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भारतीय क्रिकेट इतिहास के पहले ग्यारह खिलाड़ियों को जानिए

India's First International Cricket Team And Match

दोस्तों कहा जाता है कि कोई सफर किस तरह आगे बढ़ेगा इसका निर्धारण कुछ हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि उस सफर की शुरुआत किस तरह से हुई थी।

भारतीय क्रिकेट का सफर बहुत जल्द अपने 90 साल पुरे करने वाला है और इस शानदार सफर की सफलता यह साबित करती है कि इसकी शुरुआत बहुत हद तक शानदार रही थी।

और उस शानदार शुरुआत के पीछे सबसे बड़े कारण वो ग्यारह खिलाड़ी थे जो 25 जून साल 1932 के दिन लोर्डस के मैदान पर अपने देश के लिए टेस्ट मैच खेलने उतरे थे।

आज जब भारतीय क्रिकेट विश्व क्रिकेट के आसमान पर सूरज की तरह चमक रही है तो उन जुगनुओ की बात करना जरूरी हो जाता है जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए इस सूरज को तैयार करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
तो आज हम आपको उन ग्यारह खिलाड़ियों के बारे में बताने वाले है जिन्होंने भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे पहले टेस्ट मैच में हिस्सा लिया था।

The All India cricket team before the start of their first match of their tour of England, played against Worcestershire at New Road in Worcester, 2nd May 1936. 

7 हिंदू, 5 मुस्लिम, 4 पारसी और दो सिख

2 अप्रैल साल 1932 वो ऐतिहासिक दिन रहा जब पराधीन भारत के बम्बई शहर से 7 हिंदू, 5 मुस्लिम, 4 पारसी और दो सिख खिलाड़ी अपने देश की तरफ से 37 क्रिकेट मैच खेलने इंग्लैंड दौरे के लिए रवाना हुए जिसका मुख्य आकर्षण भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे पहला टेस्ट मैच था जो जून के महीने में इसी दौरे के दौरान शुरू होने वाला था।

29 अप्रैल से यह दौरा शुरू हुआ और समय बीतने के साथ 25 जून 1932 का वो दिन भी आ गया जब भारतीय टीम को इंग्लैंड के लोर्डस मैदान पर अपना पहला ओफीशियल टेस्ट मैच खेलने उतरना था, बहुत से नामों पर विचार करने के बाद आखिरकार मैच शुरू होने से कुछ ही समय पहले सीके नायडू को भारत की पहली टेस्ट टीम का कप्तान बनाया गया था।

भारत की पहली टीम के कप्तान सीके नायडू

31 अक्टूबर साल 1895 को सीके नायडू का जन्म नागपुर में रहने वाले एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था।
साल 1916 में हिन्दूज की तरफ से खेलते हुए नायडू ने अपने फस्ट क्लास क्रिकेट करियर का आगाज किया और यह सफर अगले चालीस सालों तक बदस्तूर जारी रहा था।

1926 में आर्थर गिलिगन की कप्तानी में एमसीसी की टीम ने भारत का दौरा किया और इस टीम के खिलाफ हिन्दूज की तरफ से जिमखाना के मैदान पर खेलते हुए नायडू ने 153 रन की उस ऐतिहासिक पारी को अंजाम दिया था जिसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के नक्शे पर भारत को उभारने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

अपने लम्बे लम्बे छक्कों के लिए मशहूर नायडू ने इस 111 मिनट की पारी में 11 छक्के लगाकर एक रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था।
आगे इसी पारी से प्रभावित होकर भारत को टेस्ट स्टेटस दिया गया और साल 1932 में खेले गए उस टेस्ट मैच के लिए नायडू को भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया ।

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नायडू ने 36 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था जिसके चलते यह खिलाड़ी ज्यादा समय तक खुद को वहां स्थापित नहीं रख पाया था लेकिन डोमेस्टिक क्रिकेट में नायडू की बैटिंग में खेलते रहने की भूख साफ दिखाई देती रही थी।
नायडू ने 7 टेस्ट मैचों में 350 रन बनाए थे और कुल 9 विकेट अपने नाम किए थे

लेकिन ये आंकड़े नायडू के खेल और उनकी काबिलियत को न्याय नहीं देते है, भारतीय क्रिकेट के पहले कप्तान को अगर करीब से जानना है तो उनके डोमेस्टिक क्रिकेट के आंकड़ों को देखना चाहिए जहां इनके नाम 207 मैचों में 12785 रन अंकित है और ये रन नायडू ने 26 शतकीय पारियों और 58 अर्धशतकों की मदद से बनाए थे, इसके अलावा नायडू के नाम 411 विकेट भी है, जो इन्हें एक शानदार आलराउंडर साबित करती है।

अपनी क्रिकेट प्रतिभा की बदौलत मिली शोहरत के कारण नायडू भारतीय क्रिकेट इतिहास के ऐसे पहले खिलाड़ी बने जिन्होंने किसी ब्रैंड के प्रोडेक्ट को इंडोर्स किया था, इसके अलावा क्रिकेट के मैदान पर अपने बेहतरीन योगदान की बदौलत भारत सरकार ने इस महान खिलाड़ी को साल 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

सबसे पहले टेस्ट क्रिकेटर अमर सिंह

चलिए अब बात करते हैं उस खिलाड़ी की जिन्हें भारत के सबसे पहले टेस्ट क्रिकेटर होने का गौरव प्राप्त हुआ था, 4 दिसंबर साल 1910 को गुजरात के राजकोट में पैदा हुए अमर सिंह वो पहले खिलाड़ी बने जिन्हें टेस्ट कैप दी गई थी।

अमर सिंह को भारतीय क्रिकेट इतिहास का पहला तेज गेंदबाज और बोलिंग आलराउंडर माना जाता है, साल 1932 में खेले गए पहले टेस्ट मैच में अमर सिंह भारत की तरफ से अर्धशतकीय पारी खेलने वाले सबसे पहले खिलाड़ी बन गए थे।

अमर सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध से पहले भारत के लिए सभी सात टेस्ट मैच खेले थे जिनमें इनकी विकेटो का आंकड़ा 28 और रनों का आंकड़ा 292 रहा था।

विश्व युद्ध के बाद अमर सिंह अपने करियर को जारी रखते उससे पहले ही साल 1940 की एक सुबह निमोनिया के कारण इनका निधन हो गया था।

अमर सिंह के डोमेस्टिक करियर को उठाकर देखें तो पता चलता है कि 92 फस्ट क्लास मैचों में इस खिलाड़ी ने कुल 3334 रन और 506 विकेट अपने नाम किए थे।

भारत के सबसे पहले विकेटकीपर 

7 दिसंबर साल 1902 को फुलगांव में पैदा हुए जनार्दन नवले ने भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे पहले मैच में विकेटकीपर की भूमिका निभाई थी।

16 साल की उम्र में अपना क्रिकेट करियर शुरू करने वाले नवले ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में केवल दो टेस्ट मैच ही खेले थे जिनमें इनके रनों का आंकड़ा 42 रहा था और विकेट के पीछे यह खिलाड़ी सिर्फ एक ही शिकार अपने नाम कर पाया था, बात करें इस खिलाड़ी के डोमेस्टिक क्रिकेट आंकड़ों की तो वहां इनके नाम 65 मैच है जिनमें इन्होंने कुल 1976 रन बनाए थे, विकेटकीपर के तौर पर फस्ट क्लास क्रिकेट में नवले ने 100 कैच और 36 स्टम्पिग अपने नाम की थी।

नवले के साथ भारतीय पारी को शुरू करने वाले दुसरे सलामी बल्लेबाज का नाम नाओमल जीओमल मखीजा था जिनका जन्म 17 अप्रैल साल 1904 को कराची में एक क्लर्क पिता के घर हुआ था।

इस खिलाड़ी को अपने टेस्ट करियर में कुल 3 मैच खेलने का मौका मिला था जिनमें इन्होंने कुल 108 रन बनाए थे और एक लेग ब्रेक गेंदबाज की हैसियत से दो विकेट लिए थे।

बात करें इस खिलाड़ी के फस्ट क्लास क्रिकेट करियर की तो इन्होंने अपने करियर में कुल 84 मैच खेले थे जिनमें इनके नाम 4140 रन है। इसके अलावा एक गेंदबाज के तौर पर इस खिलाड़ी ने 108 विकेट भी अपने नाम किए थे।

पचास के दशक में मखीजा को पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किया गया था और आगे चलकर यह भारतीय खिलाड़ी साल 1957 में पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का नेशनल सिलेक्टर भी चुना गया था।

टेस्ट क्रिकेट के पहले आलराउंडर

15 सितंबर साल 1903 को जलधंर पंजाब में पैदा हुए वजीर अली को साल 1932 में हुए टेस्ट मैच में एक आलराउंडर के तौर पर टीम में शामिल किया गया था।

उस दौर में सी के नायडू के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले वजीर अली ने विश्व युद्ध से पहले भारत के लिए सभी मैचों में हिस्सा लिया था और इस दौरान दो अनओफीशियल टेस्ट मैचों में कप्तान की भूमिका भी निभाई थी।
अपने सभी सात टेस्ट मैचों में वजीर अली ने 237 रन बनाए थे।

फस्ट क्लास क्रिकेट में वजीर अली ने 121 मैचों में हिस्सा लिया था और 7212 रन बनाए थे, यहां वजीर अली का सबसे अच्छा बल्लेबाजी प्रदर्शन नाबाद 268 रन रहा था, इसके अलावा एक तेज गेंदबाज के तौर वजीर अली ने फस्ट क्लास क्रिकेट में कुल 34 विकेट अपने नाम किए थे।

भारत का विभाजन होने के बाद वजीर अली पाकिस्तान चले गए थे जहां साल 1950 में 47 साल की उम्र में इस खिलाड़ी का निधन हो गया था, आगे चलकर इनके बेटे खालिद वजीर ने पाकिस्तान के लिए दो टेस्ट मैचों में हिस्सा लिया था।

सोराबजी कोल्हा

अगले जिस खिलाड़ी के बारे में हम आपको बताने वाले है उनका नाम सोराबजी कोल्हा है जिनका जन्म 22 सितंबर साल 1902 को बम्बई में हुआ था।

अपने करियर में इन्हें दो टेस्ट मैचों में हिस्सा लेने का मौका मिला जिनमें इनके रनों का आंकड़ा कुल मिलाकर 69 रहा था, इसके अलावा 75 फस्ट क्लास मैचों में इन्होंने 3514 रन बनाए थे और कुल 6 विकेट अपने नाम किए थे।

16 दिसम्बर साल 1909 को कुआलालम्पुर में पैदा हुए लाल सिंह पहली भारतीय टेस्ट टीम में शामिल होने वाले एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें बाद में कभी भी भारत के लिए मैदान पर उतरने का मौका नहीं मिल पाया था।

अपने करियर के एकमात्र टेस्ट मैच में लाल सिंह ने 44 रन बनाए थे, इसके अलावा लाल सिंह ने अपने डोमेस्टिक करियर में कुल 32 मैच खेले थे जिनमें इनके रनों का आंकड़ा 1123 है।

आखिर कैसे जापान ने भारत के पहले स्पेशलिस्ट फिल्डर की जिंदगी को नर्क बना दिया था

लाल सिंह की कहानी एक अच्छे खिलाड़ी तक ही सिमित नहीं है, इस भारतीय खिलाड़ी ने दुसरे विश्व युद्ध के दौरान की घुटन और बर्बरता को भी बहुत करीब से महसूस किया था, लाल सिंह के दो बड़े भाइयों को ब्रिटिश अफसरों की मदद करने के जुर्म में जापानी सेना द्वारा फांसी पर लटका दिया गया था ।

साथ ही लाल सिंह को भी इसी जुर्म के तहत एक लम्बे समय तक जापानी सेना द्वारा इस कदर टोर्चर किया गया था कि जब यह खिलाड़ी वापस अपने घर पहुंचा तो इनकी मां भी अपने बेटे को नहीं पहचान पाई थी क्योंकि तब तक लाल सिंह का शरीर हड्डियों का ढांचा बनकर रह गया था।

19 नवंबर साल 1985 को लाल सिंह का निधन हो गया था, इस खिलाड़ी के सम्मान में कुआलालम्पुर में हर साल लाल सिंह शिल्ड के नाम से एक इंटर स्कूल टुर्नामेंट आयोजित किया जाता है।

5 सितंबर साल 1910 को बम्बई में पैदा हुए फिरोज पालिया पहली भारतीय टेस्ट टीम में शामिल होने वाले सबसे युवा खिलाड़ियों में से एक थे।

अपने करियर में कुल दो टेस्ट मैच खेलने वाले पालिया ने कुल 29 रन बनाए थे, इसके अलावा फस्ट क्लास क्रिकेट में इस खिलाड़ी के नाम 100 मैचों में कुल 4536 रन और 208 विकेट है।

डाक्टर मोहम्मद जहांगीर खान

1 फरवरी साल 1910 को जलंधर में पैदा हुए डाक्टर मोहम्मद जहांगीर खान प्रतिष्ठित क्रिकेट खिलाड़ियों से भरे परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
भारत और पाकिस्तान दोनों की तरफ से क्रिकेट खेलने वाले बका जिलानी, पाकिस्तान क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े आलराउंडर इमरान खान जहांगीर खान के पारिवारिक सदस्य थे, इनके अलावा जहांगीर खान के बेटे माजिद खान और पोते बाजिद खान ने भी पाकिस्तान की तरफ से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हिस्सा लिया था।

जहांगीर खान ने अपने अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट कैरियर में चार मैच खेले थे जिनमें इनके रनों का आंकड़ा 39 रहा था।
वहीं बात करें इस खिलाड़ी के डोमेस्टिक करियर की तो यहां इस खिलाड़ी ने 111 मैच खेले थे और 3327 रन बनाए थे साथ 328 विकेट भी अपने नाम किए थे।

साल 1939 से 1942 तक जहांगीर खान भारतीय क्रिकेट में सलेक्शन कमेटी का भी हिस्सा रहे, 1947 में पाकिस्तान चले जाने के बाद जहांगीर खान ने पाकिस्तानी क्रिकेट में भी सिलेक्टर और मैनेजर की भूमिका निभाई थी।

23 जुलाई साल 1988 को जब जहांगीर खान का निधन हुआ तो भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे पहले टेस्ट मैच में भारत की तरफ से हिस्सा लेने वाला कोई भी खिलाड़ी जीवित नहीं था।

सबसे पहली भारतीय क्रिकेटर भाइयों की जोड़ी

8 जून साल 1906 को वजीर अली के भाई नज़ीर अली का जन्म पंजाब में हुआ था, भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने वाली यह भाईयों की पहली जोड़ी थी।

नज़ीर अली ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में कुल दो टेस्ट मैच खेले और 30 रन बनाए थे इसके अलावा नज़ीर के नाम फस्ट क्लास क्रिकेट में 3440 रन और 158 विकेट है।

आखिर में हम जिस खिलाड़ी की बात करने वाले है उनका नाम शेख मोहम्मद निसार है जिन्हें उस दौर के सबसे तेज गेंदबाजों में गिना जाता था।

1 अगस्त साल 1910 के दिन होशियारपुर पंजाब में पैदा हुए निसार को नायडू ने हारोल्ड लारवुड से भी तेज गेंदबाज बताया था।
लोर्डस टेस्ट मैच में अपने दुसरे ओवर की पहली गेंद पर हर्बट सटक्लिफ को तीन के स्कोर पर आउट कर निसार भारत की तरफ से विकेट हासिल करने वाले सबसे पहले गेंदबाज बन गए थे, आगे निसार ने इस मैच में 135 रन देकर कुल छह विकेट अपने नाम किए थे जिसमें एक फाइव विकेट होल भी शामिल था।

अपने करियर के छः टेस्ट मैचों में निसार ने 55 विकेट अपने नाम किए थे साथ ही 93 फस्ट क्लास मैचों में इस खिलाड़ी ने कुल396 शिकार बटोरे थे‌।
फस्ट क्लास क्रिकेट में इस खिलाड़ी का सबसे अच्छा प्रदर्शन 17 रन देकर छह विकेट था जो निसार के हुनर को बखूबी साबित करता है।

आजादी के बाद निसार पाकिस्तान चले गए थे और वहां पाकिस्तान क्रिकेट को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी, साल 1963 में लाहौर में रहते हुए इस खिलाड़ी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था।

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