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जब दर्शकों ने मैदान में घुसकर खिलाडियों को मारा

भीड़, जिसका न कोई रूप है न कोई आकार। मगर,भीड़ नाम बदलने में माहिर है। मंदिर-मस्जिद में ये भीड़ भक्त और जमात बन जाती है ,शादियों में ये भीड़ मेहमान बन जाती है,प्रयोग कर सकते हैं। तो, खेल के मैदान पर यही भीड़ दर्शक बन जाती है। लेकिन, दोस्तों जब यह भीड़ अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाती है और उग्र हो जाती है। तो,इंसानों की ये टोली दंगाई और बेकाबू कही जाती है। ऐसा बहुत कम देखा जाता है। कि, खेल के मैदान में आये दर्शक उग्र हो जायें और जब बात क्रिकेट जैसे सभ्य खेल की हो। तो, भीड़ का बेकाबू होना कल्पना लगता है। लेकिन, दोस्तों आपको जान के आश्चर्य होगा कि एक नहीं कई मौकों पर क्रिकेट के मैदान में आये दर्शक सभी सीमाओं को लाँघते हुए बेक़ाबू हो गये थे। दर्शकों के आपे से बाहर होने की वजह कभी उनकी टीम द्वारा निराश करने वाला प्रदर्शन रहा।

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तो, कभी विरोधी टीम का खेल भावना को ठेस पहुँचाना और कुछ मौकों पर तो जीत की ख़ुशी में भी दर्शको का बेकाबू सैलाब ग्राउंड में घुस आया। तो चलिए दोस्तों इस वीडियों में नज़र डालते हैं 5 ऐसी घटनाओ पर जब दर्शक अपनी भावनाओ पर काबू नहीं रख पाये और खेल भावना के साथ खिलाड़ियों एवं ग्राउंड स्टाफ़ को दुर्घटना का शिकार होना पड़ा।

इस सूची में 5वें नंबर पर है :-

5:- भारत बनाम श्रीलंका, कोलकाता (1996)

साल 1996 वन-डे वर्ल्ड कप सेमी-फाइनल की यह घटना भारतीय क्रिकेट के लिए एक बुरे सपने की तरह है। एक ऐसा नज़ारा जिसे कोई भी भारतीय दोबारा देखना नहीं चाहेगा। दरअसल हुआ ये था कि श्रीलंका द्वारा दिये गए 252 रनों के लक्ष्य के सामने 22 ओवर के बाद भारत का स्कोर 1 विकेट के नुकसान पर 98 रन था। यहाँ से भारतीय बल्लेबाज़ों में ‘तू चल मैं आया’ की ऐसी होड़ लगी कि क़रीब 34 ओवर बाद भारतीय स्कोरकार्ड 120 रन पर 8 विकेट दिखा रहा था। हालाँकि, क्रीज़ पर विनोद कांबली मौजूद थे। लेकिन, 95 गेंदों में 132 रन बनाकर जीत हासिल कर पाना नामुमकिन लग रहा था। यहीं पर दर्शकों के सब्र और भरोसे का बाँध टूट गया। स्टैंड्स में आगज़नी होने लगी। बाउंड्री के नज़दीक खड़े श्रीलंकाई खिलाड़ियों पर दर्शकों ने बोतले फेंकना शुरू कर दी। हालात बिगड़ते देख कर मैच रेफ़री क्लाइव लॉयड ने श्रीलंका को विजयी घोषित कर दिया और करिश्में की अंतिम लौ को भी बुझा दिया।

India vs Sri lanka 1996

इस घटना के क़रीब 3 साल बाद एक बार फिर कोलकाता का ईडन गार्डन दर्शकों के गुस्से का गवाह बना। वो मैच जो इस सूची में चौथे नंबर पर है :-

4:- भारत बनाम पाकिस्तान,कोलकाता (1999 )

भारत और पाकिस्तान की टीमें क्रिकेट मैदान में भिड़ती हैं। तो, एक रोमांचक मुकाबला देखने को मिलता है। ऐसा ही एक मुक़ाबला था फरवरी 1999 में कोलकाता के ईडन गार्डन पर खेला गया एशियन टेस्ट चैंपियनशिप का पहला मैच। पाकिस्तान ने पहली पारी में 185 रन बनाए। जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में 223 रन पर ऑलआउट हो गई। दूसरी पारी में पाकिस्तान ने सईद अनवर के 188 रनो की बदौलत पाक टीम ने 316 रन बनाये। अब भारत को मैच जीतने के लिए 279 रन चाहिए थे। 19 फरवरी को दर्शक इस उम्मीद के साथ मैदान में आये कि भारतीय टीम इस लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगी। शुरुआत भी अच्छी हुई। मगर, तीन विकेट जल्दी गिर जाने के बाद सचिन तेंदुलकर ने मैदान पर कदम रखा। तेंदुलकर पर सभी लोगों को भरोसा था। मगर, वह 9 रन बनाकर रन आउट हो गए। क्योंकि,रन लेते वक़्त पाकिस्तानी तेज़ गेंदबाज़ शोएब अख्तर सचिन के रास्ते में आ-गए थे। जिस के चलते सचिन क्रीज पर नहीं पहुंच सके। थर्ड अंपायर ने सचिन को रनआउट करार दे दिया। मैदान पर मौजूद दर्शक सचिन का इस तरह आउट होना बर्दाश्त नहीं कर पाए और स्टैंड्स में तोड़-फोड़ करने के साथ पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर बोतलें फेकने लगे। हालात इतने बिगड़ गए कि मैच को बीच में रोकना पड़ा। बाद में सचिन तेंदुलकर ने पुलिस के साथ दर्शकों को समझाने की कोशिश की। मगर, कोई सुनने वाला नहीं था। आखिरकार ग्राउंड स्टॉफ और पुलिस ने स्टेडियम खाली कराया। टेस्ट के आखिरी दिन कोई भी दर्शक स्टेडियम में नहीं था। तब जाकर मैच पूरा हो सका। भारत की इस मैच में 46 रनो की हार के साथ इस घटना ने क्रिकेट इतिहास की शर्मनाक घटनाओ में जगह बना ली।

India vs Pakistan 1999

साल 1999 में ही कोलकाता से क़रीब 15,000 किलोमीटर दूर जार्जटाउन (वेस्टइंडीज़) भी बेकाबू दर्शकों का गवाह बना। जोकि इस सूची में तीसरे नंबर पर है :-

3:-वेस्टइंडीज़ बनाम ऑस्ट्रेलिया, जार्जटाउन (1999)

साल 1999 में ऑस्ट्रेलिया 7 मैचों की वन-डे श्रंखला खेलने वेस्टइंडीज़ गया था। सीरीज़ 2-2 से बराबर होने के बाद 5वा मैच जार्जटाउन में खेला जाना था। बारिश से प्रभावित मैच में वेस्टइंडीज़ ने ऑस्ट्रेलिया के सामने 30 ओवरों में 174 रनों का लक्ष्य रखा। जवाब में ऑस्ट्रेलिया को एक समय पर जीत के लिए 7 गेंदों में 7 रन चाहिए थे और मैदान पर स्टीव वॉ मौजूद थे। तभी 29वें ओवर की अंतिम गेंद पर स्टीव वॉ जब 1 रन के लिए दौड़े तो दर्शक का एक झुण्ड मैदान में घुस आया और स्टंप चुराकर ले गया। स्थानीय पुलिस ने दर्शकों को मैदान से बाहर किया और आखिरी 6 गेंदों के लिये मैच फिर शुरू किया गया। बढ़ते अँधेरे ने वॉ की बल्लेबाज़ी प्रभावित की और ऑस्ट्रेलिया को अंतिम गेंद पर जीत के लिये 4 रन चाहिए थे। इधर अंतिम गेंद पर पुलशॉट खेलकर स्टीव वॉ रनो के लिये भागे, उधर दर्शक फिर मैदान में घुस आये। इस बार सभी हदें पार करते हुए दर्शकों ने स्टीव से बल्ला छीनने की भी कोशिश की और स्टंप छीनकर ले गये। इस पूरी घटना के कारण मैच के वास्तविक परिणाम पर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। क्योंकि, मैदान में दर्शकों के आने से पहले स्टीव वॉ तीसरे रन के लिए भाग रहे थे। जोकि, दर्शकों के कारण अधूरा रह गया था। संशय की स्थिति में मैच रेफरी रमन सुब्बा रो ने मैच टाई घोषित कर दिया।

West Indies vs Australia 1999

इस सूची में दूसरे नंबर पर है, दर्शकों द्वारा बाधित किया गया 21वी सदी का पहला मैच:-

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2:- इंग्लैंड बनाम पकिस्तान, लीड्स (2001)

साल 2001 में इंग्लैंड एक नेटवेस्ट ट्राई सिरीज़ के रूप में ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान की मेज़बानी कर रहा था। इस श्रृंखला के सातवें मैच में पाकिस्तान ने टॉस जीतकर गेंदबाज़ी करते हुए इंग्लैंड को मात्र 156 रन पर आल-आउट कर दिया। जवाब में 39.4 ओवर के खेल के बाद पाकिस्तान का स्कोर 149 रन पर 4 विकेट था। पाकिस्तान को जीत के लिये 61 गेंदों में सिर्फ़ 8 रनों की दरकार थी। अज़हर महमूद ने ओवर की पाँचवी गेंद पर स्क्वायर लेग बाउंड्री की ओर फ्लिक शॉट खेला। अभी सब इस दुविधा में ही थे कि चौक्का है या छक्का। दर्शकों का एक बड़ा हिस्सा ग्राउंड मे घुस आया। खिलाड़ी तो जैसे-तैसे दर्शकों के इस सैलाब से बच गये। लेकिन, इस भगदड़ में एक ग्राउंड मैन की पसली और सर में गंभीर चोट आई थी। दोस्तों, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इंग्लैंड जैसे सभ्य मने जाने वाले देश में इस तरह की घटनाये उस पूरी श्रृंखला में ही होती रहीं।

Pakistan vs England 2001

इस सूची में पहले नंबर पर है :-

1:-इंग्लैंड बनाम ऑस्ट्रेलिया, पर्थ (1982)

दोस्तों, ये घटना क्रिकेट इतिहास की सबसे शर्मनाक घटनाओं में से एक है। जहाँ दर्शक और खिलाड़ी दोनों ही अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाए। साल 1982 एशेज़ की मेज़बानी ऑस्ट्रेलिया कर रहा था। श्रृंखला का पहला मैच पर्थ में खेला जाना था। इंग्लैंड टीम ने पहले दिन के अपने शानदार खेल को आगे बढ़ाते हुए दूसरे दिन भी रन बनाना जारी रखा। दोपहर के समय ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ टेरी अल्डरमैन की गेंद पर बॉब विलिस ने चौक्का मारकर इंग्लैंड का स्कोर 400 के जादुई आँकड़े तक पहुचाया। इंग्लैंड टीम के 400 रन बनने की खुशी में कुछ इंग्लिश समर्थक ग्राउंड में घुस आये। जिनमें से एक दर्शक ने भागते हुए एल्डरमैन के गाल पर मुक्का मारा। गुस्साये एल्डरमैन नशे में धुत उस युवा के पीछे भागे और 20 क़दम दौड़ने के बाद उसे पकड़कर ज़मीन पर गिरा दिया। डेनिस लिली और पुलिस ने लड़के को पकड़ लिया। मगर, एल्डरमैन ग्राउंड पर मचल रहे थे। दरअसल उस लड़के को ज़मीन पर गिराते वक़्त एल्डरमैन का कंधा ग्राउंड पर बुरी तरह घिस गया और डिस्लोकेट हो गया । एल्डरमैन को स्ट्रेचर के सहारे ग्राउंड से बाहर ले जाया गया। दोनों कप्तानों की सहमति से मैच दोबारा शुरू हुआ। लेकिन, इस घटना ने क्रिकेट जगत को सोचने पर मजबूर कर दिया। कि, ग़लत कौन था दर्शकों का बेक़ाबू झुंड या टेरी एल्डरमैन

England vs Australia 1982

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Mohammad Talib khan

Sports Conten Writer At Naarad TV

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