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शोमैन लेख टंडन : कैसे बनाया एक लड़के को जीरो से किंग खान

शोमैन लेख टंडन
वो शख्स जिसकी एक नजर ने Shahrukh Khan को स्टार बना दिया_

लेख टंडन – वह उपाधि जिसे सुनकर एक से बढ़कर एक दिग्गज़ निर्देशकों और उनकी फिल्मों के नाम हमारी आँखों के सामने आने लगते हैं। राज कपूर जी जैसे कुशल और सुभाष घई जी जैसे सफल निर्देशकों को मीडिया द्वारा यह उपाधि दी गई। लेकिन इन निर्देशकों के अलावा भी कई और ऐसे सफल निर्देशक हुये जिनके योगदान को कभी इनसे कमतर नहीं आँका जा सकता है। बेशक वे निर्देशक हमेशा सुर्खियों में तो नहीं रहे लेकिन अपने काम से वे दर्शकों के दिलों में हर बार अपनी जगह बनाने में सफल रहे। फिर चाहे वो फिल्में हो या धारावाहिक। ऐसे ही सफल निर्देशकों में एक नाम है लेख टंडन जी का, जिनके निर्देशन को आज भी उतना ही याद किया जाता है जितना कि प्रदर्शन के वक़्त किया गया था।

Lekh Tandon Biography

लेख टंडन जी का जन्म 13 फरवरी 1929 को लाहौर के शेखुपुरा में हुआ था जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक शहर है।

लेख टंडन जी का परिवार कपूर खानदान से काफी करीब था। पृथ्वीराज कपूर जी और लेख टंडन के पिता फ़कीर चंद टंडन जी स्कूल के दिनों के मित्र हुआ करते थे। दोनों ने ब्रिटिश भारत में पंजाब प्रांत के लयालपुर स्थित खालसा हाईस्कूल में एक साथ पढ़ाई की थी। पृथ्वीराज कपूर जब फिल्मों में सफल हो गये तो उन्होंने अपने मित्र फ़कीर चंद टंडन के बेटे यानि लेख टंडन के भाई योगराज टंडन जी को बतौर सहायक निर्देशक और अपने सेक्रेटरी के तौर पर अपने साथ जोड़ लिया। लेख टंडन जी को भी फ़िल्म जगत में क़दम रखने का सुझाव पृथ्वीराज कपूर ने ही दिया था हालांकि उनके पिता नहीं चाहते थे कि लेख भी फिल्मों में काम करें। वे चाहते थे कि लेख एक इंजीनियर बनें। पिता के दबाव में आकर लेख टंडन ने  सिविल इंजीनियर बनने के लिए इम्तिहान तो पास कर लिया लेकिन उनका मन मुंबई जाकर फिल्में करने का ही था। इसलिए जान बूझकर उन्होंने उसकी परीक्षा का एक पेपर दिया ही नहीं ताकि उनका सेलेक्शन इंजीनियरिंग के लिये हो ही न सके।

कपूर फैमिली से उनकी घनिष्ठता का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब प्रेम चोपड़ा जी की शादी राजकपूर जी की पत्नी कृष्णा जी की बहन उमा जी से करने का मन कपूर परिवार ने बना लिया तब लेख टंडन ही प्रेम चोपड़ा जी के पास इस शादी का प्रस्ताव लेकर गये थे। यहाँ हम याद दिला दें कि बॉलीवुड एक्टर प्रेम नाथ, राजेंद्र नाथ और नरेंद्र नाथ ‘उमा चोपड़ा और कृष्णा कपूर’ के सगे भाई हैं।

50 के दशक में लेख जी ने वी एन रेड्डी,  किदार शर्मा और राजकपूर जैसे जाने माने निर्देशकों के साथ  बतौर सहायक निर्देशक काम करना शुरु किया। उनकी लाइफ में टर्निंग प्वाइंट आया वर्ष  1962 में जब उन्होंने बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म प्रोफेसर बनाई। इस ख़ूबसूरत फिल्म में सदाबहार अभिनेता शम्मी कपूर, ललिता पवार और अभिनेत्री कल्पना मुख्य भूमिकाओं में थे। वर्ष 1966 में उनकी फिल्म आम्रपाली रिलीज़ हुई, जिसमें वैजयंती माला और सुनील दत्त मुख्य भूमिका में थे। हालांकि यह फिल्म हिट तो नहीं रही लेकिन आज इसकी गिनती एक क्लासिक फिल्म के रूप में की जाती है। वैशाली की नगरवधु आम्रपाली पर आधारित इस ख़ूबसूरत फिल्म को 39वें ऑस्कर पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म की श्रेणी में भारत की ओर से चुना गया था लेकिन नामांकन के लिए बाद में इसे अस्वीकृत कर दिया गया।

दोस्तों लेख टंडन जी द्वारा निर्देशित फिल्मों की लिस्ट बहुत लम्बी है जिनमें झुक गया आसमान, प्रिंस, जहां प्यार मिले, आंदोलन, एक बार कहो, शारदा, ख़ुदा कसम, दूसरी दुल्हन, उत्तरायण, दो राहें और ’दुल्हन वही जो पिया मन भाये’, आदि जैसी एक से बढ़कर एक ख़ूबसूरत और शानदार फिल्में शामिल हैं।

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उनके निर्देशन के स्तर का आप इसी बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जब रणधीर कपूर को निर्देशन सीखना हुआ तो राज कपूर ने उन्हें लेख टंडन का ही सहायक बनने को कहा था। जबकि लेख जी कभी ख़ुद राज कपूर जी के सहायक हुआ करते थे। एक शानदार निर्देशक के साथ-साथ लेख टंडन लेखन में भी माहिर थे। फिल्म  ‘दुल्हन वही जो पिया मन भाए’ के स्क्रीनप्ले के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था।

बात जब उनकी सफल फिल्मों की होगी तो 80 के दशक में प्रदर्शित ‘अगर तुम न होते’ को कैसे भुलाया जा सकता है। लेख टंडन द्वारा निर्देशित राजेश खन्ना की यह फिल्म उस वक़्त हिट हुई थी जब राजेश खन्नाके सुपरस्टार वाला दौर गर्दिश में जा रहा था। इस फ़िल्म के लिए लेख टंडन जी को उनके बेहतरीन निर्देशन के लिये पुरस्कृत भी किया गया था।

लेख जी द्वारा निर्देशित फिल्में जहाँ एक ओर ख़ूबसूरत और मनोरंजक होती थीं वहीं दूसरी ओर उनमें कुछ न कुछ सामाजिक संदेश भी छुपा होता था। उनकी फिल्मों की कहानी ऐसे विषयों पर हुआ करती थीं जिनपर समाज में कम ही लोग खुलकर बात करते हैं। आज के दौर में सरोगेट मदर पे आधारित बेशक कई फिल्में बन रही हैं लेकिन इस मुद्दे को लेख टंडन जी वर्षों पहले ही अपनी फिल्म ‘दूसरी दुल्हन’ में उठा चुके हैं।

80 के दशक में टेलीविज़न की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुये लेख टंडन ने टीवी का रुख़ किया और कई लोकप्रिय धारावाहिक निर्देशित किए जिनमें ’फिर वही तलाश’, दिल दरिया, फ़रमान, दूसरा केवल, दरार, अधिकार, कहाँ से कहाँ तक, मिलन, एक आंगन के हो गये दो, और ‘बिखरी आस निखरी प्रीत’ आदि प्रमुख हैं।

दोस्तों लेख टंडन जी द्वारा निर्देशित सफल धारावाहिक ‘फिर वही तलाश’ से पहले ही उन्होंने धारावाहिक ‘दिल दरिया’ पर काम करना शुरू कर दिया था लेकिन उसके बनने में देरी होने से ‘फिर वही तलाश’ को उनके पहले धारावाहिक का श्रेय मिला। वर्ष 1989-90 में प्रदर्शित इस धारावाहिक को दूरदर्शन के आज तक के सबसे सफल रोमांटिक धारावाहिक के रूप में आज भी याद किया जाता है। लेख जी को इस बेहतरीन धारावाहिक के निर्देशन के लिये उस वर्ष का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। दोस्तों नारद टीवी पर लेख टंडन जी द्वारा निर्देशित इस धारावाहिक के साथ ही धारावाहिक ‘फ़रमान’ पर आधारित वोडियोज़ आ चुके हैं। अगर आपने मिस कर दिये हों तो अवश्य देखें। दोनों के लिंक आपको डिस्क्रिप्सन में मिल जायेंगे।

दोस्तों लेख टंडन ने अपने हर धारावाहिकों में हमेशा  उभरते कलाकारों को मौका दिया यहाँ तक कि शाहरुख खान की खोज का श्रेय भी लेख जी को ही जाता है। उन्होंने वर्ष 1988 में शाहरुख को अपने पहले धारावाहिक ‘दिल दरिया’ के लिए कास्ट किया था। लेकिन धारावाहिक फौजी का प्रसारण पहले होने से उसे ही शाहरुख के पहले धारावाहिक का श्रेय मिला। शाहरुख की खोज को लेकर एक इंटरव्यू में लेख टंडन ने बताया था कि, अस्सी के दशक में वे दिल्ली में एक टीवी सीरियल शूट कर रहे थे। एक दिन एक जवान लड़का उनके सेट पर किसी को छोड़ने आया। उसके लंबे-लंबे बाल थे। लेख ने उसे रोका और पूछा कि “मेरे साथ काम करोगे पर बाल काटने होंगे।”  लड़के ने पूछा “अगर मैं बाल कटवा लूं और आपने काम भी नहीं दिया तो?” लेख ने कहा “बाल काटवाओ, काम मिलेगा।” वो बाल कटवाकर आया पर लेख ने कहा कि “इतने से नहीं चलेगा और काटने पड़ेंगे।”  लड़का इसके लिये तैयार हो गया और उसे लेख जी के धारावाहिक ‘दिल दरिया’ में काम भी मिल गया। उस लड़के का नाम था शाहरुख ख़ान।

दोस्तों कम लोगों को ही पता होगा कि शाहरुख को फौजी धारावाहिक में काम दिलवाने का श्रेय भी लेख जी को ही जाता है। शाहरुख के अच्छे अभिनय को देखकर उन्होंने एक और सीरियल में शाहरुख़ का नाम प्रस्तावित किया और उस धारावाहिक का नाम था ‘फौजी’ जो दिल दरिया से पहले टीवी पर प्रसारित हुआ। धारावाहिक दिल दरिया के बाद उन्होंने शाहरुख के साथ एक और धारावाहिक बनाया जिसका नाम था ‘दूसरा केवल’।

फिल्मों में कामयाब होने के बाद शाहरुख़़  लेेेख जी के एहसान को कभी नहीं भूूूले। हालांकि एक इंटरव्यू में लेख जी ने बताया था कि दोनों के बीच प्रोफेशनल मनमुटाव हो जाने से उनके रिश्ते बिगड़ गये थे लेकिन फिर भी लेख जी और शाहरुख़ के बीच हमेशा एक गुरु-शिष्य का रिश्ता बना रहा। बेशक शाहरुख को उनके निर्देशन में बाद में काम करने का मौक़ा नहीं मिला लेकिन शाहरुख़ ने अपनो कई फिल्मों में लेख टंडन जी को बतौर अभिनेता काम दिलवाया जिनमें स्वदेश, पहेली और चेन्नई एक्प्रेस आदि प्रमुख हैं।

अभिनय की बात करें तो लेख जी फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में आमिर ख़ान के साथ भी नजर आए थे। इसके अलावा  चार फ़ूटिया छोकरे और  हल्ला बोल आदि फिल्मों में भी उन्होंने बतौर एक्टर काम किया। गंभीर भूमिकाओं के साथ-साथ लेख जी ने हास्य भूमिका भी निभाई। धारावाहिक ‘सुमित संभाल लेगा’ में वे ‘हैप्पी ताऊ’ की भूमिका में लोगों को हँसाने में भी सफल रहे।

15 अक्टुबर 2017 को 88 वर्ष की आयु में लेख टंडन जी देेहांत हो गया। दोस्तों लेख टंडन जी आख़िरी वक़्त तक निर्देशन के क्षेत्र में सक्रिय रहे। उनके द्वारा निर्देशित उनकी आख़िरी फिल्म ‘फिर उसी मोड़ पर’ जो कि ट्रिपल तलाक पर आधारित थी, उनके देहांत के बाद प्रदर्शित हुई।

आइये अब एक नज़र डाल लेते हैं लेख टंडन जी के पारिवारिक जीवन पर। लेख टंडन जी की पत्नी का नाम स्वर्ण टंडन था जिनका देहांत लेख टंडन जी के देहांत से कुछ वर्षों पहले ही हो चुका था। लेख टंडन जी की चार संतानें हैं जिनमें 2 बेटे और 2 बेटियाँ हैं। जिनके नाम हैं नितिन टंडन, राहुल टंडन, गीता मल्होत्रा और अनुराधा रावते। मुंबई में लेख टंडन जी अपनी बेटी गीता मल्होत्रा के साथ ही रहा करते थे।

दोस्तों लेख टंडन अपनी जिंदगी में ज्यादातर सुर्खियों से दूर ही रहे। फिर भी उनके काम के ज़रिये लोग उनको हमेशा याद रखेंगे। हिंदी फिल्मों में उनका दर्जा किसी शोमैन से कम नहीं है। नारद टीवी लेख टंडन जी के चाहने वालों की तरफ से लेख जी के निर्देशन और कला के क्षेत्र में उनके योगदान को सलाम करता है।

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