Sooraj Thapar: नब्बे के दशक के मशहूर एक्टर जिनकी चमक आज भी बर्करार।
नब्बे के दशक में जिन दर्शकों ने दूरदर्शन देखा होगा, वे उस दौर के एक्टर्स के चेहरों को कभी नहीं भुला सकते। ऐसे ढेरों चेहरे हैं जो बाद में तो नज़र नहीं आये लेकिन दर्शकों के दिल में उनकी यादें आज भी तरो ताज़ा हैं, वहीं कुछ ऐसे भी चेहरे हैं जो आज भी चुनिंदा किरदारों में दिखाई दे जाते हैं, जिन्हें नयी पीढ़ी के दर्शक उनके नये किरदारों से पहचाना करते हैं।
ऐसे ही ऐक्टर्स में से एक हैं सूरज थापर जी, जो लगभग 3 दशकों से हम सबका मनोरंजन करते आ रहे हैं।
सूरज थापर का जन्म-
सूरज थापर के पिता के॰ आर॰ थापर जी एक फ़िल्म प्रोड्यूसर थे जो कि मूलरूप से पंजाब से थे और विभाजन से पहले लाहौर फ़िल्म इंडस्ट्री के लिये भी फ़िल्में बना चुके थे। विभाजन के बाद फ़िल्म प्रोड्यूस के सिलसिले में कोलकाता आ गये और फाइनली मुंबई में बस गये।
हर साल 15 जुलाई को अपना जन्मदिन मनाने वाले सूरज थापर का जन्म तो वैसे कोलकाता में हुआ था लेकिन बाद में उनकी फैमिली मुंबई शिफ्ट हो गई इसलिये उनकी पढ़ाई लिखाई मुंबई में हुई। दोस्तों सूरज बचपन में बहुत ही शान्त और शर्मीले स्वभाव के थे।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि आम तौर पे बच्चों की शिकायत उनकी शरारतों के लेकर की जाती है लेकिन सूरज को लेकर उनके स्कूल की ओर से उनके शान्त रहने की शिकायत की जाती थी।
सूरज थापर का अभिनय जगत में रुचि –
फ़िल्मी माहौल में पले बढ़े सूरज जी शुरू से ही ऐक्टर बनना चाहते थे ऐसा नहीं है दरअसल पढ़ाई लिखाई के बाद सूरज ने पहले तो नेवी में जाने के लिये 3 वर्ष का कोर्स किया। लेकिन अपने कॅरियर को लेके बेहद कन्फ्यूज़ रहने वाले सूरज को जब कुछ नहीं समझ आया तो उनके घर वालों ने उन्हें एक मशहूर फास्ट फूड रैस्टोरेंट ‘गज़ीबो’ में लगवा दिया जहाँ सूरज ने बतौर असिस्टेंट मैनेजर लगभग 3 वर्षों तक काम किया।
ऐक्टिंग की फील्ड में सूरज के आने की वज़ह बेहद दिलचस्प है। दरअसल उनके घर का माहौल शुरू से ही ऐसा था कि जहां इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का आना-जाना रहता था और अक्सर ही एक्टिंग की बात चलती रहती थी।
ऐसे में सूरज को देखकर धीरे-धीरे लोग कहने लगे कि “अच्छे दिखते हो, एक्टिंग शुरू कर दो।” धीरे-धीरे सूरज को भी लगने लगा कि करके देख ही लेते हैं क्या पता इसी फील्ड में अपना कॅरिअर छुपा हो।
दोस्तों ऐसा भी नहीं है कि फ़िल्मी फैमिली का होने से उन्हें तुरंत ही फ़िल्मों में काम मिल गया। उन्होंने फ़िल्मों में जाने की बजाय ऐक्टिंग को बाकायदा समझने के लिए पहले थियेटर का रुख़ किया और ओम कटारे का ‘यात्री’ थिएटर ग्रुप जॉइन किया जहाँ उन्होंने लगभग 25 वर्षों तक काम किया। हालांकि थियेटर के दौरान ही सूरज को आमिर ख़ान की ‘जो जीता वही सिकंदर’ में काम मिला जो उनका पहला बिग ब्रेक था।
वर्ष 1992 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म से बतौर ऐक्टर चर्चित होने के बाद सूरज फ़िल्मों के साथ साथ टेलीविजन पर भी काम करने लगे जिसकी शुरुआत उस वक़्त के इकलौते मनोरंजन चैनल दूरदर्शन से हुई।
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धारावाहिक में सूरज थापर का प्रदर्शन-
सूरज के शुरुआती धारावाहिकों में 90 के दशक में प्रसारित अजनबी और वक़्त की रफ़्तार में दर्शकों ने उन्हें ख़ूब पसंद किया। धारावाहिक ‘अजनबी’ जैसे हिट सीरियल में लेजेंडरी ऐक्टर डैनी और जाने माने ऐक्टर अरुण बक्शी के साथ सूरज एक निगेटिव भूमिका में नज़र आये तो वे दूरदर्शन के चहेते ऐक्टर्स में से एक बन गये। उसके बाद तो सूरज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कई फिल्मों और टीवी शोज़ में काम किया जो आज भी बदस्तूर ज़ारी है।
दोस्तों बतौर ऐक्टर पॉजिटिव, कॉमिक, निगेटिव रोल कर दर्शकों का दिल जीतने वाले सूरज का अपने टीवी पर काम करने को लेकर कहना है कि, “दरअसल मैं काम को नहीं चुनता था बल्कि काम मुझे चुनता था। जो भी मेकर मुझे किसी रोल के लिए सेलेक्ट करता मैं उसे अपनी कैपेसिटी के हिसाब से एक्सेप्ट कर लेता हूँ, भले ही वह सीरियल्स ही क्यों न हों। जब गाड़ी में पेट्रोल कम होता है तो हम अपने फेवरिट वाले पेट्रोल पंप पर जाने का वेट तो करेंगे नहीं।
ऐसे में हमें जो पहला पेट्रोल पंप मिलेगा हम वहीं पेट्रोल भरवाएंगे। दरअसल उस वक़्त मुझे सीरियल के ऑफर्स ही मिलते थे। अब अगर मैं उन्हें फिल्मों के इंतज़ार में छोड़ देता तो ये खुद के साथ नाइंसाफी होती।”
बाद के दौर की बात की जाये तो वर्ष 2011 में प्रसारित सीरियल ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ में सूरज का सबसे बेहतरीन किरदार था जिसमें वे राजा धनानंद के रूप में एक निगेटिव किरदार में नज़र आये थे।
‘चंद्रगुप्त मौर्य’ सीरियल का धनानंद-
सूरज कहते हैं कि, “कॉमेडी और पॉजिटिव रोल्स के बीच में ‘चंद्रगुप्त मौर्य’ सीरियल का धनानंद का किरदार मेरे लिए काफी ख़ास है। हालांकि इससे पहले ‘थोड़ी सी बेवफाई’ और ‘अजनबी’ सीरियल्स में भी मैं निगेटिव किरदार निभा चुका हूं।
मेरे अंदर से निगेटिव किरदार को पर्दे पर लाने का क्रेडिट मैं ‘अजनबी’ के मेकर रोमेश शर्मा को देता हूं। इन्हीं सीरियल्स के किरदारों की वजह से मैं धनानंद का किरदार निभा पाया।” हालांकि धनानंद का किरदार अन्य निगेटिव किरदारों से एकदम अलग था, क्योंकि वो मेल होने के बावज़ूद भी कभी-कभी फीमेल की तरह बिहेव करता है।
दोस्तों इस किरदार के लिये सूरज को लिये जाने का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है। एक इंटरव्यू में सूरज ने बताया कि जब लेखक बृजमोहन व्यास जी इस किरदार के लिये उनके पास गये तो उन्होंने उस कैरेक्टर के बारे में सूरज बताने के बजाये ख़ुद ही बाकायदा परफॉर्म करके दिखाया। साथ ही उसके बारे में कई सारे इनपुट्स भी दिए।
मज़े की बात कि इस किरदार के लुक टेस्ट के लिए उन्होंने सूरज को आधा मेल और आधा फीमेल बनकर डायलॉग्स बोलने को कहा। जिसे सूरज ने शानदार ढंग से करके दिखा दिया और सेलेक्ट कर लिये गये।
क्यों है चंद्रगुप्त मौर्य सीरियल खास-
सूरज कहते हैं कि, “मुझे बड़ी खुशी है कि धनानंद का किरदार सभी को पसंद आया। इसके अलावा चंद्रगुप्त मौर्य सीरियल मेरे लिए एक और मायने में ख़ास रहा क्योंकि इसी सीरियल की एक्ट्रेस ‘दीप्ति ध्यानी’ मेरी जीवनसाथी बनीं।”
दोस्तों सूरज हर तरह के किरदार को बख़ूबी निभाते हैं शायद इसीलिए जब ‘हम पांच’ जैसे कल्ट शो को रीक्रिएट किया गया तो लेजेंडरी ऐक्टर अशोक सर्राफ जी का किरदार सूरज को ऑफर किया गया जो इस शो का मुख्य किरदार था। अपने इस किरदार को लेकर सूरज कहते हैं कि, “हमारे राइटर्स और क्रिएटिव्स ने पच्चीस साल पुराने एक हिट सीरियल को आज के दौर के हिसाब से पेश किया है। प्लॉट वही है, लेकिन हम सबने आज की जेनरेशन से कनेक्ट करने के लिए काफी मेहनत की है।
मैंने अशोक जी का किरदार निभाया है। हालांकि उन्होंने जितनी कमाल तरह से अपना किरदार निभाया था, उसका कोई रिप्लेसमेंट नहीं है। इस जॉनर में जैसा काम उन्होंने किया, वो सिर्फ वही कर सकते हैं।” सूरज थापर देवी, शरारत, बानी, छल, महाकुंभ, तेनाली रामा, ‘ससुराल गेंदा फूल’, विक्रम बेताल की रहस्यगाथा, ‘एक नई पहचान’, ‘रजिया सुल्तान’, ‘चंद्रगुप्त मौर्य’, शौर्य और ‘हम पाँच फिर से’ जैसे ढेरों शोज़ के ज़रिये अपने अभिनय का जादू बिखेर चुके हैं।
इसके अलावा सूरज ढेरों धार्मिक सीरियल्स में भी अपनी ऐक्टिंग का लोहा मनवा चुके हैं। सूरज लगभग 30 सालों से ऐक्टिंग फील्ड से जुड़े हुए हैं और आज भी सक्रिय हैं। फिलहाल सूरज विभिन्न टीवी शोज़ के अलावा कई सारे वेब शोज़ की शूटिंग में भी व्यस्त हैं जिनमें ‘यक्ष’ और के के मेनन का शो ‘वोडका डायरीज’ जैसे नाम भी शामिल हैं।
लेजेंडरी महान गायक किशोर कुमार जी-
लेजेंडरी महान गायक किशोर कुमार जी के गाने सुनकर मूड फ्रेश करने वाले सूरज फिल्म देखने के भी शौकीन हैं। इसके अलावा सूरज समय मिलने पर थिएटरमें भी काम करते रहते हैं। सूरज कहते हैं कि, “हालांकि थिएटर के ज्यादा शोज़ करना इस दौरान मुमकिन नहीं हो पाता है लेकिन फिर भी थिएटर मेरे दिल के करीब है। मंच पर परफॉर्म करके हमारा मूड फ्रेश हो जाता है।”
सूरज थापर का ब्यक्तिगत जीवन-
बात करें सूरज थापर जी के निजी जीवन की तो उनकी पहली शादी 2003 में एक्ट्रेस रोमा नवानी से हुई थी। रोमा और सूरज की पहली मुलाकात फिल्म ‘अंगार’ के सेट पर हुई थी। बाद में सूरज और रोमा ने ‘द परफेक्ट हसबैंड’ और ‘अभी तो मैं जवान हूं’ जैसे शोज़ में साथ काम किया था इसके अलावा रोमा ‘मेरी आशिकी तुमसे ही’ और ‘कुमकुम भाग्य’ जैसे टीवी शोज में भी काम कर चुकी हैं।
हालांकि यह शादी ज़्यादा लम्बे वक़्त तक न टिक सकी और करीब 3 साल बाद ही दोनों ने अलग होने का फैसला कर लिया। बाद में वर्ष 2012 में सूरज थापर ने टीवी ऐक्ट्रेस दीप्ति ध्यानी से विवाह कर लिया जिनसे उनकी मुलाकात शो चंद्रगुप्त मौर्य के सेट पर हुई थी।
दीप्ति मूल रूप से देहरादून, उत्तराखंड की रहने वाली हैं। शो ‘माता की चौकी’ से मशहूर दीप्ति को ‘कैरी-रिश्ता खट्टा मीठा’, चंचल और छनछन में उनके प्रदर्शन के लिए भी जाना जाता है। ये दोनों सीरियल सोनी टीवी पर प्रसारित किए गए थे। सूरज और दीप्ति के 2 बेटे हैं जो फिलहाल पढ़ाई कर रहे हैं।
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