CricketSports

Top 5 Most Unlucky Indian Crickters : इनसे बदनसीब कोई नहीं

Top 5 Most Unlucky Indian Crickters
Top 5 Most Unlucky Indian Crickters

Crickters : दोस्तों क्रिकेट में जितना महत्त्व फ़िटनेस, फ़ॉर्म और खेल भावना का है, उतना ही महत्त्व लक यानी भाग्य का भी है। लक की कीमत अगर कोई दक्षिण अफ्रीका की टीम से पूछे तो समझ जाएगा कि एक टीम में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज, गेंदबाज़, बढ़िया फील्डिंग ही काफी नहीं,बड़े बड़े टूर्नामेंट जीतने में थोड़ा साथ तो मुकद्दर का भी चाहिए होता है। वैसे तो विश्व की सबसे बदनसीब टीम दक्षिण अफ्रीका को ही माना जाता है। लेकिन सिर्फ़ टीमें ही बदनसीब नहीं होती। क्रिकेट इतिहास में ऐसे कई खिलाड़ी आए जिनके पास टैलेंट की न ही कोई कमी थी,और ना ही प्रतिभा का अभाव। अपने दम पर वे भारतीय टीम को मैच जीता दिया करते थे। पर वे चयनकर्ताओं और टीम से वो समर्थन के लिए तरसते रहे जो किसी भी खिलाड़ी के लिए ज़रूरी होता है। महान खिलाड़ी कहलवाने का वे भी पूरा हक रखते थे, और उनके करियर का ट्रेलर काफ़ी हिट था,लेकिन दुर्भाग्यवश न ही तो उन्हें पर्याप्त मौके मिले,और ना ही टीम से अधिक बैकिंग जिससे उनके करियर की पिक्चर फ्लॉप हो गई।

मनोज तिवारी – इंडियन क्रिकेटर

5. मनोज तिवारी: मनोज तिवारी को एक समय पर भारत का केविन पीटरसन कहा जाता था। कारण था उनका घरेलू क्रिकेट में बेहद ऊंचा कद और कमाल का स्ट्रोकप्ले। उनका प्रथम श्रेणी करियर का औसत 50 का है। लगातार घरेलू स्तर पर कमाल करने के बावजूद जब भारतीय टीम में उन्हें खेलने का मौका मिला तो वे शुरुआत में ज़्यादा कुछ कर नहीं पाए।और उन्हें काफ़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लेकिन फिर उन्होंने सभी आलोचनाओं का जवाब अपने परफॉर्मेंस से देना शुरु किया। पहले 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ़ 104* की पारी खेली जब भारत 1–2 के स्कोर पर था।लेकिन शतक लगाने के बाद भी उन्हें लगातार 14 मुकाबलों तक बैंच पर बिठाए रखा। हालांकि उसके बाद उन्होंने वापसी बतौर ऑलराउंडर की थी और अपना बढ़िया फॉर्म जारी रखते हुए श्रीलंका के खिलाफ़ 4 विकेट भी लिए, साथ ही बल्ले से उपयोगी 21 रन भी बनाए। युवराज सिंह के स्थान पर टीम में शामिल करने का फैसला,अब सही साबित होने ही लगा था। हालांकि उनका चयन तो 2012 की कॉमनवेल्थ सीरिज और एशिया कप में भी हुआ लेकिन प्लेइंग 11 में मौका कभी नहीं मिला और देखते ही देखते ये नायाब हीरा अंतरराष्ट्रीय स्तर से ओझल हो गया। हालांकि उन्होंने घरेलू क्रिकेट में अभी भी अपना जोहर दिखाना जारी रखा और 2020 में नाबाद 303 रन भी बनाए। मनोज का भविष्य काफ़ी उज्जवल हो सकता था, लेकिन इससे बड़ी दुःख की बात और क्या हो सकती है कि जिस समय उन्होंने बढ़िया प्रदर्शन करना शुरू किया, उसी वक्त उन्हें मौके मिलने बंद हो गए और टीम से बाहर कर दिया गया। यदि इस प्रतिभावान खिलाड़ी को कप्तान –टीम प्रबंधन की बैकिंग पर्याप्त मौके मिले होते तो मनोज वो महान हरफनमौला खिलाड़ी हो सकते थे जो नंबर 4–5 पर बल्लेबाज़ी के साथ उपयोगी गेंदबाजी करते। युवराज सिंह, सुरेश रैना के बाद भारत को ऐसे ही खिलाड़ी की कमी काफ़ी खलती है।लेकिन उन्हें कभी अपना टैलेंट दुनिया को दिखाने के लिए वो प्लेटफॉर्म ही नहीं मिला।और ना ही भारतीय टीम में कभी वापसी मौका। फिलहाल वे बंगाल के खेल मंत्री हैं और घरेलू क्रिकेट में अपना जलवा बिखेर रहे हैं।

इन्हें भी पढ़े …..
क्यों कराई गयी इन खिलाड़ियों से जबरदस्ती विकेटकीपिंग

Irfan Pathan Indian Cricketers
इरफ़ान पठान – इंडियन क्रिकेटर

4.इरफ़ान पठान : इरफ़ान को केवल 19 वर्ष की आयु में ही भारतीय टीम से खेलने का मौका मिल गया था।और उन्होंने मौके का पूरा फ़ायदा उठाते हुए लगातार शानदार गेंदबाजी की। यही कारण था कि उनमें अगला वसीम अकरम देखा जाने लगा था। स्विंग के सुलतान के नाम से मशहूर इरफान 2006 में टेस्ट मैच के पहले ही ओवर में हैट्रिक लेने वाले पहले खिलाड़ी भी बने थे। उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी धारदार स्विंग गेंदबाजी थी। हालांकि वे बल्ले से भी उपयोगी रन बनाने में सक्षम थे। लेकिन उनके करियर का ट्रैक उस वक्त बिगड़ने लगा जब अगला कपिल देव बनाने के चक्कर में,कोच चैपल ने गेंदबाजी से ज़्यादा उनकी बल्लेबाज़ी पर काम करना शुरू किया। इससे भले ही उनकी बल्लेबाज़ी में निखार आया हो, लेकिन उनकी गेंदबाजी में धार कम हो गई। मात्र 24 की आयु में इरफान ने आखरी बार टेस्ट मैच खेला। कई बार गेंदबाजी में ओपन करने वाले इरफ़ान को ये मौक़ा बल्लेबाज़ी में भी मिला। भले ही उनके पास अब गेंद को स्विंग कराने की वो नैचुरल कला नहीं रही थी, जिसके लिए वे टीम में आए थे, लेकिन ऐसा नहीं था कि इरफ़ान की गेंदबाजी बिल्कुल खत्म हो गई थी। वे अभी भी मुश्किल परिस्थितियों में विकेट निकालने में माहिर थे। मात्र 27 की आयु में अपना आखरी अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबले में वे ओडीआई में 5 विकेट लेकर मैन ऑफ़ द मैच बने। लेकिन ना जानें क्यों,ना ही उन्हें न ही कप्तान–कोच का साथ मिला, और न ही दोबारा कभी टीम में स्थान।बिना कुछ कहे उन्हें ड्रॉप कर दिया गया, और देखते ही देखते उनके साथ किए गए कई एक्सपेरिमेंट के परिणाम स्वरूप उनका करियर काफ़ी जल्दी ख़त्म हो गया। अपने सन्यास की घोषणा के दौरान भी उनका ये दर्द छलका, जहां उन्होंने और मैच खेलने की इच्छा,और मौके ना मिलने पर दुःख प्रगट किया था। वे अपने विकेटों की संख्या 500–600 तक ले जाना चाहते थे। लेकिन अफ़सोस, उनका ये ख़्वाब सच न हो सका।और न ही भारत को अगला कपिल देव मिल पाया, और न ही वसीम अकरम। कहीं न कहीं एक ऑलराउंडर बनने की चाह ने ही उनका करियर खत्म कर दिया। इरफान ने भारत के लिए 29 टेस्ट,120 एकदिवसीय और 24 टी 20 खेले।

Pragyan Ojha Unlucky Cricketers
प्रज्ञान ओझा – इंडियन क्रिकेटर

3. प्रज्ञान ओझा : वैसे तो 2013 में सचिन तेंदुलकर ने अपना आखरी मैच खेला था।लेकिन उनके अलावा एक और खिलाड़ी के भी करियर का वह आखरी मैच था। और ये किसने सोचा था कि वो खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि वहां रहा मैन ऑफ़ द मैच ही होगा। ये खिलाड़ी थे प्रज्ञान ओझा, जिन्हें कभी दोबारा खिलाया ही नहीं गया।प्रज्ञान ओझा एक ऐसे खिलाड़ी थे जिनके पास लाइन लेंथ में कमाल का नियंत्रण तो था ही,साथ ही उनका अतिरिक्त उछाल भी काफ़ी बल्लेबाज़ों को परेशान करता।अपने पहले ही टी 20 मुकाबले में 4 विकेट लेकर मैन ऑफ़ द मैच रहे ओझा का प्रदर्शन आज भी किसी टी 20 पदार्पण का सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मेंस है। वहीं 2010 के आईपीएल में उन्होंने पर्पल कैप भी जीती थी। अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके ओझा को देखकर एक समय तो उनका स्थान टीम में पक्का लगा।लेकिन भारत को एक हरफनमौला खिलाड़ी की दरकार थी जो जड़ेजा के आने से पूरी हुई और ओझा को टीम से बाहर निकाल दिया गया। यहां से उनका टेस्ट कैरियर शुरू हुआ।में चोटिल अमित मिश्रा के स्थान पर खेलने वाले ओझा ने 2 मुकाबलों में 9 विकेट लिए थे।एशिया की पिचों पर अपनी फिरकी का जादू बिखेरने वाले ओझा को धोनी का समर्थन और लगातार टेस्ट में मौके मिलने लगे और वे कसौटी पर खरे उतरे,और उन्होंने कई यादगार स्पैल किए।जैसे इंग्लैंड के खिलाफ़ 9 विकेट।और उनका सबसे यादगार प्रदर्शन रहा 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ़ जहां ओझा को 10 विकेट मिले और वे मैन ऑफ़ द मैच बने। उन्होंने भारत के लिए तीसरे सबसे तेज़ 100 टेस्ट विकेट भी लिए थे।लेकिन इसके बाद मानो चयनकर्ताओं ने ओझा को भुला दिया।और टीम का सपोर्ट भी मानो कहीं गायब हो गया।कौन जानता था कि अब इस खिलाड़ी का करियर खत्म हो गया। कभी इल्लीगल एक्शन के चलते बैन तो कभी गांगुली के साथ विवाद,जिसने उन्हें अंदर से तोड़कर रख दिया।अब आईपीएल में भी उन्हें सिर्फ बेंच पर बिठाया जाता।लेकिन इसके बावजूद उन्होंने घरेलू क्रिकेट में जबरदस्त वापसी की।और कई साल तक अच्छा किया।मगर जड़ेजा,अश्विन, अक्षर पटेल,चहल और अन्य स्पिन गेंदबाजों के टीम में चलते उनका करियर खत्म कर दिया गया।और मात्र 34 की आयु में उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया।अपने 12 साल के करियर में ओझा को मात्र 24 टेस्ट,18 ओडीआई,और 6टी 20 में मौका मिला।

अंबाती रायडू – इंडियन क्रिकेटर

2. अंबाती रायडू : भारतीय क्रिकेट टीम में, सीमित ओवरों में चौथे स्थान पर किस खिलाड़ी को खिलाया जाए…! यह समस्या कोई नई नहीं है। और पिछले कई सालों से सिर्फ़ एक्सपेरिमेंट का ही दौर देखने को मिला। कभी रैना, युवराज, धोनी से सुसज्जित रही मजबूत मिडिल ऑर्डर में आज भी नंबर 4 की समस्या ज़ारी है।लेकिन एक समय ऐसा लगने लगा था कि ये समस्या एक सही दावेदार मिलने से हल हो गई है। जो थे अंबाती रायडू। जिन्होंने जूनियर लेवल से ही लाजवाब प्रदर्शन किया और सुर्खियां बटोरी। हालांकि इंडियन क्रिकेट लीग खेलने के कारण उनपर बन लगा दिया गया को कि 2009 में हटा दिया गया।4 साल बाद पदार्पण कर उन्होंने 63 रन बनाए। जिसकी बदौलत आगे वे विश्व कप का भी हिस्सा रहे।लेकिन नंबर 4 पर शानदार बल्लेबाजी करने के बावजूद उन्हें 2015 विश्व कप में एक भी मैच ना खिलाया गया।बार बार टीम में अंदर बाहर होने वाले रायडू ने निरंतर रन बनाए। 2018 में ऐसा लगने लगा था कि अब वे टीम में परमानेंट स्थान पर होंगे, लेकिन चयनकर्ताओं ने उनके साथ 2019 विश्व कप के चयन में वो भद्दा मज़ाक किया जिसके बाद गुस्से में रायडू ने संन्यास ले लिया।जब उनकी जगह 3D खिलाड़ी विजय शंकर को वर्ल्ड कप टीम में लिया गया। हालांकि बाद में रायडू रिटायरमेंट से वापिस आकर कुछ मैच खेले।लेकिन दोबारा टीम में उन्हें कभी मौका नहीं मिला। बड़े बड़े दिग्गज क्रिकेटरों का भी ये मानना है कि रायडू भारतीय टीम का सबसे बड़ा वेस्टेड टैलेंट थे। जिन्हें कभी वो समय, वो विश्वास और गेमटाइम दिया ही नहीं गया। जिसके कारण वे कई विवादों में भी घिरे रहे।जो भारत का एक महान खिलाड़ी हो सकता था, उस खिलाड़ी का करियर महज़ मैनेजमैंट के कई ब्लंडर के चलते कुछ ही समय में खत्म कर दिया गया।

Amit Mishra Unlucky Cricketers
अमित मिश्रा – इंडियन क्रिकेटर

1. अमित मिश्रा : अमित मिश्रा उन चतुर स्पिनर्स में से एक हैं जिनके पिटारे में हर तरह की गेंद मौजूद रहती है। उनके पास दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज बनने के सारे गुण थे। घरेलू क्रिकेट में उनके नाम 1000 से भी अधिक विकेट हैं। साथ ही आईपीएल में भी 3 बार हैट्रिक लेने वाले वे पहले और इकलौते गेंदबाज हैं। ना केवल गेंद से, बल्कि बल्ले से भी उन्होंने कई बार लाज़वाब प्रर्दशन किया।लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के आंकड़े, उनकी अलौकिक प्रतिभा के साथ न्याय नहीं करते।उन्हें जब भी मौके मिले, उन्होंने हमेशा ही कहर ढाया।लेकिन इसके बावजूद अमित को बार बार बलि का बकरा बनाकर टीम से बाहर निकाला गया। ख़राब प्रदर्शन टीम का होता,लेकिन भुगतना अमित को पड़ता। जिसके बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में भी कहा था। वे ख़ुद भी इस बात से निराश थे कि और ऐसा क्या करें जिससे टीम में स्थान पा सकें।कभी किसी सीनियर,तो कभी युवा क्रिकेटर के लिए हमेशा उनकी जगह के साथ खिलवाड़ किया गया। ये अफसाना उनके पदार्पण से ही शुरु हुआ। और कई बार दोहराया गया।जब कुंबले के चोटिल होने पर उन्हें मौका मिला, लेकिन अपनी पहली ही पारी में 5 विकेट लेने के बावजूद टीम से ड्रॉप कर दिया गया। इसके बाद 2011 में इंग्लैड के खिलाफ़ टेस्ट श्रृंखला में उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से ही कमाल दिखाया। लेकिन उनका टीम से अंदर बाहर होना बंद नहीं हुआ ।ऐसा ही 2 साल बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ़ 5 मुकाबलों में 18 विकेट लेने के बावजूद उन्हें प्लेयिंग 11 में मौका नहीं मिला। यदि ये प्रर्दशन किसी अन्य गेंदबाज ने किया होता तो टीम में उनका स्थान परमानेंट तो होता ही, साथ ही वाहवाही भी होती। लेकिन इनके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ और इनाम के तौर पर उन्हें ड्रॉप कर दिया। यदि बार बार किसी खिलाड़ी के साथ ऐसा हो तो वह पूरी तरह टूट जाता है।लेकिन मिश्रा ने कभी हार न मानते हुए बढ़ती उम्र के बावजूद बार बार वापसी की और न केवल आईपीएल, बल्कि हर प्रारूप में एक से एक जबरदस्त स्पैल किए। और 2016 में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ़ सर्वाधिक विकेट लेकर मैन ऑफ़ द सीरीज बने थे। लेकिन अफ़सोस सीरीज के आखरी मैच में 5 विकेट लेने के बावजूद उन्हें टीम में कभी भी पक्का स्थान न मिला और फिर चयनकर्ताओं ने उम्र का हवाला देकर उन्हें कंसीडर करना ही छोड़ दिया, और दोबारा कभी अमित भारतीय टीम में खेल नहीं पाए।एक खिलाड़ी के हाथ सिर्फ़ परफॉर्मेंस होता है, यदि प्रर्दशन के बाद भी आपको टीम से बाहर कर दिया जाए तो निराशा के अलावा और कुछ नहीं मिलता। अमित उन बदनसीब क्रिकेटर्स की लिस्ट में पहले नंबर पर आते हैं जिनका करियर बिना किसी खता के ही ख़त्म कर दिया गया। किसी अपने 19 साल के करियर में उन्हें केवल 22 टेस्ट,36 एकदिवसीय और 10 टी 20 मुकाबलों में ही सिमट कर रह गया। इस महान खिलाड़ी की कद्र न ही कभी चयनकर्ताओं ने की,और ना ही टीम मैनेजमैंट ने कभी उनका साथ दिया, जो कि काफ़ी दुखद है।

तो दोस्तों ये थे वो बदनसीब क्रिकेटर्स जिन्हें कभी पर्याप्त मौके मिले ही नहीं और वे महान खिलाड़ी की श्रेणी में कभी आ ही नहीं पाए।जिसके चलते उनके टैलेंट कभी बात नही की जाती।

Show More

Related Articles

Back to top button