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Vijay Mallya : कहानी एक अय्याश ठग की

शराब और शबाब | बस यही पहचान है उसकी | बिजनेस (Business) उसके खून में है | उसने जिसे छुआ वही हीरा बन गया | उसने सफलता का नया आसमान चूमा | वो चलता गया चलता गया और हर सफलता (Success) को अपनी मुट्ठी (Frist) में कैद करता गया | कभी राजनीतिक (Political) गलियारों में गहरी पैठ रखने वाले इस शख्स के काम चुटकियों में हुआ करते थे | उसके चारों ओर हसीनाओं (Beauties) का मेला लगता था | बॉलीवुड की दिग्गज हीरोइनें उनके साथ फ़ोटो शूट के लिए लाइन लगाये खड़ी रहती थीं | कभी उनके ग्लैमरस (glamorous) कैलंडर के लिए लोग साल साल भर इंतजार किया करते थे | वो क्रिकेट लीग और तमाम फ़ुटबाल लीग टीमों का मालिक था | लेकिन वक्त सबका एक जैसा नहीं रहता | वक्त का पहिया घूमा | कभी वो हवाओं का रुख मोड़ देने का दम रखता था आज वही हवाएं उसके खिलाफ़ हैं | जिसे पूरा देश कभी सबसे बड़ा बिजनेस टाइकून (Tycoon) मानता था आज वो भगोड़ा (Fugitive) है | हम बात कर रहे हैं बिजनेस टाइकून, पॉलिटिशियन और भगोड़े विजय माल्या की | आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे विजय माल्या और उसके स्कैम से जुड़े तमाम पहलुओं की |

                                                                                                                Vijay Mallya

विजय माल्या का जन्म 18 दिसम्बर 1955 को कोलकाता में विट्ठल माल्या और ललिता रमैया के घर हुआ था | विट्ठल यूनाइटेड (United) ब्रेवरीज (breweries) ग्रुप के चेयरमैन (Chairman) थे | विजय माल्या ने अपनी पढाई लिखाई तब के कलकत्ता से ही की | जब वो 28 साल के थे तभी उनके पिताजी गुजर गये और इसके बाद वो यूनाइटेड ब्रेवरीज ग्रुप के चेयरमैन बन गये | 1983 में उनके कम्पनी सम्भालने के बाद से ही कम्पनी (Company) ने जो रफ्तार पकड़ी कि 1999 आते आते कम्पनी के टर्नओवर (Turnover) ने 64 परसेंट (Percentage) की छलांग लगा डाली | माल्या कम में मानने वालों में नहीं थे | ऐसे लोगों के लिए आसमान भी कम पड़ जाता है | कम्पनी ने तमाम और कम्पनियों का अधिग्रहण (Acquisition) किया | 1988 में बर्जर पेंट्स, बेस्ट और क्राम्पटन (Crampton) तो 1990 में मंगलौर केमिकल्स एंड fertilizers तो न्यूज़ पेपर एशियन एज और फ़िल्मी मैगज़ीन सिनेबिज का 2001 में अपनी कम्पनी में मिला लिया | माल्या का दीमाग बहुत तेज था | उनकी प्लानिंग और प्रमोशन इतना तगड़ा था कि कम्पनी का जाना माना बीयर ब्रांड किंगफ़िशर (Kingfisher) का इंडिया में मार्किट शेयर 50 परसेंट से भी ज्यादा है और वो दुनिया के 50 से भी ज्यादा देशों में बिकती है |

लेकिन माल्या के लिए इतना ही काफी नहीं था | साल 2005 में UB Group ने एयरलाइन्स (Airlines) सेक्टर (Sector)  में एंट्री (Entry) की | और अपनी एयरलाइन का नाम रखा अपने बीयर ब्रांड के नाम पर किंगफ़िशर एयरलाइन्स | ये एयरलाइन्स माल्या का सपना था जिसके जरिये वो सफलता की नई ऊँचाइयाँ छूना चाहता था | इस एयरलाइन्स ने शुरू से ही जो लक्जरी (Luxury) और क्वालिटी (Quality) सर्विस अपने ग्राहकों को दी कि देखते ही देखते लोग इसके दीवाने हो गये | लोग बाकी एयरलाइन्स की फ्लाइट कैंसिल (Cancel) करा के किंगफ़िशर से जर्नी (Journey) करने लगे | बहुत ही कम समय में किंगफिशर भारत की सबसे बड़ी और चहेती एयरलाइन्स बना गई | लेकिन अभी भी माल्या का मन नहीं मान रहा था | असल में नियमों के तहत कोई एयरलाइन्स तभी इंटरनेशनल (International) फ्लाइट ऑपरेट (Operate) कर सकती है जब उसे कम से कम 5 साल पुरानी हो | लेकिन माल्या हार मानने वालों में से नहीं था | उसने खस्ता हालत में चल रही डेक्कन एयरवेज (Average) खरीद ली | और फिर उसे किंगफ़िशर में मिला लिया | अब किंगफ़िशर बिना किसी रोक टोक के इंटरनेशनल उड़ानें ऑपरेट (Operate) कर सकती थी | इसमें कोई दोराय नहीं कि बाजार में कम्पनी की रेपुटेशन (Reputation) जबर्दस्त थी लेकिन उसकी बैलेंस शीत उतनी ही कमजोर थी | यानी सब कुछ वैसा नहीं हुआ जैसा माल्या ने सोचा था | कम्पनी लगातार घाटे (Loss) में जाने लगी और 2011 आते आते किंगफ़िशर का घाटा बढ़कर डॉलर 880 मिलियन तक जा पहुंचा था | उसके आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट खड़े हो चुके थे तो कर्मचारी (employee) हड़ताल (Strike) पर थे |

सितम्बर 2011 में किंगफ़िशर एयरलाइन ने बॉम्बे स्टॉक (Stock) एक्सचेंज को बताया कि कम्पनी (Company) जबर्दस्त घाटे में चल रही है और इनकी नेट (Net) वर्थ (Worth) भी घट चुकी है | लेकिन उसने हालात सुधरने को भी उम्मीदें जताईं | लेकिन हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते गये | कम्पनी लगातार घाटे में जा रही थी | कम्पनी के पास न तो अपने जहाज उड़ाने के लिए पैसे थे न ही अपने कर्मचारियों को वेतन (Salary) देने के पैसे थे | हालात तब और बिगड़ गये जब अक्टूबर 2012 में उसके सारे इंजीनियर्स (Engineers) स्ट्राइक (Strike) पर चले गये और उसे अपनी सारी फ्लाइट्स (Flights) कैंसिल करनी पड़ी | 20 अक्टूबर को DGCA यानी Directorate General of Civil Aviation ने किंगफिशर एयरलाइन्स का लाइसेंस (License) कैंसिल कर दिया |

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किंगफिशर एयरलाइन जिसे कभी आसमान की चिड़िया कहा जाता था, उसके बंद हो जाने के पीछे तमाम कारण हैं –

1. एयर डेक्कन का अधिग्रहण – किंगफ़िशर एयरलाइन एक प्रीमियम (Premium) क्लास एयरलाइन्स थी | जो जानी थी क्वालिटी सर्विस (Services) के लिए | जबकि इसके ठीक उलट एयर डेक्कन एक सस्ती सुविधा देने वाली एयरलाइन थी | माल्या को सोच थी कि इस मर्जर (Merge) के जरिये कम्पनी लो कास्ट (Cast) एयरलाइन मार्किट में भी कब्जा (Capture)  कर लेगी लेकिन हुआ ठीक उलट | एयर डेक्कन खुद तो डूबी ही थी वो किंगफिशर को भी ले डूबी |

2. इंटरनेशनल फ्लाइट्स- किंगफिशर एयरलाइन को इंटरनेशनल (International) फ्लाइट्स की बड़ी जल्दी थी | यही वजह है कि डोमेस्टिक (Domestic) फ्लाइट्स का बहुत कम अनुभव होने के बावजूद कम्पनी ने एयर डेक्कन के जरिये इंटरनेशनल मार्किट (Market) पर कब्जा जमाना हुआ | जिस कोशिश में कम्पनी ने मुँह की खाई |

3. हाई फ्यूल कास्ट – इंधन की बढती कीमतें भी किंगफिशर एयरलाइन्स के डूबने की बड़ी वजह रही |

इसके अलावा 2008 की मंदी (Recession), मैनेजमेंट लेवल पर स्थिरता का अभाव और प्रीमियम (Premium) क्लास एयरलाइन्स से लो बजट सेगमेंट (Segment) में प्रवेश करने जैसे तमाम और भी वजहें रहीं एयरलाइन्स के डूबने की |

विजय माल्या ने अपने बिजनेस को चलाने के लिए तमाम बैंकों (Banks) से ढेर सारा कर्जा (Loan) ले रखा था | लेकिन कम्पनी उसे चुका पाने में नाकाम रही | कई बैंकों ने कम्पनी को दिवालिया (Bankrupt) भी घोषित (Announce) कर दिया लेकिन अपनी पोलिटिकल (Political) पहुँच का इस्तेमाल करते हुए वो दूसरे बैंकों से लोन लेने में कामयाब रहा | माल्या ने 17 बैंकों से लगभग 7000 करोड़ का लोन ले रखा था | जो ब्याज (Interest) लगने के बाद 9000 करोड़ तक पहुँच गया था | आप इस लिस्ट को देख कर अंदाजा लगा सकते हैं कि उसने किसी बैंक को छोड़ा नहीं था | (तमाम बैंकों से लिए गये लोन के अमाउंट (Amount) की लिस्ट दिखाएँ) | इतना ही नहीं उस पर ये भी आरोप लगे कि उसकी कम्पनी ने अपने कर्मचारियों से वेतन से PF की कटौती तो की लेकिन कभी भी उस अमाउंट को PF खाते में जमा नहीं किया | माल्या ने लिए गये लोन का इस्तेमाल दूसरी मदों में किया | किंगफिशर एयरलाइन्स 2012 के आखिर तक मुँह के बल धड़ाम हो चुकी थी | साल 2014 में इसे दिवालिया (bankrupt) घोषित कर दिया गया |

विजय माल्या सिर्फ एक बिजनेस टाइकून (Tycoon) नहीं था | पॉलिटिक्स (Politics) में भी उसकी अच्छी खासी पकड़ थी | वो दो बार राज्य सभा से सांसद भी रहा | भले ही कांग्रेस और भाजपा विजय माल्या के इस घोटाले और देश छोड़कर भागने के लिए एक दूसरे पर आरोप मढ़ते रहे हों लेकिन सच्चाई यही है कि उसके सांसद बनने के पीछे दोनों ही पार्टियाँ हैं | जहाँ साल 2002 में माल्या कांग्रेस (Congress) और जेडीएस (JDS) की मदद से बतौर निर्दलीय (Independent) सदस्य (Member) राज्यसभा में पहुंचा था वहीँ 2010 में वो जेडीएस और बीजेपी (BJP) की मदद से वो फिर राज्यसभा तक पहुंचा था |

                                                                                     Kingfisher airlines

किंगफिशर एयरलाइन्स बाहर से जितनी आलिशान और शानदार दिखती थी असल में वो पहले ही दिन से खोखली (Hollow) थी | वो शुरुआत से ही घाटे (Losses)  में रही लेकिन कम्पनी 2009 तक बेधड़क विस्तार (Expansion) में जुटी रही | भले ही कम्पनी पिछले लोन न चुका पाई हो इसके बावजूद उसे बेरोकटोक (Unabated)  नये लोन होते रहे | कई रिपोर्ट्स (Reports) में ये दावा किया गया कि उसे ये लोन सरकार की मदद से मिले | उसे लोन मिलते रहे और माल्या उन पैसों को अपने फायदे के लिए इधर उधर लगाता रहा | कभी उसने आईपीएल में RCB जैसी टीम खरीदी तो कभी देश की पहली फ़ॉर्मूला (Formula) वन रेसिंग करा दी |

साल 2008 में माल्या ने बतौर UB Group चेयरमैन बेंगलुरु टीम को 116 डॉलर (Dollar) की भारी भरकम रकम देकर दस सालों के लिए खरीदा था | खबरों के मुताबिक उसने बैंकों से लिए गये लोन का इस्तेमाल करके ही RCB को खरीदा था | हालाँकि 2016 में उसने RCB टीम के डायरेक्टर (Director) पद से रिजाइन (Resign) कर दिया था | यही नहीं देश की दो सबसे बड़ी फूटबाल लीग (League) ईस्ट बंगाल और मोहन बंगाल को भी UB ग्रुप ही स्पोंसर करता रहा | माल्या ने F1 रेसिंग के लिए जानी जाने वाली फ़ोर्स (Force) इंडिया टीम भी खरीदी | देश की ED जैसी संस्था ने विजय माल्या पर आईपीएल (IPL) टीम और एफ1 रेसिंग (Racing) टीम जैसी टीमों के जरिये मनी laundring का आरोप लगाया |

राज्य सभा के रिकॉर्ड की माने तो माल्या 1 मार्च 2016 को राज्य सभा में मौजूद थे | लेकिन 2 मार्च को ही वो देश छोड़ के भाग गया | वो जेट एयरवेज (average) से दिल्ली से लन्दन (London) भाग गया था | खबरों के मुताबिक उसके साथ लगभग 10 बैग और एक महिला भी थी | खास बात ये है कि विजय माल्या डिप्लोमेटिक (Diplomatic) पासपोर्ट (Passport) पर लंदन गया था | उस समय माल्या कर्नाटक से राज्यभा सदस्य (Member) थे | डिप्लोमेटिक पासपोर्ट सिर्फ सांसद, उसकी पत्नी या पति को ही मिलता है | और ये पासपोर्ट विदेश (Foreign) मंत्रालय (Ministry) द्वारा जारी किया जाता है |

सीबीआई (CBI) और ED दोनों ही माल्या के खिलाफ मनी laundering की जांच कर रही हैं | 5 जनवरी 2019 को मुंबई की विशेष अदालत (Court) ने माल्या को भगोड़ा (Fugitive) घोषित कर दिया था | किसी भी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किये जाने के बाद जाँच एजेंसी उसकी सम्पत्ति को जब्त कर सकती है | यही वजह है कि केंद्र सरकार ने 15 मार्च 2022 को संसद में जानकारी दी थी कि भगोड़े विजय माल्या, नेराव मोदी और मेहुल चौकसी के द्वारा किये गये घोटाले की कुल रकम की लगभग 85 फीसदी रकम जब्त कर ली गई है |

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विजय माल्या की कम्पनी भले ही डूब रही थी लेकिन खुद माल्या के शाही खर्चों में कभी कोई कमी नहीं आई | उसकी बर्थ डे पार्टियाँ दुनिया की सबसे महंगी पार्टियों में शुमार हुआ करती थीं | 2005 में अपने 50 वें जन्मदिन की पार्टी बड़े ही आलीशान (Luxurious) तरीके से की थी | गोवा में पांच दिन की पार्टी रखी गई थी | जिसके लिए देश विदेश से लगभग 500 लोगों को न्योता दिया गया था | उनके आने और जाने के लिए किंगफ़िशर एयरलाइन्स के दो जहाज लगे हुए थे | और इसमें जाने माने अमेरिकी सिंगर लिओनेल (Lionel) रिची की परफॉरमेंस (Performance) भी रखी गई थी | यही नहीं माल्या ने अपना 60 वा जन्मदिन (Birthday) भी बड़े ही शाही अंदाज में मनाया | ये वो समय था माल्या की किंगफिशर एयरलाइन्स लगभग डूब चुकी थी | कम्पनी के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं थे | लेकिन माल्या तो माल्या था | उसे इससे कोई मतलब नहीं था | इस साल भी उसने तीन दिन की पार्टी रखी | दुनिया भर से लगभग पांच सौ लोग पार्टी में शामिल हुए और इस साल शो स्टॉपर रहे स्पेनिश सिंगर एनरिक इग्लेसियस | माल्या ने ये पार्टी तब रखी जब कुछ ही दिन पहले सीबीआई ने IDBI के 900 करोड़ के लोन घोटाले को लेकर माल्या से पूछताछ की थी |

एक समय ऐसा भी था जब विजय माल्या के पास दुनिया की सबसे मंहगी कारों का काफिला हुआ करता था | उसके पास ऐसी लगभग 150 कारें थीं | साल 2004 में वो ब्रिटेन से नीलामी में टीपू सुल्तान की तलवार भी वापस भारत लेकर आया | इसके लिए उसने डेढ़ करोड़ रूपये चुकाए | हालाँकि हैरानी इस बात की भी है कि 2016 में ही वो माल्या ने वो तलवार किसी और को दे दी क्योंकि उसका मानना था वो तलवार उसके लिए unlucky साबित हुई थी | लेकिन आज की तारिख में वो तलवार कहाँ है ये कोई नहीं जानता |

माल्या के लन्दन भागने के बाद उसकी दुनिया बदल गई | अब तक जिसे दुनिया बिजनेस टाइकून के नाम से जानती थी आज वो दुनिया की नजरों में एक भगोड़ा  (Fugitive) था | उसका वो आलीशान बंगला जिसे किंगफिशर विला के नाम से जाना जाता था वो 2017 में कौड़ियों के भाव बिक गया | लन्दन में माल्या का मल्टी मिलियन पौंड का महल नुमा घर है जिसमें वो अपने बेटे सिद्धार्थ और माँ के साथ रहता है | लेकिन जनवरी 2022 में लन्दन की एक कोर्ट ने माल्या को वो घर छोड़ने का आदेश दे दिया | हालाँकि मार्च में कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी और माल्या बेघर होते होते बच गया |

हालाँकि लन्दन की कोर्ट ने अप्रैल 2020 में ही माल्या के भारत प्रत्यर्पण (Extradition) को हरी झंडी डे दी थी इसके बावजूद अभी तक ये सम्भव नहीं हो पाया है | लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि देर से सही विजय माल्या भारत वापस लाया जा सकेगा और उसे उसके किये की सजा मिल सकेगी | तो दोस्तों उम्मीद है की ये पोस्ट आपको अच्छी लगाई होती तोह कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करे|

धन्यवाद,

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