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अम्पायर्स ने करायी बेईमानी और गेंदबाज़ ने स्टंप पर लात मार दी

Croft's disgraceful shoulder charge on umpire Goodall-Interesting Facts About Cricket In Hindi

प्रतिद्वंद्विता, एक शब्द जो प्रतीक है एक क़रीबी और शानदार मुक़ाबले का। प्रतिद्वंद्विता शब्द आते ही प्रत्येक मुनष्य एक अलग तरह की ऊर्जा से भर जाता है। फिर वो प्रतिद्वंद्विता सियासी हो,मनोरंजन से जुडी हो या खेल के मैदान पर हो। वैसे भी बड़ों की बात माने तो क्रिकेट का इतिहास विवादों और प्रतिद्वंद्विताओ से भरा पड़ा है।

जब भी दो देशों के बीच आपसी प्रतिद्वंद्विता की बात होती है। तो, इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया या फिर भारत-पाकिस्तान की चर्चाएं सबसे ज़्यादा होती है। लेकिन दोस्तों, आज  हम इन चार टीमों के Bowlers में से किसी की बात नहीं कर रहे हैं। हम यहां बात 1980 मे न्यूज़ीलैंड की धरती पर हुई न्यूज़ीलैंड-वेस्टइंडीज टेस्ट सिरीज़ की कर रहे हैं।

उस सीरीज़ को याद किये जाने पर आज भी दो पक्ष बन जाते हैं। एक पक्ष क्रॉफ्ट और होल्डिंग के गुस्से को ठीक बताता है। तो,दूसरा पक्ष गुडऑल को गलत बताते हुए भी खेल भावना की दुहाई देता है। अब गुडऑल सही थे या नहीं कहना मुश्किल है। लेकिन, इस घटना के बाद आईसीसी ने तटस्थ यानी न्यूट्रल अंपायरिंग का नियम जोड़कर भविष्य में इस तरह की घटनाओं  के लिए कोई मौका नहीं छोड़ा।

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अच्छे खेल के लिए याद रखी जाने वाली सीरीज़ क्रिकेट इतिहास में सबसे चर्चित विवादस्पद सीरीज़ बनकर रह गई थी। हालाँकि, सौभाग्य से ऑकलैंड के तीसरे टेस्ट में ऐसी कोई अप्रिय घटना नहीं हुयी। टेस्ट से पहले खिलाडियों के अनुरोध को स्वीकार करते हुए अंपायर गुडॉल को छुट्टी दे दी गई। लेकिन,उस पूरे मैच में वेस्टइंडीज़ के खिलाडियों ने कुछ ख़ास रूचि नहीं दिखाई। यहां तक कि सीरीज ख़त्म होने से 1 दिन पहले ही वेस्टइंडीज़ के 5 सीनियर खिलाडियों ने वापसी का टिकट करा लिया था। वेस्टइंडीज के गेंदबाज़ों ने अपील करना छोड़ दिया था। इसका नतीजा रहा नीरस से पांच दिन के बाद ऑकलैंड का तीसरा टेस्ट भी ड्रा हो गया ।इस तरह क्रिकेट इतिहास की सबसे चर्चित और विवादास्पद सीरीज नूज़ीलैण्ड ने 1-0 से अपने नाम की। 

 

      पहले मैच के बाद सबकी निगाहें क्राइस्टचर्च में होने वाले अगले मुक़ाबले पर टिकी थी। जहां वेस्टइंडीज़ी खिलाडियों के गुस्से और अंपायरों की बेईमानी की हद तय होनी थी। फिर भी 2 दिन का खेल ठीक-ठाक हुआ और वेस्टइंडीज के 228 के जवाब में दूसरे दिन के अंत में न्यूज़ीलैंड का स्कोर 15-0 पर था। लेकिन, ड्रामा तीसरे दिन तब शुरू हुआ जब कप्तान होवार्थ 68 रन पर बल्लेबाज़ी कर रहे थे। गार्नर की गेंद होवार्थ के अंगूठे को छूकर विकेटकीपर के दस्तानो में गई। मगर, अंपायर गुडॉल ने फैसला न्यूज़ीलैंड के पक्ष में दिया।

वेस्टइंडीज टीम के खिलाडियों  से  लेकर दर्शक भी होवार्थ को आउट मान रहे थे। अम्पायरों के एकतरफ़ा बर्ताव को देखते हुए वेस्टइंडीज़ टीम ने आगे खेलने से इंकार कर दिया और मैदान पर वापस आने के लिए गुडऑल को अंपायरिंग से हटाने की शर्त राखी। उधर नूज़ीलैण्ड अपने अंपायर के पक्ष में थी।11 मिनट इंतज़ार के बाद न्यूज़ीलैंड के कप्तान होवार्थ पविलियन आये और लॉयड को आश्वस्त किया। कि वो अपने खिलाडियों से कहेंगे

“अगर उन्हें लगता है कि वो आउट हैं तो अंपायर के फैसले के बिना पवेलियन लौट आएं”

वेस्टइंडीज़ टीम 12वे मिनट मैदान में थी। लेकिन, यह खेल के अलग तरह से शुरू होने का संकेत था। हालाँकि विकेट ना मिलने के बाद भी वेस्टइंडीज की तरफ़ से बाउंसरों की बरसात जारी रही। चाय के बाद होल्डिंग ने एक बार फिर होवार्थ को मूर के हाथों कैच आउट कराया। लेकिन, ना तो अंपायर ने ऊँगली उठायी और ना ही लॉयड को आश्वस्त करने वाले होवार्थ ने मैदान छोड़ा। तीसरा दिन तनाव के साथ ख़त्म हुआ।

 

Bowlers hit Stumps Colin Croft's disgraceful shoulder charge on umpire Goodall
Michael Holding was incensed by the umpiring and he kicked the stumps in anger in what became an infamous photo during West Indies’ tour of New Zealand in 1980. (Photo Credit: Twitter)

मगर, असली घटना तो अभी होना बाक़ी थी। गेंदबाज़ कोलिन क्रॉफ्ट और गुडॉल के बीच चौथे दिन की शुरुआत से ही तनाव शुरू हो गया था। क्रॉफ्ट क्रीज़ के बहुत बाहर से गेंद फेंक रहे थे। गुडॉल कभी नो बॉल देते,तो कभी चेतावनी। इसी तनातनी के बीच मैच चल रहा था और यहीं पर क्रॉफ्ट की एक बाउंसर पर हैडली का कैच विकेटकीपर मूरे ने पकड़ा। लेकिन, गुडॉल ने नॉट आउट करार दिया।

उसके बाद क्रॉफ्ट ने बाउंसर की झड़ी लगा दी और अंपायर ने जब फिर से नो बॉल दी तो रन अप पर लौटते वक़्त क्रॉफ्ट ने रनिंग एन्ड की बेल्स गिरा दी। यही स्थानीय दर्शकों द्वारा की गई ज़बरदस्त हूटिंग ने क्रॉफ्ट का गुस्सा और बढ़ा दिया। इसका नतीजा यह रहा कि अगली गेंद पर अपने रन अप के दौरान अंपायर के ठीक पीछे से आते हुए क्रॉफ्ट ने गुडॉल को कोहनी मार दी।

इसके बाद माहौल क्रिकेट के मैदान से जंग के मैदान में तब्दील हो गया। यह क्रिकेट इतिहास की इकलौती ऐसी घटना है जहां अंपायर के साथ ऐसा व्यवहार किया गया हो। क्लाइव लॉयड से काफी देर बात करने के बाद मैच फिर से शुरू हुआ।मगर, क्रॉफ्ट ने बाउंसर फेंकना जारी रखा। इस घटना के बाद न्यूज़ीलैंड की पारी जैसे-तैसे 460 रन पर समाप्त हुई।

अब मैच में कुछ नहीं था! या शायद था ? वेस्टइंडीज़ की ज़बरदस्त बल्लेबाज़ी अभी बाकी थी। जो इस सीरीज में देखने को नहीं मिली थी। गॉर्डन ग्रीनिज ने 97,हेंस ने 122,लॉरेंस रो ने 100 और कोलिस किंग ने भी 100 रन बनाकर अपनी भड़ास निकाली। इन परियों की बदौलत वेस्टइंडीज़ का अंतिम स्कोर 447-5 था और मैच ड्रा रहा।

भविष्य से बेखबर वक़्त में ड्यूनेडिन के मैदान पर टेस्ट सीरीज की शुरुआत हुई। न्यूज़ीलैंड ने वेस्टइंडीज को भ्रम में डालने के लिए एक अतिरिक्त स्पिनर खिलाया।  जबकि, पिच तेज़ गेंदबाज़ों के लिए बनी थी। पिच और टॉस का फ़ायदा उठाते हुए पहले गेंदबाज़ी करने आयी न्यूज़ीलैंड ने वेस्टइंडीज जैसी टीम को 140 रन पर आल-आउट करके सनसनी मचा दी। न्यूज़ीलैण्ड की तरफ से हैडली ने 5 विकेट लिए जिसमे 3 विकेट एलबीडबल्यू के रूप में प्राप्त किये थे।

यहाँ ख़ास बात यह थी कि तीनो ही मौकों पर अंपायर फ्रेड गुडऑल थे। जवाब में न्यूज़ीलैंड ने 249 रन बनाये और वेस्टइंडीज ने दूसरी पारी में 212 रन बनाकर न्यूज़ीलैंड को मात्र 104 रनो का लक्ष्य दिया। ड्रामा भले ही नूज़ीलैण्ड की दूसरी और टेस्ट की आखरी  पारी से शुरू हुआ। लेकिन, टेस्ट मैच अभी तक जिस तरह से हुआ था। उसने यह साफ कर दिया था, कि न्यूज़ीलैंड मूल के अंपायर पूरी तरह से वेस्टइंडीज के खिलाफ हैं। पारी शुरू हुयी, वेस्टइंडीज के गेंदबाज़ अपील करते और न्यूज़ीलैंड के अंपायर उसे  नकार देते। फिर भी, होल्डिंग ने जॉन राइट और एडगर को जल्दी आउट कर न्यूज़ीलैंड को शुरुआती झटके दिए।

अगले ओवर में होल्डिंग की एक गेंद को जॉन पार्कर थर्ड मैन की दिशा में खेलना चाह रहे थे। लेकिन, गेंद विकेटकीपर डार्क मूर के दस्तानो में समा  गयी।वेस्टइंडीज़ के प्रत्येक खिलाडी ने  उत्साह के साथ अपील की।मगर,अंपायर जॉन हेस्टी ने अपनी ऊँगली नहीं उठाई। इस बेईमानी को देखकर होल्डिंग बोखला गए और गुस्से में स्ट्राइकर एन्ड के स्टंप पर ज़बरदस्त किक मारी।

अगले दिन के स्थानीय अख़बारों में इस घटना ने मैच की कवरेज से ज़्यादा चर्चा बटौरी। बहरहाल आगे के गेंदबाज़ो ने होल्डिंग के गुस्से से अपना गुस्सा मिलते हुए क़ातिलाना गेंदबाज़ी जारी रखी और 73 रन के स्कोर पर न्यूज़ीलैंड के 8 विकेट गिरा दिए। न्यूज़ीलैंड टीम जैसे-तैसे 104 रना बना पाई और 1 विकेट से मैच जीतकर वेस्टइंडीज़ को कभी ना भूलने वाली हार थमा दी।

वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों में निराशा इतनी थी। कि, इस टेस्ट के बाद हुई प्रेजेंटेशन सेरेमनी में वेस्टइंडीज के मैनेजर के अलावा केवल टेस्ट के बल्लेबाज़ चुने गए डेसमंड हेन्स थे। यहाँ तक वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड भी नहीं थे।जिन्हें उस दौर का सबसे ज़्यादा भावुक, जोशीले और खेल भावना का सम्मान  रखने वाले कप्तानों में गिना जाता था।

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 दोस्तों, क्रिकेट इतिहास के सबसे चर्चित दौरों में से एक, इस दौरे की शुरुआत 8 फरवरी 1980 को ड्यूनेडिन में एकमात्र वनडे मैच से हुई। जिसमें न्यूज़ीलैंड ने सबको चौकाते हुए 1 विकेट से जीत हासिल की। लेकिन, इस मैच में गौर करने वाली बात यह थी कि न्यूज़ीलैंड के गेंदबाजों और क्षेत्ररक्षकों द्वारा की जा-रही लगभग हर अपील को अंपायर मान रहे थे।

जबकि, वेस्टइंडीज़ी खिलाड़ियों की अपील को बेरहमी से ठुकराया जा-रहा था। उस समय आज की तरह तकनीकें नहीं थी। आईसीसी की भी मैचों पर कोई निगरानी नहीं रहती थी। इस सिरीज़ से पहले मैच के दौरान अंपायरिंग कर रहे अंपायर घरेलू टीम के ही होते थे। ऐसे में सब कुछ खेल भावना और अंपायरों के हाथ मे ही था। उस वन- डे मैच से यह स्पष्ट था कि वेस्टइंडीज़ के लिए यह दौरा मुश्किल रहने वाला है। लेकिन, आगे जो हुआ उसकी किसी को उम्मीद नहीं थी।

  दोस्तों, 1980 के दशक में वेस्टइंडीज अपने घातक गेंदबाज़ों और बल्लेबाज़ों के दम पर क्रिकेट की सुप्रीम पॉवर था । मुख्य रूप से माइकल होल्डिंग, जोएल गार्नर, एंडी रॉबर्ट्स, कोलिन क्रॉफ्ट और मैल्कम मार्शल जैसे गिफ्टेड घातक गेंदबाज़ों के सामने बल्लेबाज़ी किसी चुनौती से कम नहीं थी। उसी दौरान 1980 मे वेस्टइंडीज टीम ऑस्ट्रेलिया को 2-0 और इंग्लैंड जैसी टीम को 3-0 से उन्हीं के घर मे हराकर 3 टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने न्यूज़ीलैंड गयी थी। क्लाइव लॉयड की शक्तिशाली वेस्टइंडीज के सामने ज्योफ होवर्थ की न्यूज़ीलैंड टीम शेर के सामने मेमना नज़र आ-रही थी। लेकिन, एक उम्मीद थी कि न्यूज़ीलैंड अपने घर पर खेलने का कुछ फ़ायदा ज़रूर उठाएगा और वेस्टइंडीज के सामने चुनौती पेश करेगा।

                                                                                                 

     

 

  

 

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Mohammad Talib khan

Sports Conten Writer At Naarad TV

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