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मिलिंद गुनाजी: नब्बे के दशक के हैंडसम खलनायक

एक दौर ऐसा भी था जब हिंदी फिल्मों के नायक यानि हीरो को बेहतर अभिनेता होने के साथ-साथ एक विशेष व्यक्तित्व का मालिक भी होना पड़ता था। ज़रा भी अलग या कम दिखने वाले किसी अभिनेता को कोई फिल्मकार अगर एक मौक़ा दे भी देता तो दर्शक उसे बतौर हीरो स्वीकार नहीं कर पाते थे। ऐसे में वे ऐक्टर या तो चरित्र या हास्य भूमिकाओं को अपना लेते थे या नकारात्मक किरदारों तक ही सिमट कर रह जाते थे। दक्षिण से आये ढेरों ऐसे अभिनेताओं के उदाहरण आपको मिल जायेंगे जो वहाँ के सुपरस्टार होने के बावज़ूद हिंदी फिल्मों में सफल न हो सके। जिसकी सबसे बड़ी वज़ह थी दोनों जगहों के नायकों का व्यक्तित्व एक दुसरे से एकदम अलग होना जिसे हिंदी दर्शक स्वीकार ही नहीं कर पाते थे। अलग व्यक्तित्व वाले कई मंजे हुये हिंदी फिल्मों के अभिनेता भी नायक बनने की ऐसी नाकाम कोशिश कर चुके हैं लेकिन वे भी नायक की बजाय खलनायक यानि नकारात्मक किरदारों में ही ज़्यादा सफल हुए। ऐसे ही एक दमदार अभिनेता हैं जिनको उनकी सकारात्मक भुमिकाओं से कहीं ज़्यादा उनकी नकारात्मक भूमिकाओं के लिये याद किया जाता है और उस अभिनेता का नाम है ‘मिलिंद गुनाजी’ जिन्होंने 90 के दशक से लेकर आज तक हर किरदार में  अपने सधे हुये अभिनय से दर्शकों का दिल जीता है।

मिलिंद गुनाजी का प्रारंभिक जीवन

मिलिंग गुनाजी जी का जन्म 23 जुलाई 1961 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। मिलिंद के पिताजी कर्नाटक के बेलगाम से थे और माँ गोवा की रहने वाली थीं। बाद में मिलिंद के माता-पिता महाराष्ट्र से गोवा  शिफ्ट हो गये जहाँ मिलिंद का काफी वक़्त बीता। गोवा में कुछ वर्ष गुज़ारने के  बाद उनके माता-पिता मुंबई शिफ्ट हो गये। बेलगाम, गोवा और मुंबई की संस्कृति में पले बढ़े मिलिंद पढ़ाई  के साथ साथ खेल कूद में भी होनहार थे।

किस घटना ने ख़त्म किया स्पोर्ट्स करियर

दोस्तों बहुत से लोगों को यह नहीं पता होगा कि मिलिंद पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर भी रह चुके हैं। फिर भी वे एक्टिंग की फील्ड में कैसे आ गए यह कहानी भी बहुत ही दिलचस्प है। मिलिंद क्रिकेट और बैडमिंटन के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे लेकिन एक दुर्घटना की वजह से उनका स्पोर्ट्स करियर खत्म हो गया वरना वे शायद खेल जगत में ही अपना करियर बनाते। बहरहाल उनकी अच्छी पर्सनेलिटी को देखते हुये दोस्तों ने उन्हें मॉडलिंग की सलाह दी तो उन्हें लगा कि कोशिश करते हैं। इसके लिये उनके घर से भी उन्हें इजाज़त मिल गयी। इस काम के लिये मिलिंद को ख़ास संघर्ष नहीं करना पड़ा। उन्होंने मुंबई के मशहूर फोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष जी से अपनी कुछ फोटोज़ खिंचवायीं और संघर्ष शुरू किया। इसे उनकी किस्मत कहिये या उनके व्यक्तित्व का जादू कि दो दिन बाद ही उन्हें डीजीएम सूटिंग के विज्ञापन का प्रस्ताव आ गया। उसके पहले इस विज्ञापन के मॉडल शेखर कपूर जी हुआ करते थे। वही शेखर कपूर जो मिस्टर इंडिया और बैंडित क्वीन जैसी फिल्मों के निर्देशक के तौर भी जाने जाते हैं।

किस डायरेक्टर ने दिया पहला ब्रेक ?

बहरहाल तकरीबन पांच साल तक मिलिंद डी जी एम सूटिंग के एक्सक्लूसिव ब्रांड एम्बेसेडर रहे साथ ही कुछ अन्य विज्ञापनों में भी नज़र आये। विज्ञापन  में मिलिंद को देखकर निर्देशक गोविंद निहलानी जी ने उन्हें अपनी फिल्म ‘द्रोहकाल’ के लिए प्रस्ताव दिया। उन्होंने मिलिंद से कहा कि इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और ओमपुरी जैसे कलाकार हैं जिनके साथ तुम्हारे लिए भी एक रोल है। मिलिंद ने थोड़ा झिझकते हुए  कहा कि उन्होंने पहले कभी एक्टिंग नहीं की है तो गोविन्द निहलानी जी ने उन्हें अभिनय सीखने के लिये रंगमंच के दिग्गज कलाकार और गुरु सत्यदेव दुबे जी के पास भेज दिया और साथ ही खुद भी ट्रेनिंग देने लगे। इसी बीच मिलिंद को एक और फिल्म मिली जिसका नाम था ‘पपिहा’ और साथ ही कुछ मराठी धारावाहिकों में काम की भी बात हुई। वर्ष 1993 में मिलिंद गुनाजी की यही फिल्म पहले प्रदर्शित हुई और द्रोहकाल वर्ष 1994 में।

Milind Gunaji

द्रोहकाल के बाद मिलिंद को दो और फिल्में मिली ‘कुरुक्षेत्र’ और ‘फ़रेब’। वर्ष 1996 में प्रदर्शित फिल्म ‘फ़रेब’ में मिलिंद की ऐक्टिंग हर किसी को बहुत पसंद आयी, इस फिल्म में वे एक नकारात्मक भुमिका में नजर आए थे। इस फिल्म के लिये उन्हें बेस्ट निगेटव रोल के लिए फिल्म फेयर की ओर से नॉमिनेशन भी मिला। इस फिल्म के बाद तो फिर कभी मिलिंद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस फिल्म के बाद मिलिंद एक से बढ़कर एक फिल्मों का न सिर्फ हिस्सा बने बल्कि हर फिल्म में उन्होंने अपने अभिनय की छाप भी छोड़ी। फिर चाहे वो जया बच्चन जी की फिल्म ‘हजार चौरासी की माँँ’ हो, चाहे अनिल कपूर की ‘विरासत’ हो, या गोविंदा की ‘जिस देश में गंगा रहता है’ हो। हर फिल्म में मिलिंद के काम को दर्शकों के साथ-साथ आलोचकों की भी सराहना मिली। यहाँ हम आपको याद दिला दें कि वर्ष 1997 में प्रदर्शित फिल्म विरासत के लिये भी मिलिंद को बेस्ट विलेन के लिये फिल्म फेेेेयर की ओर से नॉमिनेट किया गया था।

नेगेटिव रोल के बाद क्यों किया कॉमेडी रोल ?

वो फिल्म जिसमें उन्हें सबसे अधिक नोटिस किया गया वह थी वर्ष 2002 में प्रदर्शित संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘देवदास’, इस फिल्म में कालीबाबू के छोटे से रोल में भी उन्हें दर्शक कभी भुला न सके। तमाम नकारात्मक भूमिकाओं में अपनी एक अलग पहचान बनाने के साथ-साथ मिलिंद ‘फिर हेरा फेरी’ और ‘खट्टा मीठा’ जैसी कॉमेडी फिल्मों में भी नज़र आये।

दोस्तों मिलिंद गुनाजी ने अपने करियर में लगभग हर तरह की भूमिकाएं निभाई हैं चाहे वो गंभीर भूमिका हो या कॉमेडी हो, या नकारात्मक। ज़ोर, ज़ुल्मी, गॉडमदर, आन, एल ओ सी करगिल,  द गाजी अटैक, ऑक्सीजन, रेस 3 और पानीपत आदि ढेरों फिल्मों के अलावा वे सुशांत सिंह राजपूत की आख़िरी फिल्म दिल बेचारा में भी नजर आए। दोस्तों मिलिंद अब तक 250 के क़रीब फिल्मों में काम कर चुके हैं जिनमें हिंदी के साथ-साथ मराठी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, पंजाबी सहित देश की लगभग सभी भाषाओं की फिल्में शामिल हैं।

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फिल्मों के अलावा मिलिंद ढेरों टीवी शोज में भी नजर आ चुके हैंं।  ब्योमकेश बक्शी, वीर शिवाजी, हमने ली है शपथ और सीआइडी जैसे कई हिंदी और मराठी धारावाहिकों के साथ-साथ वर्ष 2006 में प्रदर्शित धारावाहिक ‘धरती के वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान’ में भी वे दमदार भुमिका में नज़र आये।

दोस्तों मिलिंद का अपना एक प्रोडक्शन हाऊस भी है। जिसके तहत समय समय पर वे टेलीविज़न के लिये विभिन्न शोज़ बनाते रहते हैं।

 मिलिंद ने मराठी भाषा में बने कई सफल यात्रा गाइड शो के लिये बतौर सूत्रधार भी काम किया है। इसके अलावा ‘महाराष्ट्र सरकार के फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट का ब्रांड एम्बेसेडर’ होना भी मिलिंद की एक बड़ी उपलब्धी है। मिलिंद को ‘हिल स्टेशन महाबलेश्वर का भी ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है।

दोस्तों मिलिंद गुणाजी एक अभिनेता, मॉडल, टेलीविज़न शो होस्ट के साथ-साथ एक लेखक के रूप में भी सक्रिय हैं। वर्ष 1998 में वे मराठी पत्र ‘लोकप्रभा’ के लिए एक साप्ताहिक कॉलम लिखा करते थे। मराठी भाषा में ‘अनुवट’ नाम से उनकी लिखी एक किताब भी आ चुकी है। जिसमें महाराष्ट्र और गोवा के सुदूर क्षेत्रों के बारे में जानकारी बतायी गयी है।

मिलिंद गुनाजी का परिवार

मिलिंद के पारिवारिक जीवन की बात करें तो तो उनकी पत्नी रानी गुनाजी एक मराठी अभिनेत्री व सूत्रधार हैं।

इनके एक बेटे हैं जिनका नाम है अभिषेक गुनाजी। अभिषेक को भी अभिनय और निर्देशन में रुचि है। और वे इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिये संघर्षरत हैं।

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Prabhath Shanker

Bollywood Content Writer For Naarad TV

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