BollywoodBollywood FamilyEntertainmentFilmy Facts

बिक्रम और बेताल का बेताल असल जिंदगी में कैसा था ?

दोस्तों कहा जाता है कि भारत कहानियों का देश है। इसके हर शहर हर गली और हर गांव के साथ साथ हर दौर की अपनी एक कहानी है, जो इस देश को विविधताएं प्रदान करती है।

बचपन में दादा दादी से सुनी कहानियां, जवानी में प्यार और मोहब्बत के किस्से और बुढ़ापे में अपने जीवन से जुड़ी यादें ही है जो यहां पैदा होने वाले इंसान को सबसे अलग बनाती है।

और इन्हीं सुनी सुनाई कहानियो को अस्सी के दशक में जब टेलीविजन के जरिए हमारे सामने लाने का सिलसिला शुरू हुआ तो वो दौर भी हमारी खुबसूरत यादों और कहानियों का हिस्सा बन गया था।

नारद टीवी की सीरीज दी क्लासिक सीरीयल्स ओफ दुरदर्शन के तहत आज के इस एपिसोड में हम इसी खुबसूरत दौर में प्रसारित होने वाले सीरियल विक्रम और बेताल की बात करने वाले है।

Vikram_aur_Betaal NaaradTV
सीरीयल- विक्रम बेताल

सीरीयल- विक्रम बेताल

13 अक्टूबर 1985 से 6 अप्रैल 1986 तक 26 भागों में डीडी नेशनल पर प्रसारित होने वाले सीरीयल विक्रम बेताल से भारतीय टेलीविजन इंडस्ट्री में एक नये युग की शुरुआत हुई थी।

महाकवि सोमदेव – बेताल पच्चीसी

इस सीरियल की कहानी महाकवि सोमदेव द्वारा लिखित बेताल पच्चीसी पर आधारित थी, जिसे मूलरूप से संस्कृत भाषा में लिखा गया था। रामानंद सागर जी के भरोसे और विश्वास को सही साबित करने में इस सीरियल ने अहम भूमिका निभाई थी लेकिन वो कहते है ना कि कोई भी शुरुआत आसान नहीं होती है, उसी प्रकार यह सीरीयल भी कई बाधाओं और मुश्किलों के बीच बनाया गया था।

अस्सी के दशक में जब भारतीय टेलीविजन इंडस्ट्री की शुरुआत हुई उस समय यहां सिनेमा अपना साम्राज्य स्थापित कर चुका था जिसके चलते टेलीविजन को इडियट बॉक्स का नाम दे दिया गया था जिसमें काम करने वाले हर व्यक्ति को मुर्ख समझा जाता था।

ऐसे में जब रामानंद सागर जी ने सिनेमा को छोड़कर सिर्फ टेलीविजन पर काम करने का मन बनाया तो लोगों ने उनका भी मजाक बनाया और कहा कि सिनेमा की सुदृढता के सामने मूंछ और मुकुटों वाले लम्बे धारावाहिकों को कोई नहीं देखेगा।

रामानंद सागर जी अपने विचारों के पक्के थे और उन्हें यकीन था कि संचार का भविष्य टेलीविजन ही है लेकिन इन सबके बावजूद हर इंसान की भांति उन्हें भी नई शुरुआत में असफलता का डर था, और इसीलिए उन्होंने अपने इस डर को दूर करने के लिए विक्रम बेताल की कहानियों के आधार पर एक छोटे सीरियल को बनाने का मन बनाया।

विक्रम बेताल की कहानियों पर सीरियल बनाने के लिए उन्होंने अपने कई दोस्तों से मदद मांगी, लेकिन टेलीविजन जैसे नये माध्यम पर कोई भी पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं था।

यह भी पढ़ें:- बॉलीवुड की दस बेहतरीन फ़िल्मे जो कभी रिलीज़ न हो सके।

emami founder naaradtv
इमामी कम्पनी

इमामी कम्पनी के मालिक आर एस अग्रवाल-

आखिरकार इमामी कम्पनी के मालिक आर एस अग्रवाल ने सागर साहब के बेटे प्रेम सागर को हर एपिसोड के लिए एक लाख रुपए देने का वादा किया, रकम बहुत कम थी लेकिन सागर साहब के सपनों में जान भरने के लिए काफी थी।

शुटिंग शुरू हुई और प्रेम सागर जी ने कैमरामैन, स्पेशल इफेक्ट्स और डायरेक्शन का काम सम्भाल लिया। विक्रम बेताल के हर एपिसोड को सागर साहब के घर सागर विला में शुट किया गया था, और वहीं स्पेशल इफेक्ट्स की मदद से सबकुछ तैयार किया गया था।

पैसों की कमी और समय को देखते हुए इस सीरियल का हर एपिसोड एक दिन में तैयार किया जाता था जिसमें लगभग 15 से अठारह सीन शूट किए जाते थे।

Ravindra Jain Naaradtv
रवींद्र जैन

रवींद्र जैन-

सागर प्रोडक्शन द्वारा बनाए गए हर सीरियल में संगीत की भूमिका अहम होती है, जिनमें से ज्यादातर सीरीयल्स में रवींद्र जैन जी ने अपनी कला का बेहतरीन नमूना पेश किया है।

लेकिन विक्रम बेताल के लिए इसके निर्माताओं ने खुद गीत लिखने और कंपोज करने का काम किया था, जिसमें हारमोनियम जैसे सस्ते वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया गया था।

इसके अलावा विक्रम बेताल सिरीयल में लिरीक्स के नाम पर इस सीरियल के दो शब्दों को ही रखा गया था और उन्हें ही गाकर संगीतबद्ध किया गया था।

विक्रम बेताल सिरीयल में संगीत का काम किसी स्टुडियो में करने की बजाय खुले आसमान के नीचे पुरा किया गया था, और जिस समय इसके टाइटल सॉन्ग की रिकॉर्डिंग हो रही थी उस दौरान एक हवाई जहाज उपर से गुजरा था जिसकी आवाज भी रिकोर्ड हो गई थी।

इस पर सीरियल के निर्माताओं ने योजना बनाई कि हवाई जहाज की आवाज के दौरान किसी राक्षस का सीन दिखा देंगे, जिस पर यह आवाज फिट हो जाएगी।

deepika NaaradTV
दिपीका चिखलिया
दिपीका चिखलिया-

विक्रम बेताल सिरीयल में विभिन्न भूमिकाओं में काम करने वाली दिपीका चिखलिया ने अपने एक इंटरव्यू में इस सीरियल पर बात करते हुए कहा था कि इसके एक सीन में हिरण को दिखाया जाना था और हिरण का मालिक एक दिन के लिए लाखों रुपए का किराया मांग रहा था जो मुमकिन नहीं था।

Prem Sagar NaaradTV
निर्माता प्रेम सागर जी
निर्माता प्रेम सागर जी-

इसलिए हिरण की तरह नजर आने वाली एक बकरी पर रंग लगाकर उसे हिरण की तरह प्रस्तुत किया गया था। नारद टीवी को दिए अपने एक इंटरव्यू के दौरान इस सीरियल के निर्माता प्रेम सागर जी ने भी विक्रम बेताल से जुड़ा हुआ एक ऐसा ही किस्सा साझा किया था। प्रेम सागर जी ने बताया कि इस सिरीयल के एक एपिसोड में हमें एक ऐसे विशालकाय पक्षी को दिखाना था जो इंसान के वजन को भी अपने पंजों पर उठा सकता है।

ऐसे पक्षी की तलाश में हमें लगभग डेढ़ फुट का एक बाज मिला जिसे बड़ा दिखाया जा सकता था। बहुत कोशिशों के बाद भी बाज शूटिंग के अनुसार काम नहीं कर रहा था क्योंकि वह नशा करने का आदी था, इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए उस बात को नशा दिया गया और उसके दोनों तरफ दो अंडे रख दिए गए थे।

कैमरा चालू होने के बाद जैसे ही उन अंडो को फोड़ा जाता था तो उनकी खुशबू से बाज के चेहरे पर वही भाव नजर आते थे जैसा स्क्रीनप्ले में लिखा गया था।

govil-vikram-betal NaaradTV
अरुण गोविल

अरुण गोविल-

इस तरह कई कठिन रास्तों और मुसीबतों का सामना करते हुए बनाए गए इस टीवी सीरियल में काम करने वाले अभिनेताओं को सागर साहब के अगले प्रोजेक्ट रामायण ध्यान में रखते हुए लिया गया था, जिसमें अरुण गोविल ने राजा विक्रमादित्य की भूमिका निभाई थी।

Arvind Trivedi NaaradTV
अरविंद त्रिवेदी

अरविंद त्रिवेदी-

अरविंद त्रिवेदी ने योगिराज का किरदार निभाया था। इसके अलावा दिपीका चिखलिया, विजय अरोड़ा और सुनील लहरी भी इस सीरियल में विभिन्न भूमिकाओं में नजर आए थे।

एक पारिवारिक सीरियल होने के कारण इसकी सफलता में बच्चों की भूमिका अधिक अहमियत रखने वाली थी लेकिन दुरदर्शन द्वारा इसे हर रविवार शाम चार बजे का वक्त दिया गया था जो आम तौर पर बच्चों के खेलने का समय माना जाता है और इसलिए विक्रम और बेताल के मेकर्स ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण माना था।

लेकिन कुछ एपिसोड के बाद यह सीरीयल टेलीविजन इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम बन गया था, तू बोला मैं चला जैसा वाक्य और इसका टाइटल ट्रैक लोगों की जुबान पर चढ़ गया था।

यह सीरीयल लोगों के लिए कितना अहमियत रखता था इसका अंदाजा आप प्रेम सागर जी की इसी बात से लगा सकते हैं कि जिस समय यह सिरीयल टीवी पर प्रसारित किया जाता था उस समय सागर विला के पास स्थित सब्जमंडी के लोग हड़ताल पर बैठे जाते थे क्योंकि उस दौरान बहुत कम लोग सब्जी बग़ैर की खरीदारी करने अपने घर से बाहर आते थे।

Ramanand Sagar NaaradTV
रामानंद सागर

रामानंद सागर-

रामानंद सागर के टेलीविजन करियर के लिए इस सिरियल ने एक नींव का काम किया था जिस पर आगे चलकर यादों का एक महल खड़ा होने वाला था जिसमें रामायण जैसा ऐतिहासिक टीवी सीरियल भी शामिल है।

विक्रम और बेताल की कामयाबी ने सिनेमा जगत के उन लोगों को भी जवाब दे दिया था जो कह रहे थे कि मूंछों और मुकुट को कौन देखेगा ?

आगे चलकर इसी भरोसे के साथ रामानंद सागर जी ने रामायण, दादा दादी की कहानियां, और श्रीकृष्णा जैसे बड़े बड़े सीरियल बनाए, जो आज भी टेलीविजन इंडस्ट्री के इतिहास में अपना अलग स्थान रखते हैं। आगे चलकर रामायण की कामयाबी के बाद साल 1988 में इस सीरियल को एक बार फिर टीवी पर दिखाया गया था।

यू ट्यूब पर देखें –

Show More

Related Articles

Back to top button