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जुम्मा-चुम्मा वाली हिरोइन किमी काटकर की कहानी

दोस्तों कहा जाता है कि समय किसी इंसान को मशहूर भी बना सकता है और समय ही किसी इंसान को गुमनाम भी कर सकता है। लेकिन किसी सफर की मंजिल तक पहुंचने में कितना समय लगेगा और कौनसा रास्ता सही रहेगा ये कोई नहीं बता सकता है। बात अगर सिनेमाई दुनिया की हो तो यहां कई साल बिताकर भी कुछ लोग जहां गुमनाम रह जाते हैं तो वहीं कुछ लोग एक फिल्म से भी सुपरस्टार का तमगा हासिल कर लेते हैं।नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है अनुराग सुर्यवंशी और आप देख रहे हैं नारद टीवी जिसमें आज हम बात करने वाले है 80’s और 90’s की मशहूर अभिनेत्री नयनतारा काटकर यानी किमी काटकर के बारे में।

किमी काटकर का जन्म 11 दिसंबर 1965 को मुम्बई में हुआ था। इनकी मां का नाम टीना काटकर था जिन्होंने फिल्मों में जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर काम करने के अलावा कई फिल्मों में कोस्ट्यूम डिज़ाईनर के तौर पर भी काम किया था। किमी काटकर के पिता फिल्मों में जूनियर आर्टिस्ट सप्लाई करने का काम किया करते थे। सिनेमा से जुड़े लोगों के बीच रहने के कारण किमी काटकर को भी यह दुनिया आकर्षित करने लगी थी और इसीलिए अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 17 साल की उम्र में ही इन्होंने मोडलिंग करना शुरू कर दिया था।

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किमी काटकर को फिल्मी दुनिया से रुबरु करवाने के पीछे इनकी मां का बहुत बड़ा योगदान है क्योंकि इनकी मां अपनी बेटी को हिंदी सिनेमा की एक बड़ी अभिनेत्री के रूप में देखना चाहती थी। कुछ समय तक मोडलिंग करने के बाद किमी काटकर को अपनी पहली फिल्म मिली जिसका नाम था किसका खेल जिसमें इनके साथ मोहनिस बहल काम कर रहे थे। लेकिन कुछ सीन शूट होने के बाद यह फिल्म किसी वजह से बीच में ही रुक गई और फिर कभी शुरू ही नहीं हो पाई मगर इस दौरान मोहनिस बहल और किमी काटकर एक दुसरे के बहुत करीब आ गए थे और कहा जाता है कि इन्होंने एक दुसरे से सगाई भी कर ली थी। इसके बाद साल 1985 में आई फिल्म पत्थर दिल में किमी काटकर को एक सपोर्टिंग एक्ट्रेस के तौर पर काम करने का मौका मिला, लेकिन इस फिल्म से किमी काटकर को पहचान और शोहरत नसीब नहीं हुई।इसी साल फिल्म डायरेक्टर बब्बर सुभाष अपनी नई फिल्म दी एडवेंचर्स ऑफ टार्जन पर काम कर रहे थे जिसके लिए इन्हें नये चेहरों की तलाश थी। अपनी इसी तलाश के दौरान इनकी नजर एक सिक्योरिटी गार्ड पर पड़ी जिसकी कद काठी इन्हें अपने किरदार के मुताबिक सही लगी और इन्होंने उस सिक्योरिटी गार्ड को कुछ समय तक ट्रेनिंग दिलवाने के बाद अपनी फिल्म का हीरो चुन लिया और इस तरह हेमंत बीरजे भारतीय सिनेमा के टार्जन बन गए। इसके बाद बब्बर सुभाष अपनी फिल्म के लिए हीरोइन की तलाश में जुट गए जिसके चलते इन्होंने अभिनेत्री नीलम को भी इस फिल्म की कहानी सुनाई लेकिन नीलम ने यह फिल्म करने से मना कर दिया। फिर बब्बर सुभाष को किमी काटकर के बारे में पता चला जिसने उसी साल हिंदी सिनेमा में कदम रखा था, बब्बर सुभाष किमी के पास गए और उन्हें अपनी फिल्म में साइन कर लिया। फिल्म एडवेंचर्स ऑफ टार्जन रीलीज हुई और किमी काटकर अपने बोल्ड सीन के कारण रातों रात मशहूर हो गई, जिसके चलते उन्हें हिंदी सिनेमा में एक नये चेहरे के रुप में देखा जाने लगा था। इसके बाद कीमी काटकर को कई फिल्मों में उस समय के बड़े बड़े अभिनेताओं के साथ काम करने का मौका मिला जिनमें जितेंद्र और अनिल कपूर जैसे दिग्गज भी शामिल थे।

कीमी काटकर के बढ़ते करियर के साथ साथ इनके अफेयर्स की ख़बरें भी सिनेमाई गलियों में चर्चा का विषय बन गई थी। गोविन्दा और डैनी डेन्जोंगपा के साथ साथ अनिल कपूर और संजय दत्त जैसे बड़े अभिनेताओं के साथ इनकी नजदिकीयों के चलते उस समय कीमी काटकर ने रियल लाइफ में भी एक बोल्ड अभिनेत्री का तमगा हासिल कर लिया था। कीमी काटकर के साथ अपने संबंधों को संजय दत्त ने भी कई इंटरव्यूज में स्वीकार किया है और कहा है कि उन्हें किमी के साथ बातें करना और उनकी मां के हाथ का खाना बहुत पसंद था लेकिन संजय दत्त को कीमी काटकर का अन्य अभिनेताओं के साथ अधिक घुलना मिलना रास नहीं आया और इसीलिए संजय दत्त और कीमी काटकर एक दुसरे से अलग हो गए। कीमी काटकर की जोड़ी को गोविंदा के साथ सबसे ज्यादा पसंद किया जाता था जिनके साथ किमि ने मेरा लहू, जैसी करनी वैसी भरनी और दरिया दिल जैसी लगभग छः फिल्मों में काम किया था।

Kimi Katkar

इसके अलावा सोने पे सुहागा में धर्मेंद्र और अनिल कपूर के साथ और 1989 में आई फिल्म गैर कानूनी में श्रीदेवी के साथ काम करने के बाद किमि काटकर ने फिल्म खून का कर्ज में विनोद खन्ना के साथ भी काम किया था। साल 1989 में किमि काटकर की अभिमन्यु, खोज और गोला बारूद जैसी लगभग दस फिल्में रिलीज हुई थी जिनके बाद उन्हें हर प्रोड्यूसर उन्हें अपनी फिल्म में लेना चाहता था। और इसीलिए साल 1991 में किमि काटकर को फिल्म हम में अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिला। फिल्म हम में किमि काटकर ने जुमालिना गुंजालविस नाम का किरदार निभाया था और इसी किरदार पर अमिताभ बच्चन के साथ पिक्जाराईज गाना जुम्मा चुम्मा दे दे आज भी लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। यह गाना बड़े बड़े अभिनेताओं से सजी इस फिल्म का सबसे हिट गाना बन गया था जिसने टार्जन गर्ल के नाम से मशहूर किमि काटकर को एक नई पहचान दी थी। लेकिन इसके बाद किमि काटकर ने बोलीवुड से दुरी बनाना शुरू कर दिया और फिर साल 1992 में इन्होंने फोटोग्राफर और एडवरटाइजिंग फिल्म प्रोड्यूसर शांतनु शौरी से शादी कर ली जिनकी पहली पत्नी का नाम मालविका तिवारी था।

 शादी के बाद किमि काटकर को यश राज बैनर की तरफ से परम्परा और किंग अंकल जैसी फिल्मों के आफर भी आए लेकिन तब तक किमि काटकर सिनेमा को छोड़ने का मन बना चुकी थी और इनका यह इरादा इतना दृढ़ था कि जब इन्हें एक फ्रेंच फिल्म ब्लैक में काम करने का मौका मिला तो वह फिल्म भी इन्होंने ठुकरा दी थी। अपने सात साल के फिल्मी करियर में लगभग 50 फिल्मों में काम करने के बाद 1992 में आई फिल्म जुल्म की हुकूमत इनके करियर की आखिरी फिल्म साबित हुई। शांतनु शौरी से शादी करने के बाद इन्हें एक बेटा हुआ जिसका नाम सिद्धार्थ रखा गया जिसे छोटी उम्र में ही एक ऐसी बीमारी ने जकड़ लिया था जिसका इलाज उस समय मुम्बई में नहीं था और इसीलिए साल 2001 में किमि काटकर और उनका पूरा परिवार आस्ट्रेलिया चला गया। आस्ट्रेलिया में इनके बेटे का इलाज हुआ जिसके बाद साल 2006 में यह परिवार फिर से भारत आ गया जहां आज किमी काटकर सिनेमाई दुनिया की चकाचौंध से दूर पुणे में अपने परिवार के साथ रहती है।

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फिल्म हम से मिली सफलता के बाद अचानक करियर छोड़ने के सवाल पर किमि काटकर ने एक बार कहा था कि हम फिल्म के बाद उनके पास वो हर चीज थी जिसके लिए लोग बोलीवुड में आते हैं, उनके पास पैसा था शोहरत थी और साथ ही अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका भी उन्हें मिल गया था। किमि काटकर के इस बयान से साफ है कि फिल्मी दुनिया में उनकी वापसी की गुंजाइश बहुत कम है जिसका इंतजार उनके चाहने वाले आज भी कर रहे हैं। नारद टीवी किमि काटकर को उनके बेहतरीन करियर के लिए मुबारकबाद देता है और साथ ही उनकी लम्बी आयु की कामना भी करता है।

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