायल शेर बन गया था”।

 साल 2001 भारतीय क्रिकेट का वो दौर था। जब भारत मैच फिक्सिंग के दर्द से उभर कर सौरव गाँगुली की कप्तानी में आगे बढ़ रहा था। उसी साल भारतीय टीम टेस्ट श्रृंखला खेलने ज़िम्बाब्वे गई। क़रीब ढाई साल बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी कर रहे युवा आशीष नेहरा ने ज़िम्बाब्वे में खेले दो टेस्ट मैचों की चार पारियों में 29.75 की औसत से 11 विकेट लेकर सनसनी मचा दी ।

आशीष नेहरा के इस प्रदर्शन का तोहफ़ा रहा 24/जून/2006 को हरारे में ज़िम्बाब्वे के विरुद्ध उनका वन-डे डेब्यू। नेहरा ने अपने टेस्ट डेब्यू के विपरीत एकदिवसीय डेब्यू में शानदार प्रदर्शन किया और 10 ओवर में मात्र  33 रन देकर 2 विकेट लिये। ज़िम्बाब्वे की धरती पर शानदार प्रदर्शन ने नेहरा को भारतीय टेस्ट और वन-डे टीम का नियमित सदस्य बना दिया ।

 आशीष नेहरा के लिए अगले दो साल सामान्य रहे। लेकिन, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नेहरा का नाम चमकने लगा था। फिर आया वो 2003 एकदिवसीय विश्व कप । जिसने आशीष नेहरा को रातों रात स्टार बना दिया ।पहले नेहरा ने ज़िम्बाब्वे के विरुद्ध मैच में 149.7 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से गेंद फेंकी और सबसे तेज़ गेंद फेंकने का भारतीय रिकॉर्ड अपने नाम किया। फिर आया, वो 2003 विश्व कप मैच जो कई वर्षों नेहरा की करिश्माई गेंदबाज़ी के लिये याद किया जाएगा।

आशीष नेहरा ने इंग्लैण्ड के विरुद्ध 10 ओवरों में मात्र 23 रन देकर 6 बहुमूल्य विकेट अपने नाम किये। इस मैच से 3 दिन पहले नामीबिया के विरुद्ध मैच में नेहरा की एड़ी चोटिल हो गयी थी।नेहरा का मैच खेलना मुश्किल लग रहा था। लेकिन, नेहरा ने घण्टो बर्फ़ की सिकाई के बाद ख़ुद को खेलने के लिये तैयार किया।

मैच के दिन नेहरा ने सूजे हुए पाँव में पतला मोज़ा पहना और दर्द की सीमाओं को तोड़कर अपने देश के लिए खेलने उतरे। इस ईमानदारी और ज़िद्द के बाद जो हुआ वो भारतीय क्रिकेट इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखा है। नेहरा ने 2003 विश्व कप के 9 मैचों में 4.17 की लाजवाब औसत से 15 विकेट अपने नाम किये ।

 आशीष नेहरा का प्रदर्शन टेस्ट क्रिकेट की तुलना में एकदिवसीय क्रिकेट में बेहतर था । नेहरा ने साल 2005 में खेले गए 17 एकदिवसीय मैचों में 29 विकेट अपने नाम किये।इस दौरान उन्होंने श्रीलंका के विरुद्ध एक मैच में 59 रन देकर 6 विकेट हासिल किये ।आशीष नेहरा भारत के लिए वन-डे क्रिकेट में दो बार 6 विकेट लेने वाले एकमात्र गेंदबाज़ हैं ।

आशीष नेहरा भारतीय एकदिवसीय टीम के नियमित सदस्य बन चुके थे। लेकिन, 2005 में हुई एड़ी और कमर की इंजरी ने आशीष नेहरा के क्रिकेट कैरियर को बहुत नुकसान पहुंचाया। नेहरा का ज़िक्र करते हुए महान भारतीय आल-राउंडर कपिल देव ने कहा था “नेहरा एक उच्च स्तरीय गेंदबाज़ था।जिसका कैरियर चोंटों की भेंट चढ़ गया”। चोट से उभरने के बाद आशीष नेहरा को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करने के लिए 4 साल का लम्बा इंतज़ार करना पड़ा ।

यह भी पढ़ें:- कहानी भारतीय क्रिकेट के दूसरे द्रविड़ के. एल. राहुल (KL Rahul) की।

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आशीष नेहरा (Ashish Nehra) कमबैक किंग

आशीष नेहरा (Ashish Nehra) कमबैक किंग-

कमबैक किंग आशीष नेहरा ने साल 2009 में खेले 21 एकदिवसीय मुक़ाबलों में 31 विकेट अपने नाम किये।निरन्तर अच्छे प्रदर्शन और अनुभव के आधार पर आशीष नेहरा को विश्व कप 2011 के लिये मुख्य तेज़ गेंदबाज़ के रूप में चुना गया।  दक्षिण अफ़्रीका के विरुद्ध ग्रुप मैच में नेहरा ने 8.4 ओवर में 65 रन लुटाए और मैच के अन्तिम ओवर में मात्र 4 गेंदों पर 16 रन दिये।

इस मैच के बाद आशीष नेहरा का वन-डे कैरियर समाप्त समझा जाने लगा।लेकिन, कमबैक किंग  नेहरा हार मानने वाले नहीं थे। नेहरा ने पाकिस्तान के विरुद्ध सेमी-फाइनल में मात्र 33 देकर 2 विकेट हासिल किये। नेहरा विश्व कप फाइनल के लिए तैयार थे। कि, उनकी उंगली फ्रैक्चर हो गई। इस तरह एक बार फिर चोट ने नेहरा से एक शानदार और यादगार मैच छीन लिया ।

चोट से वापसी के बाद नेहरा ने आई. पी. एल. और घरेलू क्रिकेट में खेलना जारी रखा। सामान्यतः 36 साल की उम्र में तेज़ गेंदबाज़ संन्यास लेते हैं।लेकिन, कभी हार ना मानने वाले आशीष नेहरा ने 2016 टी-20 एशिया कप और विश्व कप से एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की। साल 2016 और 2017 के दौरान आशीष नेहरा भारत के लिए टी-20 क्रिकेट में मुख्य गेंदबाज़ बनकर उभरे ।

नए खिलाड़ियों को मौका देने के लिए आशीष नेहरा ने 1 नवम्बर 2017 को न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध टी-20 मैच के बाद संन्यास की घोषणा कर दी।आशीष नेहरा ने फ़िरोज़ शाह कोटला के उस मैदान पर अंतिम मैच खेला जहां से उन्होंने अपने सफ़र की शुरुआत की थी ।

संन्यास लेते वक़्त आशीष नेहरा ने 164 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 235 विकेट अपने नाम किये । आशीष नेहरा ने टेस्ट में  42.40 की औसत से 44 विकेट , वन-डे में 31.57 की औसत 157 विकेट और टी-20 अंतर्राष्ट्रीय में 22.29 की शानदार औसत से 34 विकेट हासिल किए हैं।

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आशीष नेहरा का आई. पी. एल. से जुड़वा
आशीष नेहरा का आई. पी. एल. से जुड़वा-

आशीष नेहरा साल 2008 से साल 2017 तक बतौर खिलाड़ी आई. पी. एल. के साथ जुड़े रहे। इस दौरान आशीष नेहरा ने मुम्बई इंडियन्स, दिल्ली कैपिटल्स, पुणे वारियर्स,चेन्नई सुपरकिंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद का प्रतिनिधित्व किया।नेहरा ने 88 आई. पी. एल. मैचों में 23.41 की शानदार औसत से 106 विकेट हासिल किये ।

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आशीष नेहरा की 31.57 की औसत यह बताती है। कि, नेहरा किस कोटी के गेंदबाज़ थे। आशीष नेहरा का ज़िक्र करते हुए युवराज सिंह ने कहा था “नेहर सोते हुए भी चोटिल हो सकता है”। चोट और कैरियर की तुलना करते हुए आशीष नेहरा ने बताया था कि “क्रिकेट कैरियर के दौरान 12 सर्जरी करवानी पड़ी थी।

लेकिन, देश के लिये खेलने की चाहत ने मुझे कभी रुकने नहीं दिया।” उस मुश्किल दौर में नेहरा का सबसे ज़्यादा साथ उनकी पत्नी रुष्मा नेहरा ने दिया था। क्रिकेट के बाद आशीष नेहरा ज़्यादातर वक़्त अपनी बेटी अरियाना और बेटे आरुष के साथ बिताते हैं।

आशीष नेहरा साल 2018 और 2019 आई. पी. एल. के दौरान बतौर बोलिंग कोच रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर टीम के साथ जुड़े थे। इस उम्मीद के साथ कि आशीष नेहरा के जीवन की दूसरी पारी उनकी पहली पारी की तरह कामयाब रहे ।

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