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दारा सिंह के परिवार का इतिहास

शायद ही कोई ऐसा ऐक्टर होगा जिसने अपने सशक्त अभिनय से किसी अनदेखे किरदार को अपना रूप देने में ऐसी सफलता पायी होगी जैसी कि ऐक्टर दारा सिंह जी ने पायी है। आप आँख बंदकर के भी अगर हनुमानजी को स्मरण करें तो आपके ज़ेहन में सबसे पहले दारा सिंह का ही चेहरा आयेगा और अगर दारा सिंह जी को याद करें तो उनके द्वारा निभायी हनुमान जी की भूमिका ही सबसे पहले याद आयेगी।

एक पहलवान, अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और राजनीतिज्ञ दारा सिंह को धारावाहिक “रामायण” के उनके द्वारा निभाये हनुमान की भूमिका के लिये आज भी याद किया जाता है।

रुस्तम ए हिंद, विश्व विजेता दारा सिंह को ‘भारतीय सिनेमा के आयरनमैन’, ‘द ओरिजिनल मसल मैन ऑफ़ बॉलीवुड’ और  ‘द एक्शन किंग ऑफ़ बॉलीवुड ’के नाम से भी जाना जाता है। बॉलीवुड फैमिली की श्रंखला में आज हम जानेंगे दारा सिंह जी के करियर और उनकी फैमिली हिस्ट्री के बारे में। 

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Dara Singh Family

दारा सिंह जी का परिवार 

सबसे पहले बात करते हैं दारा सिंह जी के माता-पिता की। दारा सिंह के पिताजी का नाम सूरत सिंह रंधावा था जो कि अमृतसर के धर्मूचक गाँव के एक साधारण मध्यवर्गीय किसान थे और जाट सिख परिवार से संबंध रखते थे। दारा सिंह की माताजी का नाम था बलवंत कौर रंधावा जो कि एक गृहिणी थीं।

दारा सिंह जी के परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में जानने से पहले आइये एक नज़र डाल लेते हैं दारा सिंह के शुरुआती जीवन और करियर पर। 19 नवंबर 1928 को पंजाब के अमृतसर ज़िला स्थित धर्मूचक नामक गाँव में जन्मे दारा सिंह का पूरा नाम दीदार सिंह रंधावा था।

दारा सिंह की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव में ही हुई थी हालांकि पढ़ाई में मन न लगने के कारण उन्होंने कम उम्र में ही पढ़ाई छोड़ पिता के साथ खेती के कामों में हाथ बँटाना शुरू कर दिया था।पढ़ाई में मन न लगने का एक कारण ये भी था कि बहुत ही कम उम्र में दारा सिंह जी शादी कर दी गयी थी और 17 वर्ष की आयु में ही वे एक बेटे के पिता भी बन गये थे।

दोस्तों जब दारा सिंह की शादी हुई हुई थी तो उनकी उम्र महज़ 9 वर्ष की थी और वे इतने पतले दुबले थे कि अपनी पत्नी से भी छोटे नज़र आते थे। ऐसे में उनके घर वालों ने उनकी ख़ुराक ख़ूब बढ़वा दी ताकि वे मैच्योर नज़र आयें। उस दौरान गाँव में होने वाली कुश्ती देख उनका मन भी पहलवानी करने का हुआ तो उन्होंने शौक़िया कुश्ती लड़नी शुरू कर दी।

वर्ष 1947 में, दारा सिंह सिंगापुर में काम करने वाले अपने चाचा से रिक्वेस्ट कर उनके साथ सिंगापुर चले गए और ड्रम बनाने वाली मिल में काम करने लगे। 6 फीट 2 इंच के दारा की बॉडी देख उनके पहचान के लोगों ने वहाँ उन्हें कुश्ती के क्षेत्र में जाने के लिये प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया।

दारा सिंह ने देखा कि जब सब इतना सपोर्ट कर रहे हैं तो चांस ले ही लेते हैं। उन्होंने बाकायदा कोच हरनाम सिंह से कुश्ती का प्रशिक्षण प्राप्त किया और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। उस दौरान दारा सिंह ने दुनिया भर के कई लोकप्रिय पहलवानों को हराया और चैंपियन ऑफ़ मलेशिया ’ 1951 का ख़िताब अपने नाम कर लिया।

एक पेशेवर पहलवान के रूप में सभी देशों में अपनी धाक जमाकर दारा सिंह वर्ष 1952 में अपने भारत वापस लौट आये। वर्ष 1954 में, दारा सिंह ने रुस्तम-ए-हिंद का ख़िताब हासिल किया और महाराजा हरि सिंह के हाथों रजत कप भी प्राप्त किया।

दारा सिंह की सबसे यादगार कुश्ती प्रतिस्पर्धा की बात करें तो वो थी वर्ष 1956 में हुई, ऑस्ट्रेलिया के “किंग कांग” के बीच, जब उन्होंने 200 किलो के किंग कांग को उठाकर चारो ओर घुमा के पटका था। इस दौरान दारा सिंह फ़िल्मों से भी जुड़ गये थे, हालांकि एक पहलवान के रूप में अभी कुछ ख़िताब अपने नाम करना उन्हें बाक़ी था। वर्ष 1959 में उन्होंने जॉर्ज गोर्डिनको को हराकर कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप जीती।

वर्ष 1962 में, फिल्म “किंग कांग” की रिलीज़ के बाद दारा सिंह को ढेरों फ़िल्मों के ऑफर मिलने लगे, उसी दौरान उनके एक प्रशंसक ने उन्हें एक पत्र लिखकर पूछा कि “आप तो भारत के हो भीम, फिर क्यों बजाते हो बीन?” दारा सिंह ने उस व्यक्ति को जवाब लिखा कि वे फ़िल्में ज़रूर करते हैं लेकिन कुश्ती नहीं छोड़ा है।

बहरहाल दारा सिंह ने विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप जीतने का निश्चय किया और वर्ष 1968 में पहलवान लू थेज़ को हराकर इस ख़िताब को भी अपने नाम कर लिया। साथ ही वे गामा पहलवान के बाद “विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप” जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान भी बन गये।

दोस्तों आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अपने कुश्ती करियर के दौरान, दारा सिंह जी ने लगभग 500 प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया और एक में भी उनकी हार नहीं हुई। जून 1983 में दिल्ली में आयोजित टूर्नामेंट में उन्होंने कुश्ती के लिये उन्होंने अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी।

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दारा सिंह का फ़िल्मी करियर

बात करें उनके फ़िल्मी करियर की तो दारा सिंह ने 1952 में फिल्म “संगदिल” से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। इसके बाद कई फिल्मों में एक स्टंट मैन के रूप में छोटे छोटे रोल में वे नज़र आये। वर्ष 1962 में, दारा सिंह को फिल्म “किंग कांग” में पहली बार मुख्य भूमिका मिली जिसे लोगों ने ख़ूब पसंद किया।

दारा सिंह की जोड़ी उस वक़्त ऐक्ट्रेस मुमताज़ के साथ बहुत सफल हुई थी जिसकी शुरुआत हुई थी वर्ष 1963 में आयी फ़िल्म “फौलाद” के ज़रिये जो उस वक़्त की किसी नामी ऐक्ट्रेस के मना करने पर मुमताज़ को ऑफर किया गया था जिसे उन्होंने बेझिझक स्वीकार कर लिया था।

इस फ़िल्म की ज़बरदस्त कामयाबी के बाद दारा सिंह ने मुमताज के साथ 16 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। बाद में दारा सिंह ने मेरा नाम जोकर, आनंद, मर्द और कर्मा जैसी ढेरों बड़ी फ़िल्मों में एक से बढ़कर दमदार चरित्र भूमिकाएं भी निभाईं जो यादगार बन गयीं। दोस्तों दारा सिंह न सिर्फ़ एक अभिनेता के तौर पर बल्कि बतौर लेखक, निर्देशक और निर्माता भी सक्रिय रहे और कई पंजाबी फ़िल्में बनायीं।

उन्होंने अपने बैनर ‘दारा फिल्म्स’ के बैनर तले दो हिंदी फिल्मों का निर्देशन भी किया था, जिनके नाम हैं भक्ति में शक्ति और वर्ष 1982 में आयी ‘रुस्तम’। साथ ही वर्ष 1978 में उन्होंने पंजाब के मोहाली में, ‘दारा फिल्म स्टूडियो ’की स्थापना भी की। हिंदी और पंजाबी के अलावा उन्होंने मलयालम फिल्म में भी काम किया।

हालांकि बतौर ऐक्टर उनको फ़िल्मों से कहीं ज़्यादा लोकप्रियता टेलीविज़न से मिली जब उन्होंने रामानंद सागर के “रामायण” में ‘हनुमान’ की भूमिका निभाई। दारा सिंह ने बतौर ऐक्टर लगभग 125 हिंदी फिल्मों, दर्जनों टीवी शोज़ और 22 से भी ज़्यादा पंजाबी फिल्मों में काम किया। उनकी आखिरी हिंदी फिल्म ‘जब वी मेट’ थी और आखिरी पंजाबी फिल्म ‘दिल अपना पंजाबी’ थी।

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Dara Singh Politics

दारा सिंह की राजनीति में सक्रियता

कुश्ती और फ़िल्म के अलावा दारा सिंह राजनीति में भी सक्रिय रहे और राज्यसभा के लिए नामित होने वाले पहले खिलाड़ी बने। उन्होंने 2003 से 2009 तक राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया। दारा सिंह जाट महासभा के अध्यक्ष भी थे। अवाॅर्ड की बात करें तो दारा सिंह ने कुश्ती के क्षेत्र में दुनिया भर के अवॉर्ड तो हासिल किये ही थे, साथ ही उन्हें वर्ष 1964 में रिलीज़ हुई फिल्म जग्गा के लिये भारत सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी प्रदान किया गया। 12 जुलाई 2012 को 83 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से दारा सिंह जी की मृत्यु हो गई। 

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Dara Singh Family Members
दारा सिंह जी के परिवार के सदस्य

आइये अब एक नज़र डाल लेते हैं दारा सिंह जी के परिवार के सदस्यों के बारे में। दारा सिंह जी का दो शादी हुई थी। पहली शादी वर्ष 1937 में बच्चन कौर से हुई थी जो कि एक बाल विवाह था। जब यह शादी हुई थी तब उनकी उम्र महज़ 9 साल की थी और बालिग होने से पहले ही उन्हें एक बेटा भी हो गया था। हालांकि बाद में दोनों का तलाक हो गया। उनके बेटे प्रद्युमन रंधावा जी भी एक ऐक्टर रह चुके हैं। उन्होंने वर्ष 1968 में रिलीज़ रामानंद सागर की फ़िल्म आँखें से ऐक्टिंग की शुरुआत की थी।

बाद में वे फ़िल्म बंदिश में बतौर नायक भी नज़र आये, उसके बाद गंगा तेरा पानी अमृत जैसी कुछ और फ़िल्मों में भी उन्होंने काम किया, लेकिन सफलता न मिलने पर ऐक्टिंग फील्ड छोड़कर प्रद्युमन अपने पुश्तैनी काम यानि खेती से जुड़ गये। फिलहाल वे अपने परिवार के साथ मेरठ स्थित फार्म हाउस में रहते हैं और लाइमलाइट से पूरी तरह से दूर हैं। उनके दो बेटे हैं जिनके नाम अजय रंधावा और विजय रंधावा है।

बच्चन कौर से तलाक लेने के कुछ सालों के बाद, दारा सिंह ने 11 मई 1961 को सुरजीत कौर औलख से शादी की जो पंजाबी ऐक्टर रतन औलख की बहन हैं। इस शादी से उनके दो बेटे, वीरेंद्र सिंह रंधावा व अमरीक सिंह रंधावा और तीन बेटियां दीपा सिंह, कमल सिंह और लवलीन सिंह हैं।

दारा सिंह के बेटे अमरीक भी फ़िल्मों में बतौर प्रोड्यूसर कार्यरत हैं, तो वहीं  वीरेंद्र सिंह रंधावा बतौर अभिनेता विंदू दारा सिंह के नाम से फ़िल्मों और टेलिविज़न पर सक्रिय हैं साथ ही टीवी शो बिग बॉस सीज़न 3 के विनर भी रह चुके हैं।

एक बाल कलाकार के रूप में पंजाबी फ़िल्मों से शुरुआत कर, बतौर नायक वर्ष 1994 में फ़िल्म ‘करण’ से हिंदी फ़िल्मों में कदम रखने वाले विंदू मुझसे शादी करोगी, पार्टनर, हाउसफुल और सन ऑफ सरदार जैसी कई फ़िल्मों में कॉमेडियन के किरदार भी निभा चुके हैं।

साथ ही अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए विंदू जय हनुमान जैसे शो में सफलता पूर्वक हनुमान जी की भूमिका भी निभा चुके हैं। हिंदी के अलावा विंदू पंजाबी फ़िल्मों में भी काम कर चुके हैं।

निजी जीवन की बात करें तो विंदू ने 90 के दशक की मशहूर ऐक्ट्रेस फराह नाज़ से वर्ष 1996 में विवाह किया था जिनसे उनका एक बेटा हुआ हालांकि वर्ष 2002 इनका तलाक भी हो गया और बाद में विंदू ने वर्ष 2006 में मॉडल डीना उमरोवा से शादी कर ली, जिनसे उनकी एक बेटी है। तो वहीं फराह ने ऐक्टर सुमित सहगल से विवाह कर लिया। वर्ष 2013 में, विंदू सट्टेबाजों से संबंध रखने और स्पॉट फिक्सिंग घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार भी किये गये थे।

 दारा सिंह के एक भाई थे जिनका नाम सरदार सिंह रंधावा था। दारा सिंह की तरह वे भी एक अभिनेता और पहलवान थे। वर्ष 1933 में जन्मे सरदार सिंह रंधावा ने भी दारा सिंह की तरह प्रारंभिक शिक्षा गाँव में लेने के बाद उनके साथ विदेश चले गए। उन्होने अपने कुश्ती सफ़र की शुरुआत सन् 1952 में सिंगापुर पहुँचने पर की।

सरदार सिंह भी अपने भाई दारा सिंह की तरह ही मजबूत कद-काठी के स्वामी थे और दारा सिंह की तरह ही सरदार सिंह भी रुस्तम-ए-हिंद का ख़िताब अपने नाम करने में सफल रहे थे। उनकी पहली फ़िल्म वर्ष 1963 में रिलीज़ आवारा अब्दुल्ला थी। सरदार सिंह ने अधिकतर फ़िल्मों में पहलवान की व नकारात्मक भूमिकायें निभाईं, साथ ही वे कई भक्ति फ़िल्मों में भी नज़र आये।

सरदार सिंह की फ़िल्मों की बात करें तो उन्होंने फ़ौलाद, टार्ज़न और किंग कॉंग, नसीहत, आदमी और इंसान, जॉनी मेरा नाम, अंदाज़, भक्ति में शक्ति और ज़ुर्म आदि सहित कई हिंदी फ़िल्मों के अलावा पंजाबी फ़िल्मों में भी बतौर नायक तथा छोटे-बड़े रोल्स किये । निजी जीवन की बात करें तो सरदार सिंह रंधावा रिश्ते में अभिनेत्री मुमताज़ के जीजा लगते थे।

उन्होंने अभिनेत्री, मलिका से शादी की थी जो मशहूर अभिनेत्री मुमताज़ की बहन हैं। उनकी दो संतानें थी, एक पुत्री आलम व एक पुत्र शाद रंधावा। सरदार सिंह की 21 अक्टूबर 2013 को मृत्यु हो गई। उनके बेटे शाद रंधावा भी एक अभिनेता हैं और आज भी सक्रिय हैं। शाद ने वो लम्हे, आवारापन, आशिक़ी2, एक विलेन, मस्तीज़ादे और सत्यमेव जयते2 जैसी दर्जन भर फ़िल्मों में दमदार भूमिकायें नभाई हैं।

अन्य सदस्यों की बात करें तो दारा सिंह के दामाद ‘दमन मान’ भी एक ऐक्टर हैं। उन्होंने चतुर सिंह टू स्टार, टीम द फोर्स, मेरा दिल तेरे लिये और प्राइड एंड ऑनर के अलावा कई हिंदी और पंजाबी फ़िल्मों में काम किया है।

दारा सिंह के साले साहब यानि उनकी पत्नी के भाई रतन औलख भी पूर्व पहलवान रहने के साथ एक ऐक्टर राइटर और डायरेक्टर हैं। साथ ही वे एक पेशेवर कुश्ती प्रमोटर, रेफरी और कोच भी रह चुके हैं।

रतन औलख जी का पूरा नाम गुररतन सिंह औलख है।पंजाबी सुपर-हिट फिल्म मामला गड़बड़ है में ‘मिकी’ की भूमिका से मशहूर हुए रतन ने इस फ़िल्म में फाइट-मास्टर और डांस-मास्टर के रूप में भी काम किया था। उन्होंने कई हिट हिंदी और पंजाबी फिल्मों के अलावा दर्जनों टीवी शोज़ में भी काम किया है।

दारा सिंह जी ने जब मोहाली में दारा स्टूडियोज के निर्माण शुरू किया तो उसका जिम्मा रतन ने ही संभाला था। रतन औलख जी को पंजाबी सिनेमा में योगदान के लिए दो बार सम्मानित भी किया जा चुका है।

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