रॉकींग स्टार यश के अनसुने किस्से घर से भागे फुटपाथ पर सोए और फिर बने कन्नड़ सिनेमा के सुपरस्टार।

90 के दशक के शुरुआती सालों की बात है कर्नाटक राज्य के एक मिडिल क्लास घर में जन्मा एक बच्चा एक रुपए प्रतिघंटे के हिसाब से दुकानदार से साइकल लेकर रोज उसे अपने छोटे छोटे कदमों से चलाने की कोशिश करता और जब थक जाता तो घर पर वापस आ जाता।
एक बस ड्राइवर के घर पैदा हुए इस लड़के के लिए यही, मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन था। मैसूर की गलियों से रेड कार्पेट का सपना देखने वाला यह लड़का उस दौर के हर दुसरे बच्चे की तरह पर्दे पर एंग्री यंग मैन के गुस्से और शाहरुख खान के रोमांस को देखकर बड़ा होता है।
धीरे धीरे समय बीतता है और यह लड़का 21 वीं सदी के अठारहवें साल में एक फिल्म में अपने काम की बदौलत देश का नया सुपरस्टार और अपने राज्य के लिए भगवान के समान बन जाता है। उस फिल्म का नाम केजीएफ है और उस लड़के को आज की दुनिया यश के नाम से जानती है।

सुपरस्टार यश का जन्म-
तारीख 8 जनवरी साल 1986 भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित हसन डिस्ट्रिक्ट के एक छोटे से गांव भुवानाली में पिता अरुण कुमार और मां पुष्पा लता के घर नवीन कुमार गौड़ा का जन्म हुआ था।
नवीन कुमार गौड़ा यानि यश-
यश के पिता KSRTC और BMTC ट्रांसपोर्ट सर्विस में एक बस ड्राइवर के तौर पर काम करते थे और इनकी मां एक हाउस वाइफ के तौर पर घर संभालती है।
यश के बचपन का अधिकांश भाग मैसूर में बीता था जहां इनके पिता ने अपनी आमदनी से ऊपर उठकर अपने बेटे का दाखिला महाजन हाई स्कूल में करवाया था जहां यश ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी।
यश ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके परिवार को एक आदमी से मिले धोखे की वजह से एक समय पर पैसों की तंगी से भी गुजरना पड़ा था जिससे लड़ने के लिए उन्होंने अपने पिता की एक दुकान में अपने स्कूली दिनों के दौरान सब्जियां और बाकि जरुरी सामान बेचने का काम भी किया था।
यश बताते हैं कि इस तंगी से जूझने की लड़ाई में उनकी मां ने भी अपने परिवार का साथ दिया था और वो अपनी दोस्तों के घर अलग अलग तरह के काम करने जाया करती थी और इसी बात से उनके मन में मां के लिए सम्मान कई गुना बढ़ गया. जिसके चलते वो अपनी फिल्म KGF में कई इमोशनल सीन्स को अच्छी तरह से निभा पाए थे।
इन सबसे अलग यश के मन में एक एक्टर बनने की चाहत भी बचपन से ही थी और वो अपने स्कूली दिनों में कई डांस कोम्पिटिशन और नाटकों में हिस्सा लिया करते थे जहां लोगों द्वारा मिलने वाली तालियों और तारीफों की यश को एक आदत सी हो गई थी।
इसके अलावा यश की स्कूल के अध्यापक भी यश को इनकी पर्सेनालिटी और लुक्स के कारण हीरो कहकर ही बुलाते थे और इन सभी बातों ने यश की चाहत को मूर्त रूप देने का काम किया था।
अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद जब यश ने अपनी इच्छा को अपने माता-पिता के सामने रखा तो उन्होंने यश को मना कर दिया क्योंकि यश के पिता इन्हें सरकारी नौकरी करते हुए देखना चाहते थे।
बहुत कोशिशों के बावजूद भी जब माता पिता की परमिशन नहीं मिली तो यश ने अपने कुछ दोस्तों और आसपास के लोगों से 300 रुपए इकट्ठा किए और घर से भागकर बैंगलोर आ गए।
बैंगलोर जैसे नये माहौल में एक आम बच्चे के लिए सैटल हो पाना मुश्किल था लेकिन यश के पास दुसरा कोई विकल्प भी मौजूद नहीं था क्योंकि उन्हें अपने माता-पिता से साफ हिदायत दी गई थी कि मैसूर के बाहर वो किसी भी रिश्तेदार के घर नहीं रहेंगे।
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यश का अभिनय बॉलीवुड जगत में रुचि-
यश को अपना लक्ष्य मालूम था लेकिन उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जिस शिक्षा और सहारे की जरूरत होती है उसको प्राप्त करने के लिए उन्होंने थिएटर का रास्ता चुना और बीनाका थिएटर ग्रुप पहुंच गए जिसके फाउंडर BV काराथ थे जिनका नाम आज भी थिएटर की दुनिया में बड़े अदब से लिया जाता है।
यश को इस थिएटर ग्रुप में एक बैकग्राउंड एक्टर के तौर पर रखा गया था जहां ये स्टैज मैनेज करने से लेकर एक्स्ट्रा के तौर पर काम करते थे और कभी कभी जब मुख्य कलाकार मौजूद नहीं होता था तो इन्हें उसकी जगह खड़ा कर दिया जाता था।
यश को इन सब कामों से प्रोडक्शन से जुड़े कामों में भी महारत हासिल हो गई थी और इसीलिए इन्हें स्टोप नाम की एक फिल्म में अस्सिटेंट डायरेक्टर के तौर पर काम मिल गया।
यश का मुश्किल वक्त-
पैसों की कमी से गुजर रहे यश को इस काम से कुछ मदद मिलने की उम्मीद थी लेकिन जिस फिल्म से वो जुड़े हुए थे वो फिल्म कभी रिलीज नहीं हुई और यश को अपने काम के लिए मिलने वाली फीस कभी नहीं दी गई।
इस घटनाक्रम से पुरी तरह से टुट चुके यश की मदद उस फिल्म के एक असोसिएट डायरेक्टर ने की जिसका नाम मोहन था और वो यश को अपने घर ले गया जहां मुश्किल से दो तीन लोगों के सोने की जगह थी।
ये देखकर यश को लगा कि जिस शहर में वो अपने रिश्तेदारों की मदद नहीं ले सकता वहां एक अजनबी की जिंदगी में भी भला क्यों दखल दे। इसके बाद यश को एक रात बैंगलोर के एक बस स्टैंड पर सो कर बितानी पड़ी।
उस रात के बाद यश ने एक नई शुरुआत करने का फैसला लिया और बैंगलोर में मौजूद फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी कई जगहों पर जाकर ओडीशन देने शुरू किए।
इन्हीं ओडीशन के चलते यश को कई टीवी सीरियल्स में काम मिलने लगा था जिसमें साल 2004 में प्रदर्शित सीरीयल नंदगोकुला प्रमुख हैं।
डायरेक्टर अशोक कश्यप के निर्देशन में बनने वाले इस सीरीयल में यश की फ्यूचर वाइफ राधिका पंडित का एक्टिंग करियर शुरू हुआ था और इस सीरियल में यश ने राधिका के भाई का किरदार निभाया था।
यश का करियर टीवी सीरियल्स के सहारे रफ्तार पकड़ने लगा था लेकिन हमेशा से ही फिल्मों में हीरो बनने की चाहत रखने वाले यश को इस दुनिया से दुर अपनी दुनिया में काम करना था और इसीलिए वो साल 2008 में आई फिल्म मोगिना मानसु में एक सुपोर्टिंग एक्टर के रोल को निभाने के लिए भी तैयार हो गए।

फिल्मफेयर अवार्ड
इस फिल्म में एक बार फिर राधिका पंडित यश के साथ काम कर रही थी. इस फिल्म में यश की एक्टिंग को देखते हुए इन्हें बेस्ट सुपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड भी दिया गया था।
इसके बाद यश को कन्नड़ फिल्मों में लीड रोल ओफर होने लगे जिसमें साल 2008 की फिल्म रोकी और 2009 में आई फिल्म कालारा सान्थे और गोकुला शामिल है।
साल 2010 में आई रोमांटिक ड्रामा फिल्म मोदलसाल यश के करियर की पहली कमर्शियल सोलो हिट फिल्म साबित हुई, इसके बाद इन्होंने जाने माने अभिनेता प्रकाश राज के साथ फिल्म राजधानी में भी काम किया जो बोक्स ओफीस पर हिट नहीं हुई लेकिन सिनेमाई पंडितों ने अब तक यश में छुपी प्रतिभा को पहचान लिया था।
यश ने 2010 में आई तमिल फिल्म कालवानी की कन्नडा रीमेक कीर्तक में भी काम किया था जो कन्नड़ भाषा में बनी 3000 वीं फिल्म थी।
इसके बाद दर्शकों ने यश की रोमांटिक छवि से हटकर की गई फिल्मों को भी पसंद किया जिसमें साल 2014 की फिल्म गजकेसरी भी शामिल है।

फिल्म: मिस्टर एंड मिसेज-
इसी साल के अंतिम दिनों में रीलीज हुई फिल्म मिस्टर एंड मिसेज रामाचारी बोक्स ओफीस पर 50 करोड़ की कमाई करने वाली कन्नड़ सिनेमा की कुछ चुनिंदा फिल्मों में शामिल हो गई थी।
इस फिल्म ने यश को कन्नडा फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार्स में शामिल कर दिया और साथ ही यश 10 सालों में कन्नडा फिल्म इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा फीस लेने वाले अभिनेता बन गए।

फिल्म: कोलार गोल्ड फील्ड यानि केजीएफ-
इसके बाद भविष्य से अंजान यश ने मास्टरपीस जैसी कुछ फिल्मों की सफलता के साथ साल 2018 में प्रवेश किया जिसके आखिरी महीने में कन्नडा फिल्म इंडस्ट्री की सबसे महंगी और बड़ी फिल्म कोलार गोल्ड फील्ड यानि केजीएफ रीलीज होने वाली थी।
बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी, शानदार डायरेक्शन और डायलॉग के साथ सभी कलाकारों की गजब की अदायगी का ही परिणाम था कि 80 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने शाहरुख खान की जीरो से क्लैश के बावजूद भी 250 करोड़ की कमाई की थी।
लेकिन राजामोली की बाहुबली के बाद रीजनल सिनेमा में किये गये सबसे बड़े प्रयोग को सफल बनाना इतना आसान भी नहीं था। आपको बता दें कि इस फिल्म में VFX का प्रयोग नाम मात्र किया गया है और यश ने अपने सभी स्टंट्स को खुद परफोर्म किया था।
800 से ज्यादा लोगों की टीम ने कोलार गोल्ड फील्डस के दृश्यों को वास्तविक रूप देने के लिए धूल, गर्मी और तेज हवाओं के बीच महीनों काम करके कन्नड़ सिनेमा की इस मैग्नम ओपस फिल्म को जीवंत रुप दिया था जिसने अभिनेता यश को भारतीय सिनेमा का सुपरस्टार बना दिया।

रामचंद्र राजू-गरुड़ा
इस फिल्म में गरुड़ा का किरदार यश के बोडीगार्ड राम ने निभाया है और इसके लिए रामचंद्र राजू को एक्टिंग यश ने ही सिखाई थी।
बात करें यश की निजी जिंदगी के बारे में तो इनका विवाह राधिका पंडित से साल 2016 में हुआ था जिनसे इन्हें एक बेटा और एक बेटी है। साल 2017 में यश ने अपनी पत्नी के साथ यशोमार्ग फाउंडेशन की स्थापना की जिसके तहत इन्होंने सामाजिक वेलफेयर से जुड़े कई कामों में हिस्सा लिया है जिसमें कर्नाटक के कोपाल जिले की पानी की समस्या को दूर करने के लिए दिया गया 4 करोड़ का योगदान भी शामिल है।
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