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बल्लेबाज जिन्होंने Test को T20 बना दिया |

दोस्तों अभी तक हमने नारद टीवी पर कई अंडररेटेड (Underrated) खिलाड़ी (Player), कई अनसंग (Unsung) हीरोज, नाइटमेयर (Nightmare) फॉर (For) बैट्समैन, कई महान खिलाड़ी, टॉप नॉक्स जैसे विषयों (Subjects) पर क्रिकेट के ढेरों पोस्ट किये। लेकिन आज हम उन खिलाड़ियों के बारे में बात करेंगे जिनके पूरे करियर (Career) को आप और हम जैसे कई फैंस ने त्यौहार (Festival) की तरह सेलिब्रेट किया। कारण था, उनका बेखौफ (Fearless) अंदाज़, ताबड़तोड़ स्ट्रॉकप्ले (Strokeplay)। टेस्ट की पहली ही गेंद पर छक्के लगाने की क्षमता (Capacity) तो हर बल्लेबाज में होती है। लेकिन इसे वास्तव (Reality) में करना हर किसी के बाद की बात नहीं।आज नारद टीवी के इस पोस्ट में हम बात करेंगे उन टॉप दलेर बल्लेबाजों (Batsmans) की,जो अपने करियर में कभी डरकर (Fear) नहीं खेले। चाहे स्कोर 0 हो या 99, उनका खेलने का अंदाज़ नहीं बदला।और उनकी दहशत तो ऐसी थी, कि उनकी खौफ से टेस्ट में भी पहली ही गेंद से फील्डर (Fielder) बाउंड्री (Boundry) पर देखने को मिलते।

                                                                                                    Adam-Gilchrist

5. एडम गिलक्रिस्ट: दोस्तों एडम गिलक्रिस्ट उन खौफनाक (Creepy)  क्रिकेटर्स में से एक हैं जो टेस्ट मैच के एक ही घंटे में खेल का पासा (Dice) पलट दिया करते थे। वहीं वाइट बॉल क्रिकेट में सलामी बल्लेबाजी (Batting) करने वाले गिली आते ही गेंदबाजों पर दबाव डालना शुरू कर देते। वे कब कौनसा शॉट (Short) खेलने वाले हैं, ये अंदाजा (Guess) लगाना काफी मुश्किल होता। यही कारण था कि उनकी पहली गेंद से ( टेस्ट में ) फिल्ड (Feild) हमेशा खुली रहती। पर केवल 57 गेंदों पर शतक (Century) लगाने वाले गिलक्रिस्ट के नाम टैस्ट क्रिकेट का तीसरा सबसे तेज़ शतक है। विश्व (World) में ऐसे खिलाड़ी काफ़ी कम देखने को मिलते हैं जो दबाव (Pressure) की स्थिति में भी दबाव में नहीं होते।कुछ ऐसे ही थे ये जनाब। यही कारण है कि विश्व कप बड़े मंच (Fourm) पर हमेशा उन्होंने बड़ी पारियां खेल टीम को जीत दिलाई। ओडीआई (ODI) क्रिकेट में उनके 16 शतक हैं, और कमाल की बात तो ये कि सभी विनिंग (Winning) कॉस में। गिली ने 3 विश्व कप खेले और तीनो जीते । उनकी बेखौफ (Fearless) बल्लेबाज़ी ही एक कारण थी जो कई बार हार और जीत में अंतर बन जाती।टैस्ट क्रिकेट में 100 छक्के (Sixex) लगाने वाले भी वे विश्व के पहले बल्लेबाज हैं। अपने खेलने के अंदाज़ को कभी न बदलना ही एक कारण था कि गिलक्रिस्ट अपने करियर के आखरी मैच तक भी उतने ही धाकड़ (Dashing) बल्लेबाज थे,जीतने वो शुरूआत में थे।

                                                                                         ब्रैंडन मैक्कुलम

4. ब्रैंडन मैक्कुलम: ब्रैंडन मैक्कुलम क्रिकेट के उन चुनिंदा (Selected)  खिलाड़ियों में शामिल (Involved) हैं जो तेज़ गेंदबाजों को स्पिनर्स (Spinners) की तरह खेला करते थे। वरना ऐसा कौनसा खिलाड़ी है जो एक्सप्रैस (Express) बॉलर्स को स्टेप (Stump) आउट कर सामने के छक्के मारे। चाहे वो कट हो,या 157 की गति पर शॉन टेट को लेटकर स्कूप, मैक्कुलम का इस कला में कोई सानी नहीं। बेखौफ (Fearless) होकर कैसे खेला जाता है, ये मैक्कुलम ने अपनी बल्लेबाज़ी से दुनिया (World) को सिखाया। जिसका अद्भुत नज़ारा 2015 विश्व कप में अपनी आतिशी बल्लेबाज़ी (Batting) से उन्होंने पेश किया।और 7 ओवर में 105 रन तो टी 10 में भी नहीं देखने को मिलते,जो बाज़ के सामने इंग्लैंड के गेंदबाजों ने लुटाए। जहां अन्य खिलाड़ियों पर कभी लक्ष्य का पीछा करते हुए रन रेट का प्रेशर (Pressure) होता है, या फिर बड़े मैच में रन बनाने का, वहीं मैक्कुलम के शब्दकोश (Dictionary) में मानो प्रेशर, डर नाम का कोई शब्द ही नहीं था। वे हमेशा अपनी अक्रामक (Aggressive) नेचुरल गेम के लिए जाने गए और अपने करियर (Creer) के आखरी मैच में सबसे तेज़ टेस्ट शतक (Century) (56 गेंद) लगाने के लिए याद किए जाते हैं। टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक (Most) 107 छक्के लगाने वाले “बाज़”, कभी बाज़ नहीं आए और अपने करियर के अंत तक हर प्रारूप में गेंदबाजों पर कहर बरपाते रहे। वो चाबुक भुजाओं (Arms) से कदमताल (The March) करते किसी भी गेंदबाजी आक्रमण (Attack) के हौंसले पस्त करना, कई गेंदबाजों की नींद उड़ा जाता।

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                                                                                                                     शाहिद अफरीदी

3. शाहिद अफरीदी: दोस्तों शाहिद अफरीदी की बैटिंग के तो शुरू से ही सभी दीवाने थे ही। मात्र 16 साल की उम्र में अपने करियर (Career) के दूसरे मुकाबले में ही लाला ने केवल 37 गेंदों में सबसे तेज़ शतक (Century) बना डाला था। और ये 1996 में आया, ये वो समय था जब 100 के स्ट्राइक (Strike) रेट से बल्लेबाज़ी करना भी एक करिश्मा (Miracle) माना जाता था। और 9 साल बाद भारत के खिलाफ केवल 45 गेंदों में अफरीदी ने ताबड़तोड़ शतक जड़ा। अपने करियर में कई यादगार स्पैल करने वाले बूम बूम अफरीदी हमेशा ही अपने बेखौफ (Fearless) अंदाज़ में तेज़ी से रन बनाने के लिए क्रीज़ (Crease) पर आते, विश्व (World) भर के गेंदबाजों (Bowlers) की पिटाई करते,और कई हारे हुए मैच जो पाकिस्तान की पहुंच से दूर लगते,लाला जिताकर जाते। जिसका एक उपयुक्त (Suitable) उदाहरण 2014 का एशिया (Asia) कप है,जब आखरी विकेट की खोज (Search) में जीत का ख़्वाब (Dream) देख रही भारतीय टीम को अफरीदी ने 2 छक्के लगाकर पाकिस्तान को रोमांचक (Exciting) मुकाबले में जीत दिलाई। फॉर्मेट (Format) बदलते, जर्सी (Jersey) बदलती,लेकिन जो नहीं बदलता,वो था लाला का अटैकिंग (Attacking) अप्रोच (Approach)। और फैंस भारी तादात (Number) में उनकी बल्लेबाज़ी (Batting) का आनंद (Happiness) लिया करते। एक बार उनके पहली गेंद (Ball) पर डक पर आउट (Out) होते ही लगभग आधा (Half) मैदान खाली हो गया,और केवल खामोशी (Silence) छा गई।अपने 22 वर्षीय करियर में अफरीदी ने कई एंटरटेनिंग (Entertaining) पारियां खेली, जो कि अलग अलग बैटिंग पोजीशन (Opposion) पर आई। अंतरराष्ट्रीय (International) क्रिकेट में सबसे ज्यादा छक्के लगाने के मामले में अफरीदी तीसरे स्थान पर हैं जिनके नाम 476 छक्के हैं।

                                                                                                    सनथ जयसूर्या

2. सनथ जयसूर्या: यदि क्रिकेट में कोई ऐसा खिलाड़ी है जिसने दुनिया को पावरप्ले (Powerplay) खेलना सिखाया तो वो है सनथ जयसूर्या। जयसूर्या ने अपने समय से 20 साल आगे का क्रिकेट उस वक्त (Time) से खेला,जब ना पावरप्ले हुआ करता और न ही टी 20 क्रिकेट। एकदिवसीय (ODI) क्रिकेट में 50 से भी कम गेंदों में शतक (Century) पूरा करने वाले वे दुनिया के पहले बल्लेबाज (Batsman) थे। वहीं सबसे तेज़ अर्धशतक (Half century)  का रिकॉर्ड (Record) 19 वर्ष तक उनके नाम रहा। ब्रेट ली की 160 की गति (Speed) वाली गेंद हो,या वॉर्न की फिरकी, जयसूर्या ने बड़े से बड़े गेंदबाजों (Bowlers) की खूब पिटाई की। और ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि विश्व (World) क्रिकेट में सबसे पहले फियरलेस (Fearless) बैटिंग का नजारा जयसूर्या ने ही पेश किया, जिसे दुनिया भर के बल्लेबाज़ों ने फ़ॉलो (Follo) किया। पहली ही गेंद से कहर (Havoc) बनकर बरसने वाले जयसूर्या को रोकना बेहद मुश्किल होता।वे केवल शुरुआती 10 ओवर (Over)  के अंदर ही किसी भी गेंदबाजी अटैक (Attack) की कमर तोड़ देते। अपने 22 साल लंबे करियर (Career) में कई कीर्तिमान (Record) रचने वाले जयसूर्या ने कई गेंदबाजों के करियर तो खत्म (End) किए ही, साथ ही दुनिया को बैटिंग करने का सही तरीका भी सिखाया। उनके खेल ने वाकई क्रिकेट की दशा दिशा और समीकरण (equation)  बदल कर रख दिया।

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                                                                                                                           वीरेंद्र सहवाग

1. वीरेंद्र सहवाग : दोस्तों इस लिस्ट (List) में पहले स्थान (Place) पर आते हैं वीरेंद्र सहवाग। चाहे मैच की पहली गेंद हो या आखरी, सहवाग की फिलोसॉफी (Philosophy) हमेशा से ही गेंद को बाउंड्री (Boundary) के पार पहुंचाने की रही। हालांकि इस चक्कर में वे कई बार आउट (Out) भी हुए। जब एक बार टेस्ट की पहली गेंद पर बाउंसर (Bouncer) को अपर (Upper) कट करते हुए थर्ड मैन पर कैच आउट हुए। मुरलीधरन, डेल स्टेन,और ब्रेट ली की मानें तो सबसे मुश्किल (Difficult) काम है सहवाग को गेंदबाजी करना। क्योंकि ये मुल्तान का सुलतान बढ़िया लाइन लेंथ वाली गेंद पर भी करारे प्रहार (Hit) करने में सक्षम (Able) है। फिर चाहे वो टी 20 हो,टेस्ट या एकदिवसीय (ODI)। लाखों बल्लेबाज (Batsman) आए और गए,लेकिन जो खौफ़ (Fear) सहवाग का था, किसी भी बल्लेबाज़ उस स्तर (Level) तक पहुंचना काफ़ी मुश्किल है। जहां बाकी खिलाड़ी मैच की शुरूआत में संभलकर (carefully) खेलते हैं,थोड़ा वक्त बिताते हैं, वहीं वीरू चौकों छक्कों की बरसात कर देते हैं। इस प्रकार के बेखौफ बल्लेबाज़ एक शताबदी (Century) में ही देखने को नसीब होते हैं जो 99,149,199 या फिर 298 पर छक्का जड़कर माइलस्टोन (Milestone) पूरा करते हैं। जहां टेस्ट में टीमें एक दिन में 250–280 के बीच स्कोर करती, वहीं वीरू ने अकेले ही मुल्तान में एक दिन में 300 रन ठोक डाले।चाहे चेपौक हो या लॉर्ड्स की पिच, सहवाग हमेशा एक ही अंदाज़ भी गेंदबाजों का स्वागत (Welcome) करते।वो सहवाग ही थे, जिन्होंने कभी ख़त्म हो रही टेस्ट क्रिकेट को पुनर्जीवित (Revived) कर दिखाया,और उनकी करिश्माई बल्लेबाज़ी देखने को पांचों दिन स्टेडियम (Stadium) खचाखच (Overcrowded) भरे रहते। अपने पूरे करियर में 54 बार वीरू ने पहली गेंद पर चौके से शुरुआत की, जिसमें से 5 बार उन्होंने ये कारनामा 2011 विश्व (World) कप में किया। एक बार ये दिग्गज मारना शुरू करता तो फिर कहां रुकता था। उन्हीं की कई यादगार पारियों की बदौलत भारत ने कई बार ड्रॉ संभावित (Potential) टेस्ट मैचों में शानदार जीत प्राप्त की। उनके ताबड़तोड़ बैटिंग के किस्से सैंकड़ों (Hundreds) हैं,जो मानो कभी खत्म हो नहीं होंगे। बस यूं समझिए कि बेखौफ (Fearless) शब्द की परिभाषा हैं नजफगढ़ के ये नवाब। वे जब एक बार ठानते,तो किसी भी गेंदबाज की धज्जियाँ उड़ा दिया करते।

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तो दोस्तों ये थे वो दिग्गज, जिन्होंने विश्व को खुलकर खेलना सिखाया और इनके रिटायर होते ही एक युग (Era) का अंत हो गया।इनकी तारीफों में जीतने कसीदे पढ़े जाएं, लिखे जाएं कम ही हैं। आज की पोस्ट में बस इतना ही।आशा करते हैं कि आपको ये पोस्ट पसंद आई होगी, इसे अपने दोस्तों में शेयर ज़रूर करें।

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