BiographySports

मैथ्यू हेडेन: कहानी एक बेख़ौफ़ बल्लेबाज की

Australia Cricketer Matthew Hayden Biography in Hindi

“हैडन वॉक्स टू द मिडिल एंड स्मैश्ड लाइक ए रॉकेट”। किसी भी कमेंटेटर के ये अल्फ़ाज़ मैथ्यू हैडन की आक्रामकता की गवाही देने के लिए काफ़ी हैं। तेज़ गेंदबाज़ों को आगे बढ़कर ऑन ड्राइव खेलने वाले क़्वीन्सलैंड के महान बल्लेबाज मैथ्यू हैडन यानि हैडोज़ की आज हम बात करेंगे और आपको उन लम्हों, रिकार्ड्स से भी रूबरू करवाएंगे जिन्होंने हैडन को विश्व के महानतम लेफ्ट हैंडेड ओपनर्स की श्रेणी में चिह्नित किया।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम…..और आप देख रहे हैं नारद TV। आज की यह वीडियो महान ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज मैथ्यू हैडन के जीवन कहानी को समर्पित है। 3 साल की उम्र में पैड पहनकर क्रिकेट खेलने की समझ रखने वाले इस खिलाड़ी ने 103 टेस्ट्स में ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की जो सेवा की, वो उन्हें सबसे ख़ास बनाती है।

 शुरुआती जीवन

29 अक्टूबर 1971 से, जब क्वीन्सलैंड में मोया हैडन और लॉरी हैडन के घर मैथ्यू पैदा हुए।  ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में लगभग हर घर में क्रिकेट का वातावरण रहता ही है, ऊपर से एशेज की राइवलरी से हर कोई वाकिफ़ है। कुछ कुछ यही हाल हैडन के घर में भी था।हैडन ने अपने फार्म पर महज 3 साल की उम्र में ही बल्ला थामना और क्रिकेट की थोड़ी बहुत बारीकियां देख सुनकर सीख ली थी।

बचपन से ही वो प्रोएक्टिव गेम के आदी थे यानि खेल को आक्रामकता से डोमिनेट करने के पक्षधर। 1991 में जब वो पहला फर्स्ट क्लास मैच खेलने उतरे तो उन्होंने किसी से पूछा कि क्या किसी ने डेब्यू में 200 बनाये हैं। औऱ खुद जाकर 149 ठोक दिए, जो कि अगले 17 साल तक रिकॉर्ड रहा।

उन्होंने न केवल एज ए बैट्समैन बल्कि एक स्लिप के फील्डर के रूप में भी खुद को स्थापित किया, जहां वो महान वार्न, पोटिंग और मार्क वॉ के साथ अक्सर गेंदबाज़ों की हौंसलाअफ़ज़ाई करते देखे जाते थे। उन्होंने अपनी मातृभूमि क्वीन्सलैंड के लिए पूर्ण समर्पण के साथ 101 फर्स्ट क्लास मैच खेलते हुए 8831 रन बनाए।

Matthew Hayden
Matthew Hayden

टेस्ट डेब्यू:-

हैडन को 1993 के इंग्लैंड दौरे के लिए चुना गया था, साथ ही में मार्क टेलर को भी। हुआ कुछ यूं कि टेलर को पहले ओपनर के तौर पर खिलाया गया, और वो बेहतर खेल दिखाते गए और आने वाले वक़्त में मार्क वॉ के अच्छे जोड़ीदार बने , जबकि हैडन को एक साल बाद 4 मार्च 1994 को टेस्ट डेब्यू का मौका मिला, एक तो उन्होंने स्कोर किये 15 और 5, रही सही कसर उनकी चोट ने पूरी कर दी।

 

उठापटक का दौर:-

2 साल बाद फिर से हैडन को वेस्टइंडीज और साउथ अफ्रीका के ख़िलाफ़ 3 टेस्ट मैचों में मौका मिला। उन्होंने हालांकि एडिलेड में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ शानदार 125 बनाकर अपनी पहली टेस्ट सेंचुरी बनाई लेकिन कुल 6 टेस्ट मैचों में उनकी औसत महज 24 की रही और वो चार बार तो खाता भी नहीं खोल सके।

कुछ यही हाल ODI में भी रहा। 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू के बाद उनको  1993 से 1994 के बीच कुल 13 ODI खेलने के बाद उनको सीधे 2000 में मौका मिला।

 

एरा ऑफ हैडोज़ डोमिनेशन:-

साल 1999-2000 के सीज़न के लिए उनकी वापसी ऑस्ट्रेलिया की टीम में हुई, जिसकी वजह थी फर्स्ट क्लास मैचों में लगातार अच्छा प्रदर्शन। हालांकि पहले न्यूज़ीलैंड और फिर वेस्टइंडीज दौरे पर उनका परफॉर्मेंस एवरेज ही रहा, लेकिन उनकी स्वीप और स्लॉग स्वीप खेलने के परफेक्शन ने उनको 2001 के इंडिया टूर के लिए जगह दे दी।

यह टूर केवल 2 खिलाड़ियों के लिए अभूतपूर्व परिवर्तन लेकर आया एक थे युवा हरभजन सिंह, जिन्होंने महज 3 मैचों में 32 विकेट लिए और दूसरे थे खुद हैडन जिन्होंने 3 मैचों में शानदार 549 रन बनाए और औसत रही 109 की। उसके बाद न हैडन ने पीछे मुड़कर देखा न हरभजन ने। हैडन उस टेस्ट सीरीज के बाद खुद ही ओपनर स्लॉट में परमानेंटली फिक्स हो गए।

2001 से 2005 तक लगातार 5 साल उन्होंने टेस्ट में 1000 रनों के माइलस्टोन पार किया, ये ख़ुद में वर्ल्ड रिकॉर्ड है। साल 2003 में ज़िम्बाम्ब्वे के खिलाफ वाका की पिच पर विशालकाय 380 रन बनाकर उन्होंने कुछ वक्त के लिए टेस्ट का उच्चतम स्कोर अपने नाम किया था, इसी साल उनको विजडन के टॉप 5 क्रिकेटर्स में भी चुना गया। लेकिन उनके 380 रन खुद में कई रिकार्ड्स लिए हुए हैं, जैसे सेकंड हाईएस्ट टेस्ट स्कोर, ओपनर का सर्वाधिक स्कोर, ऑस्ट्रेलिया के लिए व्यक्तिगत सर्वाधिक स्कोर।

Hayden
Hayden

वहीं ODI में उनको 2003 वर्ल्ड कप में जगह दी गयी, जहां उन्होंने ठीक ठाक से ऊपरी स्तर का परफॉर्मेंस दिया, खासकर भारत के खिलाफ लीग मैच में 45 नाबाद, नामीबिया के खिलाफ 88 और फाइनल में 37। 2004 के अंत में उनका साथ अपनी फॉर्म से छूटने से लगा था क्योंकि लगातार 16 टेस्ट बिना शतक के बीत चुके थे। 2005 की ऐतिहासिक एशेज के चार मैचों में एक भी पारी में वो 40 से ऊपर नहीं जा पाए थे, हालांकि ओवल के अंतिम टेस्ट में 138 रनों ने उनका कैरियर बचा लिया।

लेकिन उसके बाद उनकी फॉर्म ने उनका साथ छोड़ दिया। हालांकि 2006-07 के सीजन में उन्होंने वापसी की क्योंकि साइमन काटिच और वाटसन बाहर हो गए थे। यहां  वो अपने कैरियर के अंतिम पड़ाव में थे लेकिन उनका जज़्बा काबिलेतारीफ था।

 बड़े मुकाबलों का बड़ा खिलाड़ी:-

20 फरवरी 2007 को विश्व कप से ठीक पहले उन्होंने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 181 नॉट आउट बनाकर अपने इरादे साफ कर दिए थे, लेकिन उनके ये 181 नाबाद आज भी दूसरे नम्बर पर है जब टीम को हार का सामना करना पड़ा हो। 2007 के वन डे विश्व कप में हैडन का बल्ला जमकर गूंजा। 659 रन बनाकर वो सर्वाधिक स्कोरर तो रहे ही साथ में 3 शतक भी मारे।

ऑस्ट्रलिया की उस विश्व कप जीत में मैक्ग्रा और हैडन ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी। सुपर 8 मुकाबलों के पूरे होने से पहले ही हैडन 3 शतक बना चुके थे, साउथ अफ्रीका के खिलाफ 66 गेंदों में शतक बनाने वाले हैडन को सेंट किट्स के प्रधानमंत्री ने नागरिकता का भी पुरस्कार दिया। तब सचिन के बाद वो दूसरे खिलाड़ी बने जिसने विश्व कप के महाकुम्भ में 600 से ज्यादा रन बनाए हों, जबकि आयरलैंड के खिलाफ उन्होंने बल्लेबाजी ही नहीं की।

छोटा सा T20 कैरियर:-

मैथ्यू हैडन ने ऑस्ट्रेलिया के लिए कुछ एक ट्वेंटी ट्वेंटी मैचों में भी हिस्सा लिया, साल 2007 के वर्ल्ड कप में 265 रनों के साथ ही वो टॉप स्कोरर भी रहे। उनकी ओवरआल t20 औसत 51 की रही। हैडन को 2007 की वन डे विश्व कप और T20 विश्व कप की “टीम ऑफ द टूर्नामेंट” में भी चुना गया।

फ्रैंचाइज़ी लीग में उन्होंने IPL से चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए 3 सीजन खेले और साल 2009 में टॉप स्कोरर भी रहे। बिग बैश लीग में ब्रिस्बेन हीट के लिए खेलने की चाह में उन्होंने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया में अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।

Matthew Hayden T20
Matthew Hayden T20

कैरियर का अंतिम पड़ाव:-

वन डे में 2008 का सीजन उनका अंतिम सीज़न रहा, जहां कॉमनवेल्थ सीरीज के दौरान 4 मार्च 2008 को इंडिया के ख़िलाफ़ उन्होंने आखिरी मुकाबला खेला, और अपने लंबे कैरियर में महज 161 मैचों में शिरकत करते हुए 6133 रन बनाए, जिनमें 10 शतक और 36 अर्धशतक शामिल हैं।

वहीं टेस्ट मैचों में लगातार खराब फॉर्म के चलते जब उनको ODI टीम से ड्राप किया गया तब उन्होंने 2009 में गाबा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी प्रारूपों से सन्यास का ऐलान कर दिया, और 3 जनवरी 2009 को अफ्रीका के खिलाफ अपना अंतिम टेस्ट खेला। 103 टेस्ट में 8625 रन, 30 शतक और 29 अर्धशतक उनकी टेस्ट काबिलियत की गवाही देते हैं। मैथ्यू हैडन अपने देश के महान ओपनर के रूप में जाने जाते रहेंगे।

लैंगर-हैडन शो:-

मार्क टेलर के बाद जहां माइकल हसी को टीम में जगह मिली तो वही हैडन एक परमानेंट ओपनर बन गए। उनको जोड़ीदार मिला जस्टिन लैंगर। दोनों बाएं हाथ के बल्लेबाज, एक आक्रामक और एक शांत और चतुर। 100 से अधिक टेस्ट पारियों में टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली इस जोड़ी ने 5654 रन बनाए हैं, औसत रही 51.8 की। केवल ग्रीनिज और हैंस की ओपनिंग जोड़ी ने उनसे ज्यादा

रन बनाए हैं। स्लिप में भी वो लैंगर के अच्छे जोड़ीदार रहे। जब 2006 एशेज में लैंगर रिटायर हुए तो हैडन भावुक हो गए, क्योंकि उनका सोचना था ये जोड़ी कभी रिटायर ही नहीं होगी। उनकी जोड़ी हाल ही में फिर से देखी गयी। t20 वर्ल्ड कप 2021 में ,जहां लेंगर ऑस्ट्रलिया के कोच थे तो वही हैडन पाकिस्तान के।

Matthew Hayden Justin Langer
Matthew Hayden Justin Langer

 संयास के बाद के हैडन:-

उन्होंने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया के नृजातीय समूहों के बीच क्रिकेट को बढ़ावा देने का काम किया है। इसके अलावा हैडन ऑस्ट्रेलियन इंडिजेनस एजुकेशन फाउंडेशन के एम्बेसडर भी हैं।

क्योंकि वो एक अच्छे कुक भी हैं तो उन्होंने रिटायरमेंट के बाद इस पर भी अच्छा खासा ध्यान दिया है।, उनकी कुकिंग की किताबें 2004 और 2006 में छप चुकी है।

वो ब्रैस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता जैसे अभियानों से भी जुड़े हुए हैं।

  पर्सनली कैसे हैं हैडन:-

वो एक रोमन कैथोलिक ईसाईं हैं,शतक के बाद क्रॉस बनाकर सेलिब्रेशन कौन भूल सकता है। 14 जुलाई 2000 को उन्हें ऑस्ट्रेलियन स्पोर्ट्स मैडल दिया गया। 2009 में वो Q150 का भाग बने, यानी क्वीन्सलैंड के 150 आइकॉन में से वो भी एक हैं। उन्हें 2010 में क्रिकेट में देश की सेवा के लिए आर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया का  मेंबर बनाया गया।

उन्होंने केलिए से शादी की है और उनके तीन बच्चे हैं। हैडन एक अच्छे कुक और अच्छे स्पीकर भी हैं। फिलहाल वो कमेंटरी में अपना जादू चला रहे हैं।

Matthew Hayden Commentary
Matthew Hayden Commentary

विवादों से नाता:-

वैसे तो हैडन शांति से आकर खेलकर चले जाते थे, लेकिन विवादों से कौन बच पाया है। साल 2002 में उनके और शोएब अख्तर के बीच यू मिस आई हिट वाला विवाद भी चला जब अख्तर की तेज गेंदों पर बीट होने पर हैडन आपा खोते जा रहे थे।

2003 में उन्होंने अंपायर के ग़लत फैसले पर नाखुश होकर ड्रेसिंग रूम की खिड़की तोड़ दी और बाद में फाइन भरा।

2007 बॉर्डर गावस्कर ट्राफी के दौरान मंकीगेट प्रकरण में उन्होंने हरभजन के खिलाफ गवाह बनने की ठानी थी, जबकि वो उस बहस में शामिल तक नहीं थे।

इसी टेस्ट सीरीज में इशांत शर्मा को बॉक्सिंग के लिए ललकारने की वजह से उन पर संहिता तोड़ने का आरोप लगा।

वसीम अकरम और BCCI ने उनकी तब कड़ी से कड़ी आलोचना की जब उन्होंने भारत को थर्ड वर्ल्ड कहा।

 

कुल मिलाकर उनका कैरियर हारकर जीतने वाले बाजीगर की तरह रहा है। 6 साल के बाद टीम में वापसी कर 2003 विश्व कप जीतना और फिर बाहर होना, फिर से वापस आकर 2007 वर्ल्ड कप जीतना,  यह सब दिखाता है कि हेडन ने आउट ऑफ फॉर्म होकर कभी बेवजह की सहानुभूति नहीं बंटोरी न ही टीम में बने रहने की ज़िद की, बल्कि वापस डोमेस्टिक गेम्स में गए, बिना अपने ईगो के खेले और जबरदस्त वापसी की। यही सीख आजकल के कुछ खिलाड़ियों को भी चाहिए।

Watch on YouTube-

 

 

Show More

Related Articles

Back to top button