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वो खिलाड़ी जो अपने करियर के अंत में बन गए विलेन

Players with Great Start but Poor End to their Careers

दोस्तों सफलता के शिखर तक पहुंचना मुश्किल है लेकिन उससे कहीं ज्यादा मुश्किल है शिखर पर बने रहना | क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसमें कब कौन जीरो से हीरो और कौन हीरो से जीरो बन जाये कहा नहीं जा सकता | इतिहास गवाह है कि इस खेल में तमाम ऐसे खिलाड़ी आये जिन्होंने अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर सफलता की बुलंदियों को छुआ लेकिन वो सफलता का बोझ संभाल नहीं पाए | बल्कि शिखर पर रहते हुए कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठे जिनके चलते वो गुमनामी को अंधेरों में खो गये |

 

वाकई कुछ ऐसे खिलाड़ी रहे जिन्होंने अपने पूरे करियर में लाज़वाब प्रर्दशन किया और अपनी एक अलग पहचान बनाई । अपने दौर में वो इतने लोकप्रिय हुए कि दुनिया भर के खेलप्रेमियों ने उन्हें भर भर के प्यार दिया | लेकिन इसके बावजूद ये खिलाड़ी अपने करियर के आखिरी दौर में इस कदर फ्लॉप रहे कि खुद खेलप्रेमियों का बहुत दुख हुआ ।

नारद टीवी के आज के एपिसोड में हम आपको कुछ ऐसे नामी खिलाड़ियों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिनके करियर की शुरूआत तो जबर्दस्त थी लेकिन कैरियर के आखिर तक आते आते उनके ऊपर फ्लॉप खिलाड़ी का ठप्पा लग गया । ये इस सीरिज का दूसरा एपिसोड है ।

ऐसे खिलाड़ी जिनमे से कुछ तो कैरियर में ऐसा भटके कि ड्रग्स से लेकर मैच फिक्सिंग तक के चंगुल में जा फंसे, तो किसी को उनका घमंड ले डूबा तो किसी की इंजरी ने उनका कैरियर डुबो दिया |

Bat-Ball
Bat-Ball

5. ब्रैंडन टेलर:

पांचवे नम्बर पर हैं जिम्बाब्वे के बेहतरीन बल्लेबाज ब्रैंडन टेलर | जिंबाब्वे क्रिकेट के अँधेरे को चीरते हुए ये एक सूरज की तरह उगे और अपने खेल की चमचमाती रौशनी से जिंबाब्वे क्रिकेट को चकाचौंध कर दिया । टेलर “फ्लावर-स्ट्रीक-कैंपबेल” युग के बाद के खिलाड़ी थे । जब वो टीम में आये तब जिम्बाब्वे टीम डूबती हुई नैया थी लेकिन उन्होंने एक कुशल कैप्टन की तरह जिम्बाब्वे की बागडोर सम्भाली ।

2015 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में टेलर का बल्ला जमकर बोला | उन्होंने अकेले दम पर पूरे टूर्नामेंट में 433 रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया | जिम्बाब्वे के लिए किसी भी विश्व कप में किसी खिलाड़ी का ये बेस्ट रिकॉर्ड था । इन्होने वन डे मैचों में कुल 11 शतक भी ठोंके हैं जो आज तक जिम्बाब्वे का कोई भी खिलाड़ी नहीं कर पाया है |

इतना ही नहीं टेलर जिम्बाब्वे के पहले और इकलौते ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने एक टेस्ट में दो मौकों पर दोनों पारियों में शतक जमाया है । जिंबाब्वे के लिए सर्वाधिक 17 सैंकड़ों का रिकॉर्ड भी इन्ही के नाम है । टेलर जिम्बाब्वे के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक माने जाते हैं । उनके रिकार्ड्स इसे सही भी साबित करते हैं |

लेकिन अपनी रिटायरमेंट के कुछ समय बाद जनवरी 2022 में टेलर ने कुछ ऐसे चौंकाने वाले राज खोले कि पूरी दुनिया के खेलप्रेमियों की नजर में ये विलेन बन बैठे | उन्होंने बताया कि वो मैच फिक्सिंग में शामिल थे | इतना बड़ा खिलाड़ी और फिक्सिंग??? एक बार को यकीन करना मुश्किल होता है |

टेलर ने बताया कि उन्हें अक्टूबर 2019 में स्पॉट फिक्सिंग के लिए संपर्क किया गया था | और हालत कुछ ऐसे बने कि वह इस ऑफर को ठुकरा नहीं कर सके । असल में ये ऑफर ऐसे समय में आया था जब जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड अपने खिलाड़ियों को लगभग छह महीने से सैलरी तक नहीं दे पाया था ।

 

टेलर ने खुलासा किया कि स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने के लिए उन्हें ब्लैकमेल किया गया | उन्हें धमकी दी गई थी कि अगर वो नहीं माने तो कोकीन लेते हुए उनकी तस्वीरें लीक कर दी जाएँगी । टेलर के पास कोई चारा नहीं बचा था | उन्होंने फिक्सिंग की जिसके बदले में उन्हें US$ 15000 मिले | उन्होंने माना कि उन्होंने ड्रग्स लिया था ।

टेलर ने यह भी स्वीकार किया कि सितंबर 2021 में जिम्बाब्वे के आयरलैंड दौरे पर अपने अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच के बाद वह ड्रग टेस्ट में फेल हो गए थे। इसके बाद आईसीसी ने टेलर को साढ़े तीन साल के लिए उनके क्रिकेट खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया था । इस घटना से न केवल जिम्बाब्वे क्रिकेट का नुकसान हुआ बल्कि पूरे खेल पर दाग लगा |

खेलप्रेमियों के भी दिल टूटे | 280 से भी ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले इस खिलाड़ी ने भी ऐसा शर्मनाक कृत्य किया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी । उनके इस खुलासे से पूरे विश्व क्रिकेट में उनकी छवि धूमिल हो गई ।

Brendan Taylor
Brendan Taylor

4. विनोद कांबली:

विनोद कांबली एक ऐसा खिलाड़ी जिसने आते ही आते अपने ताबड़तोड़ खेल से विश्व क्रिकेट में कोहराम मचा दिया था । उम्र और प्रतिभा के मामले में ये सचिन तेंदुलकर के समकक्ष ही थे | कांबली ने एक टेस्ट क्रिकेटर के रूप में अपनी पहली पांच पारियों में एक के बाद एक दोहरे शतक लगाये और उसके बाद अपनी अगली तीन पारियों में दो शतक जमाये ।

बहुत जल्दी वो सुपरस्टार बन गए थे । लेकिन कहते हैं न कि टैलेंट विदाउट हार्डवर्क एंड डिसिप्लिन इस जीरो । वो मेहनती तो थे लेकिन शायद अनुशासन से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था | उनकी अनुशासनहीनता के चलते ही बड़े उनके बल्ले से रन निकलने बंद हो गये | वो अपनी बैटिंग की बजाय ऑफ-द-फील्ड मुद्दों और कंट्रोवर्सी से घिरे दिखने लगे ।

उनकी जीरो फीट मूमेंट और शॉर्ट बॉल की कमज़ोरी उनके पतन का दूसरा कारण बनी । और फिर एक दिन वो भी आया जब एक समय के धाकड़ बल्लेबाज रहे कांबली को भारतीय टेस्ट टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया | जब उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला तब उनकी उम्र महज 23 साल की थी |

उन्होंने 55 के शानदार औसत के साथ टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया | उनके ऑफ द फील्ड घमंड और अहंकार ने उनके करियर को खत्म होने में उनकी मदद की। नतीजतन उन्हें बाहर कर दिया गया और वो फिर कभी टीम में वापसी नहीं कर सके ।

 

इस खिलाड़ी के अहम ने इसका कैरियर खा लिया | अगर वो खुद पर कण्ट्रोल कर पाते तो शायद उनका कैरियर कहीं ज्यादा लम्बा और शानदार होता | उनके पास खुद को बेहतर करने के लिए बहुत सी चीजें थीं, जैसे शॉर्ट गेंदों के खिलाफ अपनी तकनीक को ठीक करना, गति और उछाल वाली पिचों के लिए खुद को तैयार करना ।

लेकिन शायद वो खुद को एक कम्पलीट प्लेयर मान बैठे थे | सचिन ने ठीक ही कहा था कि कांबली के पास उन्हें मार्गदर्शन करने या उन्हें अनुशासित करने के लिए गाइड नहीं है। नहीं तो वह गांगुली की जगह होते और उनसे ज्यादा रिकॉर्ड हासिल करते । यही कारण था कि एक ही गुरु से कोचिंग लेने के बावजूद एक खिलाड़ी जहाँ क्रिकेट का भगवान बन गया तो दूसरा अँधेरे में गुम एक परवाना । यही वजह रही कि उनका करियर केवल 17 टैस्ट और 104 वन डे मैचों तक ही सीमित रह गया ।

Vinod Kambli
Vinod Kambli

3. मोहम्मद आसिफ:

हाल ही में केविन पीटरसन ने स्वीकार किया कि आसिफ उनके करियर में सबसे कठिन गेंदबाज थे। ऐसा कहने वाले पीटरसन अकेले नहीं हैं | हाशिम अमला, एबी डिविलियर्स जैसे धुरंधर बल्लेबाज पहले ही ये स्वीकार कर चुके हैं |

मोहम्मद आसिफ पाकिस्तान के होनहार गेंदबाजों में से एक थे | उन्होंने 2006 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था । उनकी खासियत थी बॉल को दोनों ओर स्विंग कराना । वो ए और छा गये । अपनी नागिन सी नाचती गेंदों से उन्होंने बड़े बड़े धुरंधरों को धूल चटाई | यहां तक कि क्रिकेट पंडितों ने इनकी तुलना वसीम अकरम और वकार यूनुस जैसे बालर्स से कर दी |

लेकिन वह सफलता को पचा नहीं पाए और जल्द ही क्रिकेट की विवादास्पद शख्सियतों में शामिल हो गये ।

2006 में वह अपने प्रदर्शन का स्तर बढ़ाने के लिएवो ड्रग्स लेते हुए पकड़े गये । नतीजतन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें एक साल के लिए किसी भी स्तर पर क्रिकेट खेलने से प्रतिबंधित कर दिया । इसके बावजूद वो रुके नहीं | बल्कि 2008 आईपीएल के दौरान स्टेरॉयड का उपयोग करने के चलते सुर्खियाँ में आ गये | इस वजह से उन पर दो सीज़न का प्रतिबंध लगा दिया गया था । अब तक वे क्रिकेट के बैड ब्वॉय बन चुके थे |

लेकिन इस खिलाड़ी ने तो जैसे कोई सबक न सीखने की कसम खा रखी थी | 2010 में इनको इंग्लैंड के खिलाफ मैच फिक्सिंग का दोषी पाया गया । उन्होंने पैसों के लिए एक टेस्ट में नो-बॉल फेंकी थी | इसके बाद इनके क्रिकेट खेलने पर पांच साल का बैन लगाया ही गया साथ ही एक साल की सजा भी सुनाई गई ।

2011 में आईसीसी ने इन्हें 7 साल के लिए बैन कर दिया । हालाँकि 4 साल बाद सभी प्रारूपों में फिर से खेलने की अनुमति दे दी । लेकिनं जो समय गुजर गया वो वापिस नहीं आता | मोहम्मद आसिफ नाम का सूरज दोबारा क्रिकेट जगत के फलक पर फिर कभी उग नहीं पाया |

किसी वक्त विश्व क्रिकेट में स्विंग का सुल्तान रहा ये स्टार खिलाड़ी अपने पांव पर खुद कुल्हाड़ी मारकर हीरो से विलेन में तब्दील हो गया | आसिफ ने केवल 23 टैस्ट में 103 विकेट झटके जबकि 38 वन डे और 11 टी 20 में खेले ।

Mohammad Asif
Mohammad Asif

2. हैंसी क्रोन्ये:

हैंसी क्रोन्ये दक्षिण अफ्रीका के सबसे सफल कप्तान थे । क्रोन्ये की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका 53 में से केवल 11 टेस्ट मैच हारा था । वहीं एकदिवसीय मैचों में, क्रोन्ये का 138 मैचों में जीत का प्रतिशत 73 परसेंट से भी ज्यादा था। ये खिलाड़ी न केवल बल्ले से कमाल दिखाने में माहिर था, बल्कि अक्सर गेंद से भी अहम मौकों पर बड़े विकेट झटक लिया करता था ।

इनकी बालिंग क्षमता को ऐसे समझिये कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आठ मौकों पर उन्होंने सचिन तेंदुलकर को आउट किया था | टेस्ट में 5 बार और वनडे में 3 बार | तेंदुलकर ने खुद क्रोन्ये को अब तक के सबसे कठिन गेंदबाजों में से एक बताया था ।

 

हैंसी का बेहतरीन दौर चल रहा था और फिर अप्रैल 2000 में दुनिया ने क्रोन्ये से जुड़ी पहली बड़ी दुखद खबर सुनी । जब सेंचुरियन में इंग्लैंड के खिलाफ पांचवें टेस्ट में तीन दिन पूरी तरह से धुल जाने के बाद, परिणाम स्पष्ट था कि मैच ड्रॉ रहेगा। पंरतु क्रोन्ये ने नासेर हुसैन को प्रस्ताव दिया कि इंग्लैंड अपनी एक पारी और दक्षिण अफ्रीका अपनी एक पारी घोषित कर दे ताकि एक परिणाम प्राप्त किया जा सके। दक्षिण अफ्रीका ने 8 विकेट पर 248 रन बनाकर घोषित की |

लेकिन इंग्लैंड ने दो विकेट शेष रहते मैच जीत लिया । बाद में खुलासा हुआ कि क्रोन्ये पैसे के लिए मैच को हारने के लिए तैयार हो गए थे | बस यही उनके पतन की शुरुआत थी । उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के भारत दौरे के दौरान मैच फिक्सिंग में शामिल होने की बात स्वीकार की। जिसके चलते उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि उन्हें अपने किये पर पछतावा था और वह फिर से क्रिकेट खेलने को भी तैयार थे लेकिन ऐसा सम्भव नहीं हो पाया ।

 

क्रोन्ये से जुड़ी दूसरी और सबसे विनाशकारी खबर यह थी कि अपना करियर खोने के ठीक दो साल बाद 2002 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। महज दो साल में एक महान क्रिकेट कप्तान खेल और जीवन दोनों से हाथ धो बैठा । किसी वक्त दक्षिण अफ्रीका के बेताज बादशाह रहे क्रोन्ये अचानक से एक विलेन में तब्दील हो गए और खुद और क्रिकेट के दामन पर काला दाग लगा बैठे | वे महज़ 32 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह गए। अपने करियर में उन्होंने 68 टैस्ट और 188 वन डे मैच खेले ।

HANSIE CRONJE
HANSIE CRONJE

1. डेल स्टेन:

दोस्तों इस सूची में सबसे ऊपर नाम है पूर्व दक्षिण अफ्रीकी महान तेज़ गेंदबाज डेल स्टेन का | डेल ने क्रिकेट के हर प्रारूप में अपने प्रदर्शन से अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया । स्टेन 21 वीं सदी के सबसे बेमिसाल गेंदबाजों में से एक थे। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां विदेशी गेंदबाज उपमहाद्वीप की पिचों पर संघर्ष करते थे वहीं स्टेन इन पिचों पर अपनी सनसनाती गेंदों से बल्लेबाज़ो को धराशाई कर देते |

स्टेन एक संपूर्ण तेज़ गेदबाज थे जिसके पास गति, सटीक लाइन लेंथ, स्विंग सब कुछ था । स्टेन 2008–14 तक लगातार 2343 दिन तक दुनिया के no.1 टेस्ट गेंदबाज रहे। एक समय तो ऐसा था कि वे हर मुकाबले में टीम का हिस्सा हुआ करते थे। सभी क्रिकेट पंडितो का मानना था कि एक दिन सर्वाधिक अंतर्राष्ट्रीय विकेट लेने का रिकॉर्ड स्टेन ही तोड़ेंगे लेकिन जो सोचा जाता है अक्सर वो होता नहीं |

यही डेल के साथ भी हुआ और इसकी वजह बनी उनकी चोटें । स्टेन का करियर चोटों से बहुत ज्यादा प्रभावित रहा | जब वो अपने कैरियर के सुनहरे दौर में थे तभी उन्हें कंधे की चोट लगी जो आगे भी बार बार उभरती रही । उन्होंने वापसी तो की लेकिन फिर कभी दुनिया को डेल स्टेन की स्टेन गन देखने को नहीं मिली ।

जब वे अपने करियर के अन्तिम दौर में आए तो उनका वो पुराना रौद्र रूप उनसे कहीं खो चुका था । किसी वक्त बल्लेबाजों को एक एक रन के लिए तरसाने वाले स्टेन अब खुद विकेट के लिए तरसने लगे । विश्व कप के हाई वोल्टेज मुकाबले में 7 रन डिफेंड कर लेने वाले स्टेन अब पीएसएल, बीबीएल जैसी लीग में एक एक ओवर में 15–20 रन खाते दिखने लगे ।

किसी वक्त अपनी एक्सप्रैस पेस,और सटीक यॉर्कर,लाज़वाब स्विंग के लिए स्टेन गन के नाम से जाने गए स्टेन अंत में डॉट बॉल को भी तरसे । उनके फैन्स के लिए उन्हें इस हालत में देखना काफ़ी दुखद रहा । माना कि उनके जैसा दिग्गज गेंदबाज का आना अब असंभव है । लेकिन ये भी सच है कि उनके करियर का अंत एक गली क्रिकेटर से भी बदतर रहा ।

17 साल लम्बे करियर में 93 टेस्ट, 125 वन डे और 47 टी 20 खेल स्टेन ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया।

Dale Steyn
Dale Steyn
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