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कॉमेडी फिल्मों के किंग डायरेक्टर प्रियदर्शन की कहानी

Bollywood Director Priyadarshan Biography in hindi

Clapper Board
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लाइट..साउण्ड.. कैमरा.. ऐक्शन.. ये महज कोई ऑर्डर करने वाले शब्द नहीं हैं बल्कि एक ज़रिया हैं हमें एक ऐसी दुनियां में ले जाने का, जिसकी कल्पना तो हम कर सकते हैं लेकिन उसे देख नहीं सकते। और उन्हीं कल्पनाओं को अपने-अपने नज़रिये से परदे पर साकार कर एक नयी दुनियां रचने का काम करते हैं फ़िल्मों के डायरेक्टर।

कभी इमोशंस जगा के तो कभी जोश से भर के तो कभी गुदगुदा के हमारा इंटरटेनमेंट करने वाले इन्हीं डायरेक्टर्स में से एक हैं डायरेक्टर प्रियदर्शन, जो बनना तो चाहते थे एक क्रिकेटर लेकिन किस्मत ने उन्हें एक फ़िल्म मेकर बना दिया। क्रिकेट में न सही लेकिन फ़िल्मों में बतौर फ़िल्ममेकर प्रियदर्शन जल्द ही अपनी 100 फ़िल्में पूरी कर सेंचुरी ज़रूर लगा लेंगे।

30 जनवरी 1957 में केरल के तिरुवनंतपुरम में जन्मे प्रियदर्शन के पिता कॉलेज में लाइब्रेरियन थे इसलिए प्रियदर्शन का इंट्रेस्ट भी किताबों की तरफ बढ़ता चला गया। जो आगे चलकर उनके राइटिंग में फायदेमंद साबित हुआ। प्रियदर्शन ने सरकारी मॉडल स्कूल , त्रिवेंद्रम में अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की है और यूनिवर्सिटी कॉलेज त्रिवेंद्रम से फिलोसॉफी में मास्टर्स ऑफ आर्ट्स की डिग्री ली है।

लिखने पढ़ने का शौक़ तो था ही इसलिए कॉलेज के दौरान ही उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के लिए लघु नाटक और स्किट लिखना शुरू कर दिया था। हालांकि राइटिंग के अलावा उन्हें क्रिकेट खेलने का भी जुनून था लेकिन एक दुर्घटना की वज़ह से उनका क्रिकेटर बनने का सपना टूट गया था। एक इंटरव्यू में प्रियदर्शन ने बताया था कि, “एक समय था जब मेरे मन में एक क्रिकेटर बनने का जुनून था।

मैं राज्य स्तर पर खेलता था और अपने स्कूल के दिनों में इसमें चैंपियन था। अपने कॉलेज के दिनों में, मैंने एक कैप्टन के रूप में अपने संस्थान का प्रतिनिधित्व किया था। और खेल में सक्रिय रूप से भाग लिया था। एक बार खेलते समय मेरी आँख चली गई थी। मैंने तब से इसे छोड़ दिया था।

” उन्होंने यह भी कहा कि “लगता है कि जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है, और मैं एक फिल्म मेकर बन गया। अगर मैं आज एक क्रिकेटर होता तो मैं सेवानिवृत्त होता और किसी बैंक में काम करता। लेकिन मैं एक फिल्म निर्माता बन गया और इसके बारे में कोई पछतावा नहीं है। मैं अब भी क्रिकेट से प्यार करता हूँ और हमेशा सेट पर क्रिकेट के सामान ले जाता हूँ जहाँ पूरी यूनिट और मैं ब्रेक के दौरान खेलते हैं।”

मज़े की बात कि प्रियदर्शन के पिता हमेशा चाहते थे कि वे एक शिक्षक बनें। उनकी स्नातक की शिक्षा पूरी होने के बाद उन्होंने प्रियदर्शन से पूछा था कि वे क्या करना चाहता हैं। तो प्रियदर्शन ने उनसे कहा था कि “मैं एक फिल्म निर्देशक बनना चाहता हूं।” इस पर उन्होंने सवाल किया था कि, “क्या सिनेमा भी कोई पेशा है?”‘

Priyadarshan
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फ़िल्मों से जुड़ाव-
बेशक उनके पिता फ़िल्मों के ख़िलाफ़ थे लेकिन उन दिनों में मोहनलाल, सुरेश कुमार, सनल कुमार जैसे आज के दिग्गज साऊथ ऐक्टर उनके दोस्त थे। जब मोहनलाल ने फिल्मों में करियर बना लिया तो बाद में प्रियदर्शन भी उनके पास चेन्नई चले गये जहाँ प्रियदर्शन को मोहनलाल की मदद से, कुछ सफल फिल्मों में सहायक पटकथा लेखक के रूप में काम करने का मौका मिला।

हालांकि बाद में उन्हें वापस केरल आना पड़ा। साल 1984 में, प्रियदर्शन ने अपने करीबी दोस्तों सुरेश कुमार और सनल कुमार के साथ उस दौर के कामयाब ऐक्टर शंकर को लेकर एक फिल्म बनाने का फैसला किया और एक डायरेक्टर के तौर पर मलयालम फ़िल्म ‘पुचाक्कुरु मुक्कुति’ से अपने करियर की शुरुआत की।

उन्होंने मोहनलाल, जैसे दिग्गज को भी शंकर के साथ पैरलल हीरो के रूप में चुना। फ़िल्म कामयाब रही और कम बजट में शूट की गई इस कॉमेडी फिल्म ने केरल के सिनेमाघरों में 100 दिनों की सफल दौड़ पूरी की। ऐस फ़िल्म के बाद प्रियदर्शन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक फ़िल्में बनायीं।

दोस्तों प्रियदर्शन पहले ऐसे डायरेक्टर थे जिन्होंने भारत में रिच कलर ग्रेडिंग, क्लीयर साउंड और क्वालिटी डबिंग जैसी चीजों को अपनी शुरुआती मलयालम फिल्मों में इस्तेमाल किया था। मलयालम फ़िल्मों में पहचान बनाने के बाद प्रियदर्शन ने कई सफल तेलुगु और तमिल फिल्मों का भी डायरेक्शन किया।

साल 1992 में, प्रियदर्शन ने मुस्कुराहाट के साथ बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की, जो उनकी अपनी मलयालम फिल्म किलुक्कम की रीमेक थी। हालांकि यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लाप रही थी। जिसके बाद प्रियदर्शन ‘गर्दिश’ सात रंग के सपने, ‘कभी न कभी’, ,’विरासत’ और ‘डोली सजा के रखना’ जैसी फिल्में लेकर आये

जिनमें गर्दिश एक ज़बरदस्त कामयाब फ़िल्म बनी तो वहीं बाक़ी फ़िल्मों में कुछ ने औसत कारोबार किया तो कुछ फ्लाप भी हुईं हालांकि उन सबमें भी उनके डायरेक्शन की ख़ूब तारीफ़ हुई। सबसे ख़ास बात कि इनमें से लगभग सभी फ़िल्में उनकी सुपरहिट साउथ फ़िल्मों का रीमेक ही थीं।

इस बीच साल 1996 में, प्रियदर्शन अपने ड्रीम प्रोजेक्ट, कालापानी  भी लेकर आये जो, जो राइटर टी. दामोदरन द्वारा लिखी भारत की आज़ादी व संघर्ष की घटनाओं पर आधारित थी। इलैयाराजा के शानदार संगीत से सजी इस फ़िल्म में मोहनलाल , तब्बू , प्रभु व अमरीश पुरी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं।

कालापानी ने प्रियदर्शन के करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। यह फिल्म, जो मूल रूप से मलयालम में बनी थी, इसे बाद में डब करके तमिल, तेलुगु और हिंदी में एक साथ रिलीज़ किया गया था। कालापानी प्रियदर्शन के करियर की एक ऐसी फ़िल्म बनी जिसने उन्हें अपने करियर में पहली बार कई पुरस्कार दिलाए थे।

हालांकि हिंदी फ़िल्मों में सबसे बड़ी सफलता की बात करें तो वह उन्हें साल 2000 में आई ‘हेरा फेरी’ से मिली। आलम ये रहा कि यही फ़िल्म उनकी पहचान बन गयी और लोग उनकी पिछली बेहतरीन फ़िल्मों को भूल गये।

Hera Pheri
Hera Pheri

हेराफेरी के बाद प्रियदर्शन ने अपनी कई कॉमेडी मलयालम फिल्मों को बॉलीवुड में रीमेक किया जिनमें हंगामा, हलचल, गरम मसाला, भागमभाग, चुपचुपके, ढोल और भुल भूलैया जैसी शानदार कॉमेडी फिल्में शामिल हैं। इस बीच उन्होंने ‘क्योंकि’ के साथ फिर से एक बार कॉमेडी से हटकर कुछ करना चाहा लेकिन फ़िल्म उतनी नहीं चली जितना कि उनकी कॉमेडी फ़िल्मों ने कामयाबी हासिल की थी इसलिए वे कॉमेडी पर ही अपना पूरा फोकस रखने लगे।

साल 2000 के दशक से भी ज्यादा समय तक उन्होंने कई मजेदार कॉमेडी फिल्में बनाई और ये दशक कॉमेडी के मामले में पूरी तरह से प्रियदर्शन के नाम रहा। हालांकि उन्होंने मलयालम में अपना काम ज़ारी रखा और वहाँ भी उनकी फ़िल्मों ने कामयाबी हासिल की लेकिन उसी के साथ प्रियदर्शन ने चुप चुप के , भागम भाग , मालामाल वीकली , ढोल , भूल भुलैया , दे दना दन और मेरे बाप पहले आप  जैसी हिट फ़िल्मों के ज़रिये बॉलीवुड में भी छाये रहे।

हालांकि बाद में आयी उनकी फिल्में बिल्लू , बम बम बोले , खट्टा मीठा , आक्रोश , तेज और रंगरेज  को वह कामयाबी हासिल न हो सकी। लेकिन प्रियदर्शन पीछे मुड़कर देखने वाले फ़िल्ममेकर नहीं हैं और यह साबित किया उसी दौरान आयी उनकी फ़िल्म कांचीपुरम ने।

बुनकरों के इर्द-गिर्द घूमती एक लीक से हटकर बनायी गयी इस फिल्म ने एक बार फिर सबको चौका दिया कि और फ़िल्म में मुख्य भूमिका में नज़र आये ऐक्टर प्रकाश राज को इसके लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी हासिल हुआ। इसके अलावा कांचीवरम को कई फिल्म फेस्टिवल में भी सम्मानित किया गया।

दोस्तों प्रियदर्शन ने अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी जैसे बॉलीवुड स्टार्स की एक्शन इमेज को तोड़ते हुए उन्हें कॉमेडी ऐक्टर का भी रूप दिया और कॉमेडी फ़िल्मों का एक नया चलन शुरू किया। प्रियदर्शन की फ़िल्म हेराफेरी के ज़रिये ही विलेन से कॉमेडियन बने परेश रावल ने भी अपनी इमेज ऐसी बदली कि उन्होंने फिर कभी विलेन की भूमिका नहीं की।

हालांकि पिछले दिनों प्रियदर्शन ने इस बात पर दुख जताया था कि बॉलीवुड में अब कॉमेडी के नाम पर केवल मसखरापन ही किया जाता है।  प्रियदर्शन सिनेमाजगत में 34 साल बिता चुके हैं और उन्होंने अपने अब तक के करियर में सभी भाषाओं को मिलाकर लगभग 91 फिल्में बना लीं हैं, जिनमें मलयालम और हिंदी के अलावा उन्होंने तमिल और तेलुगु फिल्में भी शामिल हैं ।

हिंदी फ़िल्मों की बात करें तो उनकी संख्या लगभग 31 है और डेविड धवन के बाद सबसे ज़्यादा फ़िल्में डायरेक्ट करने वाले डायरेक्टर प्रियदर्शन ही हैं। प्रियदर्शन का मानना है कि जल्द ही वे 100 फ़िल्में कम्पलीट कर अपनी सेंच्यूरी पूरी कर लेंगे। जल्द ही प्रियदर्शन ‘हेरा फेरी 3’ के ज़रिये बॉलीवुड में वापसी की तैयारी में हैं जो पिछले कई महीनों से चर्चा का विषय बनी हुई है।

Priyadarshan
Priyadarshan

प्रियदर्शन ने कई विज्ञापन फिल्मों का भी निर्देशन भी किया है जिनमें कोका-कोला , अमेरिकन एक्सप्रेस , नोकिया , पार्कर पेन , एशियन पेंट्स, किनले और मैक्स न्यूयॉर्क लाइफ इंश्योरेंस उनके सबसे मशहूर विज्ञापन हैं। इसके अलावा उन्हें बैंगलोर में आयोजित मिस वर्ल्ड 1996 इवेंट के डायरेक्शन की भूमिका भी सौंपी जा चुकी है।

अवाॅर्ड-
प्रियदर्शन को मिले अवॉर्ड की बात करें तो वह उनकी फ़िल्मों की लिस्ट की तरह ही काफी लम्बी है और सबके बारे में यहाँ बात करने से वीडियो बड़ी हो जायेगी फिर भी हम नेशनल अवाॅर्ड की चर्चा ज़रूर करेंगे। प्रियदर्शन की फ़िल्म काला पानी को मिले चार नेशनल अवाॅर्ड के अलावा साल 2007 में उनकी तमिल फिल्म कांचीवरम को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

इतना ही नहीं साल 2012 में उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। प्रियदर्शन मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित ‘राष्ट्रीय किशोर कुमार पुरस्कार’ के लिए भी सम्मानित किये जा चुके हैं जिसके लिये सेलेक्ट होने पर मीडिया से उन्होंने कहा था कि, “मैं सदैव ही किशोर कुमार का फैन रहा हूं। मेरे बचपन से मेरे रूम में किशोर कुमार के पोस्टर और फिल्मफेयर की मैगजीन की कटिंग लगी रहती थी।

जिसके कारण मेरे पिता मुझसे बहुत नाराज़ रहते थे, क्योंकि इसके कारण मेरे कमरे की दीवारें ख़राब हो जाया करती थीं। आज तक मुझे इस चीज़ का अफ़सोस है कि मैं इस महान कलाकार से नहीं मिल पाया। मैं सदैव सोचता हूं कि काश मैं इनसे एक बार मिल पाता। यह पुरस्कार मुझे इसलिए भी उत्साहित कर रहा है क्योंकि यह मुझे किशोर दा के घर में दिया जाएगा

जो मेरे लिए उनके आशीर्वाद स्वरूप है, इसीलिए मैं गर्व से कह सकता हूं कि यह पुरस्कार मेरे लिए पद्मश्री और नेशनल अवार्ड से बढ़कर है।” प्रियदर्शन ने यह भी कहा कि इस पुरस्कार को जीतने वाले वे पहले दक्षिण भारतीय हैं और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिये मध्यप्रदेश सरकार का भी आभार प्रकट किया था।

अन्य कार्य-
प्रियदर्शन ने 50वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव यानि ‘IFFI’ 2019 की फीचर फिल्म जूरी के ‘अध्यक्ष’ के रूप में भी कार्य किया है। फ़िल्मों के अलावा प्रियदर्शन को केरल में खेले जाने वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के लिए मलयाला मनोरमा समाचार पत्र के स्तंभकार के रूप में भी काम कर चुके हैं

और साल 2015 में प्रियदर्शन केरल में आयोजित 35वें राष्ट्रीय खेलों के लिए समारोहों की समिति के अध्यक्ष भी बनाये जा चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने ‘राइजिंग स्टार आउटरीच ऑफ इंडिया’ के साथ जुड़कर कुष्ठ रोग उन्मूलन जैसे सामाजिक कार्यों के लिये भी सालों तक अपना योगदान दिया है।

Priyadarshan getting Award
Priyadarshan getting Award

प्रियदर्शन ने अपनी 91 फ़िल्म पूरी करने के बाद कहा था कि, “शायद नौ और फिल्मों के बाद मैं एक फुलटाइम टीचर बन जाऊं और फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने के इच्छुक छात्रों को वह सिखाऊं जो कुछ मैने सीखा है।” प्रियदर्शन कहते हैं कि अब वह अपने पिता की इच्छा के अनुरूप शिक्षक के रूप में अपने नए करियर की शुरुआत करेंगे।

प्रियदर्शन का मानना है कि अगर उनके लाइब्रेरियन पिता ने उनमें पढ़ने की आदत नहीं डाली होती, तो आज वह जहां हैं वहां कभी नहीं पहुंच पाते। उन्होंने कहा कि टीचर की भूमिका निभाने के साथ ही वे फिल्में बनाना भी ज़ारी रखेंगे।

निजी जीवन-
प्रियदर्शन ने 80 के दशक में उनकी कई फिल्मों में काम कर चुकी ऐक्ट्रेस लिजी से साल 1990 से शादी की थी। हालांकि शादी के बाद लिजी ने एक्टिंग छोड़ दी और इसके बाद उन्होंने अपने पति के साथ बिजनेस में साथ दिया। हालांकि लगभग 24 साल की शादीशुदा जिंदगी के बाद दोनों ने अलग होने का फैसला किया और साल 2016 में डिवोर्स लकर सबको चौका दिया।

इनकी दो संतानें हैं कल्याणी और सिद्धार्थ। कल्याणी ने न्यू यॉर्क से आर्किटेक्चर डिजाइनिंग में बैचलर डिग्री हासिल की है। इसके बाद उन्होंने प्रॉडक्शन डिजाइनिंग का काम किया। कल्याणी ने प्रॉडक्शन डिजाइन असिस्टेंट के तौर पर 2013 में आई फिल्म ‘कृष 3’ और 2016 में आई फिल्म ‘इरु मुगन’ में काम किया था। कल्याणी प्रियदर्शन साउथ की फिल्मों का जाना-पहचाना चेहरा हैं। कल्याणी ने साल 2017 में तेलुगू मूवी ‘हेलो’ से डेब्यू किया था।

Priyadarshan First and Second Wife
Priyadarshan First and Second Wife
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