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Indian Cricketer Vivek Razdan Biography

क्रिकेट की दुनिया भी बहुत निराली है दोस्तों। क्रिकेट का ये मैदान (Field) किसी को भगवान् बना देता है और किसी को कहीं का नहीं छोड़ता। जिस खिलाड़ी के बारे में आज हम यहाँ बात करने वाले हैं, उस खिलाड़ी की सफलता (Success) ही उसकी दुश्मन (Enemy) बन गयी। जानिए कैसे एक खिलाड़ी का सबसे सफल मैच उसके करियर (Career) का आखिरी (Last) मैच बन गया। भारत ने क्रिकेट की दुनिया को एक से बढ़ कर एक धुरंधर दिए है। क्रिकेट का भगवान् भी भारत देश (Country) का वासी (Resident) है, यानी सचिन तेंदुलकर। मगर सचिन के साथ अपने करियर की शुरुआत करने वाले इस खिलाड़ी का नामों निशान (Mark) तक क्रिकेट के मैदान पर नहीं हैं। अगर किस्मत ने साथ दिया होता तो हमें एक और सचिन मिल सकता था, मगर वो कहते हैं न जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। क्यों कह रहे हैं हम ये सब, चलिए आपको सुनाते हैं क्रिकेट का एक और दिलचस्प (Interesting) किस्सा। दास्ताँ उस खिलाड़ी की जिसका क्रिकेट करियर महज 3 मैचों में सिमट कर रह गया। “अनसंग हीरोज ऑफ इंडियन क्रिकेट” की इस खास श्रृंखला (Series) में आज हम बात करेंगे जाने-माने हिंदी कॉमेंटेटर (Commentator) विवेक रज़दान की।

विवेक राजदान

दोस्तों क्रिकेट का मैदान (Field)  किसी किसी खिलाड़ी (Player) को सिर्फ एक ही मौका देता हैं, उस एक मौके में या तो खिलाड़ी खुद को चमका लेता है या फिर गुमनामी की भीड़ में खो जाता है। ऐसा ही एक बेहतरीन खिलाड़ी, जिसे भारतीय क्रिकेट ने बहुत जल्दी खो दिया था। अपने क्रिकेट करियर (Career) की शुरुआत सचिन तेंदुलकर के साथ करने वाले विवेक राजदान को आज तक ये समझ नहीं आया कि आखिर उनके साथ कहाँ पर क्या गलत हुआ और क्यों वह एक महान क्रिकेटर नहीं बन पाए जैसा कि सचिन तेंदुलकर ने किया। दोस्तों जब तेंदुलकर महज 16 साल के थे तब उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम ज्वाइन की थी। उस समय विवेक राज़दान ने भी टीम (Team) में जगह बनाई थी, उस वक़्त वह महज (Merely) 20 साल के थे। मैदान के बाहर उनकी दोस्ती भी बहुत कमाल थी। एक मैच के दौरान जब सचिन चोटिल हो गए थे तो मैदान से बाहर आने में उन्हें तकलीफ हो रही थी, दोस्त की वो तकलीफ देखकर राज़दान ने नन्हे सचिन को अपनी गोद (Lap) में उठा लिया था और मैदान के बाहर ले आए थे। राज़दान और सचिन का ये किस्सा क्रिकेट के गलियारों में बहुत मशहूर हुआ था। आपको बता दें कि विवेक राज़दान का डेब्यू (Debut) भी सचिन के डेब्यू के साथ ही हुआ था, मगर सचिन ने क्रिकेट के मैदान पर रिकॉर्ड (Record) पर रिकॉर्ड बनाये तो वही विवेक राज़दान भारतीय क्रिकेट के रिकॉर्ड से ही बाहर हो गए।

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25 अगस्त 1969 को जन्में राज़दान जम्मू कश्मीर से भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल होने वाले पहले खिलाड़ी थे। विवेक राजदान राइट (Right) आर्म मीडियम (medium) फास्ट (fast) बॉलर(bowler) थे। विवेक का क्रिकेट करियर (Career) महज 1 साल का रहा, इस एक साल में उन्होंने 1 टेस्ट मैच और 3 वन डे मैचेस खेले थे। पाकिस्तान के खिलाफ साल 1989 में सचिन के साथ डेब्यू करने वाले राज़दान ने अपने पहले ही मैच में मुंह की खाई थी। पहले वन डे मैच में राज़दान न तो कोई विकेट (Wicket) ले पाए थे और न ही एक रन बना पाए थे। वन डे मैच के बाद इसी सीरीज (Series) में पाकिस्तान के खिलाफ राज़दान को टेस्ट (Test) में भी डेब्यू करने के मौका मिला था, यहाँ भी राज़दान पहले मैच में फ़ैल ही हुए मगर दूसरे मैच में राज़दान ने सबका ध्यान अपनी और खींच लिया था। विवेक ने अगले ही टेस्ट मैच में 5 विकेट झटके थे। अपने वन डे करियर में राज़दान ने 23 रन बनाये थे और सिर्फ 1 विकेट झटका था। मगर धीरे-धीरे उनका ग्राफ (Graph) गिरता चला गया. अपने खराब प्रदर्शन की वजह से राजदान को टीम में जगह नहीं दी गयी और जगह दी जाती तो खिलाया नहीं जाता। 1990 में राजदान ने श्री लंका के खिलाफ अपना आखिरी मैच खेला था। हालाँकि उन्होंने क्रिकेट से संन्यास (Retirement) नहीं लिया था। भारतीय टीम से बाहर होने के बाद भी क्रिकेट का जूनून उनके सर से उतरा ही नहीं था। राजदान ने अपने इंटरनेशनल (International) डेब्यू से पहले महज दो फर्स्ट (Frist) क्लास (Class) सीरीज़ (Series) खेली थी। एक दुलीप ट्रॉफी (Trophy) में और दूसरा ईरानी ट्रॉफी। लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट टीम से बाहर किये जाने के बाद राजदान ने अपना फर्स्ट क्लास करियर एक बार फिर से शुरू किया। इस बार राजदान ने कमाल की पारियां खेली और साल 1991 से लेकर 1992 तक दिल्ली की तरफ से खेलते हुए टीम को रणजी ट्रॉफी का विजेता (Winner) बनाया। इस पूरी सीरीज़ (Series) में राजदान ने कमाल का प्रदर्शन किया था, न सिर्फ गेंद से बल्कि बल्ले से और फील्डिंग (Feilding) में भी उनका कोई जवाब नहीं था। हालाँकि अगले सीजन तक उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना भी छोड़ दिया।

क्रिकेट छोड़ने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए दिल्ली टीम के कोच (Coach) के रूप में भी काम किया। आखिरकार उन्होंने वह काम चुना जिसे ईश्वर ने उनके लिए ही बनाया था। कमेंट्री (Commentary), जी हां दोस्तों। क्रिकेट को बाय बाय कहने के बाद विवेक राजदान ने कमेंट्री करना शुरू कर दिया था। कमेंट्री में राजदान का सिक्का चल उठा और उनकी कमेंट्री को लोगों ने खूब प्यार दिया। राजदान हिंदी कमेंटेटर (Commentator) के तौर पर काम करते हैं और अपनी यूनिक (Unique) कमेंट्री से लोगों का दिल जीत लेते हैं। गाबा के मैदान पर भारतीय क्रिकेट टीम ने जब टेस्ट (Test) में अपने नाम का झंडा गाड़ा था तो सिर्फ भारतीय टीम ही क्रिकेट के फैंस (Fans) का दिल नहीं जीत रही थी बल्कि विवेक राज़दान ने भी करोड़ों भारतीयों का दिल जीत लिया था, विवेक की एक लाइन (Line) ने क्रिकेट के दिग्गजों को भी नतमस्तक करने पर मजबूर कर दिया था। गाबा के मैदान को फ़तेह करने के बाद विवेक राज़दान ने भारतीय टीम की जीत पर कहा था कि ‘टूटा है गाबा का घमंड’। राजदान के ये गोल्डन वर्ड्स (Words) आज भी फैंस के दिलों में जगह बनाये हुए है। इसके आलावा क्रिकेट कमेंट्री करते करते विवेक राजदान शायरी भी सुना देते हैं। उनकी एक शायरी जो भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली की फॉर्म (Form) के वक़्त सुनाई गयी थी कि ‘फ़िक्र करता हैं क्यों, फ़िक्र से होता है क्या, करले आज खुद पर भरोसा और फिर देख होता है क्या।’ विवेक की ये लाइन सुनने के बाद क्रिकेट फैंस और क्रिकेट एक्सपर्ट्स (Experts) भी विवेक की कमेंट्री के कायल हो गए थे। विवेक ने भले ही क्रिकेट के मैदान पर ज्यादा वक़्त न बिताया हो और सचिन की तरह क्रिकेट में रिकॉर्ड न बनाये हो लेकिन क्रिकेट के दीवानों में वह खूब पहचाने जाते हैं और देश भर में उनके लाखों फैंस है, जो उनकी लाजवाब शायरी के कायल है और उनकी कमेंट्री स्टाइल के दीवाने है।

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एक बार ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच चल रहे मुक़ाबले में जब भारत के गेंदबाज़ (Bowlers) ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों पर भारी पड़ रहे थे तब राजदान ने अपनी कमेंट्री से सबका ध्यान (Attention)  अपनी ओर खिंचा था। राजदान ने कहा था कि ‘जिस पिच पर गेंदबाज़ी मुश्किल हो रही है उस मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ आउट (Out) होने के बहाने तलाश रहे हैं। विवेक ने ऐसा ऑस्ट्रेलिया की चुटकी लेते हुए कहा था। लेकिन ये कोई पहला मामला नहीं था जब विवेक की कमेंट्री ने दर्शकों का दिल जीता हो, बल्कि इससे पहले भी कई बार विवेक की कमेंट्री लोगों का दिल जीत चुकी हैं। 22 अगस्त को हरारे स्पोर्ट्स क्लब (Club) में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेले जा रहे तीसरे और अंतिम वनडे (ODI) में भारत के युवा बल्लेबाज़ शुभमान गिल ने अपने वन डे करियर (Career) का तीन अंकों का पहला आंकड़ा छुआ था , और इस तरह वनडे क्रिकेट में अपना पहला शतक लगाते हुए अपने शतक के सूखे का अंत किया था। आपको बता दें कि शुभमन ने ये शतक अपने डेब्यू के लगभग 3 साल बाद लगाया था। इस पर विवेक राजदान ने कमेंट्री करते हुए कहा था कि ‘पाने को कई मुक़ाम बाकी हैं, इस खेल के कई इम्तिहान बाकी है,अभी तो नापी है आपने मुट्ठी भर ज़मीन शुभमन अभी तो आगे पूरा आसमान बाकी है,’ विवेक राजदान की इस कमाल की कमेंट्री ने दर्शकों (Audience) और लेजेंड्स का दिल ही जीत लिया था।

दोस्तों क्रिकेट में कोई भी महान नहीं होता बल्कि उसका खेल महान होता है। जिस खिलाड़ी को क्रिकेट का मैदान अपना लेता है, वह खिलाड़ी चमकता हुआ सितारा बन जाता है। सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, MS धोनी, युवराज सिंह, रोहित शर्मा जैसे कई नाम है जो क्रिकेट के मैदान पर खूब जमीन और क्रिकेट की दुनिया का चमकता हुआ सितारा बन गए, हालाँकि विवेक राजदान का क्रिकेट करियर फ्लॉप (Flop) रहा मगर उन्होंने हिंदी क्रिकेट कमेंटेटर के तौर पर खुद को साबित किया।

दोस्तों विवेक राज़दान की ज़िन्दगी ने हमें ये सन्देश (Massage) दिया कि हम भले ही किसी एक चीज़ में फ्लॉप (Flop)  हो गए हो मगर ईश्वर ने कुछ न कुछ हमारे लिए सोचा हुआ होता है, जिसमें हम अपना नाम और शोहरत (Fame) कमाते हैं। बस समझने की देर होती है कि किस चीज़ में ज्यादा अच्छे हैं। आप भी अगर किसी फील्ड (Field) में कामयाबी (Success) नहीं पा रहे है तो किसी और फील्ड को एक बार ट्राई (Try) करके देखिये क्या पता आपका लक काम कर जाए विवेक राजदान की तरह। आपका इस बारे में क्या सोचना है हमें कमेंट करके ज़रूर बताइयेगा। पोस्ट पसंद आया हो तो शेयर ज़रूर कर दीजियेगा, नमस्कार।

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