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दिल्ली के लुटेरे नादिर शाह की कहानी

जैसा की हम सब जानते है की प्राचीन काल से से ही भारत पर वििेशी आक्रमणकाररयों की बुरी नजर रही है | हर कोई भारत की असीम धन सम्प्प्रिा को लटूकर अपने साथ ले जाना चाहता थ आज हम आप को ऐसे ही एक वििेशी लुटेरे आक्रमणकारी के बारे में बताने बाले है , जजसने भारत को बड़ी हीिे रहमी के साथ लटू ा और एक ऐसा कत्लेआम मचाया जजसको सुनकर ककसी की भी रूह कापां जाए | यह िह िौर था जब मुगल सत्ता स्िणण काल से गजु रते हुए पतन की ओर अग्रसर हो रही थी | इस समय दिल्ली पर मुगल बािशाह मुहम्प्मि शाह का शासन था , ये िही िौर था जब यूरोप में आउधोगगक क्राांतत का उिय हो चुका था |
इसी िौर में उिय हुआ नाससर कुली खान उर्ण नादिर शाह का जो बहुत जल्ि भारत के सलए एक काला ग्रहण बनने बाला था | नादिर शाह एक बहुत ही अजीि व्यजतत था ,उससे सत्ता का लोभ था इन सब से अगधक बह बहुत बड़ा लुटेरा था कहा जाता हैकी नादिर शाह ने अपनी शरुुबाती जीिन में बहुत कष्ट झेले , उसके वपता बकरी चारण करते थे |
नादिर शाह चाहता था की िह भी तैमूर की तरह ही एक विशाल साम्राज्य स्थावपत करे |
इधर भारत में औरांगजबे की मत्ृयुके बाि एक के बाि एक तमाम शासक गद्िी पर बैठे जो अयोग्य ससद्ध हुए , नादिर शाह के समय दिल्ली पर मुहम्प्मि शाह का शासन था ,जजसे उसकी रांगीन समजाज के कारण रांगीला भी कहा जाता है नाच गाने का शौकीन ओर आईयास ककस्म का व्यजतत था नादिर शाह को यह बात मालूम थी की भारत अब कमजोर हाथों में जा चुका हैअब भारत में एक बड़ा हमला रोकने की ताकत नहीां है | नादिर शाह कहता था की इस भारत रूपी सोने की गचड़ड़या के थोड़े से पांख उसे भी चादहए और उसे यह मौका बहुत जल्ि समल गया अर्गानों को भारत में शरण िी गई जो नादिरशाह के शत्रुथे जजससे नादिर शाह नाराज हो गया और उसने काबुल के गिनरण को पैगाम भजे ा की जजस को तुम शरण िे रहे हो िह मेरे शत्रुहैऔर उनको पनाह िेना यानी मुझसे िश्ुमनी करना , इस्सके बाि पहले नादिरशाह ने काबलु पर कब्ज़ा कर सलया | पेशािर को पार करते हुए िह काबुल पहुच गया लेककन काबलु के गिनरण ने समझिारी दिखाते हुए उससे बहुत सारा धन और हाथी घोड़े िेकर इस खतरे को टाल दिया | अब िारी थी भारत की , उसकी नज़र दिल्ली पर थी अब िह धीरे धीरे दिल्ली की ओर बड रहा था कहा जाता है की जब भी नादिर शाह के आगे बड़ने की खिर मुहम्प्मि शाह को िी जाती थी तो िह कहता था की दिल्ली अभी िरू है | नादिर शाह अब दिल्ली पहुच चूका था जब यह खिर मुहम्प्मि शाह को िी गई तो उस्ने एक बठै क बुलाई और यह र्ैसला हुआ की सने ा को करनाल भेजकर नादिरशाह को रोका िही जाए | मुहम्प्मि शाह ने शािाब खान और तनजाम उल मुल्क को सेना के साथ करनाल भेजा | इन िोनों ( शािाब खान और तनजाम उल मल्ुक) में आपसी र्ूट थी |

Nadir Shah

करीब २.50लाख की सेना के साथ सािाब खान जांग के मैिान में पांहुचा और 24 र्रिरी 1739 को यद्ुध शुरू हो गया , नादिरशाह ने एक चाल चली उसने अपनी एक टुकड़ी को जो बांिकू धारी थे शािाि खान की सेना को लटू के सलए भेजा , अचानक हुए इस हमले से मुगल सैतनक घिरा गए और भागने लगे सने ा ओर सेनापतत का सांपकण टूट गया और इस के साथ ही सेना का मनोिल भी टूट गया , एक समय जजन मुगलों और मुगल सेना का लोहा सारे विश्ि में माना जाता था आज उन्ही मुगलों के िांशज मुहम्प्मि शाह ने कुछ ही घटां ों में नादिर शाह के सामने घटुने टेक दिये |
हार के बाि मुगलों कक ओर से तनजाम उल मल्ुक को नादिर शाह के पास भेजा गया नादिर शाह के सामने उसने 50 लाख रुपये ओर कुछ हीरे जिाहरात की पेशकस की नादिर शाह मान गया
लेककन अभी तो दिल्ली की खूनी कहानी सलखी जानी बाकी थी , अभी तो दिल्ली को लूटा जाना बाकी था लेककन अब जो कुछ भी दिल्ली में होने िाला था िो सब शायि ककसी ने सोचा भी नहीां था |हुआ कुछ यूकी मुहम्प्मि शाह ने तनजाम उल मल्ुक को मीर िक्ष बना दिया जो की एक बड़ा पि होता था , जजससे सािाि खान नाराज हो गया ओर चोरी तछपे नादिरशाह के पास पहुच गया और उसने नादिर शाह से कहा की “मुहम्प्मि शाह आप के खखलार् साजजस कर रहे हैऔर आप को दिल्ली जाना चादहए िहााँपर बहुत सारी िौलत आप का इांतजार कर रही है” इतना सनु कर मुहम्प्मि शाह का लालच जाग गया ओर
उसने तुरांत ही बािशाह को समलने के सलए बुलाया बािशाह बबना कुछ सोचे समझे कुछ ससपादहयों के साथ नादिरशाह से समलने पहुच गया , जैसे ही मुहम्प्मि शाह नादिरशाह के पास पहुच नादिरशाह ने उसे बांधी
बना सलया ओर उसके सामने 50 करोड़ रुपयों की नई शतेरख िी मुगल सम्राट शतण पूरी करने में असमथण था तनजश्चत हुआ की नादिरशाह दिल्ली जाएगा दिल्ली पहुचकर उसे मुगल ककले में ठहराया गया | और मुगल खजाने की चाबी नादिरशाह को सौप िी गई नादिर शाह दिल्ली का बािशाह िन बैठा उसके नाम के र्तिे पड़े गये ससतके चलाये गये | अब िह दिन आही गया जब दिल्ली में एक काला इततहास सलखा जाने िाला था , हुआ कुछ युकी दिल्ली
के बाज़ार में नादिर शाह के सैतनको और व्यापाररयों में झगडा हो गया झगडा इतना बड़ा की नादिर शाह के कुछ ससपाही मारे गये , नादिरशाह को जब यह बात पता चली तो िह घटना की जानकारी लेने िह बाज़ार में जस्थत एक मजस्जि में गया जहा पर ककसी ने उस पर गोली चला िी बह गोली उसके सैतनक को लगी और िह सतनक मारा गया अब तो नादिरशाह आग बबूला हो गया , नादिर शाह मजस्जि के आाँगन में पांहुचा और अपनी तलिार तनकाली और सने ा की ओर दिखाने लगे मतलब अब सेना को खुली
छुट िे िी गई की अब सने ा अपनी मज़ी से कुछ भीां कर सकती हैअब दिल्ली म खूनी खेल सुरू हो गया ,चारों ओर चीत्कार मच गया ससर्ण लोगों की चीखे सनु ाई िे रही थी नादिरशाह के सतैनक जजसको चाहे उसको लटू रहे थे ,लोगों का कत्ल कर रहे थे ,बड़ुे औरत ओर बच्चे ककसी को नहीां बतश रहे थे ऐसा कत्लेआम जजसे िेख कर ककसी का भी दिल काांप उठे | जहा जो भी समला उसे लटू सलया गया ओर उसका कत्ल कर दिया गया बाजार बाले इलाकों में जहा भीड़ ज्यािा होती थी बहा अगधक कत्लेआम मचाया गया
एक अांग्रेज चश्मिीत ने इस घटना को कुछ इस तरह व्यतत ककया कक “ नादिर शाह के सतैनक लोगों के साथ जानिरों जैसा ियोहार कर रहे थे ,ऐसा लग रहा था की खनू की िर्ाण हो रही हो नगर की नासलया खून से उर्ान मार रही थी |

Nadir Shah

मुहम्प्मि शाह का मांत्री नादिरशाह के पास गया और उसे कत्लेआम ििां करने की गुजाररश की , नादिर शाह ने कर्र से एक शतण रखी 100 करोड़ रुपयों की |
नादिर शाह की इस माांग को पूरा करने के सलए एक बार कर्र दिल्ली को लटू ा गया लेककन इस बार के लुटेरे खिु दिल्ली के अपने थे िो थे “ मुगल “ हााँ |
मुगल सैनको ने अपनी ही दिल्ली को लटू सलया इस लटू से नादिरशाह की शतण को परूा ककया गया उसे रकम शौप िी गई नादिर शाह दिल्ली में लगभग िो माह रहा ओर दिल्ली से चला गया, नादिर शाह आया तो खाली हाथ था लकेकन जाते ितत िह मगु लों की असीम सांपवत्त लके े जा रहा था ओर साथ लेके जा रहा था मुगलों की शान मयूर ससहां ासन जजसमे कोदहनूर हीरा लगा था |
कहते है कक िह ईरान अपने साथ इतना खजाना लटू के ले गया था की उसने लगभग तीन साल तक अपने लोगों पर कोई कर नहीां लगाया |

लेखक – आशुतोष मिश्रा

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