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जेल के कैदियों से कैसे शुरू हुई नामीबिया क्रिकेट की कहानी ?

History of Namibia Cricket Team

नामिबिया, अफ्रीकी महाद्वीप में शामिल लगभग 26 लाख की जनसंख्या वाला छोटा सा देश जिसका इतिहास हर मायने बहुत बड़ा है, चौदहवीं शताब्दी में दुनिया की नजरों में आया यह आधुनिक देश जो उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के एक लंबे दौर में गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा और फिर एक आजाद मुल्क के तौर पर अपनी जगह बनाई।

अपने कल्चर, अपनी स्थिति और प्रकृति से अपने जुड़ाव पर खड़े इस देश ने दुनिया को खेल की दुनिया में फ्रेंक फ्रेड्रिक्स जैसे ओलम्पिक मेडलिस्ट दिये है।

लेकिन फुटबॉल और एथेलेटिक्स पर जान छिड़कने वाला यह देश क्रिकेट के खेल को भी हमेशा से बहुत प्यार करता आया है।

नारद टीवी की स्पेशल सीरीज know your country में आज की इस विडियो में हम आपको इसी खूबसूरत देश के क्रिकेट इतिहास से रुबरु करवाने वाले है।

16 नवम्बर साल 1882 को अडोल्फ लुदरिज नाम के एक जर्मन व्यापारी ने साउथ वेस्ट अफ्रीका में अपने पैर जमाने के लिए यहां एक स्टेशन का निर्माण किया, अफ्रीकी सरकार से इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मिलने के बाद जर्मनी से साउथ वेस्ट अफ्रीका में अलग अलग कारणों के चलते बहुत से लोग आने लगे और फिर इन लोगों को यहां की वैभवता ने अपनी तरफ खींचना शुरू कर दिया और इसका परिणाम यह रहा कि 7 अगस्त साल 1984 की सुबह अफ्रीका के इस छोटे से हिस्से पर जर्मनी का झंडा बुलंद कर दिया गया।

जर्मन साउथ वेस्ट अफ्रीका, खनिज संपदा के वैभव से परिपूर्ण इस प्रदेश में धीरे-धीरे जर्मन साम्राज्य फलने फूलने लगा।

एक तरफ जहां यह क्षेत्र अपनी आजादी के लिए लड़ रहा था तो वहीं दूसरी तरफ यहां के लोग अपनी जंजीरों का भार हल्का करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाने लगे थे, अलग-अलग तरह के खेल, अलग अलग तरह की दिनचर्या अलग-अलग तरह के शौक अपनाना यहां के लोगों की आदत बन गई थी।

Cricket Old
Cricket Old

लगभग 24 साल से जर्मन प्रभुत्व में सांस ले रहे यहां के लोगों ने प्रीजन कैंप में साल 1909 में वक्त गुजारने का एक नया तरीका निकाला, साउथ वेस्ट अफ्रीका के लोगों ने अपने आसपास मौजूद बल्ले जैसी नजर आने वाली लकड़ियां उठाई और गेंद बनाकर खेलना शुरू कर दिया, उस समय शायद जेल में बंद उन लोगों को नहीं पता था कि उन्होंने जाने अंजाने अपने लोगों के लिए भविष्य में जीने के लिए एक बेहतरीन विकल्प को ढुंढ लिया है।

साल 1915 में यहां के एक शहर विंडहोक के पास क्रिकेट का वो पहला मैच खेला गया था जिसके सबूत आज भी मौजूद है।

इसी साल पहले विश्व के दौरान जर्मन सैना को हराकर अफ्रीकी ट्रूप ने इस प्रदेश पर कब्जा कर लिया था, क्रिकेट का खेल यहां फलने फूलने लगा था, साल 1914 में यहां के ओकोजांदे प्रीजनर ओफ वार में एक क्रिकेट मैच खेला गया था, ये पहला ऐसा मौका था जब साउथ वेस्ट अफ्रीका में किसी प्रीजनर कैंप में खेले गए क्रिकेट मैच का रिकॉर्ड दर्ज किया गया था।

साल 1930 में साउथ अफ्रीका क्रिकेट का गठन किया गया और आज के नामिबिया में पहला ओर्गनाइज्ड क्रिकेट मैच खेला गया था, क्रिकेट के तौर तरीके यहां से नामिबिया के लोगों को पसंद आने लगे थे और समझ में आने लगे थे।

 

साल 1929 में नामिबिया के विंडहोक शहर में हुई एक मीटिंग के बाद यहां पहली ओफीशियल लीग की शुरुआत करने का फैसला लिया गया, साल 1956 में साउथ वेस्ट अफ्रीका यानि नामिबिया की एक क्रिकेट टीम ने पहली बार अपने बोर्डर से बाहर जाकर क्रिकेट मैच खेलने का कारनामा किया, यह मुकाबला केप टाउन के लीजबैक ग्राउंड पर खेला गया था।

नामिबिया के लोग इस खेल के साथ खुश रहने लगे थे और दुसरी तरफ साउथ अफ्रीका की तरफ से भी अपने इस हिस्से को क्रिकेट के खेल में बहुत अच्छे से साथ मिला, जर्मन प्रभुत्व के दौरान नामिबिया में बहुत से क्रिकेट क्लब तैयार हुए जिसके बाद साउथ अफ्रीका ने भी अपने प्रभाव में उनको सुरक्षित रखा, आज नामिबिया में क्रिकेट क्लब्स की संख्या पन्द्रह तक पहुंच गई है।

Namibia Cricket Club
Namibia Cricket Club

साठ के दशक से नामिबिया में क्रिकेट के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी दौर की शुरुआत हो गई थी, यहां के बहुत से अच्छे खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीका में अलग अलग टुर्नामेंट्स के जरिए अपनी प्रतिभा को निखारने में लगे हुए थे लेकिन साथ ही नामिबिया ने अपनी आजादी के लिए आंदोलन का शंखनाद भी कर दिया था।

साल 1978 में साउथ वेस्ट अफ्रीका ने एक होस्ट के तौर पर स्काटलैंड के खिलाफ विंडहोक मेंं एक क्रिकेट मैच खेला, आजादी की लड़ाई और क्रिकेट के लिए प्यार दो अलग-अलग इमोशन इस देश में एक साथ बड़े हो रहे थे।

जनवरी 1989 में साउथ वेस्ट अफ्रीका ने साउथ अफ्रीका में अपना आखिरी डोमेस्टिक सीजन पुरा किया और यहां से लगभग तीस साल पुराना सिलसिला खत्म हो गया लेकिन फिर इसी साल नवम्बर में एक नई कड़ी की शुरुआत हुई, साउथ वेस्ट अफ्रीका ने बोत्सवाना का दौरा किया जिसे नामिबिया के क्रिकेट इतिहास का पहला इन्टरनेशनल फिक्सर माना जाता है।

फिर अगले साल इस देश को नामिबिया के नाम के साथ एक लंबे समय की गुलामी से आजादी मिल गई और अब यह देश क्रिकेट की दुनिया में स्वतंत्र सांस लेने के लिए तैयार हो गया था।

साल 1992 में नामिबिया को आईसीसी ने अपने असोसिएट सदस्यों की सूची में शामिल कर लिया  और इस तरह जेल की घुटन से शुरू हुआ एक खेल से प्यार का सिलसिला अब आजादी से अपनी प्रतिभा को सबके सामने रख सकता था।

Namibia Cricket Team
Namibia Cricket Team

साउथ अफ्रीका ने क्रिकेट की दुनिया में चलना सीख रहे इस नये देश को हमेशा की तरह मदद करते रहना जारी रखा, साल 1991 में नामिबिया के नाम से अपना पहला मैच इस देश ने मालावी के खिलाफ जोन सिक्स अफ्रीकन चैम्पियनशिप के दौरान खेला था।

इसके बाद आईसीसी सदस्यता मिलने के साथ ही नामिबिया को आईसीसी ट्रोफी टुर्नामेंट्स में खेलने का मौका मिलने लगा लेकिन ये देश साल 1996 और साल 1999 विश्वकप में अपनी जगह नहीं बना पाया था।

लेकिन वो कहते है ना कि इस दुनिया में देर हैं अंधेर नहीं कुछ ऐसा ही नामिबिया के साथ भी हुआ, विश्व स्तर पर अपने हुनर की झलक दिखाने का इंतजार कर रहे इस देश के खिलाड़ियों ने साल 2001 में आईसीसी ट्रोफी टुर्नामेंट्स में दुसरा स्थान हासिल किया और अपनी जगह को  पहली बार विश्व कप टुर्नामेंट में तय कर लिया।

लेनी लोऊ, गैरी सायमन, डिओन कोट्ज जैसे बेहतरीन खिलाड़ियों ने नामिबिया की क्रिकेट टीम में अपना स्थान अब तक बना लिया था और इन्हीं कुछ खिलाड़ियों के कारण नामिबिया अपने पहले विश्व कप के लिए अफ्रीका के लिए रवाना हुई।

वर्ल्डकप से पहले नामिबिया में पहला अफ्रीकन क्रिकेट एसोसिएशन टुर्नामेंट का आयोजन भी हुआ और नीदरलैंड्स के जैसी टीम को होस्ट भी किया था।

साल 2003 विश्वकप में नामिबिया का पहला वनडे मैच जिम्बाब्वे के खिलाफ डिओन कोट्ज की कप्तानी में हरारे के मैदान पर खेला था, लेकिन नामिबिया को अपने पहले मैच में 86 रनों से हार का सामना करना पड़ा था।

इसके बाद नामिबिया को पाकिस्तान के खिलाफ 171 रनों से हार झेलनी पड़ी, इस मैच में वसीम अकरम को अपने वनडे करियर का आखिरी मैन ऑफ द मैच अवार्ड दिया गया था।

पाकिस्तान के बाद इंग्लैंड के  सामने नामिबिया ने विश्वकप में अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन दिखाया लेकिन हार को नहीं टाल सके, जेन बैरी बर्गर को इस मैच में अपनी 85 रनों की पारी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया था।

Namibia Team
Namibia Team

इंग्लैंड के बाद नामिबिया को भारत के खिलाफ भी 181 रनों से बड़ी हार का सामना करना पड़ा और फिर आस्ट्रेलिया ने इस टीम को कहीं भी उठने का मौका नहीं दिया, आस्ट्रेलिया के खिलाफ 256 रनों से मिली हार उस समय वनडे क्रिकेट में रनों के मामले में मिली सबसे बड़ी हार थी।

नामिबिया अपने पहले विश्व कप में कोई भी मैच नहीं जीत पाई, विश्वकप के बाद नामिबिया ने जिम्बाब्वे को अपनी और उनकी धरती पर वनडे सीरीज में हराया और फिर इस टीम ने साल 2004 में हुए पहले इन्टरकोटिनेटल कप में भी हिस्सा लिया, हालांकि इनका प्रदर्शन अच्छा नहीं था।

फिर इसी साल नामिबिया ने जिम्बाब्वे के वनडे डोमेस्टिक कम्पीटीशन में हिस्सा लिया और रनर अप के तौर पर टुर्नामेंट को खत्म किया।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट चल रही थी लेकिन नामिबिया की टीम बड़ी टीमों के खिलाफ आशा के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पा रही थी, जिम्बाब्वे, नेपाल और नीदरलैंड्स को बार बार हराने के बाद भी यह टीम अपना प्रदर्शन इंग्लैंड, पाकिस्तान और न्यूजीलैंड जैसी टीमों के सामने जारी नहीं रख पा रही थी।

इसी दौरान इन्टरकोटिनेटल कप से बाहर हो जाने के बाद नामिबिया और बरमूडा के बीच चल रही वनडे सीरीज के बीच में बरमूडा के खिलाड़ियों ने नामिबिया पर रेसिस्ट कमेंट करने का आरोप भी लगाया और सीरीज का आखिरी मैच खेलने  से मना कर दिया था, हालांकि नामिबिया क्रिकेट बोर्ड ने इस आरोप को नकार दिया था।

साल 2006 में हुए इन्टरकोटिनेटल कप में हिस्सा लेने के बाद नामिबिया के खेल को सुधारने के लिए आईसीसी हाई प्रफोरमेंस प्रोग्राम में शामिल किया गया।

Team Namibia
Team Namibia

अपने खराब क्रिकेट स्ट्रक्चर और लगातार बड़ी टीमों से खेलने का मौका नहीं मिलने का ही कारण था कि नामिबिया क्रिकेट टीम साल 2007 और 2011 विश्व कप में हिस्सा नहीं ले पाई और ना ही इस टीम को अभी तक टी20 स्टेटस दिया गया था।

जुलाई 2011 में नामिबिया ने आईसीसी टी20 वर्ल्ड क्रिकेट लीग अफ्रीका डिवीजन में हिस्सा लिया और अपने पहले आठ मैच जीतकर सबको चौंका दिया था।

इस टुर्नामेंट के दौरान केन्या के खिलाफ खेलते हुए नामिबिया के आलराउंडर लुईस वेन डार वास्थुइजन ने 159 रनों की नाबाद पारी खेली जिसमें सोलह शानदार छक्के शामिल थे।

साल 2018 में आईसीसी ने अपने सभी सदस्य देशों को टी20 स्टेटस देने का मन बनाया और इस तरह अब नामिबिया भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टी20 क्रिकेट खेलने वाले देशों में शामिल हो गया था।

नामिबिया को अपना पहला टी20 मैच घाना के खिलाफ

20 मई साल 2019 को खेलने का मौका मिला जिसमें कप्तान स्टीफन बार्ड की अर्धशतकीय पारी की बदौलत नामिबिया को नौ विकेट से जीत हासिल हुई।

यहां से आशाएं बढ़ने लगी और यह टीम भी अब हर तरह से अच्छा प्रदर्शन कर रही थी, साल 2019 में टी20 विश्वकप क्वालिफायर में चौथे स्थान पर रहते हुए नामिबिया ने अगले विश्वकप के लिए अपना स्थान तय कर लिया था।

इस बार विश्वकप में नामिबिया का पहला मैच श्रीलंका से हुआ, जिसके बाद इस टीम ने नीदरलैंड को छः विकेट से हराकर विश्व कप इतिहास में अपनी पहली जीत हासिल की, अपने अगले मैच में नामिबिया ने आयरलैंड को आठ विकेट से हराकर सुपर 12 में अपनी जगह बनाई और वहां अपने पहले मैच में स्कोटलैंड को हराकर यह जाहिर कर दिया था कि नामिबिया क्रिकेट में एक नये युग की शुरुआत हो गई है।

अपने पहले टी20 विश्वकप को दसवें स्थान पर ख़त्म करने के बाद नामिबिया ने साल 2022 टी20 विश्वकप के लिए भी क्वालिफाई कर लिया है और कहा तो ये भी जा रहा है कि यह देश साल 2027 में होने वाले वनडे विश्व कप में कुछ मैचों को होस्ट भी करने वाला है।

फिलहाल ग्रियार्ड एरासम्स की कप्तानी में नामिबिया की टीम अपने क्रिकेट इतिहास का स्वर्णिम दौर अनुभव कर रही है, इस टीम के पास एक से बढ़कर एक अनुभवी खिलाड़ी हैं जिन्हें देखते हुए लग रहा है कि यह टीम विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करने वाली है।

 

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