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Aircel Telecom Company के डूबने की कहानी |

आज 4G और 5G के दौर में फ्री कॉलिंग (Calling) और फ्री मैसेज (Massage) जैसी सुविधा एक आम बात बन चुकी है, यहाँ तक एक ही पैक (Pack) रिचार्ज (Recharge) कराने पे वॉइस (Voice) कॉल से लेकर विडियो (Video) कॉल सबकुछ एक साथ मिल जाता है। लेकिन कुछ सालों पहले तक यह सब एक ख़्वाब (Dream) ही था। क्योंकि तब कुछ मिनट की भी कॉल फ्री मिल जाये या किसी ख़ास समय में कम रेट (Rate) में कॉल की सुविधा मिल जाये तो यही बहुत बड़ी बात हुआ करती थी। हम बात कर रहे हैं साल 2000 के पहले दशक (Decade) के आख़िरी दौर की जब 3G नेटवर्क (Network) तेजी से भारत में अपने पाँव पसार (Spread out) रहा था और ग्राहकों (Customers) को महँगे कॉल (Call) रेट (Rate) से लेकर मँहगे मैसेजेस से मुक्ति मिल रही थी। ऐसे में तमिलनाडु (Tamil Nadu) में अपने नेटवर्क का डंका बजाने के बाद भारत के दूसरे कई स्टेट्स (States) की ओर बढ़ रही एक कम्पनी (Company) अपने ढेरों नये और किफायती (Affordable) प्लान्स (plans) को मार्केट (Market) में लॉन्च (Launch) करती है और देखते ही देखते टेलीकॉम (Telecom) सेक्टर में देश की पाँचवीं सबसे बड़ी कम्पनी बन जाती है। कभी एयरटेल (Airtel), वोडाफोन (Vodafone), आइडिया(Idea), रिलायंस (Reliance) और बीएसएनएल (BSNL) जैसी तमाम दिग्गज टेलीकॉम कम्पनियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली इस कम्पनी का नाम है ‘एयरसेल’।
एक दौर था जब एयरसेल (Aircel) अपने सस्ते कॉल रेट की वज़ह से लवर्स (Lovers) की पहली पसंद हुआ करती थी। एक ख़ास टाइम का इंतज़ार और कॉल रेट का कम होना, फिर घण्टों बेधड़क बातें न सिर्फ लवर्स, बल्कि परदेस काम करने गये लोगों के लिये भी किसी ख़्वाब (Dream) के पूरे होने जैसा ही था। अपनी फैमिली (Family) से जी भर बातें करना, कॉलिंग (Calling) के ज़रिये ही सही, रोज़ाना (Daily) बातें कर अपने रिश्तेदारों से जुड़े रहना, एयरसेल की वज़ह से काफी आसान हो गया था, जो एयरसेल की कामयाबी (Success) की सबसे बड़ी वज़ह बना था। आख़िर ऐसा क्या हुआ कि इतनी तेज़ी के साथ ग्रो (Grow) करनेवाली एयरसेल को, ख़ुद को दिवालिया (Bankrupt) घोषित (Announce) करने की नौबत आ गयी? क्यों देश की पाँचवीं सबसे बड़ी कम्पनी होने के बावज़ूद पंद्रह हजार करोड़ रुपयों के कर्ज (Loan) की चपेट में आ गयी? आज के पोस्ट में हम ऐसे कई सारे सवालों के जवाब लेकर आये हैं इसलिए बने रहें पोस्ट में हमारे साथ शुरू से अंत तक।

Aircel

नमस्कार दोस्तों…

एयरसेल की कामयाबी से लेकर उसके दिवालिया हो जाने की कहानी जानने से पहले आइये पहले एक नज़र डाल लेते हैं इस कम्पनी के इतिहास पर।

एयरसेल का इतिहास-
एयरसेल कम्पनी की नींव रखी थी तमिलनाडु (Tamil Nadu) के तिरुवन्नामलाई (Tiruvannamalai) जिले में स्थित चेय्यार (Cheyyar) तालुक के कोविलूर गांव के चिन्नाकन्नन शिवशंकरन (Chinnakannan Sivasankaran ) ने। साल 1999 में जब तमिलनाडु टेलीकॉम सर्कल में इस कम्पनी की शुरुआत हुई तो कम्पनी का नाम श्रीनिवास सेलेकॉम लिमिटेड था जो बाद में उसी साल बदलकर एयरसेल लिमिटेड कर दिया गया। कुछ ही सालों में तमिलनाडु में टॉप ऑपरेटर (Operator)  बनने के साथ ही एयरसेल भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली मोबाइल ऑपरेटर कम्पनियों में से एक बन गया और कई दूसरे स्टेट्स (States) में अपनी पकड़ बनाने लगा। इसी बीच साल 2005 में मलेशियाई टेलीकॉम कंपनी मैक्सिस (Maxis) कम्युनिकेशंस (Communication) ने एयरसेल के 74% शेयर (Share) खरीद लिए और एयरसेल ने देश के उन स्टेट्स में भी अपना कारोबार आगे बढ़ाना शुरू कर दिया जहाँ पहले से कई बड़ी कम्पनियों का दबदबा कायम था।
एयरसेल के शेष 26% स्टॉक (Stock) की बात करें तो वह अपोलो (Apollo) हॉस्पिटल्स की मैनेजिंग डायरेक्टर सुनीता रेड्डी द्वारा प्रोमोटेड कम्पनी ‘सिंद्या सिक्योरिटीज एंड इन्वेस्टमेंट्स’ के हाथों में थे।

चिन्नाकन्नन शिवशंकरन

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एयरसेल का विस्तार –
साल 2010 में 3जी स्पेक्ट्रम (Spectrum) की नीलामी के दौरान एयरसेल ने 13 सर्किलों में स्पेक्ट्रम प्रवाइड (Provides) करने के लिए 65 बिलियन (Billion) रुपये का भुगतान किये, जिनमें आंध्र प्रदेश , असम , बिहार , जम्मू एण्ड कश्मीर , कर्नाटक , केरल , कोलकाता , मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, नॉर्थ ईस्ट , ओडिशा , पंजाब , तमिलनाडु , ईस्ट यूपी और वेस्ट बंगाल जैसे स्टेट्स शामिल थे। एयरसेल टेलीकॉम मार्केट में तेजी से उभरती हुई कम्पनी बनने के साथ अपने विस्तार और प्रचार (Publicity) पर जमकर पैसे खर्च कर रही थी। साल 2010 में ही, एयरसेल ने आठ सर्किलों में वायरलेस (Wireless) ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए 34.38 बिलियन रुपये का और भुगतान (Invest) किये, जिसमें आंध्र प्रदेश , असम , बिहार, झारखंड , जम्मू एण्ड कश्मीर , नॉर्थ ईस्ट, ओडिशा , तमिलनाडु और वेस्ट बंगाल शामिल थे।

साल 2011 में, एयरसेल ने, Bharti Airtel के साथ Apple iPhone 4 का लॉन्च (Launch) पार्टनर बनकर टेलीकॉम मार्केट (Market) में एक कदम और आगे बढ़ा दिया। भारत की 5वीं सबसे बड़ी मोबाइल सर्विस (Services) ऑपरेटर बन चुकी एयरसेल ने साल 2011 में चेन्नई में अपनी 3जी मोबाइल और डेटा (Data) सर्विसेज को ऑफिसियली (Officially) हरी झंडी दिखाई और कई सारे सस्ते प्लान की घोषणा की। कम्पनी ने मोबाइल यूजर्स के लिए 132 रुपये का एयरसेल डेटा प्लान लॉन्च किया जिसमें 50 लोकल + 50 एसटीडी (STD) मिनट के साथ 100 लोकल (Local) और नेशनल (National) एसएमएस (SMS) मिलते थे जो उस दौर में काफी सस्ता प्लान माना जाता था। इस प्लान के साथ ही कम्पनी 7 रूपये पर डे और 3 दिन के छोटे प्लान (Plan) भी लाई। इसके अलावा कम्पनी ने डेटा के साथ इनबिल्ट (Inbuilt) वॉइस (Voice) और एसएमएस सर्विस जैसे कई कॉम्बो (Combo) 3जी प्लान भी लॉन्च किये। इतना ही नहीं कम्पनी ने नोकिया, सैमसंग, ब्लैकबेरी और डेल जैसी कम्पनी के साथ मिल हैंडसेट बंडल ऑफर भी पेश किये, जिसमें एक महीने से लेकर तीन महीने तक का डेटा फ्री मिलता था। एयरसेल ने नयी पीढ़ी (Generation) को देखते हुये ये सभी डेटा प्लान लाए थे, जिससे यंगर्स (Youngers) सोशल मीडिया का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठा सकें। इतना ही नहीं भारत में फेसबुक (Facebook) वॉयस अपडेट फीचर लॉन्च करने वाली कम्पनी भी एयरसेल ही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2012 तक एयरसेल से लगभग 5 मिलियन 3जी के ग्राहक (Customer) जुड़ चुके थे।

हालांकि कामयाबी का यह सफर बहुत लम्बा न चल सका क्योंकि तमाम बड़ी कम्पनियाँ (Companies) एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में 3जी के सस्ते टैरिफ (Tariff) लॉन्च करने शुरू कर दिए थे। जिसे देखते हुए एयरसेल को भी अपने 3जी टैरिफ को घटाना पड़ा। ज़ाहिर सी बात है कि इतने रूपये खर्च कर स्पेक्ट्रम (Spectrum) हासिल करने के अलावा प्रचार (Publicity) में पानी की तरह रूपये बहाने के बाद टैरिफ सस्ता होने से कम्पनी का घाटा (Loss) होना स्वाभाविक था, जिसे देखते हुये साल 2012 में ही कंपनी ने मध्य प्रदेश , गुजरात , हरियाणा , केरल और पंजाब जैसे कई टेलीकॉम सर्किल में अपना काम समेटना शुरू कर दिया था। दरअसल कम्पनी ने तब शायद यही सोचा होगा कि पहले कुछ स्टेट्स में पूरी तरह अपनी पकड़ बना लें, उसके बाद इन सभी सटेट्स में दोबारा अपनी जगह बनायी जा सकती है। देखा जाये तो एयरसेल द्वारा लिया गया यह एक सही फैसला भी था।

एयरसेल बनी सभी नेटवर्क सर्विस देने वाली कम्पनी-
साल 2014 के अगस्त में एयरसेल ने तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर में 4जी सर्विसेस देनी भी शुरू कर दीं, जो इन सर्किलों में एक साथ 2जी, 3जी और 4जी, तीनों नेटवर्क की सर्विस प्रोवाइड (Provide) करने वाला एकमात्र प्राइवेट टेलीकॉम ऑपरेटर (Operate) बन गया था। इतना ही नहीं एयरसेल ने चाइना (China) की कम्पनी ज़ेडटीई (ZTE) के साथ साल 2013 में LTE टेक्नोलॉजी (Technology) पर बेस्ड 4 जी ब्रॉडबैंड (Broadband) नेटवर्क (Network) का एग्रीमेंट (Agreement) किया। कम्पनियों ने तय किया कि LTE नेटवर्क को तमिलनाडु में लॉन्च किया जाएगा और बाद में अन्य सर्किलों में इसका विस्तार किया जाएगा। तमिलनाडु में 4जी की कामयाबी के बाद एयरसेल ने 16 जुलाई 2014 को आंध्र प्रदेश, असम, बिहार और ओडिशा के चार सर्किलों में भी 4जी सर्विस प्रोवाइड करनी शुरू कर दी। जिसके बाद अप्रैल 2015 में, एयरसेल ने केरल में भी फिर से अपनी सर्विस देनी शुरू कर दी थी।

सस्ते प्लान्स की भरमार-
आज भी एयरसेल के ज़रिये अपने पुराने दिनों को याद (Memory) करने वाले लोग मिल ही जायेंगे, जिसके पीछे सबसे बड़ी वज़ह है इसके सस्ते प्लान और टैरिफ जो दूसरी कम्पनियों ने तब तक सोचा भी न होगा। शायद यही कम्पनी के तेजी से ग्रो करने की सबसे बड़ी वज़ह भी बनी थी। कम्पनी ने जिस तरह शुरुआत में कॉलिंग (Calling) रेट कम करके यंगर्स (Youngers) को अपनी ओर खींचा था उसी तरह 3जी के दौर में छोटे व किफायती (Affordable) डेटा प्लान के साथ एक बार फिर से यंगर्स के बीच अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी थी। सोशल नेटवर्किंग (Networking) साइट्स (Sites) में यंगर्स का झुकाव देखते हुए एयरसेल ने 14 रुपये में ट्रूली (Truly) अनलिमिटेड (Unlimited) मोबाइल (Mobile) इंटरनेट (Internet) रीचार्ज लॉन्च करने की घोषणा की। इससे पहले एयरसेल ने मुंबई और कई अन्य सर्किलों में अनलिमिटेड मोबाइल जीपीआरएस (GPRS) 98 रुपये में लॉन्च किया था। इन टैरिफ (Tariff) में एक दिन से लेकर महीने भर के कई प्लान्स शामिल थे। डेटा प्लान के अलावा एयरसेल ने उस दौर में एक नया 104 रुपये का प्रीपेड (Prepaid) प्लान पेश किया, जिसके तहत यूजर्स एक साल के लिए सभी कॉल के लिए 20 पैसा प्रति मिनट चार्ज करने होता था। ख़ास बात कि इसमें लोकल (Local) के साथ-साथ एसटीडी (STD) कॉल भी शामिल थीं। बाद में 4जी के दौर में भी एयरसेल ने कई सस्ते प्लान लाये जिसमें 88 रुपये और 199 रुपये के भी प्लान शामिल थे। इनमें अनलिमिटेड (Unlimited) लोकल और एसटीडी कॉल के साथ पर डे 1GB डेटा भी मिलता था। 88 रुपये के प्लान की वैधता (Validity) जहाँ सात दिनों की थी वहीं 199 रुपये के प्लान की वैधता 28 दिनों की थी।

कामयाबी का सफर-
एयरसेल की कामयाबी का अंदाज़ा (Estimate) आप इसी से लगा सकते हैं कि भयंकर कम्पटीशन (Competition)  के दौर में भी इसके ग्राहक कम होने की बजाय बढ़ते जा रहे थे। यह अलग बात है कि कम्पनी के सस्ते प्लान की वज़ह से वह घाटे में चल रही थी। दिसंबर 2017 तक , एयरसेल के ग्राहकों की संख्या 84.93 मिलियन से अधिक थी और यह भारत के टॉप 6 जीएसएम (GSM) मोबाइल ऑपरेटर्स में से एक था। देश के कुल 22 सर्किलों में फैले नेटवर्क में एयरसेल तमिलनाडु में टॉप पर तो था ही, साथ ही ओडिशा, असम और नॉर्थ-ईस्ट सर्किलों में भी इसकी पकड़ बरकरार थी।

Surya launches Aircel iPhone

एयरसेल की कामयाबी का गवाह आईपीएल (IPL) भी रह चुका है। एयरसेल जब ऊँचाइयाँ छू रहा था तब वह चेन्नई सुपर किंग्स के साथ-साथ आई-लीग फुटबॉल टीम ‘शिलांग लाजोंग एफसी’ की जर्सी (Jursey) का भी स्पॉंसर (Sponsor)  बना था। इसके अलावा इंडियन सुपर लीग फुटबॉल में खेलने वाले ‘एटलेटिको डी कोलकाता एफसी’ का मेन स्पॉंसर भी एयरसेल रह चुका है। एयरसेल चेन्नई ओपन एटीपी टेनिस टूर्नामेंट और प्रोफेशनल गोल्फ टूर ऑफ इंडिया के मेन स्पॉंसर्स में से एक  रह चुका है। इन सबके अलावा एयरसेल ने भारत के बाघों की रक्षा के लिए ‘सेव द टाइगर’ अभियान को भी स्पॉंसर किया था। एयरसेल के ब्रांड एंबेसडर की बात करें तो इसमें इंडियन क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी और तमिल ऐक्टर सूर्या का नाम शामिल है। इसके अलावा कुछ प्रोजेक्ट (Project) के लिए एयरसेल ने मुक्केबाज मैरी कॉम , तमिल ऐक्टर धनुष और ऐक्ट्रेस समीरा रेड्डी के साथ भी एग्रीमेंट (Agreement) भी किया था।

Aircel on jersey

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आर-कॉम के साथ विलय का सौदा रद्द-
देखा जाये तो साल 2016 में रिलायंस जियो के मार्केट में लॉन्च होने के बाद मोबाइल नेटवर्क के सेक्टर में सबकुछ बदल सा गया था। सारी कम्पनियों की प्लानिंग्स (Plannings) धरी की धरी रह गयी थी जिसका असर कुछ महीनों के भीतर ही दिखाई देने लगा था और इसका अंदाज़ा एयरसेल को भी हो चुका था। दूसरी तरफ जियो (Jio) के ऑनर मुकेश अंबानी के भाई अनिल अंबानी की कंपनी आर कॉम यानि रिलायंस कम्युनिकेशंस भी घाटे में जा रही थी। ऐसे में एयरसेल और आर कॉम ने साथ मिलकर काम करने की योजना बनाई और 14 सितंबर 2016 को, अपने मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर के विलय (Fusion) की घोषणा कर दी। इस विलय के बाद, संयुक्त इकाई के रूप में इनका भारत का चौथा सबसे बड़ा टेलीकॉम ऑपरेटर बनना तय था। लेकिन यह सौदा (Deal) बस एक घोषणा बन के रह गया और लगभग एक साल के बाद दोनों कंपनियों ने नियामक और कानूनी मुद्दों का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया।
बहरहाल रिलायंस के साथ विलय का सौदा असफल होने के बाद, एयरसेल ने भारती एयरटेल के साथ भी विलय पर विचार किया था, जिसे लेकर साल 2017 में एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने कहा था कि “एयरटेल अधिग्रहण वार्ता के लिए खुला था।” हालांकि इन कम्पनियों के साथ विलय की योजना से पहले, सितंबर 2012 में भी एक ख़बर फैली थी कि रूसी कंपनी ‘सिस्तेमा’ एयरसेल का अधिग्रहण (Acquisition) करने के लिए बातचीत कर रही थी, लेकिन यह ख़बर एक अफवाह साबित हुई क्योंकि इसकी पुष्टि किसी भी कंपनी ने कभी नहीं की।

एयरसेल के डूबने की वज़ह-
इसमें कोई शक़ नहीं कि रिलायंस जियो की एंट्री (Entry) के बाद से सभी मोबाइल नेटवर्क कम्पनियों पर ख़ासा असर पड़ा और इसमें एयरसेल का नाम भी शामिल है। अब सवाल यह उठता है कि अगर दूसरी कम्पनियों ने ख़ुद को संभाल लिया तो एयरसेल के साथ ही ऐसा क्यों हुआ कि उसे ख़ुद को दिवालिया (Bankrupt) घोषित करना पड़ा। बेशक़ इस लिस्ट में कई और कम्पनियों के नाम भी शामिल हैं लेकिन हम यहाँ सिर्फ एयरसेल की ही बात करेंगे।

दरअसल एयरसेल की बरबादी के लिए कई सारी वज़हें ज़िम्मेदार हैं जिसमें खराब सर्विस (Service) और मैनेजमेंट (Managemant) तक शामिल है। यह भी ताज्जुब (Surprise) की बात है कि साल 2011 में बेस्ट एम्पलॉयर (Employer) का अवाॅर्ड पाने के बावज़ूद कम्पनी का मैनेजमेंट दिन पर दिन बिगड़ता ही चला गया। आर कॉम और भारती एयरटेल के साथ विलय की ख़बरें, बार- बार प्लानिंग चेंज करना और अपने ग्राहकों को कुछ भी क्लीयर (Clear) न बता पाना जैसी बातों ने एयरसेल की शाख को मार्केट में बिगाड़ने का काम किया। इसके अलावा, कंपनी के कई अधिकारियों का नाम टेलीकॉम घोटाले (Scams) की जांच के दौरान आया, जो अखबारों (Newspaper) की सुर्खियां बना। इन सबके साथ-साथ नेटवर्क (Network) पॉब्लम (Problem) और कॉल ड्रॉप जैसी बातों पर अपने ग्राहकों को विश्वास में न ला पाने की वज़ह से भी लोगों ने एयरसेल को छोड़ना ही बेहतर समझा। दरअसल एयरसेल ने बाद में बहुत सारे सस्ते प्लान और टैरिफ तो लाये लेकिन अपने नेटवर्क में कोई सुधार न कर सका, जिससे ग्राहकों को बहुत परेशानी उठानी पड़ती थी, ऐसे में सारे सस्ते प्लान बेकार चले जाते।

देखा जाये तो जियो के आने के बाद मोबाइल नेटवर्क के सेक्टर (Sector)में 4जी ने एक क्रांति का रूप ले लिया था, ऐसे में एयरसेल को नेटवर्क बढ़ाने से लेकर अपग्रेड (Upgrade) करने में ख़ासी परेशानी उठानी पड़ी थी। जब टेलीकॉम ऑपरेटिंग कम्पनियाँ ख़ुद को 4जी में अपग्रेड कर रही थीं तब भी एयरसेल 2जी और 3जी नेटवर्क पर ही काम कर रहा था। दरअसल एयरसेल को इस दौरान स्पेक्ट्रम (Spectrum) शुल्क (Charge) का भुगतान करने में काफी दिक्कतें आयीं थीं, क्योंकि कम्पनी पहले से ही भारी कर्जे में थी, जिसे देखते हुये कंपनी के प्रमोटर अब और पूंजी लगाने से हाथ खड़े कर चुके थे। इसके अलावा कम्पनी की इक्विटी (Equity) की तुलना में उस पर देनदारी भी कहीं ज़्यादा थी। इधर स्पेक्ट्रम (Spectrum) के अभाव और नेटवर्क के अपग्रेड न होने का सीधा असर एयरसेल के टेलीकॉम ऑपरेटर सर्विस पर पड़ा।

साल 2016 के अंत में रिलायंस (Reliance) जियो (Jio) से टक्कर लेने के लिए कम्पनियों के बीच टैरिफ वॉर शुरू हो चुका था, जिसका सीधा असर भी एयरसेल पर देखने को मिला। इस दौरान एयरसेल ने दिल्ली, मुंबई, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर में ही जद्दोजहद करती रही और अन्य सर्किलों में सिमटती चली गयी।

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कर्ज में डूबी एयरसेल-
बेशक़ एयरसेल की पॉपुलरटी जितनी तेजी से बढ़ी थी उससे कम्पनी के इस अंजाम का अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता था, लेकिन साल 2017 के आख़िर तक सब कुछ पूरी तरह क्लीयर हो गया। दरअसल उसी साल दिसम्बर महीने में यह ख़बर आयी कि एयरसेल लगभग 15,000 करोड़ रुपये के कर्ज (Loan) में आ चुकी है। यह ख़बर पूरी तरह से सच साबित हुई क्योंकि एयरसेल ने 30 जनवरी 2018 से गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित सभी घाटे के सर्किलों में अपने संचालन को बंद करने की योजना बना ली थी। जिसके बाद 28 फरवरी 2018 को एयरसेल ने एनसीएलटी (NCLT) में कम्पनी के दिवालिया (Bankrupt) हो जाने के लिए याचिका दायर कर दिया।

ईडी और सीबीआई द्वारा जाँच-
कम्पनी ने भले ही ख़ुद को दिवालिया घोषित करने के लिये अर्जी (Application) लगाई हो लेकिन कम्पनी की देनदारी और घोटाले में शामिल होने के शक़ के आधार पर भारत सरकार ने ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) पर एयरसेल की जाँच (Check) का ज़िम्मा सौंपा है। दोनों जाँच एजेंसियों ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में दिल्ली की एक अदालत (Court) में रिपोर्ट भी दाखिल की थी। दरअसल दोनों एजेंसियो के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि साल 2006 में जब कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम देश के वित्त मंत्री थे, तब उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस सौदे के लिये विदेशी निवेश संवर्धन (Conversation) बोर्ड की मंजूरी कैसे मिली। दोनों एजेंसियों का आरोप है कि पी. चिदंबरम ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए मंजूरियां दिलायी, जिससे कुछ लोगों को लाभ हुआ और बदले में उन्हें भी इसका कुछ हिस्सा मिला।

तो दोस्तों यह थी एयरसेल के अर्श से फर्श तक आने की कहानी। इसमें कोई शक़ नहीं कि एयरसेल हम सबकी यादों का हिस्सा है जिसके नेटवर्क के ज़रिये लोगों ने न जाने कितनी बातें की होंगी और न जाने कितने सुख दुःख साझा किये होंगे। उम्मीद है कि आपको यह वीडियो ज़रूर पसंद आया होगा। पोस्ट के बारे में अपनी राय कमेंट्स के ज़रिये ज़रूर बतायें। तो मिलते हैं अगले पोस्ट में ऐसे ही किसी अन्य रोचक किस्से के साथ तब तक के लिये नमस्कार।

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