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2003 World Cup Story:World Cup In A Glance EP-8

सबसे पहले 1983, फिर 2011 उसके बाद चाहें तो 1987 और 1996 के पीछे पीछे 2003, 2015 और 2019 भी आप शामिल कर सकते हैं। सवाल (Question) ये है कि इन सालों को कहाँ शामिल करने की बात हम कर रहे हैं। तो जवाब है इंडियन (Indian) क्रिकेट टीम (Team) के सबसे कामयाब वनडे वर्ल्डकप (ODI) कैम्पेन की। ये सारे वो साल हैं जब इंडिया (India) कम से कम सेमीफाइनल (Semifinal) तक पहुंचा। हालाँकि, वनडे वर्ल्ड (World) कप (Cup) के अभी तक 11 बार होने के बावजूद भारत  फ़ाइनल (Final) तक बस तीन बार ही गया है। इसलिए, जो फ़ैन्स (Fans) या एक्सपर्ट्स (Experts) इंडियन टीम के सफल (Success) कैम्प को एनालाइज (Analysis) करना चाहते हैं, उनके पास ऑप्शन (Option) कम रहते हैं और वो अक्सर 2011 वर्ल्डकप को 1983 वर्ल्डकप के साथ ले आते हैं। मगर, सच्चाई ये है कि भारतीय क्रिकेट (Cricket) आज जहां खड़ी है, उसके लिए 2003 वर्ल्डकप लांच (Launch) पैड की तरह है। पहले 92 में मायूसी, फिर 96 में बेइज़्ज़ती, उसके बाद 99 में हताशा। लगातार 3 वर्ल्डकप में खराब खेल के बाद जब अफ़्रीकी (Africa) सरज़मीं पर वर्ल्डकप के लिए भारत न्यूज़ीलैंड (New Zealand) से बुरी तरह हारकर रवाना हुई, तो शायद हम फ़ेवरेट्स (Favourates) नहीं थे। ऐसे में जैसी शुरुआत हुई, उसने हौसले हिलाकर रख दिये। मगर, फिर भारत खड़ा हुआ और ऐसी उड़ान भरी की फ़ाइनल (Final) तक पहुंच गए। वैसे कहने तो 2003 वर्ल्डकप इंडिया के ग्रेटेस्ट (Greatest) कमबैक के लिए याद किया जाता है। लेकिन,उस वर्ल्डकप की असली कहानियां (Stories) और भी थीं। जिनमे ऑस्ट्रेलिया (Australia) के दबदबे से लेकर छोटी टीमों के वर्चस्व कक बढ़ना तक था और इस तरह के ही कई इंटेरेस्टिंग (Instresting) फैक्ट्स लेकर हम आए हैं वर्ल्डकप (World Cup) इन आ ग्लान्स के एक और पोस्ट में। वो पोस्ट जहां बात होगी भारतीय क्रिकेट फ़ैन्स के लिए सबसे यादगार भी, तो साथ ही दिल भी तोड़ने वाले टूर्नामेंट की। तो चलिए ज़रा सफ़र बिना वक़्त लिए शुरू करते हैं;

तो दोस्तों! 21वीं सदी में एंट्री (Entry) लेने के साथ आईसीसी (ICC) मजबूत हो रही थी और क्रिकेट (Cricket) अब ग्लोबल स्पोर्ट (Sport) बनने ककी ओर बढ़ रहा था। क्रिकेट की रफ़्तार अच्छी थी, लेकिन मंज़िल काफ़ी मुश्किल (Hard)। क्योंकि, आइसीसी (Icc) को क्रिकेट को दुनियाभर तक फैलाने से पहले उन टीमो तक अच्छे से ले जाना था जो एसोशिएट (Associate) या एफिलिएट (Affiliate) नेशन के तौर पर उनसे जुड़ी है। इसलिए, ही जब साउथ अफ़्रीका को 2003 वर्ल्डकप मिला, तो सेम 1999 आई तर्ज़ पर ही उनके साथ नेबरर कंट्री (Country) ज़िम्बाब्वे और केन्या को भी को होस्ट (Host) बनाया गया। वैसे 2003 और 1999 वर्ल्डकप की सिमिलैरिटी (Similarity) की बात जो हमने छेड़ ही दी है। तो, इसी पर आगे चर्चा करते है। 1999 और 2003 में को होस्ट (Host) वाली परंपरा के अलावा सुपर (Super) सिक्स (Six) रूल की कंटीन्यूटी (Continuity) भी थी। इसके अलावा ट्रॉफी, प्लेयर्स ड्रेसिंग, डकवर्थ लुइस नियम और डे नाइट मैच अब परंपरा (Legacy) बन चुके थे। लेकिन, एक चीज़ जो 2003 वर्ल्डकप में 1999 के मुकाबले काफ़ी अलग थी। वो थी कंट्रोवर्सिज़ (Controversies) का चलन और ये चलन ही है हमारे इस पोस्ट के टॉप-5 बड़े मूमेंट्स का पहला पल;

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1) ज़िम्बाब्वे का विरोध, केन्या को इग्नोर और शेन वार्न का ड्रग्स लेना;

2003 वर्ल्डकप की शुरुआत से ठीक कुछ रोज़ पहले ज़िम्बाब्वे (Zimbabwe) और केन्या के राजनीतिक (Politic) हालात अच्छे नहीं थे। लेकिन,आईसीसी (ICC) को भरोसा था कि वर्ल्डकप (World Cup) का आयोजन एक अमन का पैगाम लाएगा। पर, ये उम्मीद ओपनर (Opener) से ठीक कुछ रोज़ पहले तब बुरी तरह टूट गई जब पता चला कि इंग्लिश (English) क्रिकेट टीम पर दबाव बनाया जा रहा है कि ज़िम्बाब्वे में चल रहे रंगभेद के ख़िलाफ़ स्टैंड (Stand) लें और वहां ग्रुप स्टेज मैच (Match) ही ना खेलने जाए। अंत मे इंग्लैंड (England) टीम ने अफ़्रीका (Africa) लैंड करने से पहले कह दिया कि वो ज़िम्बाब्वे को वॉक (Walk) ओवर (Over) देंगे। ऐसे ही कुछ हालात न्यूज़ीलैंड क्रिकेट में भी बने और उन्होंने केन्या जाने से मना करते हुए शेड्यूल्ड (Schedule) में कोई भी आने पर वॉक ओवर (Over) दे दिया। इस तरह वर्ल्डकप शुरू होने से पहले ही तय था कि खटास पड़ चुकी है। जिस में गहराई बढ़ाई शेन वॉर्न के डोपिंग (Doping) टेस्ट ने। दरअसल हुआ ये कि 9 फ़रवरी 2003 को साउथ अफ़्रीका और वेस्टइंडीज (West Indies) के बीच होने वाले ओपनर (Opener) से ठीक पहले खबरों के बाजार में तब आग लग गई। जब पता चला कि शेन का डोपिंग टेस्ट पॉज़िटिव (Positive) आया है, मीन्स (Means) उन्होंने खुद को बेहतर बनाने के लिए किसी नशीले (Intoxians) पदार्थ का सेवन किया है। जोकि, रूल्स (Rules) के ख़िलाफ़ है। ये बात सामने आते ही शेन को अफ़्रीका (Africa) से डिटेन किया गया और ऑस्ट्रेलिया (Australia) वापस भेज दिया। हालाँकि, बाद में पता चला कि वार्न के ब्लड (Blood) में मिले सैम्पल (Sample) किसी एलर्जी (Allergies) वाली मैडिसन (Medicine) के थे। मगर, तब तक देर हो चुकी थी, ऑस्ट्रेलिया को वार्न का नुकसान हो चुका था तो 2003 वर्ल्डकप के आँचल में एक कंट्रोवर्सी (Controversy) और जुड़ चुकी थी। लेकिन, कंट्रोवर्सी (Controversy) का ये सिलसिला तब और ज़्यादा बढ़ गया जब ज़िम्बाब्वे (Zimbabwe) के वर्ल्डकप वाले एक मैच (Match) में एंडी फ्लावर के साथ हेनरी ओलंगा ने ब्लैक बैंड पहनकर अपने देश (Country) मे चल रहे दमन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई। ओलंगा और एंडी को इसका नुकसान भी उठाना पड़ा। मगर, आज भी दुनिया उस नुकसान से ज़्यादा एंडी और ओलंगा के जज़्बे को याद करती है।

2) भारतीय शेरो की दिल तोड़ने वाली शुरुआत और फ़ैन्स का शर्मसार करने वाला रिस्पोंस;

तो! कॉन्ट्रोवर्सीज़ के बाद और नूके बीच भी 2003 वर्ल्डकप चलने में था और पहले मैच के रिज़ल्ट (Result) से ही तय हो गया कि कंट्रोवर्सिज़ कितनी भी रहें, मगर खेल (Game) के हिसाब से ये वर्ल्डकप कुछ अलग होगा। क्योंकि, पहले ही मैच (Match) में वेस्टइंडीज ने होस्ट (Hots) और फ़ेवरेट्स साउथ अफ़्रीका को बेहद रोमांचक मैच में 3 रनो (Runs) से हरा दिया। हालाँकि, इसके बाद अगले कुछ मैचो में इसके मैचो में लगातार श्रीलंका, ज़िम्बाब्वे, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और यहां तक कि कनाडा (Canada) ने एक तरफ़ा मुकाबलों में नामीबिया, बांग्लादेश, नीदरलैंड्स सरीखी टीमों को धुन दिया। इस तरह 2003 वर्ल्डकप को न्यूज़ीलैंड (New Zealand) और वेस्टइंडीज वाले क्लोज़ एनकाउंटर (Encounter) के लिए काफ़ी लंबा इंतज़ार करना पड़ा। लेकिन, अगले शॉक के लिए ज़्यादा मैच (Match) नहीं लगे। असल में हम यहां बात कर रहे हैं इंडियन टीम के खेल की। जहाँ दूसरी बड़ी टीमें छोटी टीमो को कुचल ले आई थी। वहीं हमारी टीम नीदरलैंड्स से 68 रनों की जीत के बावजूद लचर नज़र आ रही थी और हालात तब आपे से बाहर हो गए जब ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ इंडिया 125 रन पर ऑल (All) आउट हो गई। भारत वो मैच विकेटो से तब हारा, जब ऑस्ट्रेलिया ले पास 166 बॉल्स (Balls) बची थीं। इस बेहद ही ख़राब शुरुआत ने फ़ैन्स का दिल और सब्र का बांध ऐसा तोड़ा कि जिस जिस का बस चला उन्होंने भारत मे क्रिकेटर्स (Cricketers) के घर पर अटैक (Attack) किया। इस तरह इंडियन प्लेयर्स (Players) पर खराब परफॉर्मेंस (Performance) के प्रेशर के साथ घर की फ़िक्र भी हावी हो गई। इन हालातों में ऐसा लग रहा था कि कहीं इंडिया किसी अपसेट (Upset) का शिकार होकर वर्ल्डकप से बाहर ना हो जाए। लेकिन, तभी एक दम से इंडिया ने रफ़्तार पकड़ी और यहीं से आया हमारे इस पोस्ट और 2003 वर्ल्ड कप का तीसरा बड़ा मूमेंट;

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3) इतिहास की सैर और भारतीय खून का उफ़ान:

ऑस्ट्रेलिया वाले मैच के बाद अपसेट का डर लिए जब भारत ज़िम्बाब्वे के 19 फ़रवरी को हरारे में उतरा था, तो प्लेयर्स (Players) और फ़ैन्स के दिमाग़ (Mind) में 1999 वर्ल्डकप कही ना कहीं ताज़ा था। लेकिन, जैसे तैसे उन्होंने उस डर (Fear) को पार किया और ज़िम्बाब्वे को 83 रनो से हार थमा दी। ये पहला लम्हा (Moment) था जब टीम में हिम्मत लौटी थी। हालाँकि, इस हिम्मत को ज़रूरत थी जुनूनी जज़्बा बनाने की, जिसे बिना ध्यान में रखे नामीबिया (Nimbia) मैच से पहले सभी प्लेयर्स (Players) को पितरमेरितज़बर्ग में उस ट्रेन (Train) में बिठाकर घुमाया गया। जिसमें फादर (Father) ऑफ द नेशन महात्मा (Mahatma) गांधी (Gandhi) के साथ ग़लत बर्ताव हुआ था। उस रोज़ की सैर ने प्लेयर्स में यूनिटी (Unity) के साथ जुनून भर दिया और आगे से लीड करते हुए तेंदुलकर (Tendulkar) के 152 के साथ गांगुली 112 रनो ने नामीबिया के सामने 311 रनो का पहाड़ खड़ा किया। इस मैच के बाद प्लेयर्स में एमरजी ऐसी लौटी की वो गांगुली के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे। वो गांगुली ने जिन्होंने इस टीम को बैलेंस देने के लिए राहुल द्रविड़ को विकेटकीपर बनाया, वो गांगुली जिन्होंने एक्सपीरियंस (Experience) बनाए रखने के जवागल श्रीनाथ को संन्यास (Retirement) से वापस बुलाया, वो गांगुली (Ganguli) ने जिन्होंने युवराज (Yuvraj), कैफ़ और नेहरा सरीखे यंग टैलेंट को संभाल के रखा। गांगुली के इस विज़न (Vision)  का नतीजा ये रहा कि अगले मैच में नेहरा ने सूजे हुए टखने के साथ इंजेक्शन (Injection) लेकर खेलते हुए 6 विकेट लिए और इंग्लैंड को ऐसी पटखनी दी कि वो वर्ल्डकप से ही बाहर हो गए। उस वक़्त डियन टीम पूरी रिदम (Rhythm) में थी। जो सामने आ रहा था, उसे कुचला जा रहा था। लेकिन, तभी इंडिया का अपने ग्रुप स्टेज का आख़िरी मैच पड़ गया पाकिस्तान (Pakistan) से और जिस अंदाज़ में सईद अनवर के शतक के साथ 273 के जवाब में 53 पर एक के बाद एक इंडिया के दो विकेट (Wicket) गिरा, तो लगा कि कहीं हमारी गाड़ी पटरी पर से फिर उतर ना जाये। यही से कैफ़ के साथ मोर्चा संभाला सचिन (Sachin) ने और 98 रनो की वो पारी खेली, जो पाकिस्तान को आज भी चुभती है। वैसे आज भी वो सेंचुरियन (Centurian) में भारत की पाकिस्तान पर जीत के आख़िरी लम्हे सभी फ़ैन्स के ज़हन में वैसी ही ताज़ा हैं, जैसे वो मैच कल हुआ हो।

 

तो दोस्तों! इस तरह इंडियन टीम खराब शुरू हुए कैम्पेन को ठीक टाइम पर संभाला और बवाल मचाते हुए अपने ग्रुप से ऑस्ट्रेलिया एवं ज़िंबाब्वे के साथ सुपर सिक्स में पहुंच गए। उधर दूसरे ग्रुप से जो हुआ वो ही हमारे इस एपिसोड का बिग मूमेंट नम्बर 4 है;

4) अफ़्रीका को फिर से किस्मत की मार, तो केन्या की सेमीफाइनल में एंट्री;

जहां एक तरफ भारत और ऑस्ट्रेलिया कहर ढा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ़ वेस्टइंडीज, साउथ अफ्रीका, न्यूज़ीलैंड और श्रीलंका (Sri Lanka) के अलावा वॉक (Walk) ओवर (Over) मिलने से केन्या भी रेस में थी। क्योंकि, केन्या कनाडा और बांग्लादेश (Bangladesh) से जीत (Win) कर आगे आई थी तो उनके सुपर सिक्स (Six) में जाने आसार काफी बढ़ गए थे। लेकिन, साउथ अफ्रीका (Africa) और श्रीलंका के साथ पंगा पड़ गया था। इसलिए, 2003 के रोज़ 3 मार्च को होने वाला लंका बनाम अफ़्रीका मैच क्वार्टर (Quarter) फाइनल सा बन गया था। जो जीतता वो आगे जाता और जो हारता वो घर। इस क्लियर इक्वेशन के साथ जब मैच शुरू हुआ तो लंका के 268 रन बनाने के बावजूद अफ़्रीका कमांडिंग (Comening) सिचुएशन में था। मगर, यहीं बारिश (Rain) के आने के आसार बने और कैलकुलेशन (Calculation) की गई। ड्रेसिंग (Dressing) रूम से एक पेपर बाउचर तक आया कि अफ़्रीका आगे चल रही है बस विकेट बचना है। इस स्टेटमेंट को ध्यान में रखे हुए बाउचर ने ठीक बारिश आने से पहले वाला ओवर सम्भलकर खेला और एक दम लुल आख़िरी बॉल आराम से डिफेंड करके जीत की ख़ुशी के साथ पविलियन लौटे। लेकिन, ये क्या अफ्रिका के पविलियन में तो मातम सा थ और उधर श्रीलंका के चीयर करने की आवाज़ आ रही थी। दरअसल हुआ ये कि साउथ अफ्रीका के खेमे ने मिस कैलकुलेशन कर ली और मैच टाई हो गया। इस तरह 1999 के ही तर्ज़ पर अफ़्रीका के एक बार फिर टाई मैच के चलते वर्ल्डकप स्व बाहर हो गई। उधर, लंका के साथ न्यूज़ीलैंड और केन्या सुपर सिक्स में गए, जिन्हें इंडिया और ऑस्ट्रेलिया ने ख़ूब धोया। मगर, केन्या की ज़िम्बाब्वे पर जीत ने सुपर सिक्स के अटपटे रूल के चलते न्यूज़ीलैंड से आगे रखा और ग्रुप स्टेज का वॉक ओवर वाला डिसीज़न न्यूज़ीलैंड को अब बुरी तरह चुभा। इस तरह सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के सामने लंका तो इंडिया के सामने केन्या आ गई और यही हमारे आज के एपिसोड या कहें 2003 वर्ल्डकप का आख़िरी बिग मूमेंट;

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5) वो दिन जब करोड़ो दिल टूटे:

तो दोस्तों! बड़े ही उतार चढ़ाव भरे रंग (Colour) के साथ 2003 वर्ल्डकप (World Cup) अपने अंजाम (Consequences) तक पहुंचने वाला था। ऑस्ट्रेलिया (Australia) लंका और इंडिया केन्या (Keny) को रौंदकर सेमीफाइनल (Semifinal) से पार होकर फ़ाइनल (Final) तक आये थे। वो मुकाबला एक वर्ल्डकप फ़ाइनल से ज़्यादा साख की लड़ाई थी। एक ऐसी लड़ाई जिसमे एल टीम बीच टूर्नामेंट (Tournament) में रिदम में आई है। जबकि, दूसरी टीम इस रुतबे के साथ खेली थी कि सब टीमें उससे फ़ाइनल के लिए लड़ रही हैं बस। मतलब! आप ऑस्ट्रेलिया (Australia) के खौफ़ का अन्दाज़ा इस बात से लगा लो कि वो एक भी मैच (Match) नहीं हारे (Lose) और ताबड़तोड़ रिकॉर्ड (Record) तोड़ते रहे। मगर, दिल तोड़ने की बारी अब थी। क्योंकि, इंडियन (Indian) टीम उनके सामने थी। वो टीम जो पूरे जुनून के साथ तैयारी में थी। मगर, ऑस्ट्रेलिया माइंड (Mind) गेम के साथ चिल्ड (Child) थी। एक्सपर्ट्स (Experts) की मानें तो यही वो लम्हा था, जहां इंडिया ऑस्ट्रेलिया से पीछे हुआ। क्योंकि, ऑस्ट्रेलिया कॉन्फिडेंस पर था इंडियन टीम प्रैक्टिस (Practice) पर, ऐसे में ऑस्ट्रेलिया फ़ाइनल के रोज़ कॉम उतरा और इंडिया स्ट्रेस्ड (Stressed) फिर गांगुली के टॉस (Toss) जीतकर बौलिंग (Bowling) के फैसले पर ज़हीर की लूज़ बौलिंग ने मैच सिर्फ़ कुछ लम्हों में ही इंडिया से छीन लिया। बाक़ी, रिकी के ऐतिहासिक 140 रन, मार्टिन (Martin) के 88 रनमैक्ग्राथ के 3 और ली के 2 विकेट महज़ एक औपचारिकता (Formality) थे। इस तरह भारत वर्ल्डकप को 20 साल बाद बहुत क़रीब स्व सिर्फ़ देखकर लौट आया। हालाँकि, इस बार हार के बावजूद फ़ैन्स (Fans) ने जिस जुनून के साथ अपने स्टार्स (Stars) का स्वागत किया वो कमाल था। यही जुनून फिर इस क़दर बड़ा कि उस वर्ल्डकप (World Cup) के बाद इंडिया जहाँ भी गई, वहाँ झंडे गाड़कर आई। ऑस्ट्रेलिया हो, साउथ अफ्रीका हो या इंग्लैंड इसके बाद भारत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और हर बार अपने कमाल के खेल की मिसाल दी। इसलिए, 2003 वर्ल्डकप बस एक टूर्नामेंट नही, इमोशन है।

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