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मनोज तिवारी:आखिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्यों नहीं चमक पाया ये होनहार क्रिकेटर

दोस्तों कहा जाता है, क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है यहा Prediction फेल है। फिर चाहे वह  Prediction  किसी मैच की हार जीत पर हो या किसी खिलाड़ी के क्रिकेटिंग करियर पर, दोनों ही दशाओं में क्रिकेट खेल अपने अंदर अपार अनिश्चितताओं को समेटे हुए हैं।

और इसी सिलसिले में हम आज आपसे बात करने जा रहे हैं उस भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी की जिसका क्रिकेट सफर यूं तो अनिश्चितताओं की असीमित आशाओं पर निर्भर होकर चलता रहा परंतु इस सफर का अंत मात्र और मात्र अवसर की आशा बनकर ही रह गया।

जी हां दोस्तों अब तक तो आप लोग समझ ही गए होंगे कि हम आज आपसे बात करने जा रहे हैं भारतीय क्रिकेट के भूले बिसरे सितारे मनोज तिवारी की।

दोस्तों मनोज तिवारी का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सफर भले ही सफलताओं के पर्वत पर परचम लहराने में नाकाम रहा परंतु उनके नाम के आगे जुड़ी कुछ उपलब्धियां अपने दृढ़  अस्तित्व के साथ इतिहास में सदा के लिए गुंजायमान रहेंगी।

Indian Cricketer Manoj Tiwary

दोस्तों मनोज तिवारी का नाम उन चुनिंदा घरेलू क्रिकेटर्स में शामिल है जिनके नाम के आगे नाबाद 300 रन का आंकड़ा जुड़ता है।

मनोज तिवारी के शुरुआती क्रिकेटिंग करियर में उनके  अद्भुत स्ट्रोक plays को देखते हुए उन्हें भारतीय क्रिकेट का केविन पीटरसन तक कहा जाने लगा था।

दोस्तों बंगाल के इस प्रसिद्ध खिलाड़ी के नाम केवल एक अंतरराष्ट्रीय शतक शामिल हैं जो कि वेस्टइंडीज के खिलाफ बेहद ही कठिन परिस्थितियों में आया था।

दोस्तों यूं तो मनोज तिवारी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं। और वर्तमान समय में बंगाल विधानसभा का चुनाव तृणमूल कांग्रेस की ओर से जीतकर चुनावी पारी का आगाज कर रहे हैं। लेकिन आज हम आपके सामने इस भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी का सफरनामा शुरू से वर्तमान तक साझा करेंगे।

मनोज तिवारी का शुरुआती जीवन-

दोस्तों मनोज तिवारी की कहानी शुरू होती है 14 नवंबर साल 1985 को जब उनका जन्म हावड़ा वेस्ट बंगाल में हुआ। मनोज तिवारी के पिता का नाम चंद्र देव तिवारी और मां का नाम ललिता देवी है।

Manoj Tiwary With His Mothor

कब चढ़ा क्रिकेट खेलने का जुनून-

बचपन में अपने क्रिकेट खेल की शुरुआत तिवारी ने बंगाल के दिग्गज क्रिकेटर सौरव गांगुली को देखकर की और बाद में उनके क्रिकेटिंग आदर्शों की सूची में युवराज सिंह भी जुड़ गए। क्रिकेट के प्रति जुनून और अपने सार्थक प्रयासों के संबल मिश्रण से मनोज तिवारी साल 2004 में भारतीय घरेलू क्रिकेट की दहलीज में अपना पैर जमाने में कामयाब रहे।

घरेलू क्रिकेट में मनोज तिवारी ने अपना पदार्पण बंगाल की टीम से किया और जल्द ही अपने करिश्माई प्रदर्शन के चलते वह बंगाल क्रिकेट के पोस्टर बॉय बन गए। अगर बात करें मनोज तिवारी के घरेलू क्रिकेट आंकड़ों की तो उन्होंने 119 प्रथम श्रेणी व 163 लिस्ट ए मैच खेले हैं जिनमें उनके रन क्रमशाह 8752 व 5466 रहे।

गौर करने वाली बात यह है कि मनोज तिवारी का प्रथम श्रेणी मैचों में बैटिंग एवरेज 51.78 का रहा। घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छे प्रदर्शन के चलते आखिरकार भारतीय चयन समिति की नजर इस दाहिने हाथ के आक्रामक बल्लेबाज पर पड़ ही गई।

चयनकर्ता मनोज तिवारी की आक्रामक बल्लेबाजी और उनके द्वारा घरेलू क्रिकेट में बड़े-बड़े स्कोर खड़े करने की क्षमता से खासे प्रभावित हुए।  2007 के विश्व कप में भारतीय टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद जब बांग्लादेश दौरे के लिए टीम इंडिया का अनाउंसमेंट हुआ तब टीम के कुछ सीनियर प्लेयर्स ने अपना नाम वापस ले लिया जिसमें सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर का नाम भी शामिल था ।

और इसी अवसर का लाभ मनोज तिवारी को हुआ और वे,  बांग्लादेश दौरे के लिए टीम में अपना नाम स्थापित करने में कामयाब हुए। हालांकि अभ्यास सत्र में मनोज तिवारी इंजर्ड हो गए और अपनी चोट के चलते हुए इस दौरे में टीम में जगह नहीं बना पाए।

टीम इंडिया में मनोज तिवारी को अगले मौके का ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा और साल 2007-8 कि कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका नाम फिर एक बार टीम इंडिया के साथ जुड़ गया।

जब खराब प्रदर्शन के कारण मिली आलोचना-

अपने डेब्यू एकदिवसीय मैच में मनोज तिवारी का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक रहा , उनके पास ब्रेट ली जैसे गेंदबाजों की आग उगलती गेदो का कोई जवाब ना था। इस मैच में मनोज तिवारी ने 16 गेंदों पर महज़ 2 रनों का योगदान भारतीय टीम को दिया।

हालांकि यह मैच बाद में बारिश के कारण रद्द हो गया था। परंतु इस मैच में तिवारी के लचर प्रदर्शन के खिलाफ भारतीय क्रिकेट विशेषज्ञों के स्वर गूंजने लगे थे।

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ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने  असंतोषजनक प्रदर्शन के चलते मनोज तिवारी को टीम इंडिया में वापसी के लिए 4 साल लगे । साल 2011 में जब युवराज सिंह अपने कैंसर के इलाज के चलते मैदान से बाहर चल रहे थे, तब उनकी जगह वेस्टइंडीज के भारत दौरे के लिए टीम में मनोज तिवारी का नाम जोड़ा गया ।

हालांकि इस सीरीज में मनोज तिवारी को पूरा मौका नहीं दिया गया उन्हें केवल चौथे और पांचवें एकदिवसीय मैच में ही प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया। इसके बाद मनोज तिवारी का सिलेक्शन इंग्लैंड दौरे के लिए भी हो गया जहां उन्हें आखिरी मैच में।    अंतिम-11 में मौका मिला और वहां उन्होंने मात्र 24 रनों का योगदान अपनी टीम को सौंपा।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मनोज तिवारी का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक होता जा रहा था । उन्हें जिस ख्याति के बलबूते टीम इंडिया में जगह दी गई थी, वे उन मापदंडों पर बिल्कुल भी खरे नहीं उतर पा रहे थे। घरेलू क्रिकेट में उन्हें भारतीय क्रिकेट का केविन पीटरसन का तमगा दे दिया गया था । परंतु वास्तव में उनका प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस तमगे के आसपास भी नहीं था।

लेकिन जल्द ही मनोज तिवारी के क्रिकेटिंग करियर में वह मौका भी आया जब उन्होंने अपने प्रदर्शन के बल पर सभी आलोचनाओं का जवाब दे डाला। दरअसल यह बात वेस्टइंडीज के भारत दौरे की है जब पांचवें एकदिवसीय मैच में चेन्नई के मैदान पर मनोज तिवारी को टीम में जगह दी गई। भारतीय टीम की शुरूआत 1 रन पर दो विकेट से हुई ।

नहीं मिला भारतीय टेस्ट कैप पहनने का सौभाग्य-

और इसके बाद मैदान पर आए मनोज तिवारी।  इस मैच में मनोज तिवारी ने नाबाद 104 रन मारे और इंजरी के चलते उन्हें रिटायर्ड हर्ट होकर मैदान से बाहर जाना पड़ा आखिरकार मनोज तिवारी की पारी के बदौलत भारतीय टीम ने वह मैच 34 रनों से अपने नाम किया। और इस मैच में मनोज तिवारी मैन ऑफ द मैच का अवार्ड भी अपने नाम करने में कामयाब रहे।

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हालांकि इस प्रदर्शन के बावजूद भी भारतीय एकदिवसीय टीम से मनोज तिवारी के अंदर बाहर होने का सिलसिला चलता रहा। दोस्तों अब अगर हम बात करें मनोज तिवारी के t20 अंतरराष्ट्रीय करियर की, तो t20i मैच में उनका डेब्यू साल 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ हुआ अपने डेब्यू T20 अंतरराष्ट्रीय मैच में मनोज तिवारी ने अपने खाते में महज 15 रन ही जोड़े।

दोस्तों यदि मनोज तिवारी के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटिंग सफर को आपके सामने बेहद संक्षिप्त रूप में रखा जाए तो वह कुछ इस प्रकार है कि मनोज तिवारी ने अपने करियर में कुल 12 अंतर्राष्ट्रीय एकदिवसीय मैच खेले जहां उनके रन केवल 287 रहे। वहीं उनके नाम 5 विकेट भी शामिल रहे ।

और अपने द्वारा खेले गए कुल 3 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनके नाम केवल 15 रन ही शामिल है। गौरतलब हो कि मनोज तिवारी को भारतीय टेस्ट कैप पहनने का सौभाग्य उनके करियर में कभी नहीं मिला।

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मनोज तिवारी का आई पी एल सफर-

दोस्तों अगर बात करें मनोज तिवारी के आईपीएल सफर की तो उनके आईपीएल करियर में उनका नाम कई टीमों के साथ जुड़ा ‌। आईपीएल के पहले सीजन में तिवारी, दिल्ली डेयरडेविल्स की squad का हिस्सा रहे।

वहीं बाद में वे क्रमशाह  केकेआर , राइजिंग पुणे सुपर्जायंट्स और किंग्स इलेवन पंजाब का हिस्सा रहे। अपने पूरे आईपीएल करियर में मनोज तिवारी ने कुल 98 मैचों में अपना प्रतिनिधित्व किया और 1695 रनों का आंकड़ा अपने नाम के आगे स्थापित किया। इस दौरान उनका सर्वाधिक स्कोर 75 रनों का रहा।

भले ही मनोज तिवारी का अंतरराष्ट्रीय और आईपीएल सफर आकर्षित करने वाला नहीं रहा । परंतु घरेलू प्रदर्शन और आईपीएल के जरिए उनकी कुछ लोकप्रियता हमेशा भारतीय क्रिकेट जगत में बनी रही।

निजी जिंदगी –

अब अगर बात करें मनोज तिवारी के निजी जीवन की तो उनकी शादी साल 2013 में उनकी गर्लफ्रेंड सुष्मिता रॉय से एक लंबे अफेयर के बाद , हुई।

Cricketer Manoj Tiwary Join TMC

और फिलहाल क्रिकेट से दूरी बना लेने के बाद मनोज तिवारी अपनी राजनीतिक पारी का आगाज कर रहे हैं और इसी साल बंगाल विधानसभा चुनाव में शिवपुर सीट से जीतकर वह राजनेता के तौर पर अपने नए सफर का आगाज कर रहे हैं।

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