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क्रिस केरन्स: न्यूजीलैंड के दिग्गज आल राउंडर का क्रिकेटर से सफाई कर्मी तक का सफर।

सियाह- बख्ती में कब कोई किसी का साथ देता है,

कि तारीकी में साया भी जुदा रहता है इंसान से।

इन्सान की फितरत को शब्दों में जाहिर करता ये शेर हमें बताता है कि इस दुनिया में कोई किसी का सगा नहीं होता है। मतलब इंसान को इंसान और मतलब ही इंसान को हैवान बना देता है।

बात चाहे  आम लोगों की हो या फिर सितारों से भरी दुनिया की मतलब का अर्थ और परिणाम हर जगह एक समान ही होते हैं।

क्रिकेट की दुनिया में भी ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने मैदान पर अपने देश की हर मुश्किल घड़ी में मदद की लेकिन जब मदद की जरूरत उस मसीहा को पड़ी तो बहुत से लोगों ने हाथ उठा दिए।

आज के इस पोस्ट में हम न्यूजीलैंड क्रिकेट के ऐसे हीरो की बात करेंगे जिसने अपने देश को क्रिकेट की दुनिया में सबसे बड़ा मुकाम हासिल करने में अहम योगदान दिया लेकिन आज वो क्रिकेटर गुमनामी और गरीबी की जिंदगी जी रहा है।

एक ऐसी जिंदगी जहां उसके पास ऐसा कोई इंसान नहीं है जो उसके छक्के चौकों पर तालियां बजाते नहीं थकता था।

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क्रिस केरन्स का शुरुआती जीवन

क्रिस केरन्स का शुरुआती जीवन-

क्रिस केरन्स का जन्म 13 जून 1970 को न्यूजीलैंड के पीक्टन शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम लांस केरन्स था जो खुद न्यूजीलैंड के जाने माने क्रिकेटर रह चुके थे और अपने करियर में 43 टेस्ट और 78 वनडे मैच खेल चुके थे।

क्रिस की मां का नाम स्यू क्रेन्स था जो एक हाउस वाइफ थी। क्रिस ने अपनी स्कूली शिक्षा क्राइस्टचर्च बोईज हाईस्कूल से पुरी की थी।

एक क्रिकेटर के घर जन्म लेने के कारण इनके मन में क्रिकेट के प्रति आकर्षण बचपन से ही था। क्रिस के पिता इन्हें  क्रिकेटर बनना चाहते थे जबकि क्रिस की दिलचस्पी रग्बी के खेल में अधिक थी।

हाईस्कूल के बाद क्रिस के मन में रग्बी के लिए प्यार उन्हें न्यूजीलैंड की अंडर 17 रग्बी टीम तक ले आया था लेकिन फिर अपने पिता की बात को मानते हुए इन्होंने रग्बी को छोड़ दिया और अपने पिता के सपने को साकार करने में जुट गए।

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क्रिस केरन्स का क्रिकेट में शुरूआत

क्रिस केरन्स का क्रिकेट में शुरूआत-

क्रिस ने न्यूजीलैंड के महानतम क्रिकेटर रिचर्ड हेडली को देखकर क्रिकेट खेलना ‌और सीखना शुरू किया था और उन्हीं की तरह एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे।

क्रिस 1988 में हुए बाइसेन्टिनियल यूथ वर्ल्डकप में खेलते हुए नजर आए थे जिसे आज u19 वर्ल्डकप के नाम से भी जाना जाता है।

इस वर्ल्डकप के दौरान क्रिस के कमरे में शेन थोमसन, ली जर्मन और एंडी कैडिक भी उनके साथ थे।

इसके अलावा इस टुर्नामेंट में ब्रायन लारा, इंजमाम उल हक और नाशिर हुसैन जैसे महान बल्लेबाज भी खेल रहे थे।

साल 1988 में ही क्रिस ने इंग्लैंड की डोमेस्टिक टीम नोटिघंमसायर की तरफ से खेलते हुए अपने फस्ट क्लास क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी।

इसके बाद साल 1989 में इन्हें अपने देश की तरफ से फस्ट क्लास क्रिकेट खेलने का मौका मिला जहां इन्होंने न्यूजीलैंड की डोमेस्टिक टीम नोर्थन डिस्ट्रिक्ट टीम का प्रतिनिधित्व किया।

इसी साल क्रिस ने 19 साल की उम्र में अपने फस्ट क्लास क्रिकेट करियर का पहला शतक भी लगाया और उस सीजन  अपने शानदार आलराउंड प्रदर्शन के जरिए कई मैचों में अपनी टीम को जीत दिलाई।

क्रिस के शानदार फस्ट क्लास सीजन को देखते हुए न्यूजीलैंड की नेशनल टीम के सलेक्टरों ने इन्हें आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच में खेलने का मौका दिया और इस तरह 24 नवंबर 1989 को क्रिस ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने टेस्ट क्रिकेट करियर का आगाज किया।

क्रिस का टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण बिल्कुल भुलाने लायक ही रहा जहां इन्होंने पहली पारी में एक और दुसरी पारी में 28 रन बनाए और एक भी विकेट लेने में सफल नहीं रहे।

इसके अलावा इन्हें अपने पहले ही मैच में पीठ की इन्जरी भी हो गई जिसने पुरे क्रिकेट करियर में क्रिस का दामन नहीं छोड़ा।

लगभग एक साल तक क्रिकेट से दूर रहने के बाद साल 1991 में इन्होंने फिर से मैदान पर वापसी की जहां इन्हें पहली बार ओडीआई क्रिकेट में अपनी टीम की तरफ से खेलने का मौका मिला।

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क्रिस केरन्स का न्यूजीलैंड टीम में चयन

क्रिस केरन्स का न्यूजीलैंड टीम में चयन-

इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के दुसरे मैच में 13 फरवरी 1991 को क्रिस ने अपने करियर का पहला वनडे मैच खेला था।

अपने पहले वनडे मैच में क्रिस बल्ले से तो कुछ खास नहीं कर पाए लेकिन अच्छी गेंदबाजी करते हुए दो विकेट अपने नाम किए जिसके चलते न्यूजीलैंड की टीम 196 के स्कोर का बचाव करने में सफल रही और 9 रनों से यह मैच अपने नाम किया।

अपने दुसरे वनडे मैच में क्रिस ने 4 विकेट अपने नाम किए और न्यूजीलैंड को यह सीरीज जिताने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसके चलते इस मैच में इन्हें अपने करियर का पहला मैन ऑफ द मैच अवार्ड भी दिया गया था।

वनडे क्रिकेट में क्रिस के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए इन्हें श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के चौथे मैच भी खेलने का मौका मिला जहां क्रिस कुल नौ विकेट लेकर टेस्ट क्रिकेट में शानदार वापसी करने में सफल रहे।

क्रिस का करियर अब अपने परवान पर था लेकिन 1993 में आई एक खबर ने इन्हें तोड़कर रख दिया।  

दरअसल 1993 में रोलेस्टोन नाम के कस्बे में एक रेल हादसे के चलते इनकी बहन‌ का निधन हो गया था।

इस हादसे के बाद साल 1996 में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलते हुए इन्होंने दस चौकों और नौ छक्कों की मदद से अपने टेस्ट करियर का पहला शतक पुरा किया।

अब क्रिस क्रेन्स का नाम न्यूजीलैंड टीम की जरूरत बन गया था जहां वो एक के बाद एक कई मैचों में अपनी टीम को जीत दिला रहे थे।

1999 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में अपने आलराउंड प्रदर्शन का शानदार नमूना पेश करते हुए इन्होंने बल्ले से शानदार 72 रन बनाए तो वहीं गेंदबाजी में 27 रन देकर 7 बल्लेबाजों को आउट किया।

यह क्रिस के टेस्ट करियर का सबसे अच्छा गेंदबाजी प्रदर्शन था।

क्रिस केरन्स बड़ी पारी में यकीन रखने वाले एक ताबड़तोड़ बल्लेबाज थे और उनकी यही बात इन्हें किसी भी परिस्थिति से उबरकर अपनी टीम को जीताने में सक्षम बनाती थी।

और इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण हमें साल 2000 में हुई आईसीसी नोकआउट ट्रोफी के फाइनल में देखने को मिला था जहां न्यूजीलैंड का सामना सौरव गांगुली सहित कई महान खिलाड़ियों से सजी भारतीय टीम से हो रहा था।

भारत के 265 रनों के जवाब में उतरी न्यूजीलैंड की टीम का स्कोर एक समय में 132 रनों पर पांच विकेट था।

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विज्डन क्रिकेट ओफ द ईयर

विज्डन क्रिकेट ओफ द ईयर-

तब क्रीज पर आए क्रिस केरन्स ने सभी भारतीय प्रशंसकों की जीत की उम्मीद को खत्म करते हुए नाबाद 102 रनों की पारी खेली और अपनी टीम को पहली बार किसी आईसीसी इवेंट का विजेता बनने में अहम भूमिका निभाई। जिसके चलते इन्हें मैन ऑफ द मैच के साथ साथ उस साल का विज्डन क्रिकेट ओफ द ईयर भी चुना गया।

क्रिस अपने करियर में कई बड़े और छोटे विवादों से जुड़े रहे हैं जिनमें से सबसे पहला विवाद साल 1996 में वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाली सीरीज से जुड़ा हुआ है जब इन्होंने न्यूजीलैंड क्रिकेट से चल रहे अपने मतभेदों के चलते वेस्टइंडीज जाने से मना कर दिया था।

साल 2004 में अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दुसरे मैच में खेलते हुए 158 रनों की पारी खेली जो उनके टेस्ट करियर का सर्वाधिक स्कोर है।

अपने पहले ही मैच से शुरू हुआ चोटों का सिलसिला इनके करियर में आखिर तक जारी रहा जिसके चलते क्रिस को 15 सालों के करियर में कुल 55 टेस्ट मैचों से अपनी चोटों के कारण बाहर होना पड़ा था।

10 जनवरी 2005 को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनामी के लिए रुपए जुटाने हेतु मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर एक मैच खेला गया था जिसमें खेलते हुए क्रिस ने 47 गेंदों में 69 रन की पारी खेली थी।

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बहन की याद में रेल सेफ्टी-

इसके अलावा इन्होंने अपनी बहन के हादसे को याद करते हुए सितंबर 2008 एक हजार एक किलोमीटर का पैदल सफर करते हुए रेल सेफ्टी का संदेश भी दिया था।

22 जनवरी 2006 को इन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी थी।

16 फरवरी 2006 को अपने पहले और आखिरी T20 अन्तर्राष्ट्रीय में क्रिस आखिरी बार न्यूजीलैंड की तरफ से खेले थे जो इनका फेयरवेल मैच था।

अपने आखिरी मैच में क्रिस ने चार ओवर गेंदबाजी की थी जिसमें उन्हें एक भी विकेट हासिल नहीं हुई थी इसके अलावा क्रिस बल्लेबाजी में भी अपना जौहर नहीं दिखा पाए थे और नौ गेंद खेलकर शून्य रन पर क्रिस गेल की गेंद पर आउट हो गए थे।

क्रिस ने अपने टेस्ट करियर में कुल 62 मैच खेले थे जिनमें उनके नाम कुल 3320 रन और 218 विकेट थे।

इसके अलावा अपने वनडे करियर में क्रिस ने कुल 215 मैच खेले थे जिनमें इनके रनों का आंकड़ा 4950 था और 201 विकेट इनके नाम थी।

टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने के दौरान इस फोर्मेट में सबसे ज्यादा 87 छक्के लगाने का रिकॉर्ड क्रिस के ही नाम था जो आगे चलकर एडम गिलक्रिस्ट ने तोड़ा था।

इसके अलावा वनडे क्रिकेट में न्यूजीलैंड के लिए सबसे तेज शतक लगाने का रिकॉर्ड भी कई सालों तक इन्हीं के नाम रहा था।

इसके अलावा क्रिस टेस्ट क्रिकेट में 200 विकेट और 3000 रन बनाने वाले तीसरे सबसे तेज आलराउंडर है।

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद क्रिस कुछ समय तक एक कोमेंटेटर के तौर पर क्रिकेट से जुड़े हुए थे और उसके बाद इन्होंने अपना हीरों का बिजनेस शुरू कर दिया था।

लेकिन दिसंबर 2013 में आईसीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार इन्हें 2008 में  इंडियन क्रिकेट लीग के एक मैच में फिक्सिंग का दोषी पाया गया था।

यहां आपको बता दें कि क्रिस इंडियन क्रिकेट लीग की टीम चंडीगढ़ लायंस की कप्तानी भी कर चुके हैं।

क्रिस पर यह आरोप लगने के बाद न्यूजीलैंड के कप्तान ब्रैंडन मैकुलम ने भी आइसीसी की एंटी करप्शन एंड सिक्योरिटी यूनिट को क्रिस के खिलाफ बयान दिया था। लेकिन क्रिस ने खुद पर लगे हर आरोप को हमेशा ग़लत और बेबुनियाद ही बताया है।

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क्रिस केरन्स की जीवन में आर्थिक तंगी-

खुद को न्याय दिलाने के लिए क्रिस केरन्स ने 2012 में ललित मोदी के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया था क्योंकि 2010 में ललित मोदी ने अपने एक ट्वीट के जरिए क्रिस को 2008 में होने वाली मैच फिक्सिंग में लिप्त बताया था।

क्रिस केस तो जीत गए लेकिन अपने ऊपर आई इस मुसीबत से खुद को छुटकारा नहीं दिला पाए।

30 नवंबर 2015 को क्रिस झुठे साक्ष्य प्रस्तुत करने और कानून को भ्रमित करने के मामले में आरोपी पाए गए थे।

इन्हीं कानूनी कार्रवाई और लंदन में चल रहे अपने केस के दौरान क्रिस का बिजनेस पुरी तरह से बर्बाद हो गया जिसके चलते उनके सामने आर्थिक तंगी का संकट भी खड़ा हो गया था।

अपनी इसी आर्थिक तंगी से जूझते हुए क्रिस को हाल ही में बस और ट्रकों को साफ करते हुए देखा गया था।

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क्रिस केरन्स का ब्यक्तिगत जीवन-

रिपोर्ट के अनुसार उनके एक साथी खिलाड़ी ने न्यूजीलैंड हैराल्ड अखबार को बताया था कि क्रिस अपने परिवार की जरूरतों के कारण बस और ट्रकों की सफाई कर रहे हैं।

साल 2010 में क्रिस का विवाह आस्ट्रेलियाई मूल की महिला मेलानी क्रोसर से हुआ था, यह उनकी तीसरी शादी थी।

न्यूजीलैंड का एक महान क्रिकेटर आज खाक छानने पर मजबुर है लेकिन यह क्रिकेट का ऐसा पहला मामला नहीं है जहां क्रिकेटरों ने अमीरी से गरीबी का सफर तय किया हो, जोगिंदर नावले और सिन्कलेयर जैसे कई खिलाड़ियों के नाम इस सुची में दर्ज है।

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