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केन विलियमसन : कैसे बने न्यूजीलैण्ड के हीरो – Hindi Biography

केन विलियमसन की कहानी
कहानी न्यूज़ीलैण्ड के महान खिलाड़ी केन विलियमसन की

दोस्तों कहते हैं कि अगर आपके काम को पुरी तरह से समझने वाला कोई शख्स आपकी प्रशंसा करता है या आपके काम को सराहता है तो आपको ये मान लेना चाहिए कि आप उस क्षेत्र में कुछ बहुत अच्छा कर रहे हैं। केन विलियमसन न्यूजीलैंड क्रिकेट में आज के दौर के सबसे बड़े बल्लेबाज हैं जिनके लिए मार्टिन क्रो ने कहा था कि वो जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेंगे तब तक वो न्यूजीलैंड क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े बल्लेबाज बन जायेंगे। यह बात केन विलियमसन के हुनर को साफ तौर पर बयां करती है क्योंकि मार्टिन क्रो को विश्व क्रिकेट में न्यूजीलैंड के लिए खेलने वाले सबसे बड़े बल्लेबाज के रूप में जाना जाता है।

आज हम आपको केन विलियमसन की कहानी बताने वाले है जो एक तरह से क्रो के कथन को सही साबित करती है।

केन विलियमसन जीवनी
केन विलियमसन

8 अगस्त साल 1990 के दिन न्यूजीलैंड के तटीय महानगर टोरंगा में पिता ब्रेट विलियमसन और मां सेंड्रा के खेल प्रेमी परिवार में उनके सबसे बड़े बेटे का जन्म हुआ था जिसका नाम केन विलियमसन रखा गया था।

केन विलियमसन के पिता ब्रेट अंडर सेंवटीन टुर्नामेंट और क्लब क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं और उनकी मां बास्केटबॉल खिलाड़ी थी।

केन विलियमसन के जुड़वां भाई का नाम लोगन है जो उनसे सिर्फ कुछ ही मिनट के अंतराल बाद पैदा हुए थे, केन विलियमसन की तीन बड़ी बहनें भी है जो वोलीबोल प्लेयर और इनमें से दो बहनें न्यूजीलैंड को ऐज ग्रुप टुर्नामेंट्स में रिप्रेजेंट भी कर चुकी हैं।

केन विलियमसन जिस शहर में पैदा हुए थे वहां से निकलकर कुछ बड़े क्रिकेट खिलाड़ियों ने भी अपने देश को रिप्रेजेंट किया है, न्यूजीलैंड के पूर्व तेज गेंदबाज डग ब्रेसवेल केन के बचपन के दोस्त थे और वहीं ट्रेंट बोल्ट भी विलियमसन के पड़ोसी थे।

ऐसे माहौल के बीच बड़े हुए केन विलियमसन भी शुरू से ही हर तरह के खेल को पसंद करते थे, रग्बी पर जान छिड़कने वाले देश में पैदा होने के कारण विलियम्सन भी इस खेल में महारत रखते थे और इसके अलावा कहा जाता है कि इस कीवि खिलाड़ी ने वोलीबोल में भी अपने स्कूल को रिप्रेजेंट किया है।

इन सबके बावजूद क्रिकेट के लिए विलियम्सन का प्यार सबसे ज्यादा था जिसकी एक वजह केन सचिन तेंदुलकर को भी बताते है,90’s में पैदा हुए और बड़े होने वाले हर बच्चे की तरह केन भी सचिन की काबिलियत के मुरीद थे और एक खिलाड़ी के प्रति प्यार ने उन्हें इस खेल में भी कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित किया था।

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केन के पिता ने क्लब क्रिकेट को छोड़कर अपने दोनों बेटों को इस खेल की शुरूआती शिक्षा देने पर काम किया था और इसी का परिणाम था कि केन ने 14 साल की उम्र बे ओफ प्लेंटी की तरफ से रिप्रेजेंटेटिव क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया और फिर 17 साल की उम्र में नोर्थन डिस्ट्रिक्ट की तरफ से अपने डोमेस्टिक करियर का आगाज किया।

केन विलियमसन
केन विलियमसन

केन अपने जीवन में खिलाड़ी के तौर पर बहुत से मौकों पर भाग्यशाली साबित हुए हैं फिर बात चाहे खेल प्रेमी परिवार की हो या शानदार खिलाड़ियों के साथ दोस्ती की, इन सबके अलावा केन ने जिस पिलान्स पोइंट प्राइमरी स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई शुरू की थी वो टोरंगा की एकमात्र ऐसी स्कूल थी जो खुद का क्रिकेट प्रोग्राम चलाती थी, लगभग 300 बच्चों वाली इस स्कूल में नौ अलग अलग क्रिकेट टीमें थी।

विलियमसन खेलों के अलावा पढ़ाई में भी बहुत अच्छे थे, टोरंगा बोयज कोलेज में अपने आखिरी साल में हेड बोय रहे विलियमसन ने जब अपनी स्कूली पढ़ाई पुरी की तब इनके नाम अलग अलग स्कूल टुर्नामेंटस में मिलाकर लगभग चालीस शतक थे।

केन विलियमसन ने अपने पहले डोमेस्टिक सीजन में सिर्फ एक ही मैच खेला था जिसमें इन्होंने मैच की दोनों पारियों में कुल बारह गेंदें खेली थी और सिर्फ दो रन ही बना पाए थे, इस लचर प्रदर्शन के बाद उन्हें दर्शकों की तरफ से काफी बुरा भला सुनना पड़ा लेकिन फिर अगले साल प्लेंकट शील्ड सीजन में विलियमसन ने 50 की औसत से रन बनाकर सभी का मुंह बंद कर दिया था।

डोमेस्टिक क्रिकेट में केन के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए इन्हें साल 2008 में हुए अंडर नाइनटीन वर्ल्डकप के लिए न्यूजीलैंड की टीम का कप्तान बनाया गया और यहां केन विलियमसन ने अपनी कप्तानी के दम पर न्यूजीलैंड को सेमीफाइनल तक पहुंचाया था, इस मैच में कीवी टीम कोहली की अगुवाई वाली भारतीय टीम से हारकर बाहर हो गई थी।

इस टुर्नामेंट में फीलीप हूज आस्ट्रेलिया के वाइस कैप्टन थे और केन विलियमसन के साथ उनकी दोस्ती और प्रतिद्वंद्विता यहां से शुरू हुई थी जो आगे कई सालों तक जारी रही।

हर मंच पर झंडे गाड़ने के बाद केन विलियमसन न्यूजीलैंड की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी चर्चा का विषय बन गए थे और इसकेे चलते केन विलियमसन को साल 2010 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली जा रही टेस्ट सीरीज के दुसरे मैच के लिए स्कवायड में जगह मिली लेकिन केन को खेलने का मौका नहीं मिला था।

इसके बाद 10 अगस्त साल 2010 के दिन यह खिलाड़ी रंगीन जर्सी में अपने देश के लिए भारत के खिलाफ मैदान पर उतरा जहां केन नौ गेंद खेलने के बाद शून्य के स्कोर पर आउट हो गए थे, खराब डेब्यू के बाद भी सचिन तेंदुलकर को मैदान पर अपने साथ देखना केन के लिए शानदार अनुभव था और इस अनुभव ने केन के लिए उनके डेब्यू को यादगार बना दिया था।

इसी साल अक्टूबर के महीने में केन विलियमसन ने बांग्लादेश के खिलाफ अपने वनडे करियर का पहला शतक लगाया और वो न्यूजीलैंड के लिए वनडे क्रिकेट में शतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बन गए थे।

विलियमसन का प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा था और इसे देखते हुए केन को भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए भी टीम में शामिल कर लिया गया जिसमें विलियमसन ने लगभग तीन सौ गेंद खेलकर शतक लगाया और यहां से फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

साल 2011 में केन विलियमसन न्यूजीलैंड को विश्व कप खेलने वाली टीम में शामिल किया गया जहां इस बल्लेबाज ने कुल चार मैच खेले थे और कुल 99 रन बनाए थे।

इसी साल अक्टूबर में केन विलियमसन ने जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलते हुए टी20 क्रिकेट में पदार्पण किया था।

टीम से लगातार अंदर बाहर चल रहे केन विलियमसन को अपने दुसरे टेस्ट शतक के लिए डेढ़ साल का लंबा इंतजार करना पड़ा था जो साउथ अफ्रीका के खिलाफ वेलिंगटन के मैदान पर तब पुरा हुआ जब अफ्रीका के 389 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही कीवी टीम स्टेन और मोर्कल की दहशत के सामने डगमगा रही थी, विलियमसन की 102 रनों की पारी के चलते न्यूजीलैंड यह मैच ड्रा कराने में सफल रही थी।

यहां से केन अपनी टीम का एक जरुरी हिस्सा बन गए थे, जनवरी 2014 में केन विलियमसन ने न्यूजीलैंड दौरे पर आई भारतीय टीम के खिलाफ वनडे सीरीज के पांचों मैचों में अर्धशतकीय पारी खेली थी और ऐसा करने वाले दुनिया के दुसरे बल्लेबाज बन गए।

शानदार खिलाड़ी और कमाल के प्रतिद्वंद्वी होने के अलावा केन विलियमसन निजी तौर पर एक नर्म दिल के इंसान भी हैं, उनके व्यक्तित्व की इस साइड का सबूत तब देखने को मिला जब विलियमसन ने साल 2014 में पाकिस्तान के खिलाफ खेले पांच वनडे मैचों की फीस पेशावर स्कूल हत्याकांड के पीड़ितों को देने का फैसला किया था।

16 दिसंबर के दिन पेशावर स्कूल में हुए आतंकी हमले में 6 बंदूक धारियों ने 149 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था जिसमें 132 बच्चे थे।

2014-2015 टेस्ट सीरीज के दौरान केन के बल्ले से श्रीलंका के विरुद्ध निकली 242 रनों की पारी को क्रिकेट इतिहास की सबसे शानदार पारियों में गिना जाता है।

इसके बाद केन को विश्व कप टीम में शामिल किया गया जहां आस्ट्रेलिया के खिलाफ ग्रुप स्टेज मैच में नौ विकेट खोकर मुश्किल में पड़ी कीवी टीम को केन ने छक्का लगाकर जीत दिलाई थी और केन का यह प्रदर्शन आगे भी जारी रहा।

यह वह समय था जब टेलर और विलियमसन की जोड़ी कीवी टीम के लिए जीत की गारंटी बन गई थी,इस जोड़ी ने अपने दौर में कई कीर्तिमान स्थापित किए थे जिनमें पाकिस्तान के खिलाफ वनडे मैच में न्यूजीलैंड वनडे क्रिकेट इतिहास के 99 वां और 100 वां शतक लगाना भी शामिल है।

साल 2016 में न्यूजीलैंड का कप्तान बनने के बाद इसी साल अगस्त के महीने में विलियमसन टेस्ट खेलने वाले सभी देशों के खिलाफ शतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बन गए थे, यह रिकॉर्ड केन ने सबसे कम समय में पुरा किया था।

विलियमसन को आज न्यूजीलैंड क्रिकेट का सबसे सफल कप्तान माना जाता है और इस सफर की शानदार शुरुआत 2016 टी20 विश्वकप से हुई जहां कीवी टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था।

फिर आया साल 2018 जिसमें केन की कप्तानी में हैदराबाद की टीम ने फाइनल में जगह बनाई थी और इस सफर में केन विलियमसन के शानदार 735 रनों की अहमियत सबसे अधिक थी, इसी साल केन की कप्तानी में न्यूजीलैंड ने 49 साल बाद पाकिस्तान को घर से बाहर जाकर टेस्ट सीरीज हराई थी और यहां भी केन सीरीज डिसाइडर मैच में में मैन ऑफ द मैच रहे थे।

यह साल केन की कप्तानी के लिए शानदार रहा और अब उन्हें अपना यही कमाल अगले साल होने वाले विश्व कप में भी दोहराना था, साल की शुरुआत केन ने बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बड़ियां ढंग से की, सीरीज के पहले मैच में केन के दोहरे शतक की मदद से न्यूजीलैंड ने अपने इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर 715 रन बनाया था, इसी मैच के दौरान केन न्यूजीलैंड की तरफ से सबसे तेज 6000 टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेबाज भी बन गए थे।

केन ने विश्व कप के दौरान साउथ अफ्रीका और वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी शतकीय पारी की मदद से न्यूजीलैंड को जीत दिलाई और फिर न्यूज़ीलैंड ने लगातार दुसरी बार फाइनल में जगह बनाई लेकिन यहां एक बार फिर न्यूजीलैंड लाइन क्रोस नहीं कर पाई लेकिन विलियमसन ने सभी क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत लिया था।

फाइनल मुकाबले के बाद केन को शानदार 578 रनों के लिए अपने फेवरेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के हाथों मैन ऑफ द टूर्नामेंट का अवार्ड दिया गया था।

अगले साल कोरोना के चलते क्रिकेट प्रभावित रही लेकिन खेल की वापसी के साथ ही  दिसम्बर में वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज खेलते हुए केन ने पहले मैच में 251 रनों की पारी खेली जो टेस्ट में उनका सबसे बड़ा स्कोर है।

जून 2021 में न्यूजीलैंड ने भारत को हराकर आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप के पहले एडिशन का ताज अपने नाम किया लेकिन टी20 विश्वकप में एक बार फिर केन को आस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में हार का सामना करना पड़ा लेकिन एक बल्लेबाज के तौर पर केन ने इस टुर्नामेंट में भी अपनी टीम का भरपूर साथ दिया था जिसमें फाइनल की वो अर्धशतकीय पारी शामिल हैं।

केन के नाम 156 फस्ट क्लास मैचों में 12179 रन हैं जो इस बल्लेबाज की काबिलियत को खुद ब खुद बयां करते हैं, साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी इस बल्लेबाज ने तीनों फोर्मेटस में साझा रुप से 15000 से अधिक रन बनाए हैं, जिनमें 37 शतक शामिल हैं।

बात करें इस बल्लेबाज के कुछ रिकॉर्ड्स की तो केन विलियमसन और बीजे वाटलिंग का नाम छठे विकेट के लिए निभाई गई दुसरी सबसे बड़ी साझेदारी में दर्ज है जो इन दोनों खिलाड़ियों ने श्रीलंका के खिलाफ बनाई थी, साथ ही केन विलियमसन सबसे तेज 3000 टेस्ट रन बनाने वाले खिलाड़ियों में डोन ब्रैडमैन से भी ऊपर है, केन विलियमसन आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में 900 प्वाइंट तक पहुंचने वाले पहले बल्लेबाज हैं, यह कारनामा केन ने2018 में किया था।

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