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5 Best Cricket Films of Indian Cinema

दोस्तों! कोविड (Covid) के दौरान बॉलीवुड (Bollywood) की जो धुलाई शुरू हुई थी, उसके बाद से ख़राब पिक्चरों के आने का सिलसिला, एवरेज (Average)  फिल्मो के फ़्लॉप (Flop) होने की स्ट्रीक (Streak) और बिग (Big) स्टारर (Strar) मूवीज़ (Movies) के धूल चाटने की गाड़ी को ब्रेक (Brake) ही नहीं लग रहा था। मगर, इस साल धीमी-धीमी हिट (Hit) मूवीज़ के बाद पहले पठान और अब गदर-2 के साथ ओह माय गॉड-2 के बॉक्स (Box) ऑफिस (Office) पर जलवे बिखेरने से बॉलीवुड फ़ैन्स (Fans) की कुछ उम्मीदें (Hope) वापिस ज़रूर बंधी हैं। क्योंकि, बॉलीवुड के कितने ही काले कारनामो (Exploits) से हम वाकिफ़ हो, मगर हिंदी (Hindi) के दिल मे बसने की वजह है कि बॉलीवुड फिल्मों को देखने की चाहत कम नहीं होती। उस पर अगर कोई पिक्चर क्रिकेट (Cricket) से जुड़ी कहानी लेकर आये, तो एक्साइटमेंट (Excitement) नेक्स्ट (Next) लेवल (Level) पहुंचना तय है। बिल्कुल, वैसी ही एक्साइटमेंट क्रिकेट प्लस बॉलीवुड फ़ैन्स में इस वक़्त भी है। 18 अगस्त को बॉक्स ऑफिस पर क्रिकेट बेस्ड (Best) अभिषेक बच्चन और सैयामी खैर स्टारर (Starer) मूवी ‘घूमर’ रिलीज़ हो रही है। इस फ़िल्म में सैयामी खैर एक यंग (Young) महिला क्रिकेटर (Cricketer) बनी हैं। जिनका इंटरनेशनल (International) क्रिकेट कैरियर (Career) परवाज़ चढ़ने से पहले एक एक्सीडेंट (Accident) में हाथ चला जाता है। फिर, वो किस तरह से लूज़र (Looser) अभिषेक बच्चन की मदद (Help) से डिप्रेशन (Depression) और डिमोटिवेशन (Demotivation) से निकलकर एक राइट (Right) हैंड बैटर से लेफ्ट (Left) हैंड बैटर बनती है। उस सब के अराउंड (Around) ही फिल्म की कहानी है। क्योंकि, ये फ़िल्म एक हंगेरियन ओलिम्पिक (Olympic) गोल्ड मेडलिस्ट करोली टेकाक्स की सच्ची ज़िंदगी से इंस्पायर्ड (Inspired) है, जो एक्सीडेंट में हाथ गंवाने (Lose) के बाद 1948 और 1952ओलिम्पिक में भाग लेकर गोल्ड (Gold) जीते थे। इसलिये, इस मूवी से उम्मीदें काफ़ी बढ़ जाती हैं। जबकि, सैयामी खैर को बेहतर लेफ्ट हैंडर रोल प्ले करने के लिए स्टार क्रिकेटर युवराज सिंह के ट्रेन (Train) करने की ख़बर (News) ने, इस फिल्म की हाइप (Hipe) को एक लेवल (Level) अप (Up) कर दिया है। सीधे-सीधे कहें तो घूमर से काफ़ी उम्मीदें हैं। वैसे! बॉलीवुड का ट्रैक (Track) रिकॉर्ड (Record) क्रिकेट टॉपिक (Topic) को लेकर कुछ ख़ास अच्छा नहीं है। तो, फ़ैन्स एक्साइटेड (Excited) होने के साथ थोड़े डरे हुए भी हैं। लेकिन, एक पहलू ये भी है कि शाबाश मिट्ठू, विक्ट्री, दिल बोले हड़िप्पा जैसी कमज़ोर मूवीज़ के बावजूद कुछ शानदार मूवीज़ बॉलीवुड ने फ़ैन्स को दी हैं। उन चुनिंदा मूवीज़ के बक्से में से आज नारद टी.वी. टॉप-5 ऐसी फिल्में निकालकर लाया है, जो क्रिकेट फ़ैन्स के लिए एक ट्रीट (Trust) से कम नहीं है। क्योंकि, क्रिकेट और एक्टिंग (Acting) को एक (Role) स्केल (Scale) पर रखकर जज (Judge) नहीं कर सकते, इसलिये हमने इस पोस्ट को काउंटडाउन पोस्ट नहीं रखा है। बल्कि, बहुत ज़्यादा फ़िल्म एक्सपर्ट (Expert) की तरह ना सोचते हुए, हम ने टॉप-5 क्रिकेट बेस्ड बॉलीवुड मूवीज़ के पहले पार्ट को रेडी किया है।

लगान

तो चलिए! इस पोस्ट की शुरुआत करते हैं, क्रिकेट पर आधारित हम सबकी फ़ेवरेट फ़िल्म से;
1) लगान : साल 2001 में जब लगान आयी, तब इसे एक क्रिकेट बेस्ड (Best) मूवी से ज़्यादा क्लासी (Classy) एक्टिंग (Acting), स्क्रीनप्ले (Screenplay), डायरेक्शन (Direction), सेट डिज़ाइनिंग (Set Designing) और राइटिंग (Writing) के लिये सराहा गया। डायरेक्टर आशुतोष गुवारिकर ने लगान के साथ ऐसा ट्रीटमेंट (Treatment) की, कि ये फ़िल्म (Film) सिर्फ़ क्रिकेट या बॉलीवुड लवर्स (Lovers) के लिए नहीं, बल्कि पूरे इंडिया के लिए एक प्राइड (Pride) बन गयी। लगान फ़िल्म बेहद ही खूबसूरत ढंग से क्रिकेट (Cricket) के ज़रिए ग़ुलामी (Servitude) की जंजीरों को तोड़ने के लिए बेचैन गांव (Village) वालों की कहानी हमारे सामने रखती है। वो कहानी (Story) जिसमें एक लड़का (Boy) भुवन अपने लड़कपन और ग़लत ना होने देने जज़्बे के चलते अंग्रेज़ (English) गवर्नर (Governor) की एक ऐसी चाल में फंस जाता है। जहां, उसे एक क्रिकेट टीम खड़ी करके, अग्रेजों के घमंड को चकनाचूर (Shattered) करते हुए तीन गुना लगान से भी बचना है और गाँव वालों के गुस्से (Angry) को भी झेलना है। अब भुवन ये करिश्मा कर पायेगा या नहीं और कर पायेगा तो कैसे करेगा ? इसी की कहानी को समेटे (Contain) है क़रीब साढ़े तीन घण्टे की फ़िल्म (Film) ‘लगान’। इस लंबी ड्यूरेशन (Distribution) के बावजूद भी, जब लगान शुरू होती है तो वक़्त पता ही नहीं चलता है। क्योंकि, हर बार क्रिकेट (Cricket) पार्ट यूनीक (Unique) लगता है, हर बार मैच (Match) के क्लोज़ (Close) होने की इंटेसिविटी (Intensity) फ़ील (Feel)  होती है और हर बार ही लगता है कि मैच (Match) कहीं हार ना जाए। इसलिये, लगान एक मूवी (Movie) नहीं, इमोशन (Emotion) बन गई है। वैसे फ़िल्म (Film) ने सिर्फ़ यादगार सीन्स (Scenes) देने के अलावा हर कैरेक्टर (Character) को बराबर का टाइम (Time) और रिस्पेक्ट (Respect) भी दी है। यही वजह है कि आज फ़ैन्स को जितना भुवन याद है, उतना ही कचरा, भूरा, गोली, गुरन, इस्माइल, अर्जन और लाखा सब याद (Memory) हैं। इन सब ख़ास बातों की ही वजह है कि लगान को अगर क्रिकेट के अराउंड (Around) बनी वन ऑफ द बेस्ट बॉलीवुड मूवी कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा।

लगान जैसी हिट और पॉपुलर फ़िल्म के बाद बात करते हैं, अंडररेटेड मगर फेवरेट और इस लिस्ट की नम्बर दो मूवी के बारे में;

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इकबाल

2) इकबाल: साल 2005 में नागेश कोकुनूर के डायरेक्शन (Direction) में बनी मूवी इक़बाल को बॉक्स (Box) ऑफिस (Office) पर बहुत ज़्यादा सफ़लता (Success) नहीं मिली। लेकिन, ये मूवी पहले थिएटर्स (Theaters) में और बाद में टीवी (TV) पर जितनी भी देखी गई, तारीफ़ ही बटोरकर लाई। क्योंकि, साल 2005 में जिस वक़्त इकबाल मूवी आई थी, उस समय इंडियन (Indian) क्रिकेट ग्रेग चैपल  की कोचिंग (Coaching) में गांगुली की कप्तानी (Captaincy) से राहुल की तरफ़ शिफ़्ट (Shift) हो रहा था। ऐसे में ख़बरों का बाज़ार हर दिन गर्म (Hot) रहता था। फ़ैन्स थे कि क्रिकेट को भुला ही नहीं पा रहे थे। तभी इकबाल आई। जिसने एक ऐसे यंग (Young) लड़के की कहानी (Story) सबके सामने रखी, जो ना बोल सकता था और ना ही सुन सकता था। मगर, इंटरनेशनल (International) स्टार बनने के सपने सजो रहा था। एक गाँव मे रहने के बावजूद उसका हौसला इतना बड़ा और ख़ुद पर यकीन इतना ज्यादा था कि आंखें बंद करने पर वो स्टेडियम (Stadium) का शोर महसूस करता था। ये इस मूवी का वो सीक्वल (Sequel) है, जिस से हर क्रिकेट फ़ैन रिलेट (Relate) कर पाया था। क्योंकि, हम सबने कभी ना कभी एक बार ही सही, ख़ुद को क्रिकेटर (Cricketer) के रूप में स्टेडियम के बीचों बीच इमैजन ज़रूर किया है। इकबाल मूवी में इस तरह के रिलेटेबल (Reletable) सीन्स की भरमार है। हालांकि, इकबाल का बेहतर होना सिर्फ़ इन सीन्स के इर्द-गिर्द नहीं है। बल्कि, इस फ़िल्म से जुड़े एक-एक एक्टर (Actor) के एफर्ट (Efferts) ने भी इकबाल में चार चांद लगाने का काम किया है। वो फिर चाहे फ़िल्म के लीड (Lead) श्रेयस तलपड़े और उनके कोच (Coach) बनें नसीरुद्दीन शाह हों, या इकबाल की बहन बनीं श्वेता बासु प्रसाद हों। सबने अपनी शानदार परफॉर्मेंस (Performance) से दिल जीत लिया। इस फ़िल्म की एक ख़ास बात हमे ये भी लगी कि इसने इंडियन क्रिकेट की पॉलिटिक्स (Politics) बहुत सटल ढंग से सामने रखा। साथ ही इकबाल की सक्सेस (Success) को बहुत ज़्यादा जादुई भी नही दिखाया। बल्कि, हर पर उसका संघर्ष सामने आया। फिर, चाहे वो संघर्ष घर से निकलकर क्रिकेट खेलने का हो या मैच के दौरान अपनी बात रखने का हो। इकबाल मूवी ने अपने कैरेक्टर और स्टोरी के साथ जस्टिस करते हुए क्रिकेट फ़ैन्स को एंटरटेनमेंट (Entertenment) के ज़बर्दस्त 132 मिनट दिए हैं।

इकबाल और लगान जैसी फिक्शनल फ़िल्म्स के बाद, अब बात बायोपिक पर तो बनती ही है। जिसमें सबसे पहला नाम इंडियन क्रिकेट की आन-बान-शान धोनी का आता है और उन पर ही बनी फ़िल्म हमारी इस लिस्ट में तीसरे नम्बर पर है;

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3) एम. एस. धोनी (द अनटोल्ड स्टोरी): 30 सितंबर (September) 2016 को जब ये फ़िल्म रिलीज़ (Release) हुई, तब तक धोनी इंडिया (India) को 2007 टी-ट्वेंटी वर्ल्डकप (World Cup), 2011 वनडे वर्ल्डकप, 2013 चैंपियंस (Champions) ट्रॉफी (Trophy) और ना जाने कितने ही ज़रूरी दूसरे कप (Cup) दिलवा चुके थे। इस फ़िल्म के रिलीज़ (Release) होने के 7 साल बाद, आज भी धोनी की इन सब ट्रॉफी जीत की कहानी (Story) को दोबारा नहीं दोहराया गया है। यही वजह है कि धोनी के कंट्रीब्यूशन (Contribution) या कहें उनके कारनामों का हाइलाइट (Highlight)  होना बनता है। जिसे इस फ़िल्म ने बहुत ही शानदार, बंधे हुए ढंग से हमारे सामने रखा भी था। डायरेक्टर (Director) नीरज पांडे ने साल दर साल कलर (Colour) ग्रेडिंग (Grading) का ध्यान रखने जैसी माईन्यूट (Minute) डिटेल से लेकर सुशांत के धोनी स्टाइल (Style) को पिक (Peak) करने तक, सबका खास ध्यान रखा था। फ़िल्म धोनी के पैदा होने से लेकर साल 2011 वन्डे वर्ल्ड कप जीत तक की कहानी को फ़ैन्स (Fans) ले सामने रखती है। क्योंकि, धोनी के पाकिस्तान के सामने 148 रन हो, श्रीलंका के सामने 183 रन हो या वानखेड़े में 2011 फ़ाइनल (Final) में जीत वाला छक्का हो, वो सब इस सदी में हुआ है और यूथ (Youth) उसकी गवाह थी। तो! इस मूवी (Movie) ने फ़ैन्स को प्राउड (Proud) के साथ एक नॉस्टैल्जिक (Nostalgic) फ़ील (Feel) भी दिया। जिसके चलते फ़ैन्स का एक्सपीरियंस (Experience) और भी नेक्स्ट (Next) लेवल (Level) हो गया। साथ ही इस फ़िल्म ने जिस अंदाज़ में धोनी के फुटबॉल गोल कीपर से विकेटकीपर (Wicketkeeper) बनने, हेलीकॉप्टर शॉट इंवेंट करने, पहली गर्लफ्रेंड को खोने, टीसी की नौकरी छोड़ने के डिसीज़न, ख़ुद को बतौर क्रिकेटर प्रूव (Prove) करने, जैसे गहरे मूमेंट्स (Moments) को फ़ैन्स के सामने रखा, वो वाकई क़ाबिले तारीफ़ था। इन सबके ऊपर अनुपम खेर, दिशा पटानी, कियारा आडवाणी और मोस्ट इम्पोर्टेन्ट (Important) सुशांत सिंह राजपूत की एक्टिंग (Acting) ने धोनी की फ़िल्म को बायोग्राफी (Biography) मूवीज़ (Movies) के बार की तरह सैट (Set) कर दिया है। इस मूवी का उस वक़्त असर ये था कि एक के एक बाद एक कई स्पोर्ट्स (Sports), पोलिटीशयन्स (Politicians) और अदर सक्सेसफुल (Successful) पर्सनालिटीज़ के ऊपर बायोपिक (Biopic) आईं। हालाँकि, वो इतनी सक्सेसफुल नहीं रहीं, जितनी अपनी एम एस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी रही थी।

धोनी जैसे सुपरस्टार की बायोपिक की सफ़लता के बाद सबको उम्मीद थी कि अगली सुपरहिट क्रिकेट बायोपिक भी किसी सुपरस्टार की ही होगी, लेकिन इस मिथ को साल 2022 में सीधे डिज़्नी हॉटस्टार पर आई एक अंडररेटेड प्लेयर की फ़िल्म ने तोड़ा और ये फ़िल्म ही हमारी इस लिस्ट में चौथे नम्बर पर है;

4) कौन प्रवीण तांबे ? : दोस्तों! आज से क़रीब डेढ़ साल पहले ऐसा माना जाता था कि जब कोई फ़िल्म सीधे ओटीटी (OTT) पर आए और बड़ी स्टार कास्ट (Cast) ना हो। तो मूवी में कुछ दम नहीं होगा। लेकिन, इस मिथ (Myth) को ब्रेक करने की शुरुआत जिस मूवी (Movie) ने की वो ‘कौन प्रवीण तांबे’ ही थी। इंडियन क्रिकेट हिस्ट्री (History) या कहें क्रिकेट हिस्ट्री में हुए अभी तक के सबसे इंस्पिरेशनल (Inspirational) क्रिकेटर प्रवीण तांबे की ज़िंदगी पर बनी ये फ़िल्म पहले दिन से ही खबरों (News) में आ गई थी। श्रेयस तलपड़े की एक्टिंग से लेकर जयप्रसाद देसाई की डायरेक्शन (Direction) तक, कौन प्रवीण तांबे एक दम सटीक उतरी थी। मूवी ने बहुत ज़्यादा ड्रामा (Drama) क्रिएट (Create) ना करते हुए, बड़े ही सिंपल (Simple) ढंग से मुम्बई जैसे बड़े शहर में रहने वाले एक मिडिल (Middle) क्लास (Class) आदमी की कहानी को हमारे सामने रखा। वो आदमी जिसने एक समय ज़िंदगी बसर करने के लिए ज़रूरत लायक पैसे कमाने की खातिर वेटर (Waiter) बनने जैसी कई ऑड (Aud) जॉब्स (Jobs) भी की और जब लाइफ़ (Life)  में स्टेबिलिटी (Stability) मिलती नज़र आई तो क्रिकेट के पैशन (Passion) को बतौर प्रोफेशन (Professional) चुनने का फ़ैसला लिया। मगर, ये फ़ैसला लेते लेते प्रवीण तांबे ने इतनी देर कर दी थी कि उम्र उन्हें इंटरनेशनल (International) क्रिकेट स्व रिटायर (Retire) होने वाले प्लेयर्स की कैटेगरी (Category) में ले आई थी। फिर! यहां से कैसे प्रवीण तांबे ने असल ज़िंदगी मे हार नहीं मानी और मुम्बई की गलियों से होते हुए कैसे ख़ुद को आईपीएल (IPL) और उससे भी आगे ले गए, बस उसे ही इस फ़िल्म ने शानदार ढंग से रखा। कौन प्रवीण तांबे आज की बहुत सी ड्रामेटिक (Dramatic) बॉलीवुड मूवीज़ के लिए एक ऐसा बेस्ट एग्ज़ाम्पल (Example) है, जो अपनी सादगी और सिम्पलीसिटी (Simplicity) से कहानी कहने की क्लास के कामयाब होने की मिसाल है। कौन प्रवीण तांबे चीख चीख कर बताती है कि अगर बहुत ज़्यादा ड्रामा और शोर शराबा किये बिना भी फ़िल्म अच्छे ढंग से बनाई जाए, तो सबको पसंद आती है।

दोस्तों! अब जब सिंपल और नॉन ड्रामेटिक क्रिकेट मूवी का ज़िक्र हमने छेड़ ही दिया है, तो टॉप क्रिकेट बेस्ड मूवीज़ की इस लिस्ट में आज आख़िरी मूवी भी एक ऐसी ही फ़िल्म है, जो बहुत ज़्यादा ड्रामा और थ्रिल को ख़ुद से कोसो दूर रखती है;

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5) सचिन अ बिलियन ड्रीम्स: जब 2016 में धोनी की बायोपिक (Biopic) आयी और इतनी सक्सेसफुल हुई, तो फ़ैन्स की उम्मीद सचिन की बायोपिक से काफ़ी ज़्यादा बढ़ गयी थी। लेकिन, जब सचिन अ बिलियन (Billion) ड्रीम्स (Dreams) थियेटर (Theater) में आई तो उसे उतनी तारीफ़ पहले दो दिन नहीं मिली। क्योंकि, फ़ैन्स जिस एक्सपेक्टेशन (Expectations) के साथ हॉल्स में जा रहे थे, ये फ़िल्म उससे काफ़ी अलग थी। बेसिकली (Basically) सचिन की बायोपिक एक फ़िल्म और डॉक्यूमेंट्री (Documentary) के मिक्सचर (Mixture) का बेस्ट एग्ज़ाम्पल (Example) है। यही वजह है कि जैसे जैसे फ़ैन्स को इस मूवी का स्टाइल (Style) समझ आया, तो उन्हें सचिन आ बिलियन ड्रीम्स (Dreams) का टेस्ट पसंद भी आया। क्योंकि, उस दौर में बाहुबली 2 जैसी मूवी भी थियेटर में थी। इसलिए, सचिन की बायोपिक का 50 करोड़ कमाना किसी जादू से कम नहीं था। ये बिल्कुल उस जादू की तरह था, जिसे क्रिकेटर (Cricketer) सचिन ने ढाई दशकों तक क्रिकेट पिच पर अंजाम दिया था। कैसे एक घर के चहेते लड़के को पूरे देश ने चाहा था, उस कहानी को सचिन आ बिलियन ड्रीम्स ने बखूबी फ़ैन्स के सामने रखा था। क्योंकि, आज इस फ़िल्म की बात बहुत कम होती है, इसलिये सचिन आ बिलियन ड्रीम्स बहुत से क्रिकेट फ़ैन्स की वॉचलिस्ट (Watchlist) में नहीं है। लेकिन, नारद टी वी ज़रूर चाहेगा कि अगर आपके पास वक़्त हो तो इस मूवी को एक ट्राई ज़रूर दें।

तो दोस्तों! क्रिकेट के भगवान की कहानी के साथ ही हम आज की अपनी इस पोस्ट को यहीं रोकते हैं और अब जल्द मिलेंगे क्रिकेट पर बनी टॉप 5 वर्स्ट मूवीज़ लिस्ट लेकर। बाक़ी, अपने इस पोस्ट को प्यार दिया। तो हम टॉप 5 बेस्ट क्रिकेट बेस्ड मूवीज़ के अगले पार्ट पर भी विचार कर सकते हैं।

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