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शुभमन गिल: पंजाब के खेतों से टीम इंडिया तक का सफर

Shubman Gill Biography in Hindi

विराट कोहली ने हाल ही में अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के शानदार चौदह साल पुरे कर लिए और कुछ इतना ही समय रोहित शर्मा को भी हो गया है और अब जैसे जैसे समय बीत रहा है भारतीय क्रिकेट में इन दो महान बल्लेबाजों के उत्तराधिकारी की तलाश भी जोर पकड़ने लगी है, जिसके लिए किसी ऐसे खिलाड़ी की जरूरत है जो सचिन और विराट की विरासत को सफलता पूर्वक आगे बढ़ा सकें और इस रेस में फिलहाल जो नाम सबसे आगे चल रहा है वो है शुभमन गिल, जिन्होंने हर मौके पर इस दावेदारी को मजबूत करने का काम किया है।

8 सितंबर साल 1999 के दिन भारत पाकिस्तान बोर्डर के पास स्थित पंजाब के फाज्लिका जिले के चक खेरावाला गांव में पिता लखविंदर सिंह और मां कीर्त गिल के मध्यमवर्गीय खेतीहर परिवार में उनके बेटे शुभमन गिल का जन्म हुआ था, शुभमन गिल की एक बड़ी बहन भी है जिनका नाम शाहिन गिल है।

शुभमन के पिता और दादा से लेकर शुभमन गिल की पिछली कई पीढ़ियों ने खेती से ही अपना जीवनयापन किया था लेकिन लखविंदर सिंह इस परम्परा के उल्ट एक क्रिकेटर बनना चाहते थे, उनमें प्रतिभा भी थी लेकिन परिवार से मदद और सही दिशा नहीं मिलने के कारण लखविंदर सिंह को अपना सपना छोड़कर खेती-बाड़ी को ही आगे बढ़ाना पड़ा।

Shubman Gill Family
Shubman Gill Family

पिता किसान तो बन गए थे लेकिन उनके अंदर क्रिकेट खेलने का जुनुन कभी खत्म नहीं हुआ और यही कारण था कि उनके घर में हर समय चार पांच बल्ले और टेनिस गेंद पड़ी रहती थी, शुभमन गिल जब तीन साल के हुए तो वो भी भारी बल्ले को उठाने की कोशिश किया करते थे और जब कोशिश कामियाब नहीं हो पाती तो उदास हो जाते थे,

शुभमन के दादाजी और पुरा परिवार उन्हें अलग-अलग खिलौने देकर खुश करने की कोशिश करता लेकिन शुभमन को उस बल्ले और गेंद के अलावा किसी भी दुसरे खिलौने में दिलचस्पी नहीं थी।

ये सब देखकर शुभमन गिल के दादाजी ने अपने पोते के लिए एक हल्का बैट बनवाया और यहां से लगभग चार साल की उम्र से शुभमन गिल क्रिकेट के साथ साथ बड़े होने लगे, दिलचस्पी बढ़ने लगी तो लखविंदर सिंह अपने बेटे को घर के बरामदे में रोज टेनिस गेंद से बैटिंग करवाने लगे।

समय बितने के साथ साथ शुभमन गिल के पिता को समझ में आने लगा कि उनका बेटा भी क्रिकेट में एक विशेष प्रतिभा लेकर पैदा हुआ है, धीरे-धीरे वो शुभमन गिल को अपने साथ खेत ले जाने लगे और वहां भी शुभमन गिल के लिए एक अच्छी पीच का निर्माण करवा दिया जहां शुभमन अपने पिता सहित उम्र में खुद से बड़े कई लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करते थे।

शुभमन गिल के साथ खेलने वाले लड़कों को लखविंदर सिंह कहते थे कि जो भी लड़का उनके बेटे को आउट कर देगा उसे वो पचास रुपए देंगे, कभी कभी यह ईनाम राशि सौ रुपए तक पहुंच जाती थी लेकिन सप्ताह में एक दो बार ही ऐसा होता था कि कोई लड़का शुभमन गिल को आउट कर पाता था बाकि दिनों में ईनाम राशि शुभमन गिल को मिलती थी।

शुभमन गिल में हुनर तो था लेकिन उन्होंने अभी तक क्रिकेट को प्रोफेशन बनाने के बारे में सोचना शुरू नहीं किया था, उनके लिए क्रिकेट स्कूल होमवर्क से पीछा छुड़ाने और पिता से रुपए इकट्ठा करने का एक साधन मात्र ही था।

लेकिन लखविंदर सिंह को अपने बेटे का भविष्य साफ नजर आ रहा था और उस भविष्य को हकीकत बनाने के लिए लखविंदर सिंह शुभमन को सर दिन प्रैक्टिस करवाया करते और क्रिकेट से जुड़े कई पुराने किस्से कहानियां सुनाया करते थे,घर में टेलीविजन पर सिर्फ क्रिकेट मैच चला करता था जिसमें सचिन को देखकर शुभमन गिल को इस खेल के मायने समझ में आने लगे और वो उन्होंने इस खेल को पसंद करना शुरू कर दिया था।

शुभमन सात आठ साल की उम्र में हर दिन अपने पिता की पांच सौ से छः सौ गेंदों का सामना करते थे जिन्हें उनके पिता नये नये तरीकों से फेंका करते थे, कई बार तो ऐसा भी होता था कि लखविंदर सिंह पीच पर चारपाई ले आते थे जिस पर पड़कर गेंद ज्यादा तेजी से शुभमन गिल तक पहुंचती थी और इस तरह शुभमन गिल को तेज गेंदबाजी का सामना करने का गुर भी उनके पिता ने ही सिखाया था।

यह वो समय था जब शुभमन गिल अपना अधिकतर समय खेतों में अपने पिता के साथ बिताते थे और उन्हें खेतों का माहौल अच्छा लगने लगा था, उन्हें खेती की विधियां सीखने समझने में भी दिलचस्पी पैदा होने लगी थी और उनके पिता की बात मानें तो शुभमन गिल अगर क्रिकेटर नहीं बनते तो उन्हें किसान बनने से भी कोई हर्ज नहीं था।

Shubman Gill Childhood

शुभमन गिल की क्रिकेट लगातार अच्छी हो रही थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्तर तक पहुंचने के लिए शुभमन गिल को एक अच्छी कोचिंग की जरूरत थी जो गांव में रहकर मुहैया करा पाना मुश्किल था और इसलिए अपने बेटे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए लखविंदर सिंह अपने परिवार के साथ खेत खलिहान छोड़कर गांव से 300 किलोमीटर दूर मोहाली आ गए और वहां पंजाब क्रिकेट एकेडमी के पास एक किराये के घर में रहना शुरू कर दिया।

यहां आकर शुभमन गिल ने मानव मंगल स्मार्ट स्कूल को ज्वाइन कर लिया लेकिन यहां भी क्रिकेट के खेल में अच्छा स्ट्रेक्चर नहीं था इसलिए शुभमन गिल ने स्कूल के बाद क्रिकेट एकेडमी जाना शुरू कर दिया था।

सुबह साढे तीन बजे उठकर चार बजे तक तैयार होना और फिर अपने पिता के साथ दो घंटे की क्रिकेट प्रैक्टिस के बाद स्कूल जाना और वहां से आकर क्रिकेट प्रैक्टिस और फिर एकेडमी के मैदान पर देर रात तक अपने हुनर को पुख्ता करने पर काम करना, ये गिल की दिनचर्या थी जो रविवार के दिन और भी सख्त हो जाती थी क्योंकि उस दिन गिल लगभग पुरा दिन मैदान पर ही बिताते थे।

शुभम् गिल का का समय क्रिकेट के इर्द-गिर्द ही बितने लगा था लेकिन इससे उन्हें किसी भी प्रकार की तकलीफ़ का अहसास नहीं होता था बल्कि वो तो जितना अधिक हो सके अपने से बड़ी उम्र वाले लड़कों के साथ खेलने में खुश रहने लगे थे, समय गुजर रहा था, शुभमन गिल की उम्र लगभग ग्यारह साल की हो गई थी

लेकिन एकेडमी से बाहर उनकी क्रिकेट आगे नहीं बढ़ रही थी, वो एक ही जगह सिमटकर रह गए थे मगर फिर साल 2009 में पुर्व भारतीय तेज गेंदबाज करसन घावरी को पंजाब क्रिकेट एकेडमी में तेज गेंदबाज तैयार करने के लिए शामिल किया गया था, जहां अंडर सिक्सटीन और अंडर नाइनटीन के खेलने वाले गेंदबाज अलग अलग राज्यों से आये थे लेकिन इन गेंदबाजों को तैयार करने के लिए घावरी को अच्छे बल्लेबाज नहीं मिल रहे थे।

चार पांच दिन तक ऐसा चलता रहा और फिर एक दिन जब बारिश के चलते प्रैक्टिस सेशन रोकना पड़ा तो घावरी अपने एक दोस्त के साथ घुमने निकल पड़े और पंजाब क्रिकेट एकेडमी के पास एक मैदान पर उन्होंने कुछ बच्चों को खेलते हुए देखा जिनमें एक ग्यारह बारह साल का बच्चा बारिश के बावजूद भी तेज गेंदबाजों को बड़ियां तरीके से खेल रहा था,

यहां उनकी मुलाकात शुभमन गिल के पिता से भी हुई जो वो मैच देख रहे थे और उनसे घावरी ने कहा कि वो उनके बेटे को हर तरह की सुविधाएं देंगे आप बस उसे कल उनके पास भेज दीजियेगा, अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने का सपना देख रहे लखविंदर सिंह के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती थी कि भारत के एक महान खिलाड़ी उनके बेटे को खुद तैयार करना चाहते थे, लखविंदर सिंह ने घावरी को हां कह दिया और घर आ गए।

Shubman Gill Childhood

अगले दिन शुभमन गिल घावरी के पास पहुंच गए जहां एक से बढ़कर एक तेज गेंदबाजों से उनका सामना हुआ जिनमें संदीप शर्मा भी शामिल थे, घावरी ने जब बेहतरीन गेंदबाजों के सामने गिल को अच्छे से खेलते हुए देखा तो वो समझ गए कि शुभमन गिल को अब बस एक बड़े मंच की जरूरत है और ऐसे में जब उन्हें पता चला कि शुभमन गिल को अभी तक अंडर फोरटीन में खेलने का मौका नहीं मिला है तो उन्होंने पंजाब क्रिकेट के बड़े पदाधिकारियों से गिल को अंडर फोरटीन और अंडर सिक्सटीन में शामिल करने के लिए कहा।

यहां से अंडर फोरटीन में शानदार प्रदर्शन के बाद गिल ने अंडर सिक्सटीन में अपना आगाज शानदार दोहरे शतक के साथ किया और इसी दौरान गिल ने साल 2014 में एमएल मारकन ट्रोफी के अंतर्गत खेले जा रहे इंटर डिस्ट्रिक्ट टुर्नामेंट में मोहाली के लिए खेलते हुए निर्मल सिंह के साथ मिलकर 587 रनों की बेहतरीन साझेदारी निभाई थी जिसमें शुभमन गिल ने 49 चौकों की मदद से 351 रनों की पारी खेली थी।

इस‌ प्रदर्शन के दम पर गिर ने पंजाब की अंडर नाइनटीन टीम में अपनी जगह बनाई और यहां भी बेहतरीन प्रदर्शन किया।

शुभम् गिल को साल 2014 और साल 2015 में अपने प्रदर्शन के लिए बीसीसीआई की तरफ से बेस्ट अंडर सिक्सटीन खिलाड़ी का पुरस्कार दिया गया था और यहीं गिल की मुलाकात पहली बार विराट कोहली से हुई थी।

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साल 2017 में गिल को भारत की अंडर नाइनटीन टीम में शामिल किया गया जहां इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में खेलते हुए गिल ने चार मैचों में 278 रन बनाए थे, और यहां से डोमेस्टिक क्रिकेट के दरवाजे गिल के लिए खुल गए।

25 फरवरी साल 2017 को विदर्भ के खिलाफ खेलते हुए अपने लिस्ट ए करियर का आगाज करने के बाद इसी साल नवम्बर के महीने में गिल ने फस्ट क्लास क्रिकेट में भी पर्दापण किया और फिर अपने दुसरे ही फस्ट क्लास मैच में अपना पहला शतक भी लगा दिया था।

अगले साल गिल को अंडर नाइनटीन वर्ल्डकप के लिए भारतीय टीम का वाइस कप्तान चुना गया, जहां इस बल्लेबाज ने भारत के लिए सबसे ज्यादा 372 रन बनाए थे और अपने देश को विश्व चैंपियन बनाने में सफल भूमिका निभाई थी।

सेमीफाइनल में पाकिस्तान से भिड़ने से पहले गिल को यह खबर मिली कि वो आने वाले आईपीएल सीजन में कोलकाता के लिए खेलने वाले है जिन्होंने उन्हें 1.8 करोड़ की बिड के साथ अपने दल में शामिल कर लिया है।

इस खुशखबरी के साथ गिल अगले दिन पाकिस्तान के खिलाफ मैदान पर उतरे और शानदार शतकीय पारी खेलकर भारत को फाइनल में पहुंचाया।

Shubman Gill Under19
Shubman Gill Under19

इसी साल गिल ने फस्ट क्लास क्रिकेट में अपना पहला दोहरा शतक भी लगा दिया और फिर साल 2019 के पहले महीने में फस्ट क्लास क्रिकेट में अपने एक हजार रन भी पुरे कर लिए थे।

नवम्बर 2019 में इंडिया सी टीम का कप्तान बनने के साथ ही गिल ने सबसे युवा कप्तान बनने के मामले में विराट कोहली को पीछे छोड़ दिया था।

31 जनवरी साल 2019 ही वह दिन रहा जब गिल को न्यूजीलैंड गई भारतीय टीम में चौथे वनडे के लिए विराट कोहली की जगह अपना पहला वनडे मैच खेलने का मौका मिला, इस मैच में भारत की बल्लेबाजी 92 रनों पर ही सिमट गई थी जिसके चलते गिल के लिए अपना डेब्यू भुलाने लायक ही रहा।

गिल को सीरीज के आखिरी मैच में भी खेलने का मौका मिला जिसमें यह बल्लेबाज सिर्फ सात रन बनाकर आउट हो गया था।

शुभम् गिल को 2019 आईपीएल सीजन में इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का अवार्ड दिया गया था जिसके बाद अगस्त के महीने में गिल फस्ट क्लास क्रिकेट में इंडिया ए के लिए खेलते हुए दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बन गए, गिल ने यह कारनामा शानदार गेंदबाजों से लेस वेस्टइंडीज ए टीम के खिलाफ खेलते हुए ब्रायन लारा क्रिकेट एकेडमी स्टेडियम पर खेलते हुए पुरा किया था।

गिल को साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए भी चुना गया लेकिन खेलने का मौका नहीं मिला जिसके बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ भी उनके साथ यही हुआ और फिर आखिरकार गिल को आस्ट्रेलिया के खिलाफ दिसंबर 2020 में सीरीज के दुसरे टेस्ट मैच में पर्दापण करने का मौका मिला जिसमें इस बल्लेबाज ने भारत को सीरीज में वापसी करवाने में अहम भूमिका निभाई थी।

Shubman Gill Test
Shubman Gill Test

इसके बाद गिल उस ऐतिहासिक गाबा टेस्ट का भी हिस्सा रहे जिसे जीतकर भारत ने आस्ट्रेलिया को उन्हीं के घर में हराकर बोर्डर गवास्कर ट्रोफी को अपने नाम किया था, इस मैच में गिल के 91 रनों की पारी को बहुत से क्रिकेट खिलाड़ियों से प्रशंसा मिली थी।

गिल को इसके बाद जहां भी जिस रोल में भी खेलने का मौका मिला इस खिलाड़ी ने उस मौके को भुनाया और यही वजह है कि गिल आज भी भारतीय टीम की अहम कड़ी बने हुए हैं।

हाल ही में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलते हुए वनडे सीरीज में गिल ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर मैन ऑफ द सीरीज का अवार्ड हासिल किया और इसी सीरीज के आखिरी मैच में शानदार 130 रन बनाकर वनडे क्रिकेट में अपना पहला शतक भी पुरा कर लिया है, इस बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर अब गिल ने आगे आने वाले मौकों के लिए भी अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर दी है।

गुजरात टाइटेंस की तरफ से खेलते हुए आईपीएल चैंपियन बनने वाले शुभमन गिल ने अभी तक अपने छोटे से करियर में बेहतरीन प्रदर्शन किया है और इसी उम्मीद के साथ कि यह बल्लेबाज इसी तरह अपने प्रदर्शन को जारी रखते हुए भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाएं

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